वो तो घर आ गए बुलाने से,
हम ही डर गए ज़माने से,
प्यार रुसवा न कहीं हो जाये,
छुप गए हम किसी बहाने से|
मैं तेरे ज़ख्मों का मरहम तो नहीं,
मैं छू लूँ तुझे, ग़र ये भर जाएँ।
मैं तो आवारा इक बादल हूँ,
चश्म में भर ले, तो बरस जाऊं|
खोया हूँ कुछ अपनी ही मदहोशी में,
तेरे ख्यालों का हो जाऊं, तो कुछ बात बने,
ओस की बूँद सा बाग़ में बिखरा हूँ,
पांव छू लें इन बूंदों को, तो कुछ बात बने |
मैं आसमाँ का वो सितारा हूँ ,
टूट जाऊं, तो भी तुम्हारा हूँ ,
किश्ती दरिया के दर्मियान मेरी,
डूब जाऊं, तो भी तुम्हारा हूँ |
आएगी शाम हसीन ख्वाबों की,
लब पे होगी बात शराबों की,
तुम तो आईने के मुखातिब होगी ,
मेरे दिल के टुकड़ों से आह निकलेगी |
मंज़िल इंतज़ार करेगी मेरा ,
तुम्हारे ख्वाब हकीकत होंगे ,
मैं हूँ सही, और मैं न सही,
मेरी आरज़ू में बस तू होगी |
मैंने ये ख्वाब क्यूँ कर देखा,
हसरते हश्र जब ये होना था ,
कैसे कर दूँ दफ्ने कब्र इसको,
क्या इल्म था, की ऐसा कुछ भी होना था |
अब कुछ रहा ही नहीं बाक़ी,
अकेला मैं , बस, और ये राहें हैं,
आया हूँ छोड़, उन गलियों को,
दफ़्न जहा, ग़ालिब के नग्मे हैं|
अब और न कर रुस्वा मुझको,
मैं खुद बन गया हूँ इक अफसाना,
तेरी महफ़िल सदा आबाद रहे,
टूटा दिल क्या दे तुझको नज़राना|
बदलने निकला था जहाँ को कभी,
खुद को बदला सा महसूस करता हूँ ,
तेरे सूनेपन का गुनहगार मैं तो नहीं,
मैं तेरी खामोशियों की आवाज़ हूँ|
तू मेरे ज़ख्मों का मरहम तो नहीं
जो छू लूँ तुझे तो ये भर जाएँ|
© Sudhir Birla