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चौहान क्षत्रियवंश राजपूतों की मुख्य शाखायें
सांभरिया, नाडोल, सोनिगरा, हाड़ा, देवड़ा, खींची, निर्वाण, भदोरिया, पूर्बिया, मोरेचा, भंवरेचा, संकेलचा, राजकुमार, बालेचा, चाचेरा, चंदूक, रोसिया, तसेसरिया, बंकट, धंधेला, मालाणी, पावेचा, सूरा, वत्सगौत्र।
मोरेचा_चौहान (चीता-बरड़ चौहान साख) --------->
वंश : अग्निवंश
वृक्ष : आशापाला
गौत्र : वत्स
निशान : पीला (ध्वज)
वेद : सामवेद
नदी : वैताल
उपवेद : गंधर्ववेद
शस्त्रपूजन : तलवार
शाखा : कौमुधनी
पक्षी : मोर
सूत्र : गोभिल
नौबत : कालिका
शिखा : वाम
नगारा : बैरिसाल
पद : वाम
निकास : विदेशा
कुलगुरू : वशिष्ठ
कुलदेव : अंकलेश्वर महादेव
ध्वज : सफेद ध्वल
कुलदेवी : आशापुरा
प्रवर : पंच प्रवर (भार्गव, च्वन, आस्तवान, जमदग्नि, और्य)
गहलोत-सिसोदीया क्षत्रियवंश राजपूतों प्रतिमान
राठोड क्षत्रियवंश राजपूतों प्रतिमान
परमार क्षत्रियवंश राजपूतों की मुख्य शाखायें
परमारों की बडे़ रूप में छत्तीस शाखा है- पंवार, सांखला, भरमा, भावल, पेस, पाणिसवल, वहीया, वाहल, छाहड़, मोटसी, हूवंड, सिलोरा, जयपाल, कंठावा, काब, उमर, धांधू, धूरिया, भई, कछोड़िया, काला, कालमुह, खेरा, खूंटा, ढल, ढेसल, जागा, ढूंढा, गेहलड, कलिलिया, कुकड़, पितालिया, डोडा, बारड़।
परमारों के ६ देवियां है – वाकल देवी, संच्चाय माता, सालण माता, कल्याण माता, कम्पादे माता, जोग माता है।
_परमार वंश के प्रतिमान_
परमार अग्निवंश, कुलदेवी-सच्चियाय माता
उपशाखा- मोठिस परमार, कटारा परमार, बोया परमार, धोधिग परमार, देहलावत परमार, कल्लावत परमार, खींयावत परमार, मिराला परमार, तोजी परमार, मूंजी टाटड़ वोरवाड़ा, जेहलावत परमार।
वंश – अग्निवंश
कुल – सोढा परमार
रिषी गोत्र – वशिष्ठ
प्रवर – वशिष्ठ, अत्रि ,साकृति
वेद – यजुर्वेद
उपवेद – धनुर्वेद
शाखा – वाजसनयि
प्रथम राजधानी – उज्जेन (मालवा)
कुलदेवी – सच्चियाय माता
इष्टदेव – सूर्यदेव महादेव
तलवार – रणतरे
ढाल – हरियण
निशान – केसरी सिंह
ध्वजा – पीला रंग
गढ – आबू
शस्त्र – भाला
गाय – कवली
वृक्ष – कदम्ब,पीपल
नदी – सफरा (क्षिप्रा)
पाघ – पंचरंगी
राजयोगी – भर्तहरी
संत – जाम्भोजी
पक्षी – मयूर
प्रमुख गादी – धार नगरी
भाटी क्षत्रियवंश राजपूतों प्रतिमान
वंश – चन्द्रवंशी
कुल – यदुकुल
कुलदेवता – लक्ष्मीनाथजी
कुलदेवी – स्वांगयांजी
इष्टदेव – श्रीकृष्ण
वेद – यजुर्वेद
गोत्र – अत्रि
छत्र – मेघाडम्बर
ध्वज – भगवां, पीला रंग
ढोल – भंवर
नगारा – अग्नजोत
गुरु – रतननाथ
पुरोहित – पुष्करणा ब्राह्यण
पोलपात – रतनु चारण
नदी – यमुना
वृक्ष – पीपल, कदम्ब
राग – मांड
माला – वैजयन्ती
विरुद – किंवाड़ भाटी
अभिवादन – जय श्रीकृष्ण
संवत् – भट्टीक संवत