सामान्य अवकाश की मांग सदैव अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती। अवकाश सवीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी जब कभी लोक सेवा हितार्थ ऐसा करना आवश्यक समझे, किसी भी प्रकार की छुट्टी को अस्वीकार अथवा खंडित कर सकता है, यद्यपि उसे प्रार्थना की गई छुट्टी की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं
कोई भी शासकीय सेवक अवकाश (आकस्मिक अवकाश अथवा अन्य) पर प्रस्थान तब तक नहीं करेगा जब तक कि वह पहले स्वीकृत न करा लिया हो, परन्तु आपातकालीन स्थितियों में स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी कारण दर्शाते हुये व्यतीत किये गये अवकाश को भूतलक्षी प्रभाव से स्वीकृत कर सकता है ।
किसी भी शासकीय कर्मचारी को लगातार पाँच वर्ष से अधिक समय का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता। असाधारण परिस्थिति में राज्यपाल ही अन्यथा निर्णय ले सकते है।
अवकाश हेतु निर्धारित प्रपत्र में फार्म में आवेदन प्रस्तुत करना चाहिये।
अस्वस्थता के अतिरिक्त अन्य आधार पर 3 सप्ताह पूर्व आवेदन प्रस्तुत करना चाहिये।
प्रत्येक शासकीय कर्मचारी का अवकाश लेखा फार्म 2 में संधारित करना चाहिये।
कोई भी अवकाश उस समय तक स्वीकृत नहीं किया जावेगा जबतक की सक्षम प्राधिकारी से पात्रता के संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त न हो।
निर्धारित फार्म-3 पर प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र संलग्न करना चाहिये ।
निर्धारित प्रारूप -4 पर ड्यूटी पर आने पर स्वस्थ्य होने का चिकित्सकीय प्रमाण पत्र संलग्न करना चाहिये।
आवेदन अवकाश अवधि के शुरू होने के साथ ही प्रस्तुत करना चाहिये अपवादात्मक परिस्थिति में अवकाश अवधि शुरू होने पर 7 दिन के अंदर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
अर्जित अवकाश (विश्राम अवकाश विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर) – अर्जन
दिनांक 01-01-1977 से प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के लिये 30 दिन का अर्जित अवकाश ।
प्रत्येक अर्द्ध वर्ष में 15 दिवस पहली जनवरी तथा पहली जुलाई को जमा किया जावेगा।
अवकाश नियम 25 26 एवं 16-1 ।
अधिकतम जमा की सीमा – पूरी सेवा काल में अधिकतम 300 दिवस ।
अधिकतम उपभोग की सीमा – एक समय में 120 दिन ।
अवकाश वेतन – अवकाश पर जाने के ठीक पूर्व जिस दर से वेतन प्राप्त कर रहा था उसी दर से अवकाश काल में वेतन प्राप्त करेगा।
अर्द्ध वेतन अवकाश – अर्जन
सेवा के एक पूर्ण वर्ष के लिये 20 दिन की दर से अर्द्ध वेतन अवकाश जमा होता है।
यह अग्रिम में जमा नहीं किया जाता है।
अधिकतम जमा की सीमा – कोई सीमा नहीं।
उपभोग – जितना जमा उतना लिया जा सकता है।
अवकाश वेतन – पूर्ण अवकाश का आधा ।
लघुकृत अवकाश – अर्जन
लघुकृत अवकाश ड्यूटि द्वारा अर्जित नहीं किया जाता ।
अर्द्ध वेतन अवकाश का आधा चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर लिया जा सकता है।
जितनी मेडिकल लीव ली है उसका दो गुना अर्द्धवेतन अवकाश कम किया जाता है।
अवकाश नियम 29 एवं 36 ।
अवकाश वेतन – अर्द्ध वेतन अवकाश का दोगुना अर्थात् पुरा वेतन ।
इसके अतिरिक्त अन्य प्रकार के अवकाश –
चिकित्सा अवकाश (Medical Leave)
आकस्मिक अवकाश (Casual Leave)
प्रसूति अवकाश 180 दिवस – अवकाश नियम 38 ।
पितृत्व अवकाश 15 दिवस – अवकाश नियम 38 क ।
दत्तक ग्रहण अवकाश (Child Adoption Leave) 135 दिन- अवकाश नियम 38 ख ।
संतान पालन अवकाश 730 दिवस ।
अदेय अवकाश – अवकाश नियम 30 एवं 36 ।
अवेतन अवकाश – नियम 28 एवं 36-2 ।
असाधारण अवकाश – अवकाश नियम 31 एवं 36 ।
विशेष निर्योग्यता अवकाश 24 माह – अवकाश नियम 39 ।
अध्ययन अवकाश – साधारणत 12 माह एवं पूर्ण जीवनकाल में 24 माह ।
विश्राम अवकाश विभाग के कर्मचारीयों को अवकाश – विश्राम अवकाश की कुल अवधि 45 दिन होगी। विश्राम अवकाश का लाभ नहीं लेने की स्थिति में अर्जित अवकाश देय अधिकतक 30 दिन की सीमा को ध्यान में रखते हुये , जितने दिन का लाभ उठाने से वंचित कर दिया है ।
स्थाई कर्मचारी को एक वर्ष में 14 आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) दिया जा सकता है l
शिक्षकों का लिए आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) की गणना 1 जुलाई से 30 जून तक की जाती है
एक बार में 10 दिन से ज्यादा आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) नहीं स्वीकृत किया जाता l
इस अवकाश को किसी अवधि के शिग्र पूर्वगामी या पश्चातगामी या मध्य में रविवार, राजकीय अवकाश या साप्ताहिक अवकाश आवे तो उसे आकस्मिक अवकाश का अंश नहीं माना जाता l
राज्य कर्मचारियों को अपना मुख्यालय या जिला बीना पूर्वानुमति के नहीं छोड़ना चाहिये l
राज्य कर्मचारी को आधे दिन का भी आकस्मिक अवकाश दिया जा सकता है l
दिनांक 01-01-1977 से प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के लिये 30 दिन का अर्जित अवकाश
प्रत्येक अर्द्ध वर्ष में 15 दिवस पहली जनवरी तथा पहली जुलाई को जमा किया जावेगा।
अवकाश नियम 25 26 एवं 16-1
अधिकतम जमा अवकाश की सीमा 300 दिन की है। इससे अधिक होने पर लेप्स हो जाता है।
किन्तु यदि खाते में पिछला शेष 285 से 300 दिन का है तो 15 दिन को नीचे पृथक से लिख दिया जाता है।
जिससे यदि कर्मचारी चालू छ: माही में अवकाश का लाभ उठाता है तो पहले इन 15 दिनों में से कम किया जा सके अन्यथा 300 दिन से जितना भी अधिक है वह लेप्स हो जायेगा।
यदि कोई शासकीय सेवक पूर्ण पदग्रहण काल का उपभोग किये बिना अपने नये स्थान पर शीघ्र उपस्थित होता है, तो पदग्रहण काल नियम, 1982 के नियम 5 के उपनियम (4) के अनुसार उतने दिन जितने का लाभ उसने वस्तुतः नहीं उठाया है, उसके अर्जित अवकाश लेखा में जोड़ दिये जाता है।
किन्तु इस प्रकार जोड़ने से अर्जित अवकाश जमा की अधिकतम सीमा में 300 दिन से अधिक की वृद्धि नहीं होगी ।
एक समय में यह अवकाश 180 दिन तक मंजूर किया जा सकता है।
यह अवकाश चिकित्सा आधार पर या निजी कारणों के आधार पर लिया जा सकता है। [नियम 25]
इस अवकाश अवधि में उसे अवकाश वेतन की पात्रता होगी।
अवकाश वेतन उसी दर से प्राप्त होगा जिस दर से अवकाश पर प्रस्थान करने की तिथि को उसका वेतन था। [नियम 36]
इसके साथ महंगाई भत्ता तथा मकान किराया भत्ता भी प्राप्त होगा ।
विकलांग भत्ते की पात्रता नहीं होगी।
चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रारूप 3 पर
फिटनेस प्रमाण पत्र प्रारूप 4 में होगा।
चिकित्सा प्रमाण पत्र अधिकृत चिकित्सा अधिकारी होता है।
चिकित्सा प्रमाण पत्र में बीमारी की प्रकृति तथा संभावित अवधि का उल्लेख होना
ऐसा प्रमाण पत्र जहाँ संभव हो पहले अथवा अवकाश अवधि के प्रारंभ होने के साथ प्रस्तुत करना चाहिए।
आपवादिक परिस्थितियों में चिकित्सा प्रमाण-पत्र 7 दिवस में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
यदि यह भी संभव न हो तब स्वीकृतकर्त्ता प्राधिकारी को यदि समाधान हो जावे, तब वह सात दिन के देरी को दोषामार्जन कर सकता है।
चिकित्सा अधिकारी को ऐसे किसी मामले में चिकित्सा अवकाश की अनुशंसा नहीं करना चाहिए, जिसमें ऐसा दिखाई न देवें कि शासकीय सेवक कभी भी सेवा के लिए फिट नहीं हो सकता।
स्वीकृतकर्त्ता अधिकारी यदि चाहे तब उच्च चिकित्सा अधिकारी से बीमार शासकीय सेवक को निर्देश देकर द्वितीय अभिमत प्राप्त कर सकता है। (नियम 17)
नियम 18 में सम्मिलित मामलों को छोड़कर किसी भी शासकीय सेवक को चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश तथा अवकाश वृद्धि उस दिनांक के बाद स्वीकृत नहीं जावेगी जिस दिनांक से चिकित्सा अधिकारी द्वारा उसे आगे सेवा हेतु पूर्णत: तथा स्थाई रूप से अक्षम घोषित कर दिया है।(नियम 35 )
प्रत्येक शासकीय सेवक के अर्धवेतन अवकाश प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी और पहली जुलाई को दस-दस दिनों के दो किश्तों में अग्रिम अर्धवेतन अवकाश जमा किया जाता है|
अवकाश खाते में, कैलेंडर वर्ष के जिस छ: माही में उसकी नियुक्ति हुई है, में की जाने वाली संभावित सेवा के लिये प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह की सेवा हेतु 5/3 दिन की दर से अवकाश जमा किया जाता है|
जिस छ: माही में शासकीय सेवक सेवानिवृत्ति होने वाला है अथवा सेवा से त्यागपत्र देता है, उसके खाते में ऐसी सेवानिवृत्ति अथवा त्यागपत्र की तिथि तक प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह हेतु 5/3 दिन की दर से अवकाश जमा किये जाने की अनुमति दिया जाता है|
जहाँ किसी छ:माही में शासकीय सेवक की अनुपस्थिति अथवा निलंबन की कुछ अवधि’ अकार्य दिवस’ की तरह माना जाता है| तो आगामी छ: माही के प्रारंभ पर उसके अर्धवेतन अवकाश खाते में जमा किये जाने वाले अवकाश में से ऐसे ‘अकार्य दिवस’ का 1/18 वां भाग कम कर दिया जायेगा, किन्तु इसकी अधिकतम सीमा 10 दिन के अध्यधीन होगी।
शासकीय सेवक को इस नियम के अधीन, चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अथवा निजी कार्य के लिये अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर ऐसा अवकाश, ऐसे चिकित्सा प्राधिकारी से चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर दिया जायेगा, जैसा कि शासन इस संबंध में सामान्य अथवा विशिष्ट आदेश द्वारा विहित करे तथा ऐसी अवधि से अधिक के लिए नहीं दिया जायेगा जो कि चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा अनुशासित किया गया हो। ऐसा चिकित्सा अवकाश, स्वीकृत नहीं किया जायेगा, जब तक कि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को यह समाधान न हो जाये कि शासकीय सेवक के ऐसे अवकाश की समाप्ति पर कर्तव्य पर वापस लौटने की यथोचित संभावना है। व्यक्तिगत कार्यों में भी अर्धवेतन अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जायेगा, जब तक कि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि शासकीय सेवक ऐसे अवकाश की समाप्ति पर कर्तव्य पर वापस लौट आयेगा अथवा जब तक कि अवकाश की स्वीकृति, सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप में अभिव्यक्त करते हुए शामिल न किया गया हो।
अर्धवेतन अवकाश को जमा करते समय, किसी दिन के अपूर्णांक (अपूर्ण प्रभाग) को निकटस्थ दिन में पूर्णांकिंत किया जाएगा।
किसी महिला शासकीय सेवक जिसकी दो से कम जीवित संतान हैं, को 180 दिन तक की अवधि के लिये प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है । अवकाश अवधि में गर्भावस्था की अवधि तथा प्रसूति का दिन भी शामिल होंगे किन्तु ऐसा अवकाश प्रसूति की तिथि से 180 दिन की पश्चातवर्ती किसी अवधि हेतु स्वीकृत नहीं किया जायेगा। ऐसी अवधि में वह उस वेतन मे समतुल्य अवकाश वेतन की पात्र होगी जो उसने अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले आहरित किया है ।
ऐसा अवकाश, अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा।
प्रसूति अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकता है ।
किसी महिला शासकीय सेवक को (जीवित बच्चों की संख्या पर ध्यान दिये बिना) गर्भपात सहित गर्भस्त्राव के प्रकरणों में उपयुक्त चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा अनुशंसित अवधि तक के लिये पूरे सेवाकाल में अधिकतम पैंतालीस दिन की सीमा के अध्याधीन रहते हुए, प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
टिप्पणी – इस नियम के प्रयोजन के लिए मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेन्सी अधिनियम, 1971 के अधीन उत्प्रेरित कोई गर्भपात भी ‘गर्भपात’ का प्रकरण समझा जायेगा, किन्तु इस नियम के अंतर्गत ‘भयभीत कर कराये गये गर्भपात’ के लिए अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(संशोधन) वित्त निर्देश 04, दिनांक 13 फरवरी, 2013 द्वारा 135 दिन 180 दिन से प्रतिस्थापित तथा वित्त निर्देश 15, दिनांक 25 मई, 2016 द्वारा उक्त अवकाश गर्भावस्था की अवधि तथा प्रसूति का दिन भी शामिल किन्तु प्रसूति की तिथि से 180 दिन की पश्चातवर्ती अवधि के लिए स्वीकृति पर रोक)
इस नियम के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, महिला शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके संपूर्ण सेवाकाल के दौरान उसकी दो ज्येष्ठ जीवित संतानों की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
अधिकार के रूप में अवकाश का दावा नहीं किया जा सकेगा।
उप-नियम (1) के प्रयोजनों के लिए, “संतान” से अभिप्रेत है,-
अठारह वर्ष की आयु से कम की संतान (विधिक रूप से दत्तक संतान को सम्मिलित करते हुए या
सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18/97-एन 1.1, दिनांक 1 जून, 2001 में यथा विनिर्दिष्ट न्यूनतम चालीस प्रतिशत निःशक्तता वाली संतान (आयु सीमा का कोई बंधन नहीं)।
उप-नियम (1) के अधीन किसी महिला शासकीय सेवक को संतान पालन अवकाश की स्वीकृति, निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन दी जायेगी, अर्थात् :-
यह एक कैलेण्डर वर्ष में तीन बार से अधिक के लिए स्वीकृत नहीं किया जाएगा। यदि स्वीकृत किये गये अवकाश की कालावधि, आगामी कैलेण्डर वर्ष में भी जारी रहती है तो बारी की गणना ऐसे वर्ष में की जायेगी जिसमें कि अवकाश का आवेदन किया गया था अथवा जिसमें आवेदन किये गये अवकाश का अधिक भाग आता है। कैलेण्डर वर्ष से अभिप्रेत है वर्ष के 1 जनवरी से प्रारंभ होकर 31 दिसम्बर तक की कालावधि।
यह सामान्य रूप से परिवीक्षा कालावधि के दौरान स्वीकृत नहीं किया जाएगा। तथापि, विशेष परिस्थितियों में, यदि परिवीक्षा कालावधि के दौरान अवकाश स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा की अवधि, उस कालावधि के बराबर अवधि तक के लिए बढ़ा दी जाएगी, जिसके लिए अवकाश स्वीकृत किया गया है।
संतान पालन अवकाश की अवधि के दौरान, महिला शासकीय सेवक को अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पूर्ववर्ती मास में आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन का भुगतान किया जाएगा।
संतान पालन अवकाश, अवकाश लेखा के विरूद्ध विकलित नही किया जायेगा तथा यह अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा।
इस अवकाश का खाता, पृथक से संधारित किया जाएगा तथा इसकी प्रविष्टि संबंधित महिला शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका में की जाएगी।
(वित्त निर्देश 52, दिनांक 4 अक्टूबर, 2018 द्वारा जोड़ा गया)
किसी पुरूष शासकीय सेवक को जिसकी दो से कम जीवित संतान है उसकी पत्नी के प्रसवकाल के दौरान अर्थात बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले अथवा बच्चे के जन्म से 6 माह की अवधि के भीतर अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा 15 दिनों की अवधि के लिये पितृत्व अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
ऐसे अवकाश की अवधि में शासकीय सेवक को अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन का भुगतान किया जायेगा।
पितृत्व अवकाश, अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा तथा किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा।
यदि पितृत्व अवकाश का उपभोग, नियम (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर नहीं किया जाता है, तो ऐसा अवकाश व्यपगत माना जायेगा।
टीप – इस अवकाश को सामान्यतः अस्वीकृत नहीं किया जायेगा।
किसी शासकीय सेवक को केवल चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अर्द्धवेतन अवकाश के आधे से अधिक लघुकृत अवकाश निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए स्वीकृत किया जा सकता है
जब लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया जावे, तो देय अर्द्धवेतन के विरूद्ध ऐसे अवकाश की दुगुनी संख्या विकसित की जावेगी ।
जब तक अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम् प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि शासकीय सेवक इसकी समाप्ति पर कार्य पर वापस लौटेगा, लघुकृत अवकाश स्वीकृत नहीं किया जावेगा ।
लघुकृत अवकाश सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप स्वीकृत नहीं किया जावेगा। (2) सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम 180 दिनों को अर्द्धवेतन अवकाश (चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए बिना), लघुकृत अवकाश परिवर्तित करने की अनुमति दी जा सकती है, जहाँ ऐसा अवकाश उपयोग किसी ऐसे अनुमोदित पाठ्यक्रम के अध्ययन के लिए हो जिसे अवकाश स्वीकृत करने हेतु प्राधिकारी द्वारा लोकहित में होना प्रमाणित किया गया हो।
जहाँ शासकीय सेवक, जिसे लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया गया है, सेवा से त्यागपत्र देता है अथवा उसके निवेदन पर बिना सेवा पर वापस लौटे बिना स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अनुमति दी जाती है, के लघुकृत अवकाश को अर्द्धवेतन अवकाश के सम्बंध में अवकाश वेतन के मध्य के अन्तर की वसूली की जावेगी। (नियम 39)
टिप्पणी-परन्तु यह वसूली नहीं की जावेगी यदि सेवानिवृत्त शासकीय सेवक की अस्वस्थ्यता के कारण आगे की सेवा के लिए अनुपयुक्त होने के फलस्वरूप हुई हो अथवा मृत्यु हो गई हो।
अध्ययन अवकाश लोक सेवा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत में या भारत के बाहर किसी विशिष्ट अध्ययन पाठ्यक्रम, जिसमें किसी व्यवसायिक या तकनीकी विषय में उच्चतर शिक्षा या विशेषीकृत प्रशिक्षण शामिल है तथा जिसका उसमें कार्यक्षेत्र से सीधा और निकट का सम्बंध है, के लिए अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जाता है
अध्ययन अवकाश उसे स्वीकृत किया जावेगा जिसने नियमित रूप से कम से कम 5 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो
अवकाश समाप्त होने के पश्चात् अपने कर्तव्य पर लौटने की संभावित तिथि से तीन वर्ष के भीतर अधिवार्षिकी आयु पर सेवानिवृत्त होने वाला न हो।
तीन वर्ष की सेवा करने की वचनबद्धता हेतु एक बंध पत्र निष्पादित करना होगा।
अध्ययन अवकाश शासन के प्रशासकीय विभाग द्वारा स्वीकृत किया जावेगा
सामान्यतः एक समय में 12 महीने का जिसमें अपवादिक मामलों को छोड़कर वृद्धि नहीं की जावेगी तथा पूरे सेवाकाल में 24 माह तक स्वीकृत किया जा सकता है।
इस अवकाश को अन्य प्रकार के अवकाश के साथ कुछ शर्तों के साथ संयोजित किया जा सकता है।
इसे अवकाश लेखे में दर्ज नहीं किया जावेगा ।
इस अवकाश के दौरान शासकीय सेवक उस वेतन के बराबर अवकाश वेतन आहरित करेगा जो ऐसे अवकाश पर जाने की ठीक पूर्व दर से आहरित कर रहा था।
मँहगाई भत्ते के अतिरिक्त और किसी प्रकार के भत्ते की पात्रता नहीं होगी। (11) अध्ययन अवकाश को पदोन्नति, पेंशन तथा वरिष्ठता हेतु सेवा के रूप में माना जावेगा इसे वेतन वृद्धि के लिए कर्त्तव्य के समान व्यतीत अवधि मानी जायेगी। (नियम 42 से 53)
टिप्पणी-अध्ययन अवकाश स्वीकृत तब तक नहीं किया जावेगा, यदि
(एक) प्रशासकीय विभाग द्वारा यह प्रमाणित किया जावे कि प्रस्तावित अध्ययन पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण लोकहित में लाभकारी नहीं होगा।
(दो) यह शैक्षणिक अथवा साहित्यिक विषयों के अतिरिक्त न हो। (तीन) यदि ऐसा अवकाश भारत के बाहर के लिए हो तब भारत शासन वित्त कार्य विभाग वित्त मंत्रालय, अध्ययन अवकाश की स्वीकृति के साथ विदेशी मुद्रा नियुक्त करने हेतु सहमत न हो।
उस सीमा तक अर्द्धवेतन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है जितना उसके भविष्य में अर्जित करने की संभावना है।
स्वीकृत करने वाले अधिकारी को यह पूर्ण विश्वास हो कि कर्मचारी अवकाश के उपरान्त कार्य पर लौट आएगा।
यह अवकाश पूर्ण सेवाकाल में 366 दिन तक मंजूर किया जा सकता है। इसमें से एक समय में 90 दिन तथा कुल 180 दिन तक बिना चिकित्सा प्रमाण पत्र के स्वीकृत किया जा सकता है।
जिस शासकीय सेवक को यह अवकाश स्वीकृत किया जाता है यदि, वह सेवा से त्यागपत्र दे देता है या कर्त्तव्य पर लौटे बिना सेवानिवृत्ति से लेता है तब अदेय अवकाश निरस्त माना जावेगा और ऐसा त्यागपत्र या सेवा निवृत्ति उस दिनांक से मानी जावेगी जिस दिनांक से ऐसा अवकाश प्रारंभ हुआ था तथा उससे अवकाश वेतन वापस लिया जावेगा
जब कोई कर्मचारी अदेय अवकाश का उपभोग कर अपने कर्त्तव्य पर वापस आता है, परन्तु अर्द्धवेतन अवकाश अर्जित करने के पहले ही सेवा से त्यागपत्र दे देता है या सेवानिवृत्त हो जाता है, तो वह उस सीमा तक अवकाश वेतन पाने का भागी होगा जितना बाद में अवकाश अर्जित नहीं किया गया। परन्तु, यदि सेवानिवृत्ति उसके बीमारी के कारण हुई है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो उनका वेतन वापस नहीं होगा। (नियम 30 )
इस अवकाश की अवधि में उसे अर्द्धवेतन अवकाश के बराबर अवकाश वेतन प्राप्त होगा। (नियम 36 )
अपलोड किये गए आदेश - शासकीय / विभाग द्वारा जारी आदेश की प्रति है । इसका उपयोग शिक्षकों / कर्मचारी को शाशन / विभाग के आदेश / निर्देश से अवगत करना है।