अमर
हर दफा कुछ ऐसा होता है मनो
हर दफा कुछ ऐसा होता है मनो
हर दफा कुछ ऐसा होता है मनो
हर दफा कुछ ऐसा होता है मनो
तम्मना फिर अंगदी लेने लगी हैं
तम्मना फिर अंगदी लेने लगी हैं
उसकी नजरों मैं घिरे बादलों से
उसकी नजरों मैं घिरे बादलों से
मखमली धुप चन कर
मखमली धुप चन कर
आने लगी है
आने लगी है
हुक उठती है दिल मैं की
हुक उठती है दिल मैं की
आज सरे सिकवे धुल जायेंगे
आज सरे सिकवे धुल जायेंगे
लेकिन कुदरतन वो मुकर जाती है
लेकिन कुदरतन वो मुकर जाती है
मुस्कुरा कर जालिम
मुस्कुरा कर जालिम
की दिए बिना कोई इशारा
की दिए बिना कोई इशारा
अब्ब तो गुजरते पल सुइयन चुभोती हैं
अब्ब तो गुजरते पल सुइयन चुभोती हैं
मनो परेसान हो धड़कन से
मनो परेसान हो धड़कन से
Har dafa kuch aisa hota hai mano
Har dafa kuch aisa hota hai mano
Har dafa kuch aisa hota hai mano
Tammana fir angadaii lene lagi hain
Uski najron main ghire badlon se
Makhmali dhoop chan kar
Aane lagi hai
Huk uthti hai dil main ki
Aaj sare sikwe dhul jayenge
Lekin kudratan wo mukar jati hai
Muskura kar jalim
Ki diye bina koi isara
Abb to gujarte pal suiyan chubhoti hain
Mano paresaan ho dhadkan se