Poetry in Hindi
शेरो-शायरी
हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए रोते हैं
वो गैर की बाहों में आराम से सोते हैं
- हसरत जयपुरी
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएं कैसे
तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे
- वसीम बरेलवी
दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं भूले
हम अपने बुजुर्गों का जमाना नहीं भूले
- सागर आजमी
कांटों से गुजर जाना, शोलों से निकल जाना
फूलों की बस्ती में जाना तो संभल जाना
- सागर आजमी
सरे महशर यही पूछूंगा खुदा से पहले
तूने रोका भी था मुजरिम को खता से पहले
- आनंद नारायण मुल्ल
न मेरे जख्म खिले हैं न तेरा रंग-ए-हिना
मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों वाले
- अहमद फराज