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४-आचार्यश्री पावनकीर्तिजी
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षट्खंडागम ( धवला टीका ) का सार
सिध्दान्त नवनीत-१
सिध्दान्त नवनीत-२
सिध्दान्त नवनीत-३
सिध्दान्त नवनीत-४
सिध्दान्त नवनीत-५
सिध्दान्त नवनीत-६
श्रुतावतारकथा!
नमोऽस्तु शासनम्
शवदाह विधि
गृहचैत्यालय के आगमप्रमाण
पूजामुखविधि
संध्यावंदन
मंगलाष्टक स्तोत्रम्
अभिषेक के अनन्तर करने योग्य क्रियाएँ
पंचामृत अभिषेक पाठ
सकलीकरणविधि
पूजा अन्त्य विधि
नवदेवता पूजा
नवग्रहशांति मंत्र
अंकुरारोपण विधि
ध्वजारोहण विधि
घटयात्रा विधि
सिद्ध परमेष्ठी पूजा
महामंडलाराधना
भूमिशोधन
यज्ञ दीक्षा विधान
कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं
मंडप प्रतिष्ठा विधान
हवनविधि
जाप्यानुष्ठान प्रारंभ विधि
पुण्याहवाचन
रथचालन विधि
व्रत समापन विधि
व्रत ग्रहण करने का संकल्प
उद्यापन के समय व्रत
तिथि, ग्रह, यक्ष-यक्षी आदि के अघ्र्य
अखंडदीप प्रज्वालन का संकल्प मंत्र
क्षेत्रपाल पूजा
शिलान्यासविधि
मंदिर एवं वेदी शुद्धि हेतु घटयात्रा और शुद्धि विधान विधि
तिलक लगाने का श्लोक
गंध यंत्रम् तथा अग्नि मण्डल का नक्शा
१०८ कलश मांडने का नक्शा
श्री विनायकयंत्र पूजा
पद्मावती माता की गोद भरने का भजन
ध्वज गीत
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन के कारण
प्रवचन-निर्देशिका
व्यवहारनय-निश्र्चयनय
पंचमकाल में मुनियों का अस्तित्व
चारों अनुयोगों की सार्थकता
ध्यान की आवश्यकता
प्रतिष्ठाचार्यों के लिए संक्षिप्त निर्देशन
पंचकल्याणक क्यों और कैसे
पंचकल्याणक: क्या क्यों , कैसे?
पंचकल्याणक महोत्सव
सूरिमंत्र एक समीक्षा
जैन पत्रिका
चातुर्मास
तीर्थंकर महावीर के तीन सूत्र
नववर्ष का संदेश
जीवनोपयोगी सामान्य ज्ञान
गणेश-स्तुति
चिंताओं को कैसे दूर करें
वीरशासन दिवस
जैनधर्म एवं पर्यावरण—संरक्षण
कर्मों का विभाजन
स्वाध्याय के विविध रूप
पंडित गुरू गोपालदास जी बरैया
संस्कार, संस्कृति और संन्यास
षट्खण्डागम के प्रणेता एवं धवला टीकाकार का परिचय
पुण्य और धर्म के स्वामी कौन-कौन हैं
पुण्य पर एक दृष्टि
अष्टमंगल-एक विवेचन
मयूर पिच्छी
निमित्त-उपादान
निमित्त-उपादान कारण
हरिषेण चक्रवर्ती
गुरू पूर्णिमा
शिक्षा का अर्थ मात्र कैरियर बनाना ही नहीं
जिनागम का महत्व
तत्त्वार्थसूत्र का विषय-विभाग
चन्द्रगुप्त मौर्य व उनकी कृति सुदर्शन झील
भगवान महावीर की अमूल्य शिक्षाएं
साधना
श्रावकाचार : परिवर्तन सोच का
बेटे ही बेटे क्यों ?
संस्कार
श्रुतपंचमी पर्व का महत्त्व
रंग विज्ञान
‘‘कुन्दकुन्द मणिमाला’’
मोक्षमार्गता में संस्कार की महत्ता
जैनधर्म की प्राचीनता एवं प्रमुख सिद्धान्त
दिगम्बर जैन तीर्थ एवं मन्दिर-एक संक्षिप्त इतिहास
स्याद्वाद और सप्तभंगी
श्रुतकेवली भद्रबाहु और उनका समाधिमरण
श्रावक के लक्षण
आर्यिकाओं का स्वरूप एवं समाचार!-मूलाचार
मूलाचार में दिगम्बर जैन मुनियों का अर्थशास्त्र
भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाएँ
पार्श्वनाथ पूजा
श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा
भगवान पार्श्वनाथ का सचित्र जीवन
पार्श्वनाथ भगवान का परिचय
श्री पार्श्वनाथ स्तुति
भगवान पार्श्वनाथ वन्दना
उपसर्गविजयि श्रीपार्श्वनाथ जिनस्तुति:
भगवान पार्श्वनाथ दशभव की काव्यकथा
विघ्नहरण भगवान पार्श्वनाथ-कविता
भगवान पार्श्वनाथ चालीसा
श्री पार्श्वनाथ चालीसा
केतुग्रहारिष्टनिवारक श्री पार्श्वनाथ चालीसा
अहिच्छत्र पार्श्वनाथ तीर्थ की आरती
श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ चरित्र
पर्यावरण-संरक्षण और तीर्थंकर पार्श्वनाथ
जैन स्तोत्र और भगवान पार्श्वनाथ
भगवान नेमिनाथ का वैराग्य
श्री नेमिनाथ स्तुति:
भगवान श्री नेमिनाथ पूजा
भगवान नेमिनाथ वन्दना
राहुग्रहारिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ चालीसा
भगवान श्री नेमिनाथ की आरती
तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ (संक्षिप्त वर्णन)
भगवान मुनिसुव्रतनाथ चालीसा
भगवान मुनिसुव्रतनाथ वन्दना
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनपूजा
तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ
श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में दान परम्परा!
मंगल एवं मंगलाचरण का विश्लेषणात्मक अध्ययन!
दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी!
तिरेपन गर्भान्वय क्रियाएँ
कत्र्रन्वय क्रियाओं का वर्णन
सूतक -पातक
ॐ का ध्यान
अर्हं बीजाक्षर का ध्यान!
पुरुष और पुरुषार्थ!-पुरुषार्थसिद्धयुपाय
भगवान ऋषभदेव का प्रथम आहार
जैन विश्वकोश- परिचय!
वृक्ष एवं तीर्थंकर!
आचार्य समन्तभद्र का आप्त मीमांसा!
आदिपुराण में वर्णित आर्यिकायें
आर्यिकाओं का समाचार
द्रौपदी पंचभर्तारी नहीं थी
श्रुत पंचमी ऐसे मनायें
ब्रह्म बेला का महत्त्व
दान की महिमा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ८ मार्च
माँ की महिमा
माँ का स्थान सर्वोच्च है
तीर्थंकर मातृत्व का सर्वोत्कृष्ट फल
कन्या भ्रूण हत्या: एक जघन्य अपराध है
मेरे धर्म गुरु
परिवार में रखिए संस्कार की कार
रात्रि में बड़े भोज का आयोजन-उचित नहीं
शाकाहार एवं अहिंसा के प्रति विभिन्न धर्मों का मत
जैन वाङ्मय में पर्यावरण चेतना
गोम्मटसार जीवकाण्ड षट्लेश्या और पर्यावरण
जैनदर्शन और ईश्वर
आधुनिकतम मस्तिष्क सम्बन्धी खोजें
‘भ’ का करें विचार
भावमोक्ष और द्रव्यमोक्ष
चक्रवर्ती का वैराग्य
जैसे संस्कार वैसा जीवन
आहारचर्या कब और कैसे ?
मानव जीवन में श्रावकाचार
निंदक नियरे राखिये…
कर्मसिद्धान्त के कतिपय तथ्यों का विवेचन—विश्लेषण!
ध्यान का स्वरूप एवं उसके भेद तथा गुण-दोष विवेचन!
जैन दर्शन में गुणस्थान और ध्यान का सम्बन्ध!
औचित्य का उल्लंघन न करे!
अध्यात्म विकास के आयाम गुणस्थान और परिणाम!
मानव जीवन रक्षक अष्टमूल गुण
श्रावकाचार एक वैज्ञानिक जाँच पड़ताल
बलि प्रथा कब से चली?
कन्यारत्न ही सर्वोत्कृष्ट रत्न है
जैनेतर संस्कृत साहित्य में भगवान वृषभदेव
जैन धर्म के सिद्धांतों के परिपालन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा!
पर्दाफाश कर दिया
भगवान ऋषभदेव कैसे बने ?
जैन आगम में नव पदार्थ
शांतिनाथ चरित्र
संजयन्त मुनि पर उपसर्ग
पुण्य-पाप पदार्थ
दृढ़ता का ज्वलन्त उदाहरण
कृतिकर्म प्रयोग विधि
दिगम्बर वेश से ही मुक्ति
मोक्षमार्ग में ‘नियति’ प्रधान है कि पुरुषार्थ ?!
”स्वरूपाचरण चारित्र”
सल्लेखना का स्वरूप
भवनवासी देव
व्रतारोपिणी क्रिया
जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है
जीव स्वशरीर प्रमाण है
प्रमाणाभास का वर्णन-३
प्रमाणाभास का वर्णन-२
प्रमाणाभास का वर्णन!
जीवद्रव्य
द्रव्य और अस्तिकाय
दीक्षा
जिनकल्पी और स्थविरकल्पीमुनि
सूर्य-चन्द्र के बिम्ब की संख्या
वन्दना के ३२ दोष
जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान
सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं
‘जैनदर्शन’ और ‘ईश्वर’
सिद्ध लोक और सिद्ध शिला
क्षयोपशम-विशुद्धि-देशना प्रायोग्यतालब्धि में ३४ बंधापसरणस्थान
गुणस्थान
व्यवहार-निश्चय मोक्षमार्ग
तत्त्व और पदार्थ
तप का प्रभाव
न्यायशास्त्र कसौटी के पत्थर हैं
दान
पंच परमेष्ठी के मूलगुण
अट्ठाईस मूलगुण
आचार्य, उपाध्याय और साधुपरमेष्ठी का लक्षण
अध्यात्म की अपेक्षा नयों का वर्णन
सच्चे गुरु का लक्षण
नवकेवललब्धि
परीषह एवं उपसर्गजय के संदर्भ में सल्लेखना व्रत
आरोग्य के लिए उपयोगी है श्रावकाचार
जैन दर्शन में अवस्थान चन्द्र—सूर्यादि ग्रहों का!
पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय!
भक्ति का उत्कृष्ट संस्कृत काव्य -भक्तामर स्तोत्र!
आठ कर्मो का स्वभाव
लब्धियों में करणलब्धि का विशेष विवरण
मंदिर में छत्र, चंवर, ध्वजा चढ़ाने का पुण्य
ब्राह्मी एवं सुन्दरी
मध्यलोक
भरत क्षेत्र के छह खण्ड
कच्छा विदेहक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत के ९ कूट
कमलों में जिनमंदिर
तीन लोक
आर्यखण्ड
जैन भूगोल-परम्परा
षट्काल परिवर्तन
जम्बूद्वीप का शास्त्रीय परिचय
जम्बूद्वीप के ७ क्षेत्रों के नाम
जंबूद्वीप में ३११ पर्वत हैं
जंबूद्वीप की संपूर्ण नदियां
जंबूद्वीप की समस्त नदियों
जम्बूद्वीप
इस जंबूद्वीप में हम कहाँ हैं ?
जम्बूद्वीप में ५६८ कूट हैं
जंबूद्वीप का सामान्य वर्णन
छह कुलाचलों का वर्णन
रम्यक क्षेत्र में नाभिगिरि
रुचकवर द्वीप के जिनमंदिर
रुक्मी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
शिखरी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
कर्मभूमि आदि
तेरहद्वीप रचना
कुण्डलवर द्वीप में ४ जिनमंदिर
अकृत्रिम जिनमंदिर रचना
हैरण्यवतक्षेत्र में नाभिगिरि
तीन सौ ग्यारह पर्वत कहाँ हैं
माल्यवान् गजदंत पर नौ कूट हैं
विदेह क्षेत्र का वर्णन
चूलिका का वर्णन
पाण्डुकवन का वर्णन
छह भोगभूमि
वेदी और वनखंड
धन
४-आचार्यश्री पावनकीर्तिजी
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षट्खंडागम ( धवला टीका ) का सार
सिध्दान्त नवनीत-१
सिध्दान्त नवनीत-२
सिध्दान्त नवनीत-३
सिध्दान्त नवनीत-४
सिध्दान्त नवनीत-५
सिध्दान्त नवनीत-६
श्रुतावतारकथा!
नमोऽस्तु शासनम्
शवदाह विधि
गृहचैत्यालय के आगमप्रमाण
पूजामुखविधि
संध्यावंदन
मंगलाष्टक स्तोत्रम्
अभिषेक के अनन्तर करने योग्य क्रियाएँ
पंचामृत अभिषेक पाठ
सकलीकरणविधि
पूजा अन्त्य विधि
नवदेवता पूजा
नवग्रहशांति मंत्र
अंकुरारोपण विधि
ध्वजारोहण विधि
घटयात्रा विधि
सिद्ध परमेष्ठी पूजा
महामंडलाराधना
भूमिशोधन
यज्ञ दीक्षा विधान
कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं
मंडप प्रतिष्ठा विधान
हवनविधि
जाप्यानुष्ठान प्रारंभ विधि
पुण्याहवाचन
रथचालन विधि
व्रत समापन विधि
व्रत ग्रहण करने का संकल्प
उद्यापन के समय व्रत
तिथि, ग्रह, यक्ष-यक्षी आदि के अघ्र्य
अखंडदीप प्रज्वालन का संकल्प मंत्र
क्षेत्रपाल पूजा
शिलान्यासविधि
मंदिर एवं वेदी शुद्धि हेतु घटयात्रा और शुद्धि विधान विधि
तिलक लगाने का श्लोक
गंध यंत्रम् तथा अग्नि मण्डल का नक्शा
१०८ कलश मांडने का नक्शा
श्री विनायकयंत्र पूजा
पद्मावती माता की गोद भरने का भजन
ध्वज गीत
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन के कारण
प्रवचन-निर्देशिका
व्यवहारनय-निश्र्चयनय
पंचमकाल में मुनियों का अस्तित्व
चारों अनुयोगों की सार्थकता
ध्यान की आवश्यकता
प्रतिष्ठाचार्यों के लिए संक्षिप्त निर्देशन
पंचकल्याणक क्यों और कैसे
पंचकल्याणक: क्या क्यों , कैसे?
पंचकल्याणक महोत्सव
सूरिमंत्र एक समीक्षा
जैन पत्रिका
चातुर्मास
तीर्थंकर महावीर के तीन सूत्र
नववर्ष का संदेश
जीवनोपयोगी सामान्य ज्ञान
गणेश-स्तुति
चिंताओं को कैसे दूर करें
वीरशासन दिवस
जैनधर्म एवं पर्यावरण—संरक्षण
कर्मों का विभाजन
स्वाध्याय के विविध रूप
पंडित गुरू गोपालदास जी बरैया
संस्कार, संस्कृति और संन्यास
षट्खण्डागम के प्रणेता एवं धवला टीकाकार का परिचय
पुण्य और धर्म के स्वामी कौन-कौन हैं
पुण्य पर एक दृष्टि
अष्टमंगल-एक विवेचन
मयूर पिच्छी
निमित्त-उपादान
निमित्त-उपादान कारण
हरिषेण चक्रवर्ती
गुरू पूर्णिमा
शिक्षा का अर्थ मात्र कैरियर बनाना ही नहीं
जिनागम का महत्व
तत्त्वार्थसूत्र का विषय-विभाग
चन्द्रगुप्त मौर्य व उनकी कृति सुदर्शन झील
भगवान महावीर की अमूल्य शिक्षाएं
साधना
श्रावकाचार : परिवर्तन सोच का
बेटे ही बेटे क्यों ?
संस्कार
श्रुतपंचमी पर्व का महत्त्व
रंग विज्ञान
‘‘कुन्दकुन्द मणिमाला’’
मोक्षमार्गता में संस्कार की महत्ता
जैनधर्म की प्राचीनता एवं प्रमुख सिद्धान्त
दिगम्बर जैन तीर्थ एवं मन्दिर-एक संक्षिप्त इतिहास
स्याद्वाद और सप्तभंगी
श्रुतकेवली भद्रबाहु और उनका समाधिमरण
श्रावक के लक्षण
आर्यिकाओं का स्वरूप एवं समाचार!-मूलाचार
मूलाचार में दिगम्बर जैन मुनियों का अर्थशास्त्र
भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाएँ
पार्श्वनाथ पूजा
श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा
भगवान पार्श्वनाथ का सचित्र जीवन
पार्श्वनाथ भगवान का परिचय
श्री पार्श्वनाथ स्तुति
भगवान पार्श्वनाथ वन्दना
उपसर्गविजयि श्रीपार्श्वनाथ जिनस्तुति:
भगवान पार्श्वनाथ दशभव की काव्यकथा
विघ्नहरण भगवान पार्श्वनाथ-कविता
भगवान पार्श्वनाथ चालीसा
श्री पार्श्वनाथ चालीसा
केतुग्रहारिष्टनिवारक श्री पार्श्वनाथ चालीसा
अहिच्छत्र पार्श्वनाथ तीर्थ की आरती
श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ चरित्र
पर्यावरण-संरक्षण और तीर्थंकर पार्श्वनाथ
जैन स्तोत्र और भगवान पार्श्वनाथ
भगवान नेमिनाथ का वैराग्य
श्री नेमिनाथ स्तुति:
भगवान श्री नेमिनाथ पूजा
भगवान नेमिनाथ वन्दना
राहुग्रहारिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ चालीसा
भगवान श्री नेमिनाथ की आरती
तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ (संक्षिप्त वर्णन)
भगवान मुनिसुव्रतनाथ चालीसा
भगवान मुनिसुव्रतनाथ वन्दना
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनपूजा
तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ
श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में दान परम्परा!
मंगल एवं मंगलाचरण का विश्लेषणात्मक अध्ययन!
दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी!
तिरेपन गर्भान्वय क्रियाएँ
कत्र्रन्वय क्रियाओं का वर्णन
सूतक -पातक
ॐ का ध्यान
अर्हं बीजाक्षर का ध्यान!
पुरुष और पुरुषार्थ!-पुरुषार्थसिद्धयुपाय
भगवान ऋषभदेव का प्रथम आहार
जैन विश्वकोश- परिचय!
वृक्ष एवं तीर्थंकर!
आचार्य समन्तभद्र का आप्त मीमांसा!
आदिपुराण में वर्णित आर्यिकायें
आर्यिकाओं का समाचार
द्रौपदी पंचभर्तारी नहीं थी
श्रुत पंचमी ऐसे मनायें
ब्रह्म बेला का महत्त्व
दान की महिमा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ८ मार्च
माँ की महिमा
माँ का स्थान सर्वोच्च है
तीर्थंकर मातृत्व का सर्वोत्कृष्ट फल
कन्या भ्रूण हत्या: एक जघन्य अपराध है
मेरे धर्म गुरु
परिवार में रखिए संस्कार की कार
रात्रि में बड़े भोज का आयोजन-उचित नहीं
शाकाहार एवं अहिंसा के प्रति विभिन्न धर्मों का मत
जैन वाङ्मय में पर्यावरण चेतना
गोम्मटसार जीवकाण्ड षट्लेश्या और पर्यावरण
जैनदर्शन और ईश्वर
आधुनिकतम मस्तिष्क सम्बन्धी खोजें
‘भ’ का करें विचार
भावमोक्ष और द्रव्यमोक्ष
चक्रवर्ती का वैराग्य
जैसे संस्कार वैसा जीवन
आहारचर्या कब और कैसे ?
मानव जीवन में श्रावकाचार
निंदक नियरे राखिये…
कर्मसिद्धान्त के कतिपय तथ्यों का विवेचन—विश्लेषण!
ध्यान का स्वरूप एवं उसके भेद तथा गुण-दोष विवेचन!
जैन दर्शन में गुणस्थान और ध्यान का सम्बन्ध!
औचित्य का उल्लंघन न करे!
अध्यात्म विकास के आयाम गुणस्थान और परिणाम!
मानव जीवन रक्षक अष्टमूल गुण
श्रावकाचार एक वैज्ञानिक जाँच पड़ताल
बलि प्रथा कब से चली?
कन्यारत्न ही सर्वोत्कृष्ट रत्न है
जैनेतर संस्कृत साहित्य में भगवान वृषभदेव
जैन धर्म के सिद्धांतों के परिपालन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा!
पर्दाफाश कर दिया
भगवान ऋषभदेव कैसे बने ?
जैन आगम में नव पदार्थ
शांतिनाथ चरित्र
संजयन्त मुनि पर उपसर्ग
पुण्य-पाप पदार्थ
दृढ़ता का ज्वलन्त उदाहरण
कृतिकर्म प्रयोग विधि
दिगम्बर वेश से ही मुक्ति
मोक्षमार्ग में ‘नियति’ प्रधान है कि पुरुषार्थ ?!
”स्वरूपाचरण चारित्र”
सल्लेखना का स्वरूप
भवनवासी देव
व्रतारोपिणी क्रिया
जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है
जीव स्वशरीर प्रमाण है
प्रमाणाभास का वर्णन-३
प्रमाणाभास का वर्णन-२
प्रमाणाभास का वर्णन!
जीवद्रव्य
द्रव्य और अस्तिकाय
दीक्षा
जिनकल्पी और स्थविरकल्पीमुनि
सूर्य-चन्द्र के बिम्ब की संख्या
वन्दना के ३२ दोष
जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान
सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं
‘जैनदर्शन’ और ‘ईश्वर’
सिद्ध लोक और सिद्ध शिला
क्षयोपशम-विशुद्धि-देशना प्रायोग्यतालब्धि में ३४ बंधापसरणस्थान
गुणस्थान
व्यवहार-निश्चय मोक्षमार्ग
तत्त्व और पदार्थ
तप का प्रभाव
न्यायशास्त्र कसौटी के पत्थर हैं
दान
पंच परमेष्ठी के मूलगुण
अट्ठाईस मूलगुण
आचार्य, उपाध्याय और साधुपरमेष्ठी का लक्षण
अध्यात्म की अपेक्षा नयों का वर्णन
सच्चे गुरु का लक्षण
नवकेवललब्धि
परीषह एवं उपसर्गजय के संदर्भ में सल्लेखना व्रत
आरोग्य के लिए उपयोगी है श्रावकाचार
जैन दर्शन में अवस्थान चन्द्र—सूर्यादि ग्रहों का!
पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय!
भक्ति का उत्कृष्ट संस्कृत काव्य -भक्तामर स्तोत्र!
आठ कर्मो का स्वभाव
लब्धियों में करणलब्धि का विशेष विवरण
मंदिर में छत्र, चंवर, ध्वजा चढ़ाने का पुण्य
ब्राह्मी एवं सुन्दरी
मध्यलोक
भरत क्षेत्र के छह खण्ड
कच्छा विदेहक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत के ९ कूट
कमलों में जिनमंदिर
तीन लोक
आर्यखण्ड
जैन भूगोल-परम्परा
षट्काल परिवर्तन
जम्बूद्वीप का शास्त्रीय परिचय
जम्बूद्वीप के ७ क्षेत्रों के नाम
जंबूद्वीप में ३११ पर्वत हैं
जंबूद्वीप की संपूर्ण नदियां
जंबूद्वीप की समस्त नदियों
जम्बूद्वीप
इस जंबूद्वीप में हम कहाँ हैं ?
जम्बूद्वीप में ५६८ कूट हैं
जंबूद्वीप का सामान्य वर्णन
छह कुलाचलों का वर्णन
रम्यक क्षेत्र में नाभिगिरि
रुचकवर द्वीप के जिनमंदिर
रुक्मी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
शिखरी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
कर्मभूमि आदि
तेरहद्वीप रचना
कुण्डलवर द्वीप में ४ जिनमंदिर
अकृत्रिम जिनमंदिर रचना
हैरण्यवतक्षेत्र में नाभिगिरि
तीन सौ ग्यारह पर्वत कहाँ हैं
माल्यवान् गजदंत पर नौ कूट हैं
विदेह क्षेत्र का वर्णन
चूलिका का वर्णन
पाण्डुकवन का वर्णन
छह भोगभूमि
वेदी और वनखंड
धन
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षट्खंडागम ( धवला टीका ) का सार
सिध्दान्त नवनीत-१
सिध्दान्त नवनीत-२
सिध्दान्त नवनीत-३
सिध्दान्त नवनीत-४
सिध्दान्त नवनीत-५
सिध्दान्त नवनीत-६
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नमोऽस्तु शासनम्
शवदाह विधि
गृहचैत्यालय के आगमप्रमाण
पूजामुखविधि
संध्यावंदन
मंगलाष्टक स्तोत्रम्
अभिषेक के अनन्तर करने योग्य क्रियाएँ
पंचामृत अभिषेक पाठ
सकलीकरणविधि
पूजा अन्त्य विधि
नवदेवता पूजा
नवग्रहशांति मंत्र
अंकुरारोपण विधि
ध्वजारोहण विधि
घटयात्रा विधि
सिद्ध परमेष्ठी पूजा
महामंडलाराधना
भूमिशोधन
यज्ञ दीक्षा विधान
कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं
मंडप प्रतिष्ठा विधान
हवनविधि
जाप्यानुष्ठान प्रारंभ विधि
पुण्याहवाचन
रथचालन विधि
व्रत समापन विधि
व्रत ग्रहण करने का संकल्प
उद्यापन के समय व्रत
तिथि, ग्रह, यक्ष-यक्षी आदि के अघ्र्य
अखंडदीप प्रज्वालन का संकल्प मंत्र
क्षेत्रपाल पूजा
शिलान्यासविधि
मंदिर एवं वेदी शुद्धि हेतु घटयात्रा और शुद्धि विधान विधि
तिलक लगाने का श्लोक
गंध यंत्रम् तथा अग्नि मण्डल का नक्शा
१०८ कलश मांडने का नक्शा
श्री विनायकयंत्र पूजा
पद्मावती माता की गोद भरने का भजन
ध्वज गीत
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन के कारण
प्रवचन-निर्देशिका
व्यवहारनय-निश्र्चयनय
पंचमकाल में मुनियों का अस्तित्व
चारों अनुयोगों की सार्थकता
ध्यान की आवश्यकता
प्रतिष्ठाचार्यों के लिए संक्षिप्त निर्देशन
पंचकल्याणक क्यों और कैसे
पंचकल्याणक: क्या क्यों , कैसे?
पंचकल्याणक महोत्सव
सूरिमंत्र एक समीक्षा
जैन पत्रिका
चातुर्मास
तीर्थंकर महावीर के तीन सूत्र
नववर्ष का संदेश
जीवनोपयोगी सामान्य ज्ञान
गणेश-स्तुति
चिंताओं को कैसे दूर करें
वीरशासन दिवस
जैनधर्म एवं पर्यावरण—संरक्षण
कर्मों का विभाजन
स्वाध्याय के विविध रूप
पंडित गुरू गोपालदास जी बरैया
संस्कार, संस्कृति और संन्यास
षट्खण्डागम के प्रणेता एवं धवला टीकाकार का परिचय
पुण्य और धर्म के स्वामी कौन-कौन हैं
पुण्य पर एक दृष्टि
अष्टमंगल-एक विवेचन
मयूर पिच्छी
निमित्त-उपादान
निमित्त-उपादान कारण
हरिषेण चक्रवर्ती
गुरू पूर्णिमा
शिक्षा का अर्थ मात्र कैरियर बनाना ही नहीं
जिनागम का महत्व
तत्त्वार्थसूत्र का विषय-विभाग
चन्द्रगुप्त मौर्य व उनकी कृति सुदर्शन झील
भगवान महावीर की अमूल्य शिक्षाएं
साधना
श्रावकाचार : परिवर्तन सोच का
बेटे ही बेटे क्यों ?
संस्कार
श्रुतपंचमी पर्व का महत्त्व
रंग विज्ञान
‘‘कुन्दकुन्द मणिमाला’’
मोक्षमार्गता में संस्कार की महत्ता
जैनधर्म की प्राचीनता एवं प्रमुख सिद्धान्त
दिगम्बर जैन तीर्थ एवं मन्दिर-एक संक्षिप्त इतिहास
स्याद्वाद और सप्तभंगी
श्रुतकेवली भद्रबाहु और उनका समाधिमरण
श्रावक के लक्षण
आर्यिकाओं का स्वरूप एवं समाचार!-मूलाचार
मूलाचार में दिगम्बर जैन मुनियों का अर्थशास्त्र
भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाएँ
पार्श्वनाथ पूजा
श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा
भगवान पार्श्वनाथ का सचित्र जीवन
पार्श्वनाथ भगवान का परिचय
श्री पार्श्वनाथ स्तुति
भगवान पार्श्वनाथ वन्दना
उपसर्गविजयि श्रीपार्श्वनाथ जिनस्तुति:
भगवान पार्श्वनाथ दशभव की काव्यकथा
विघ्नहरण भगवान पार्श्वनाथ-कविता
भगवान पार्श्वनाथ चालीसा
श्री पार्श्वनाथ चालीसा
केतुग्रहारिष्टनिवारक श्री पार्श्वनाथ चालीसा
अहिच्छत्र पार्श्वनाथ तीर्थ की आरती
श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ चरित्र
पर्यावरण-संरक्षण और तीर्थंकर पार्श्वनाथ
जैन स्तोत्र और भगवान पार्श्वनाथ
भगवान नेमिनाथ का वैराग्य
श्री नेमिनाथ स्तुति:
भगवान श्री नेमिनाथ पूजा
भगवान नेमिनाथ वन्दना
राहुग्रहारिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ चालीसा
भगवान श्री नेमिनाथ की आरती
तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ (संक्षिप्त वर्णन)
भगवान मुनिसुव्रतनाथ चालीसा
भगवान मुनिसुव्रतनाथ वन्दना
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनपूजा
तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ
श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में दान परम्परा!
मंगल एवं मंगलाचरण का विश्लेषणात्मक अध्ययन!
दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी!
तिरेपन गर्भान्वय क्रियाएँ
कत्र्रन्वय क्रियाओं का वर्णन
सूतक -पातक
ॐ का ध्यान
अर्हं बीजाक्षर का ध्यान!
पुरुष और पुरुषार्थ!-पुरुषार्थसिद्धयुपाय
भगवान ऋषभदेव का प्रथम आहार
जैन विश्वकोश- परिचय!
वृक्ष एवं तीर्थंकर!
आचार्य समन्तभद्र का आप्त मीमांसा!
आदिपुराण में वर्णित आर्यिकायें
आर्यिकाओं का समाचार
द्रौपदी पंचभर्तारी नहीं थी
श्रुत पंचमी ऐसे मनायें
ब्रह्म बेला का महत्त्व
दान की महिमा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ८ मार्च
माँ की महिमा
माँ का स्थान सर्वोच्च है
तीर्थंकर मातृत्व का सर्वोत्कृष्ट फल
कन्या भ्रूण हत्या: एक जघन्य अपराध है
मेरे धर्म गुरु
परिवार में रखिए संस्कार की कार
रात्रि में बड़े भोज का आयोजन-उचित नहीं
शाकाहार एवं अहिंसा के प्रति विभिन्न धर्मों का मत
जैन वाङ्मय में पर्यावरण चेतना
गोम्मटसार जीवकाण्ड षट्लेश्या और पर्यावरण
जैनदर्शन और ईश्वर
आधुनिकतम मस्तिष्क सम्बन्धी खोजें
‘भ’ का करें विचार
भावमोक्ष और द्रव्यमोक्ष
चक्रवर्ती का वैराग्य
जैसे संस्कार वैसा जीवन
आहारचर्या कब और कैसे ?
मानव जीवन में श्रावकाचार
निंदक नियरे राखिये…
कर्मसिद्धान्त के कतिपय तथ्यों का विवेचन—विश्लेषण!
ध्यान का स्वरूप एवं उसके भेद तथा गुण-दोष विवेचन!
जैन दर्शन में गुणस्थान और ध्यान का सम्बन्ध!
औचित्य का उल्लंघन न करे!
अध्यात्म विकास के आयाम गुणस्थान और परिणाम!
मानव जीवन रक्षक अष्टमूल गुण
श्रावकाचार एक वैज्ञानिक जाँच पड़ताल
बलि प्रथा कब से चली?
कन्यारत्न ही सर्वोत्कृष्ट रत्न है
जैनेतर संस्कृत साहित्य में भगवान वृषभदेव
जैन धर्म के सिद्धांतों के परिपालन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा!
पर्दाफाश कर दिया
भगवान ऋषभदेव कैसे बने ?
जैन आगम में नव पदार्थ
शांतिनाथ चरित्र
संजयन्त मुनि पर उपसर्ग
पुण्य-पाप पदार्थ
दृढ़ता का ज्वलन्त उदाहरण
कृतिकर्म प्रयोग विधि
दिगम्बर वेश से ही मुक्ति
मोक्षमार्ग में ‘नियति’ प्रधान है कि पुरुषार्थ ?!
”स्वरूपाचरण चारित्र”
सल्लेखना का स्वरूप
भवनवासी देव
व्रतारोपिणी क्रिया
जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है
जीव स्वशरीर प्रमाण है
प्रमाणाभास का वर्णन-३
प्रमाणाभास का वर्णन-२
प्रमाणाभास का वर्णन!
जीवद्रव्य
द्रव्य और अस्तिकाय
दीक्षा
जिनकल्पी और स्थविरकल्पीमुनि
सूर्य-चन्द्र के बिम्ब की संख्या
वन्दना के ३२ दोष
जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान
सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं
‘जैनदर्शन’ और ‘ईश्वर’
सिद्ध लोक और सिद्ध शिला
क्षयोपशम-विशुद्धि-देशना प्रायोग्यतालब्धि में ३४ बंधापसरणस्थान
गुणस्थान
व्यवहार-निश्चय मोक्षमार्ग
तत्त्व और पदार्थ
तप का प्रभाव
न्यायशास्त्र कसौटी के पत्थर हैं
दान
पंच परमेष्ठी के मूलगुण
अट्ठाईस मूलगुण
आचार्य, उपाध्याय और साधुपरमेष्ठी का लक्षण
अध्यात्म की अपेक्षा नयों का वर्णन
सच्चे गुरु का लक्षण
नवकेवललब्धि
परीषह एवं उपसर्गजय के संदर्भ में सल्लेखना व्रत
आरोग्य के लिए उपयोगी है श्रावकाचार
जैन दर्शन में अवस्थान चन्द्र—सूर्यादि ग्रहों का!
पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय!
भक्ति का उत्कृष्ट संस्कृत काव्य -भक्तामर स्तोत्र!
आठ कर्मो का स्वभाव
लब्धियों में करणलब्धि का विशेष विवरण
मंदिर में छत्र, चंवर, ध्वजा चढ़ाने का पुण्य
ब्राह्मी एवं सुन्दरी
मध्यलोक
भरत क्षेत्र के छह खण्ड
कच्छा विदेहक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत के ९ कूट
कमलों में जिनमंदिर
तीन लोक
आर्यखण्ड
जैन भूगोल-परम्परा
षट्काल परिवर्तन
जम्बूद्वीप का शास्त्रीय परिचय
जम्बूद्वीप के ७ क्षेत्रों के नाम
जंबूद्वीप में ३११ पर्वत हैं
जंबूद्वीप की संपूर्ण नदियां
जंबूद्वीप की समस्त नदियों
जम्बूद्वीप
इस जंबूद्वीप में हम कहाँ हैं ?
जम्बूद्वीप में ५६८ कूट हैं
जंबूद्वीप का सामान्य वर्णन
छह कुलाचलों का वर्णन
रम्यक क्षेत्र में नाभिगिरि
रुचकवर द्वीप के जिनमंदिर
रुक्मी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
शिखरी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट
कर्मभूमि आदि
तेरहद्वीप रचना
कुण्डलवर द्वीप में ४ जिनमंदिर
अकृत्रिम जिनमंदिर रचना
हैरण्यवतक्षेत्र में नाभिगिरि
तीन सौ ग्यारह पर्वत कहाँ हैं
माल्यवान् गजदंत पर नौ कूट हैं
विदेह क्षेत्र का वर्णन
चूलिका का वर्णन
पाण्डुकवन का वर्णन
छह भोगभूमि
वेदी और वनखंड
धन
१०८ कलश मांडने का नक्शा
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