तर्ज-फूलो सा…….
केशरिया झण्डा मेरा, जिनमत की पहचान है।
साथिया निशान है, जैनियों की शान है, उत्सव का सम्मान है।।टेक.।।
जिनवर के मंदिर शाश्वत बने जो, उन सबपे भी ध्वज लहराते हैं।
रत्नों से निर्मित फिर भी हवा के, चलने से वे ध्वज लहराते हैं।।
देव जहाँ जाते, कीर्ति प्रभु की गाते, जिनचैत्य की वंदना कर रहे।
जय जय हो जय जय प्रभो केशरिया ध्वज धाम है।
साथिया निशान है, जैनियों की शान है, उत्सव का सम्मान है।।१।।
आकाश सी ऊँचाई को कहता, झण्डा ये देखो फहराया है।
फूलों से गूंथा घंटी से गूँजा, जिनवाणी का स्वर लहराया है।।
महामहोत्सव में, आज के उत्सव में, ‘‘चन्दनामती’’ ध्वज वंदना करो।
जय जय हो, जय जय प्रभो, सिद्धों का यह धाम है।
साथिया निशान है, जैनियों की शान है, उत्सव का सम्मान है।।२।।