शिवनारायणी संत मतपंथ के भजन
शिवनारायणी संत मतपंथ के भजन
भजन के नियम :-
शिवनारायणी संत मतपंथ में भजन को अनेक वर्गों में बांटा गया है |
1. अरजी भजन
2. चौका और संझा
3. आगमन भजन
4. शब्द भजन
5. निर्गुण भजन
6. मंगल भजन
7. सोहर भजन
8. समदन भजन
9. भोर ( प्रातःकालीन )
सामान्य सत्संग में पहले दो अरजी भजन से प्रारंभ करना चाहिए फिर स्तुति विनती और ध्यान करना चाहिए पुनः ग्रन्थ पाठ और नियम
सिद्धांत पढना चाहिए फिर अरजी या आगमन , शब्द , निर्गुण और मंगल भजन गाना चाहिए |
गादी पूजन में दो अरजी भजन के बाद स्तुति - विनती , ध्यान , ग्रन्थ पाठ , के बाद चौका और संझा गाना चाहिए | इसके बाद अरजी , शब्द , निर्गुण , मंगल भजन गाना चाहिए |
जहाँ गुरुदेव उपस्थित हो वहां सत्संग के सामान्य नियम के साथ गुरुदेव को मंच पर बुलाने के लिए आगमन भजन गाना चाहिए |
जहाँ अगियारी होता है वहां गादी पूजन के विधि के साथ अंत में मंगल न होकर समदन गाना चाहिए |
अरजी भजन
1.
महा प्रभु दीन दयाल कृपाल | महा प्रभु दीन दयाल कृपाल ||
असुर संहारन तुम प्रभु तारण | चितवत केवट के ख्याल ||
दीन दयाल ...
जहाँ जहाँ संकट पड़े संतन कहँ | राखेहूँ द्रोपदी के लाज ||
दीन दयाल ....
मन, वच, कर्म, जेहि आशा तेहारो| चितवत कियो है निहाल ||
दीन दयाल ....
हनुमत , भरत , शत्रुघन सुग्रीव | नारद, लोमश, ब्यास ||
दीन दयाल ....
नानक , शाह , कबीर , मलूका | रामानंद , कमाल ||
दीन दयाल ....
ध्रुव, प्रहलाद विभीषण पांडव | सब पर भयऊ दयाल ||
दीन दयाल ....
शिवनारायण देखि चरित्र यह | गावत शब्द रसाल ||
दीन दयाल ...
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अरजी भजन
2.
बन्दो दुःखहरण गुरू नामा । बन्दो दुःखहरण गुरू नामा ॥
बन्दो दुःखहरण गुरू नामा । बन्दो दुःखहरण गुरू नामा ॥
निगमागम जाको थाह न पावे । ना पावे वेद पुराणा ॥
ब्रह्मा विष्णु शिव सनकादिक । जपत रहे निसु जामा ॥1॥
बन्दो दुःखहरण...
जाको रंग रूप कछु नाहीं । निराकार निर्वाणा ॥
भक्तन हेतु बिबिध तन घारो। करता करे बिधि नाना ॥2॥
बन्दो दुःखहरण...
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर आपु । सब घट ज्योति समाना ॥
कोटि ब्रह्माण्ड रचे औ पाले । सब महां आपु जहानां ॥3॥
बन्दो दुःखहरण...
शिवनारायण सात बरस में । गुरु के सुमिरण ठाना ॥
दिब्य रूप से दर्शन पावें । सन्त शब्द प्रमाणा ॥4॥
बन्दो दुःखहरण...
गुरु अन्यास के वाणी समुझी । ग्रन्थ किये निर्माणा ॥
लखन राम लखी सत गुरु वाणी । अगला पन्थ चलाना ॥5॥
बन्दो दुःखहरण...
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अरजी भजन
3.
अवगुण हमरो निवारो महा प्रभु , अवगुण हमरो निवारो महा प्रभु ॥
अवगुण हमरो निवारो महा प्रभु , अवगुण हमरो निवारो महा प्रभु ॥
अवगुण हमरो निवारो ....
मैं मतिहीन मलीन ओछ बुद्धि , कर्म के गुण सब मारो हो।
देखि भवसागर होत त्रास जीव , बेगि लगाओ किनारो हो ॥1॥
अवगुण हमरो निवारो ....
रामानन्द कबीर मलूका, नानक नाम देव तारो हो।
ध्रुव, प्रहलाद, विभीषण, लोमश, पाण्डव जरत उबारो हो ॥2॥
अवगुण हमरो निवारो ....
गणिका, गृध्र, अजामिल शेबरी, झूठे फल कियो है अहारो।
लक्ष चौरासी जीव जहां लग, सब के संकट टारो हो ॥3॥
अवगुण हमरो निवारो ....
सबके प्राण बचाए लियो है, विदित सकल संसारो हो।
शिवनारायन नाम सन्पति, बलि बलि जाऊँ तोहारो हो ॥4॥
अवगुण हमरो निवारो ....
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अरजी भजन
4
गुरु हो पैंया लागूं नाम को लखा दीजिये ||
हो लखा दीजिये , हो बता दीजिये ............ गुरु हो .....
बिष के लहर उठे घट भीतर | अमृत बूंद चुवा दीजिए ||
गुरु हो पैंया लागूं नाम ,...........
जन्म जन्म के भूलल मनुवा | तिनके दृष्टि लखा दीजिए ||
गुरु हो पैंया लागूं नाम ,...........
शिवनारायण कही समुझावे |सुरति में शब्द मिला दीजिए ||
गुरु हो पैंया लागूं नाम ,...........