पूज्य लखन लाल बाबा पारिवारिक जीवन व्यतीत करने वाले , कठोरता से अनुशासन पालन करने वाले , स्वाभिमानी , सात्विक भोजन , सादा वस्त्र धारण करने वाले , गुरु भक्त ,संत प्रेमी , झूठ और आडम्बर के पूर्ण विरोधी,और मतपंथ को एक दिशा प्रशस्त करने वाले , एक शब्द साधक थे।
संत सद्गुरु श्री हृदयालाल जी महाराज के शिष्यों में एक शिष्य पूज्य स्व० लखन लाल मिस्त्री हुए । इनका जन्म ग्राम -सालमारी ,जिला -कटिहार , बिहार (भारत ) में हुआ । इनका जन्म 1948 (लगभग ) हुआ। इनके पिता -स्व० दर्शन लाल मिस्त्री और माता -स्व० महेश्वरी देवी थीं ।ये हिंदी से B.A. (स्नातक ) किये । इनकी पत्नी शकुंतला देवी थी । वह भी धर्मशील और और संत सेविका थी । पूज्य बाबा धर्म शास्त्र का अध्यन और उसके मर्म को जानने की तीब्र इच्छा थी । संतों की वाणी ,प्रवचन आदि पर खूब ध्यान देते थे और सभी अच्छी बातों को अपने में उतारे थे ।इनके पिता और खानदान के सभी चाचा इसी मतपंथ में थे ,और महंथी भी चलती थी । शिवनारायणी मतपंथ को शुरू से देख रहे थे । पूज्य गुरुदेव से भी काफी समय से संपर्क में भी थे । किन्तु दिनांक -12 -8 -1981 में दिन रविवार को रामनवमी के दिन लालगांव में दीक्षा लेकर धन्य हुए ।
दीक्षा ग्रहण के कुछ ही समय बाद लोगों ने इनकी विद्वता को पहचाना । तब गुरुदेव की स्वीकृति और वरिष्ट शिष्यों की सहमति से श्री लखन लाल मिस्त्री को शिवनारायणी संत मतपंथ के कटिहार जिला अध्यक्ष चुने गये । वे असत्य वचन और गलत चीजों को बिलकुल की सहन नहीं करते थे । जिसके कारण मतपंथ के प्रति काफी सजग थे ।सत्संग मंच इनके कारण पूर्ण अनुशासन में चलता था समय की पाबंदी हो अथवा संचालन कार्य हो पूर्ण अनुशासन में होता था । अपनी आजीविका चलाते हुए इन्होने अनेक जिला सम्मलेन कराए । इसके साथ गुरु की कृपा से गुरु अन्यास ज्ञान दीपक का टीका किए फिर संत विलास और पाती परवाना का टीका किये । शिवनारायणी संत मतपंथके नियम और सिद्धांत को संकलित कर मत पंथ को दिए ।गादी पूजन विधि में भी मन्त्रों का संकलन कर छोड़ गए उसका प्रकाशन नहीं हो सका है । आगे मैं देखता हूँ कहाँ तक संभव है । इसप्रकार इसने अपना सारा जीवन मत पंथ के कार्य में लगा दिए । स्वयं और इनकी पत्नी बच्चों के साथ संतों की सेवा में जीवन खपा दिए ।
अन्य शिष्य जो अनुशासित नहीं थे बाद में विरोधी बन गए । मत पंथ में अनेक विषमताओं और अनुशासन हीनता को देखकर घर बैठ गए । फिर एक दिन 5 -11 -2022 ( शुक्रवार ब्रह्ममुहूर्त ) इनकी धर्म पत्नी शंकुतला देवी संत लोक को चली गयी । पुनः 11 -12 -2022 (रविवार प्रातः ) को लखन बाबा इस असार संसार से संत लोक को गमन कर गए । ऐसे विभूति हमेशा स्मरणीय रहेंग
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