हर माता–पिता की सबसे बड़ी इच्छा होती है — स्वस्थ, योग्य और भाग्यशाली संतान का जन्म। लेकिन बहुत से दंपतियों के जीवन में यह निर्णय सिर्फ एक भावनात्मक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
जन्म कुंडली के अनुसार बच्चे का जन्म तय करना जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने में मदद करता है। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो ग्रहों की स्थिति और समय (मुहूर्त) के प्रभाव को समझकर लिया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बच्चे का जन्म केवल माता–पिता की इच्छा से नहीं होता, बल्कि यह उनके कर्म और ग्रहों की दशा से जुड़ा होता है।
जन्म कुंडली में पंचम भाव (5th house) को संतान का भाव कहा गया है। इस भाव में स्थित ग्रह, उस पर पड़ने वाली दृष्टि और दशा–अंतर्दशा यह बताते हैं कि बच्चे का जन्म कब और कैसे होगा।
मुख्य ग्रह जो संतान से जुड़े हैं —
· बृहस्पति (Jupiter): संतान का कारक ग्रह, ज्ञान और आशीर्वाद का प्रतीक।
· शुक्र (Venus): प्रजनन क्षमता और शारीरिक सामर्थ्य दर्शाता है।
· चंद्रमा (Moon): मानसिक स्थिरता और मातृत्व का प्रतीक।
· सूर्य (Sun): जीवन ऊर्जा और संतान के अस्तित्व से जुड़ा ग्रह।
जब ये ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं, तब संतान प्राप्ति के योग मजबूत माने जाते हैं।
जन्म कुंडली में पंचम भाव और उसके स्वामी ग्रह की स्थिति देखकर यह अनुमान लगाया जाता है कि व्यक्ति को संतान सुख कब और कैसे मिलेगा। यदि पंचम भाव पर पाप ग्रहों (जैसे शनि, राहु, केतु) की दृष्टि हो, तो संतान में देरी या कठिनाई की संभावना होती है। ऐसे मामलों में उचित उपाय और सही समय का चयन करना बेहद आवश्यक होता है।
कुंडली में देखे जाने वाले प्रमुख संकेत:
1. पंचम भाव और उसके स्वामी की स्थिति।
2. बृहस्पति की स्थिति और दृष्टि।
3. चंद्रमा की दशा और अंतर्दशा।
4. संतान भाव पर शुभ या अशुभ ग्रहों का प्रभाव।
5. नवांश कुंडली (D-9) और सन्तानांश कुंडली (D-7) का विश्लेषण।
Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार, केवल पंचम भाव देखना पर्याप्त नहीं होता। अन्य ग्रहों की स्थिति और चल रही दशाओं का मिलान भी जरूरी है ताकि संतान जन्म का सही समय तय किया जा सके।
ज्योतिष में बच्चे के जन्म का समय (मुहूर्त) अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। जन्म के क्षण में ग्रहों की स्थिति उस बच्चे के पूरे जीवन का दिशा–निर्धारण करती है।
शुभ मुहूर्त निकालते समय देखे जाने वाले प्रमुख तत्व:
· तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की स्थिति।
· लग्न और उसके स्वामी की शक्ति।
· चंद्रमा की स्थिति और दृष्टि।
· पाप ग्रहों से बचाव और शुभ ग्रहों की दृष्टि का लाभ।
सही मुहूर्त से जन्मे बच्चे का भविष्य प्रायः अधिक स्थिर, बुद्धिमान और भाग्यवान होता है। इसीलिए कई माता–पिता अब जन्म कुंडली के अनुसार बच्चे का जन्म समय तय करने के लिए विशेषज्ञ ज्योतिषीय सलाह लेते हैं।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में संतान से संबंधित योग कमजोर हों, तो ज्योतिष में कई पारंपरिक उपाय बताए गए हैं। ये उपाय ग्रहों की स्थिति को संतुलित करने और सकारात्मक प्रभाव बढ़ाने में सहायक होते हैं।
सामान्य उपायों में शामिल हैं:
· गुरुवार व्रत या बृहस्पति ग्रह की पूजा।
· गाय को चारा या बच्चों को भोजन खिलाना।
· गुरु बीज मंत्र का नियमित जप।
· पीले वस्त्र धारण करना और दान देना।
· योग्य ज्योतिषी की सलाह से जन्म रत्न धारण करना।
ज्योतिष में माना जाता है कि सही उपाय और उचित समय निर्धारण से संतान से जुड़ी कई कठिनाइयाँ दूर की जा सकती हैं।
Dr. Vinay Bajrangi, प्रख्यात वैदिक ज्योतिषाचार्य, का मानना है कि संतान का जन्म केवल भाग्य नहीं, बल्कि सही निर्णय का परिणाम होता है। वे जन्म कुंडली/Janam Kundali, दशा प्रणाली और ग्रहों के सूक्ष्म प्रभाव का गहन अध्ययन कर माता–पिता को उचित समय और उपाय सुझाते हैं। उनके अनुसार, बच्चे का जन्म शुभ ग्रह स्थिति में होना चाहिए ताकि उसका जीवन स्थिर, स्वास्थ्यपूर्ण और समृद्ध हो सके।
1. क्या जन्म कुंडली से बच्चे के जन्म का सही समय पता लगाया जा सकता है?
हाँ, कुंडली में पंचम भाव, बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति देखकर संतान प्राप्ति का समय निर्धारित किया जा सकता है।
2. अगर कुंडली में संतान सुख में बाधा दिखे तो क्या करें?
ऐसे मामलों में ज्योतिषीय उपाय, दान–पुण्य और शुभ ग्रहों की दृष्टि बढ़ाने के उपाय अपनाए जा सकते हैं।
3. क्या IVF या सर्जिकल जन्म के लिए भी मुहूर्त देखा जा सकता है?
हाँ, यह प्रचलन आज बढ़ रहा है। योग्य ज्योतिषी सही ग्रह स्थिति देखकर बच्चे के जन्म का शुभ समय तय कर सकते हैं।
4. क्या बच्चे के भविष्य को कुंडली से जाना जा सकता है?
बिलकुल, बच्चे की कुंडली उसके स्वभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य और करियर की दिशा का संकेत देती है।
5. क्या कुंडली मिलान बच्चे के जन्म के बाद भी जरूरी है?
कुंडली मिलान माता–पिता के लिए तो जरूरी है ही, लेकिन बच्चे की कुंडली से पारिवारिक संतुलन और भविष्य की दिशा समझी जा सकती है।
बच्चे का जन्म जीवन का सबसे पवित्र निर्णय है। यदि यह सही ज्योतिषीय समय और ग्रह स्थिति में हो, तो संतान का जीवन और परिवार दोनों अधिक संतुलित रहते हैं। जन्म कुंडली न केवल संतान सुख का संकेत देती है, बल्कि यह भी बताती है कि कब और कैसे वह सुख प्राप्त होगा।
इसलिए बच्चे के जन्म से पहले किसी अनुभवी और प्रमाणित ज्योतिषी से सलाह लेना हमेशा लाभकारी रहता है।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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Source: https://kundlihindi.com/blog/kundli-ke-duwara-bacche-ka-janam/