क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी जन्म तिथि और समय आपके स्वास्थ्य के बारे में कुछ कह सकते हैं? यदि हाँ, तो आप चिकित्सा ज्योतिष की ओर पहला कदम बढ़ा चुके हैं। चिकित्सा ज्योतिष, जिसे मेडिकल एस्ट्रोलॉजी भी कहा जाता है, एक प्राचीन विज्ञान है जो यह मानता है कि जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है।
हर व्यक्ति की कुंडली में 12 भाव होते हैं, और इन भावों में ग्रहों की स्थिति के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जीवन में कौन–कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं आ सकती हैं। इसे ही हम जन्म तिथि के अनुसार स्वास्थ्य राशिफल कह सकते हैं। उदाहरण के लिए:
· अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में छठा भाव (जो रोगों का भाव होता है) अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तो वह व्यक्ति जीवन में बार–बार बीमार पड़ सकता है।
· मंगल या शनि जैसे ग्रह यदि लग्न या चंद्र राशि पर दृष्टि डालते हैं, तो शरीर में ऊर्जा की कमी या जोड़ों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
जन्म कुंडली के अनुसार रोग का विश्लेषण करते समय कुछ प्रमुख भाव और ग्रहों पर ध्यान देना होता है:
· पहला भाव (लग्न): यह शरीर की सामान्य स्थिति दर्शाता है। यदि यह भाव कमजोर हो तो संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
· छठा भाव: यह रोगों और बीमारियों का कारक होता है। इस भाव में अशुभ ग्रहों की उपस्थिति गंभीर रोगों की ओर संकेत करती है।
· आठवां भाव: यह आकस्मिक रोग, दुर्घटना और दीर्घकालिक बीमारी का संकेतक होता है।
ग्रहों के विशेष संयोग भी रोगों की भविष्यवाणी करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, शनि और चंद्र का युति या दृष्टि संबंध मानसिक तनाव या डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।
त्वचा से संबंधित रोगों की बात करें तो कुंडली में शुक्र, राहु, और चंद्रमा विशेष भूमिका निभाते हैं। यदि ये ग्रह कमजोर हों या दूषित हों, तो व्यक्ति को त्वचा से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जैसे:
· एलर्जी
· पित्त की गर्मी से होने वाले चकत्ते
· फंगल इंफेक्शन
· एक्ने या पिंपल्स
इसके अलावा, लग्न और छठे भाव में इन ग्रहों की उपस्थिति त्वचा रोगों की प्रवृत्ति को और बढ़ा सकती है।
कुछ खास ग्रह और भाव खास रोगों की ओर इशारा करते हैं:
· शनि: गठिया, स्नायु तंत्र की समस्या, कमर दर्द
· मंगल: चोट, जलन, रक्तचाप संबंधी समस्याएं
· चंद्रमा: मानसिक तनाव, अनिद्रा, मनोविकार
· गुरु (बृहस्पति): मोटापा, फैटी लिवर, डायबिटीज
इन ग्रहों की स्थिति देखकर अनुभवी ज्योतिषी यह अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में किस तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं।
यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या नहीं, तो नीचे दिए गए कुछ संकेतों पर ध्यान दें:
1. छठे, आठवें और बारहवें भाव में अशुभ ग्रहों की उपस्थिति
2. लग्न और लग्नेश का कमजोर होना
3. चंद्रमा का नीच का या पाप ग्रहों से ग्रसित होना
4. राहु–केतु का स्वास्थ्य भावों पर असर
यदि ये योग आपकी कुंडली में दिखाई दें, तो सावधानी बरतनी चाहिए और समय–समय पर स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए।
स्वास्थ्य ज्योतिष/Health Astrology एक सहायक विज्ञान है जो हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारे शरीर पर ग्रहों का क्या असर है। हालांकि यह विज्ञान किसी चिकित्सक का विकल्प नहीं है, लेकिन समय से पहले चेतावनी देकर यह हमें सजग बना सकता है। यदि हम कुंडली में छिपे स्वास्थ्य संकेतों को समझ लें, तो हम भविष्य की कई परेशानियों से बच सकते हैं।
नहीं, ज्योतिष एक मार्गदर्शक है जो संभावनाओं की ओर इशारा करता है। यह चिकित्सकीय जांच का विकल्प नहीं है, बल्कि पूरक है।
मुख्य रूप से पहला (लग्न), छठा, आठवाँ और बारहवाँ भाव स्वास्थ्य से संबंधित होते हैं।
जन्म तिथि के साथ–साथ जन्म का समय और स्थान भी जरूरी होते हैं ताकि सटीक कुंडली/Kundali बन सके और उसी के आधार पर स्वास्थ्य का विश्लेषण किया जा सके।
यदि सही समय पर ज्योतिषीय उपाय किए जाएं जैसे मंत्र, रत्न, व्रत या ग्रह शांति, तो रोग की तीव्रता को कम किया जा सकता है।
हाँ, बच्चों की कुंडली देखकर यह जाना जा सकता है कि उन्हें कौन–कौन से रोगों की आशंका हो सकती है और समय रहते उनकी रोकथाम की जा सकती है।
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