हर व्यक्ति के मन में यह जानने की उत्सुकता होती है कि उसका जीवनसाथी कैसा होगा, उसका स्वभाव, परिवार, आर्थिक स्थिति और जीवन में उसके साथ तालमेल कैसा रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में यह संभव है कि हम कुंडली के माध्यम से अपने भविष्य के साथी की झलक पा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में विशेषकर सातवां भाव (7th House), शुक्र ग्रह (Venus) और ग्रहों की दृष्टि से यह जाना जा सकता है कि विवाह कब होगा और जीवनसाथी कैसा होगा।
1. सप्तम भाव (7th House)
कुंडली का सातवां भाव आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन का मुख्य संकेतक होता है। इस भाव में स्थित ग्रह, इस पर पड़ने वाली दृष्टियाँ और इसके स्वामी की स्थिति यह बताते हैं कि आपका जीवनसाथी कैसा होगा — उसका स्वभाव, व्यवहार और जीवन में आपकी साझेदारी कैसी रहेगी।
2. सप्तम भाव का स्वामी
यदि सप्तम भाव का स्वामी मजबूत और शुभ ग्रहों के साथ है, तो जीवनसाथी समझदार, आकर्षक और सहयोगी होगा। लेकिन यदि यह पाप ग्रहों (जैसे शनि, राहु, केतु) के प्रभाव में हो तो वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ आ सकती हैं।
3. शुक्र ग्रह की स्थिति (For Men)
पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह जीवनसाथी और प्रेम संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि शुक्र शुभ स्थानों में हो और शुभ ग्रहों के साथ युति में हो तो जीवनसाथी सुंदर, आकर्षक और प्रेमभाव से भरपूर होती है।
4. गुरु ग्रह की स्थिति (For Women)
महिलाओं की कुंडली में गुरु ग्रह (बृहस्पति) को पति का कारक ग्रह माना जाता है। गुरु की स्थिति जीवनसाथी की बुद्धिमत्ता, सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक स्थिति के बारे में बताती है।
5. नवमांश कुंडली (D-9 Chart)
सिर्फ जन्म कुंडली देखना पर्याप्त नहीं होता। नवमांश कुंडली का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि इससे विवाह के गहरे रहस्य खुलते हैं। Dr. Vinay Bajrangi जैसे अनुभवी ज्योतिषाचार्य नवमांश कुंडली का गहराई से अध्ययन कर जीवनसाथी की सटीक जानकारी दे सकते हैं।
6. दशा और गोचर
आपकी कुंडली/kundali में जब विवाह संबंधी योग बनने लगते हैं तो दशा और गोचर के आधार पर विवाह का समय और जीवनसाथी से मिलने के योग का पता लगाया जा सकता है। सही समय पर विवाह से जीवन में सुख–शांति बनी रहती है।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य Dr. Vinay Bajrangi का मानना है कि जीवनसाथी की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए केवल 7वें भाव को देखना पर्याप्त नहीं है। वे कर्मों की कुंडली, पूर्व जन्म के कारण और नवमांश कुंडली का सामूहिक विश्लेषण कर जीवनसाथी के चरित्र, वैवाहिक सामंजस्य और वैवाहिक सुख के बारे में गहन जानकारी देते हैं। उनका यह भी कहना है कि यदि कुंडली में विवाह संबंधी दोष हों, जैसे मंगल दोष, कालसर्प दोष या ग्रहण दोष, तो उसका समय रहते समाधान करना चाहिए।
उत्तर: हां, कुछ हद तक कुंडली के माध्यम से जीवनसाथी की राशि, उसकी प्रकृति, और उसकी दिशा (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) का अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन नाम जानना कठिन होता है। इसके लिए कुंडली का बहुत गहरा विश्लेषण करना पड़ता है।
उत्तर: जी हां, कुंडली में पंचम भाव, सप्तम भाव और ग्रहों के बीच संबंध देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि लव मैरिज के योग हैं या अरेंज मैरिज होगी।
उत्तर: बिल्कुल। विवाह से पहले कुंडली मिलान न केवल गुणों के मिलान के लिए बल्कि दोषों, स्वभाव, आर्थिक सामंजस्य, और संतान सुख की जांच के लिए भी जरूरी होता है।
उत्तर: यदि कुंडली में विवाह का योग नहीं दिख रहा है या बार–बार रिश्ते टूट रहे हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य जैसे Dr. Vinay Bajrangi से परामर्श लेकर उपाय करवाना चाहिए। इससे विवाह के योग बनने में सहायता मिलती है।
उत्तर: सामान्य जानकारी के लिए ऑनलाइन कुंडली उपयोगी हो सकती है, लेकिन गहराई से जानने के लिए अनुभवी ज्योतिषाचार्य से ही सलाह लेनी चाहिए क्योंकि वे आपकी कुंडली के गूढ़ तत्वों को समझ सकते हैं।
यदि आप भी अपने जीवनसाथी के बारे में कुंडली से जानना चाहते हैं, तो अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान के आधार पर विस्तृत कुंडली विश्लेषण कराएं। Dr. Vinay Bajrangi जैसे विद्वान आपकी कुंडली से न केवल जीवनसाथी बल्कि पूरे वैवाहिक जीवन का स्पष्ट चित्र सामने रख सकते हैं।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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Source: https://kundlihindi.com/blog/how-to-know-about-your-life-partner-from-horoscope/