डाटाबेस
डाटाबेस व्यवसाय, स्वास्थ्य,शिक्षा, सरकार और पुस्तकालय सहित सभी प्रकार के संगठनों में डाटा को स्टोर, मेनिप्यूलेट, तथा रिट्राइव (पुनः उपयोग मे लाना) करने के लिए प्रयुक्त होता है। नेटवर्क सर्वर्स द्वारा कई व्यक्ति वर्क – ग्रुप में डाटाबेस को इस्तमाल करते हैं तथा कर्मचारी संगठन में डिस्ट्रिब्यूटेड एप्लिकेशन (एक ही अप्लीकेशन पर बहुत लोगों दुवारा काम करना) द्वारा डाटाबेस को इस्तेमाल करते हैं। डाटाबेस संबंधित डाटा का संग्रह है। डाटा से आशय है – अपूर्ण ज्ञात तथ्य व आंकडें – जिन्हें रिकॉर्ड किया जा सकता है, और जो कुछ परिणाम दे सकते हैं।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(Database Management System ) एक सॉफ्टवेर (Software) है जिसका उपयोग डेटाबेस को बनाने(creating) और डेटाबेस को संभालने(managing) के लिए किया जाता है |
मतलब की DBMS वह सॉफ्टवेर है जिससे हम एक नया Database को बना सकते है |
DBMS अपने उपयोगकर्ताओं(users) और प्रोग्रामर(programmers ) को एक व्यवस्थित तरीके के साथ डाटा को बनाने(create) , संभालने (manage) और update करने की सुविधा प्रदान करता है ।
जैसे कि MySql एक DBMS सॉफ्टवेयर है जिसमें कि हम कोई डेटाबेस बना सकते हैं माना कि हमने MySqL DBMS सॉफ्टवेयर में Student नाम का एक Database बनाया जिसके अंदर हमने Student का नाम, Student का रोल नंबर, Student का पता(Address) आदि जमा कर सकते हैं |
DBMS के कुछ उदाहरण :- MySQL, PostgreSQL, Microsoft Access(माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस), Oracle(ओरेकल) इत्यादि।
दोस्तों Database Management System के कई सारे फायदे हैं Database Management System , File Based System में पैदा होने वाले सभी समस्याओं का समाधान भी है इसीलिए तो File Based System को हटाकर वर्तमान समय में हर जगह डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है |
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(Database Management System ) के कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं : –
Controlling Data Redundancy (डेटा रिडंडंसी को नियंत्रित करना) :- File Based System में प्रत्येक एप्लिकेशन प्रोग्राम की अपनी निजी फाइल होती है इस स्थिति में, कई स्थानों पर एक ही डेटा की डुप्लिकेट files बनाई जाती हैं। डीबीएमएस में, एक संगठन(organization) के सभी डेटा को एक डेटाबेस फ़ाइल में एकीकृत किया जाता है मतलब की डेटा डाटाबेस में केवल एक स्थान पर दर्ज किया जाता है और इसे दोहराया नहीं जाता है।
Sharing of Data (डेटा साझा करना) :- DBMS में, organization के authorized users (अधिकृत उपयोगकर्ताओं ) द्वारा डेटा साझा किया जा सकता है। डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर डेटा को नियंत्रित करता है और डेटा को access करने के लिए उपयोगकर्ताओं को अधिकार देता है । कई उपयोगकर्ताओं को एक साथ जानकारी के समान टुकड़े तक पहुंचने का अधिकार दिया जा सकता है जा सकता है remote users भी समान डेटा साझा कर सकते हैं। इसी तरह, एक ही डाटाबेस के डेटा को अलग-अलग एप्लीकेशन प्रोग्राम के बीच साझा किया जा सकता है।
Data Consistency (डाटा स्थिरता) :- डेटा रिडंडंसी (Data Redundancy) को नियंत्रित करके, डाटा स्थिरता प्राप्त की जाती है। मतलब की डाटाबेस में एक ही प्रकार के डेटा को बार-बार इन जमा होने से रोका जाता है
Integration of Data (डेटा का एकीकरण) :- DBMS में, डेटाबेस में डेटा tables (तालिका) में संग्रहित होता है। एक डेटाबेस में एक से अधिक tables होते हैं और तालिकाओं (या संबंधित डेटा संस्थाओं) के बीच रिश्तों को बनाया जा सकता है। इससे डेटा को पुनः प्राप्त करना और अपडेट करना आसान हो जाता है
Data Security :- DBMS मैं डाटा को पूरी तरह से Database Administrator (एडमिनिस्ट्रेटर) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर ही यह सुनिश्चित करता है कि किस User को कितना Database के कितने हिस्से पर Access देना है या नहीं देना है इससे डेटाबेस कि सिक्योरिटी बहुत अधिक बढ़ जाती है |
Recovery Procedures :- दोस्तों कंप्यूटर एक मशीन है इसलिए यह संभव है कि कभी भी कंप्यूटर में कोई Hardware (हार्डवेयर) या Software(सॉफ्टवेयर) संबंधित समस्या उत्पन्न हो जाए ऐसे में यह बहुत जरूरी है की किसी समस्या कंप्यूटर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर उसमें रखें डेटाबेस को हम Recovery कर पाएं डीबीएमएस में यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है |
डाटाबेस सिस्टम के कुछ संभावित नुकसान (disadvantages) भी है |
cost of implementing :- मतलब की डाटाबेस सिस्टम को implement( कार्यान्वयन ) करने में जो लागत आती है वह काफी ज्यादा हो सकता है जिसमें काफी रुपए खर्च हो सकते हैं |
effort to transfer data :– मौजूदा सिस्टम से डाटाबेस में डेटा को transfer करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और इसमें बहुत अधिक समय भी लग सकता है |
Risk Of database fails :- अगर डेटाबेस विफल हो जाता है भले ही अपेक्षाकृत कम अवधि के लिए तो संपूर्ण कंपनी पर भी असर पड़ेगा और कंपनी को कई प्रकार के नुकसान उठाने पड़ेंगे
Data Security :- DBMS मैं डाटा को पूरी तरह से Database Administrator (एडमिनिस्ट्रेटर) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर ही यह सुनिश्चित करता है कि किस User को कितना Database के कितने हिस्से पर Access देना है या नहीं देना है इससे डेटाबेस कि सिक्योरिटी बहुत अधिक बढ़ जाती है |
Recovery Procedures :- दोस्तों कंप्यूटर एक मशीन है इसलिए यह संभव है कि कभी भी कंप्यूटर में कोई Hardware (हार्डवेयर) या Software(सॉफ्टवेयर) संबंधित समस्या उत्पन्न हो जाए ऐसे में यह बहुत जरूरी है की किसी समस्या कंप्यूटर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर उसमें रखें डेटाबेस को हम Recovery कर पाएं डीबीएमएस में यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है |
डाटाबेस के गुण
1. एक डाटाबेस वास्तविक दुनिया के कुछ पहलू प्रस्तुत करता है।
2. एक डाटाबेस को कुछ खास उद्देश्य के लिए डिजाइन किया जाता है, बनाया जाता है और डाटा से युक्त किया जाता है।
3. डाटाबेस डाटा का तर्कसंगत संग्रह है।
डाटाबेस किसी भी आकार का और अस्थिर रूप से जटिल हो सकता है। सिस्टम के यूजर को फाईलों पर कई प्रकार के कार्य करने की सुविधा दी जाती है। जैसे –
2. पहले से उपस्थित फाईलों में नया डाटा डालना ।
3. मौजूद फाईलों से डाटा प्राप्त करना ।
4. मौजूद फाईलों में डाटा को अपडेट करना ।
5. फाईलों से डाटा को डिलिट करना ।
6. डाटाबेस से मौजूद फाईलों को हटाना ।
फाईलों के प्रयोग के दौरान होने वाली कठिनाईयाँ
1. अनियंत्रित प्रतिलिपि बनाना
– स्थान व्यर्थ करता है ।
– सभी फाईलों को अपडेट करने में कठिनाई
– इनकंसिटेंट डाटा
2. कठोरता
– डाटा परिवर्तन में कठिनाई
– प्रोग्राम परिवर्तन में कठिनाई
– सीमित डाटा शेयरिंग
– अधिक प्रोग्राम नियंत्रण
– डाटा एक्सेस में कठिनाईयाँ
– सुरक्षा कठिनाई
By- HSG
डाटाबेस के प्रमुख भाग
डाटाबेस मेनेजमेंट सिस्टम(डीबीएमएस) एक ऐसा साफ्टवेयर है जो डाटाबेस को परिभाषित करता है, डाटा को स्टोर करता है, क्वैरी भाषा को सपोर्ट करता है, रिपोर्ट बनाता है और डाटा इन्ट्री की स्क्रीन बनाता है ।
डाटाबेस मेनेजमेंट सिस्टम(डीबीएमएस) ऐसे प्रोग्राम्स का संग्रह है जो यूजर को डाटाबेस की रचना करने व उसका रख-रखाव करने की क्षमता प्रदान करतें हैं । इसलिए डीबीएमएस एक जनरल पर्पस साफ्टवेयर सिस्टम है जो विभिन्न एप्लिकेशन्स के लिए डाटाबेस को बनाने की, मेनिप्यूलेट करने की व परिभाषित करने की प्रक्रिया को सुगम बनाता है । डाटाबेस के अन्तर्गत चार प्रमुख भाग होते हैं –
1. डाटा
2. हार्डवेयर
3. साफ्टवेयर
4. यूजर
1. डाटा
डाटाबेस सिस्टम्स उन मशीनों पर उपलब्ध हैं, जो या तो सिंगल यूजर सिस्टम्स हैं, या मल्टीयूजर्स सिस्टम्स हैं ।
सिंगल यूजर सिस्टम वह सिस्टम हैं जिसमें एक समय पर केवल एक यूजर ही सिस्टम को एक्सेस कर सकता है । मल्टीयूजर सिस्टम वह सिस्टम हैं जिसमें कई यूजर्स एक साथ एक ही समय पर डाटाबेस को एक्सेस कर सकते हैं ।
डाटा के दो प्रमुख गुण होने चाहिए -(1)इन्टीग्रेटेड (2)शेयर्ड
इन्टीग्रेटेड से आशय है कि – डाटाबेस कई फाईलों का यूनिफिकेशन है, जो कि अलग-अलग है, और कोई भी समानताऐं पूर्णतः या आंशिक रूप से मिटा दी जाती हैं। शेयरिंग का अर्थ है – डाटा का व्यक्तिगत भाग जो विभिन्न यूजर्स द्वारा आपस में बाँटा जा सकता है, और इन यूजर्स में से प्रत्येक को उस भाग तक एक्सेस प्राप्त है, (या अलग-अलग) यूजर्स एक ही डाटा को अलग-अलग कार्य के लिए एक ही समय पर प्रयोग कर सकते हैं।
2. हार्डवेयर
हार्डवेयर निम्न से बनता है –
– सेकेण्डरी स्टोरेज वाल्यूम – मुविंग हेड, डिवाइस कंट्रोलर, इनपुट-आउटपुट चैनल्स, और मेग्नेटिक डिस्क, जो डाटा को एक साथ थामे रखने के उपयोग में आती है, आदि से मिलकर बनती है।
– प्रोसेस और एसोसिएटेड मुख्य मेमोरी, जिनका प्रयोग डाटाबेस सिस्टम सॉफ्टवेयर के संपादन का सपोर्ट करने मेंहोता है।
3. साफ्टवेयर
फिजीकल डाटाबेस और उसके यूजर के मध्य – की एक परत होती है, जिसे डीबीएमएस कहा जाता है। यूजर्स द्वारा डाटाबेस को एक्सेस करने हेतु , किये गये सभी आग्रहों को डीबीएमएस हैंडल करता है।
4. यूजर
यूजर्स तीन प्रकार के होते हैं-
– डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर
– एप्ळिकेशन प्रोग्रामर और सिस्टम एनेलिस्ट
– एन्ड यूजर