Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
खोज रहा ज़माना तुझको कब से
कभी अपना दिदार तो कराया होता !
कसमें खायी है लोगो ने रूबरू होने की तुझसे
कभी उनके इस दावे पर ऐतबार तो कराया होता !!
सबके हाथों में है अपना-अपना आइना
दिखा रहे जिसमें वो शक्ल ओं सूरत तेरी !
बेवज़ा जिद सी मची हुई इस जहां में
किसके आइने में, सबसे आला है सूरत तेरी !!
पर क्यूं तू हर आइने में अलग सा दिखता है ?
क्यों नहीं सही जलाल को दिखलाता !
क्यों डाला है रूहानी भरम में सबको
क्यों नहीं अपनी हकीकत बतलाता !!
तेरी कायनात में इस जमीं का है मामूली सा वजूद
फिर भी हम सब इसी ख्वाब में जीते है !
जानते है तुझको मुकम्मल से केवल हम हीं
आसमां को मुट्ठी में छुपाने का भरम रखते हैं !!
कैसे होगा इन नादानियों से छुटकारा
कब रूबरू होंगे हम सब हकीकत से !
कब होंगे इन बेमानी बातों से बेज़ार
दिखेगी हर आइने में कब, एक सी सूरत तेरी !!