Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
कैसी है ये तेरी अनासक्ति
ये उपेक्षा
या है ये अकर्मण्यता
या है ये तेरा प्रतिशोध
पर क्यूँ
क्योंकर ऐसा हुआ
क्यों बिछुड़ गए लोग
जिनका कोई अपराध न था
थी केवल गहन श्रद्धा
तेरे प्रति
आराधना तेरे प्रति
समर्पण तेरे प्रति
फिर क्यूँ हुआ तू ऐसा
निष्ठुर, उदासीन
विरक्त, निर्मम सा
उनसे
जो थे निरीह
प्रेमी जन तेरे
भक्तगण तेरे
बहते रहे, लुटते रहे
पर जयघोष भी करते रहे
चिपटे रहे वो तुझसे
तेरे नाम से
और तू बस बेबस सा
देखता रहा
बस देखता ही रहा
नहीं समझ पा रहा है तू
है ये तेरे
अस्तित्व पर प्रश्न
तेरी करुणा पर प्रश्न
मान्यता पर प्रश्न
सामर्थ्य पर प्रश्न
देना होगा तुझे उत्तर
इन प्रश्नों का
इस उपेक्षा का
तेरी उदासीनता का
कर्महीनता का
तेरे मौन का
क्यों नहीं किया
तूने न्याय
और
अगर
है ये तेरा प्रतिशोध
तो किनसे
जो ज़िम्मेदार नहीं
व्यवस्था में जिनकी भूमिका नहीं
और
जो हैं ज़िम्मेदार
वह सत्ताधारी तो घूम रहे हैं
घड़ियाली आंसू भर कर
भविष्य के दावे लिए
कोरे से वादे लिए
अभी सुनाई पड़ा मुझे
तेरा क्षीण सा उत्तर
जिसने झकझोर दिया मुझे
मौन कर दिया मुझे .........
"मैं भी तो मरा हूँ
तुम सबके साथ
बार-बार हर बार
मैंने भी झेली है
यह त्रासदी
यह यातना
कभी यहाँ कही वहां
तुम सबके साथ
नहीं है मेरा कोई दोष
है ये प्रकृति का प्रतिशोध
एक विद्रोह उसका
जो है मूल जननी हम सबकी
जिसके आगे मैं भी बेबस हूँ
जो है शोषण की शिकार
जिसके हो सत्ता के साथ-साथ
तुम सब ज़िम्मेदार
कुछ परोक्ष
कुछ अपरोक्ष रूप से
हर तरफ
कभी यहाँ कभी वहां
कभी तीर्थो में
कभी शहरों में
कभी अपने गाँवों में
कभी अपनी-अपनी गलियों में
शोषित किया उसी को
पोषित किया जिसने
तुम सबको
रौंदा उसी को
दोहन किया उसी का
अपने स्वार्थ हेतु
लोभ हेतु
राजनीति हेतु
लालसा हेतु
उसी का है ये विद्रोह
ये प्रतिशोध
एक चेतावनी उसकी
कि बस अब बहुत हो चुका
बस बहुत हो चुका ............
एक बात और
जो तुझसे कहनी है
वह है मेरे और तेरे बीच
नहीं समझ पाया अब तक तू
मेरे मूल स्वरुप को
जो है नितान्त अक्षुण
अकलुषित
तुझसे जुडा हुआ
अभिन्न रूप से
तेरे ही अन्तर्मन में
एक ज्योति पुंज सा
निर्गुण, निर्विकार
निराकार रूप में
स्रोत वही है
उदगम वही
सच्चिदानंद ब्रह्म का
वहीं मिलेगी तुझे
शांति और आनंद
खोज रहा तू जिसे
हर क्षण, हर पल
कभी यहाँ कभी वहां
जन्म-जन्म से
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