Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
नहीं पा सका थाह में उसकी
रहा अपरिचित ,अनजान सा
उसके मनोविज्ञान से
प्रतिक्षण परिवर्तित होते भावों से
अस्थायी रंग और रूपों से,
जहाँ कभी आवेश मुखर होता है ,
कभी स्नेह का ज्वार उमड़ पड़ता है ,
कभी आक्रोश के स्वर सुनाई देते
कभी प्यार का गीत गूंजता है ,
जब तक समर्थन दे पाते उसको,
उसके विशेष भाव को
सहमति के स्वर निकल पाते
तब तक रूप बदल जाता है
क्रोधमयी माँ का ,
स्वरूप बदल जाता है
ममता की भीगी बूंदों से
आक्रोश पिघल जाता है
क्षमा मयी माँ का
वात्सल्य उभर आता है
और हो जाते असफल
सभी प्रयास निष्फल
उससे परिचय के ,
जो दिल है ,
जो माँ का दिल है
.....अरुण