Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
न ये किसी धर्म के है
न किसी जाति के
न प्रदेश के
न देश के
बस सौदागर है
हर राह के
बेजान हो या जानदार
अपनी हो या परायी
बस उसका सौदा
पटना चाहिये
मकसद सधना चाहिये
आकाओं का इरादा होना चाहिये
एक इशारा होना चाहिये
यही शक्सियत है उनकी
यही पहचान है उनकी
कि बस वह एक सौदागर है !!
अफ़सोस की काबिज़ है यही लोग,
उन सभी ठिकानों पर
जो फैसला करते है
तकदीरो का
कभी बाज़ारों की
कभी मुल्कों की
कभी आम आदमी की
कभी उसकी आदमीयत की !!
और फंसे हुये है
उनके माया जाल में
वो सब लोग
जो नहीं जान पाते
उनका मकसद,
सही इरादा
और अनजाने में
मान बैठे हैं
उनको नाख़ुदा
एक ऐसा चेहरा
जो निजात दिलाएगा
उनको हर तकलीफ से
गरीबी से, गम से
दबावों से, तनावों से
और उसी हसीन धोखे में
खेल रहा है उनके हाथों में
पीढ़ी दर पीढ़ी से
पिसा है तो
उनके सौदों के लिये
मरा है तो
उनके वायदों के लिये,
और ये हर बर्बादी के बाद
हर फसाद के बाद
साफ़ निकल जाते है बेदाग़,
क्योंकि उनके चेहरों पर
बहुत खूबसूरत मुखोटे है
जो बड़ा इत्मीनान दिलाते है
कभी रूहानियत का
कभी इन्सानियत का,
कभी नेकदिली का
कभी दरियादिली का
कभी नफासत का
कभी शराफत का
और फोड़ दिया जाता
सारा ठीकरा का
उसके सिर पर
जिसका नाम है आम आदमी
जो ज़ाहिल है, गंवार है
बेपढ़ा है, अदब से बेज़ार है !!