Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
अजीब सा धुंआ
फैलता जा रहा है
चारों ओर
धुंधलाया सा
मटमैला होता हुआ सा
माहौल
लगता है जैसे किसी ने
मासूम फिजाओं में
जहर सा घोल दिया हो
ये धुंआ मुझे कुछ
अलहदा सा लगता है
रोज के धुओं से
कुछ जुदा सा लगता है
क्योंकि इसकी घुटन,
न केवल फेफड़ों को जला रही है
पर कही गहरे उतर कर
अन्तर्मन को भी छीलती जा रही है
क्यूंकर फैला ये धुआं
वो भी शिक्षण संस्थानों में ?
किसने विषाक्त किया
उनके पवित्र परिवेश को
जहाँ रोज़ गुलमोहर खिला करता है
चम्पा औ चमेली से उपवन महका रहता है
इनके बीच कब किसी
कुटिल ने कुछ
विष वृक्षों के बीज बो दिये
चुपके से जाकर रोप दिये
जो माली की ग़फ़लत से
या साठगांठ से
वट वृक्ष बन उभरे है
पर कई मुलमों से पुते है ,रंगे है
इन्ही की आड़ में
वे चतुराई से
दुर्गंध परसा रहे है
फ़िज़ाओ में ज़हर
घोल रहे है
लोकतंत्र में ,
किसी भी प्रजातंत्र में
विरोधी संवादों का स्वागत है
वादविवादो का अभिनन्दन है
गहन मंथन ,पवित्र विवेचन
अनिवार्य है,
नीतियों का,
निर्णयों का,
विश्लेषण
अनिवार्य है
मतमतांतर की प्रवृति
हमारी पोषित पूँजी हैं
समन्वय की संस्कृति
सदियों की अमूल्य धरोहर है
पर इसका आश्रय लेकर
अभियक्ति की आज़ादी
का तर्क़ देकर
राष्ट्र की एकता का,
अखण्डता व् अस्मिता का
सौदा न होना चाहिये
तिरंगे का परचम
नीलाम न होना चाहिये
देश द्रोह के ये नारे भटकाव नहीं लाने पाये
राष्ट्र प्रगति में बाधक न होने पाये
इस विषैले धुँए को अभी आत्मसात करना होगा
अभी नीलकंठ को फिर से विष पीना होगा
कुछ गिने चुने से तत्वों को पहले
अलग थलग करना होगा
युवाओं को चिंतन का
मन की बातें कहने का अवसर भी देना होगा
क्षुद्र राजनीति की आहुति देनी होगी
रूठों के दिल से, दिल से बातें करनी होगी
सरकारें आयें या जाएं
राष्ट्र विकास के पथ पर है
समग्र क्रांति के रथ पर है
साथ चलेंगे ,साथ रहेंगे
यही शपथ हो
सबका विकास हो
देश प्रथम हो
यही लक्ष्य हो