Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
माना तेरी बिसात के मोहरे ही सही
फिर भी ख्वाहिशो पर बस नहीं है अपना !!
तेरे रहमोकरम के हमेशा से तलबगार
पर तवज्जो पे तेरी अख्तियार नहीं है अपना !!
तू निगाहेंकरम करे या न करे ये तेरा फैसला है
तेरे ही रंग में रहूँ सराबोर, यही जुनून है अपना !!
मोहब्बत के आगोश में अपने समा ले या न समाये, तेरी मर्जी है
‘दरिया-ए–मोहब्बत’ में बस फ़ना हो सकूँ, यही तसव्वुर है अपना !!
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उसके वजूद को बस यू समझना चाहिए
'खाना है दिल में' उसको ढूंढा चाहिए !!
'राहे ए फना में' बस 'याद-ए-खुदा' रहे
आरजू यही है कि दिल में वो बसा रहे !!
ज़िन्दगी की शाम में बस यही सकुन है
चलते-चलते, राहबर की पहचान हो गयी !!
--अरुण