Indore Talk recently interviewed me on IIST's COVID readiness plan
सब कुछ अधूरा सा लगता है
सब तरफ
कर्म हो या चिंतन
लेखन हो या कथन
कला हो या अध्यात्म
भाव हो या मंथन
बस अधूरा सा लगता है ।
कहाँ गए वो मनीषी
जिनके कथन में सत्यता थी
परिपूर्णता थी
संकल्प था
संदेश था
बस रह गए शेष
अपूर्ण सा कथन,
छद्म सा चिंतन
करते वक्ता
सतही ज्ञान बांटते
चिंतक, हर समस्या का,
जिन्हे बस नाम चाहिए,
या एक पहचान चाहिए
एक तमगा सा लग जाये
विद्यजन होने का !!
बस इसी में खो जाते हैं
सब सत्य
सारे घटनाक्रम
सारे विवरण
सारे तथ्य
रह जाती हैं बस
धुंधली सी तस्वीरें
अधूरी सी व्याख्यायें
बेमानी से उत्तर
नहीं हो पाता
शुद्ध चिंतन
गहन मंथन
पवित्र विवेचन
विशद समस्याओं का,
जीवन की जटिलतायों का,
व्यक्ति की अस्मिता का,
समाज की विषमताओं का,
और अनुतरित रह जाते हैं
सारे प्रश्न
सारी जिज्ञासायें
जिनका निदान जरूरी है
व्यष्टि के लिए
समष्टि के लिए
मानव के लिए
मानवता के
अस्तित्व के लिए