श्रीकृष्णग्राम-खनवाँ को आदर्श गांव बनाने की एक अनुठी परियोजना का पहल
उपेक्षित पड़ी है बिहार केसरी की जन्मस्थली
श्रीबाबू की गर्भगृह की स्थिति बिल्कुल ही दयनीय है। उनके परिवार के लोगों ने वो कमरा जहाँ उन्होंने जन्म लिया था वो जमीन बिहार सरकार के नाम पर कर दी गई है लेकिन अभी तक गर्भगृह के संरक्षण के लिए सरकार की ओर को कोई भी प्रयास नहीं किया जा सका है।
खनवाँ के श्रीबाबु की जन्मस्थली के बाबजूद वहाँ उनकी आदमकर की प्रतिमा तक नहीं है। खनवाँवासी चाहते है कि यह बिहार सरकार इसे प्राथमिकता दे और के प्रयास से हो । अगर कल्याण बिगहा (नीतीश कुमार के गांव) एवं फुलवरीया (लालूजी का गांव) का विकास के लिए सरकारी खजानों का उपयोग हो सकता है और होना भी चाहिए तो क्या महान स्वतंत्रता सेनानी, आधुनिक बिहार के निर्माता एवं बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री के जन्मस्थली का विकास क्यो नहीं हो । अभी तक सरकार क्यो सुस्त पडी है।
दुसरी ओर कई नेताएं समय पड़ने पर श्रीबाबू के नाम का प्रयोग करते रहते है लेकिन जब सता में होते है तो उन्हें जो करना चाहिए वो नहीं करते है । कई नेताओं के द्वारा आजतक झूठा अश्वासन खनवाँ को उचित सम्मान दिलाने के लिए किया गया है लेकिन सभी लोग अपने वादाओं को पूरा करने में असफल रहें । श्रीबाबू की सिर्फ जयन्ती एवं पूण्यतिथि मना लेने से काम पूरा नहीं होगा वैसे लोग के आदर्श अनुकरणीय है। खनवां बिहार के राजनीत खानदान की मॉ है । जयन्ती एवं पूण्यतिथि का कार्यक्रम सभी क्षेत्रो में हो यह गौरव का विषय है लेकिन खनवां को ना भूला जाय और इसको उचित सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष करें ।
जब आधुनिक बिहार के निर्माता की ही जन्म स्थली उपेक्षित है, तो बिहार के अन्य गाँव की स्थिति इससे भली भाँति समझी जाएगी ।
जहाँ तक एक सवाल हो सकता है की क्या उनका गर्भगृह और आदमकद की प्रतिमा स्वयं ग्रामवासी अपने सामूहिक प्रयास से नहीं कर सकते है। अगर यह विषय बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीबाबू का नहीं होता तो निश्चित खनवां गांव के लोग ही अपने आप में सक्षम है इसे बना देने के लिए लेकिन यह विषय सम्मान से जुड़ा हुआ है और बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री की जन्मस्थली को बिहार सरकार की ओर से सम्मान मिलना चाहिए । और जबतक यह सम्मान नही मिलता है समस्त बिहारवासी इस संघर्ष से जुडे़ ।