Units and Measurements

परिचय (Introduction)

एक राशि को यदि भौतिक राशि ( Physical Quantity) कहा जाता है, तो इसका भौतिक अर्थ होना चाहिए। यदि उसे किसी प्रत्यक्ष विधि द्वारा नहीं मापा जा सकता है, तो इसके मापन के लिए कुछ अप्रत्यक्ष विधि होनी चाहिए।

मात्रक (Measurement) – ‘मात्रक’ किसी वस्तु के आकार / परिमाण का निर्धारण है। किसी अज्ञात मात्रा का मान ज्ञात करने के लिए, समान प्रकृति के कुछ मानक मात्रा के साथ तुलना की जाती है व उस अज्ञात मात्रा का भी मान ज्ञात कर लिया जाता है, जिसे मापन इकाई के रूप में जाना जाता है । मात्रक को "अज्ञात मात्रा की तुलना कुछ ज्ञात मात्रा के साथ तुलना "के रूप में भी किया जा सकता है। किसी वस्तु के मापन में निम्न शामिल हैं: (1) - माप की इकाई (२) – वस्तु के विभिन्न आयामों को नापने के लिए ईकाईयों के प्रकार । मापन किसी भी अन्य वैज्ञानिक विषय की तरह भौतिकी का एक अभिन्न अंग है।

ईकाई (Unit) - किसी भी भौतिक राशि की ना-तौल के लिए यह आवश्यक कि हम नाप-तौल का कोई साधन निर्धारित करें । इस उद्‌देशय के लिये निर्धारित किए गए किसी सुविधाजनक सधान को हम माप-दंड स्वीकार कर लेते हैं । इस मापदण्ड को हम कुछ ऐसे अंशों में विभाजित कर लेते हैं, जो गणना में सुविधाजनक हो । इस तरह के विभाजित किए गए अंश को हम ईकाई कहते हैं इन ईकाईयों को हम और भी छोटे-छोटे अंशों में विभाजित कर लेते है, जिससे की कम परिमाण की राशियों को नापी जा सकें । उदाहरण के लिए, लम्बाई नापने हेतु एक माप-दण्ड स्थापित किया जिसे मीटर कहते है । इस मीटर को 100 बराबर अंद्गों में विभक्त किया व इस एक अंश को सेन्टीमीटर कहा और भी छोटी-छोटी लम्बाईयॉ नापने के लिये सेन्टीमीटर को 10 बाराबर अंशों में विभक्त किया जिसे मिलीमीटर कहा ।

अंक व ईकाई (Number & Unit) - किसी माप की पूरी जानकारी के लिए हमें दो बातें जानना आवश्यक हैं । वे है - अंक व ईकाई । इसे एक उदाहरण की सहायता से भली-भॉति समझ सकते है । मान लीजिए हमें एक टेबिल की लम्बाई नापना है । यदि हम कहें की लम्बाई 2 मीटर या 2 फीट है, अर्थात किसी माप को व्यक्त करने के लिये ईकाई का उल्लेख करना अनिवार्य है । इसी प्रकार हम देखतें है कि यदि हम केवल कहें कि टेबिल की लम्बाई मीटर है या फीट है तो हमारे मन में एक जिज्ञासा शेष रहती है और हम जानना चाहते है कि कितने मीटर या कितने फीट है, अर्थात हमें एक अंक की आवश्यक ता प्रतीत होती है । जब अंक और ईकाई दोनों व्यत किए जाते है तो उस माप की यथार्थ जानकारी होती हैं ।

  1. ईकाई की वॉंछनीय विशेषताऐं - ईकाई निर्धारित करते समय निम्न विशेषताऐं होनी चाहिए -

  2. ईकाई की परिभाषा सरल और संदेह रहित हो ।

  3. उसके परिमाण में समय के साथ परिवर्तन न हो ।

  4. उसी प्रकार की दूसरी ईकाई के साथ सरलता पूर्वक तुलना करने योग्य हो ।

  5. सरलतापूर्वक दर्शायी जा सकें ।

मापन की इकाई की प्रणाली ( System of measurement of Units)

मापन शब्द में प्रयुक्त प्रणाली के विभिन्न मानक और इकाई हैं। माप की कुछ सामान्य प्रणाली हैं:

CGS इकाई प्रणाली

CGS इकाई प्रणाली में, लंबाई को सेंटीमीटर में मापा जाता है, द्रव्यमान को ग्राम में मापा जाता है और समय को सेकेंड में मापा जाता है ।

FPS इकाई प्रणाली

FPS प्रणाली में, लंबाई को फ़ुट में मापा जाता है, द्रव्यमान को पाउंड में मापा जाता है और समय को सेकेंड में मापा जाता है।

MKS इकाई प्रणाली

MKS प्रणाली में, लंबाई को मीटर में मापा जाता है, द्रव्यमान को किलोग्राम में मापा जाता है और समय को सेकेंड में मापा जाता है।

मौलिक और व्यतुपन्न ईकाईयॉ (Fundamental and Derived Units)

मूलभूत ईकाईयों के रूप में कुछ ईकाईयों का चयन करने की आवश्यकता यह है कि मापी जाने वाली आवश्यक भौतिक ईकाईयों की संख्या बहुत अधिक है। यदि उनमें से प्रत्येक के लिए एक अलग ईकाई परिभाषित की जाती है, तो उन सभी को याद रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वे एक-दूसरे से काफी असंबंधित होंगे।

लम्बाई (Length) – दो बिंदुओं के मध्य की दूरी को लम्बाई कहते हैं । लम्बाई की एस.आई. ईकाई मीटर है । 01 मीटर लम्बाई किर्पटॉन डिस्चार्ज लैम्प में किर्पटॉन अणु -86 द्वारा उत्सर्जित केसर-लाल रंग के प्रकाश की तरंग दैर्ध्य 1,650,763.73 के बराबर होती है ।

द्रव्यमान (Mass) – किसी पिंड में निहित द्रव्य की कुल मात्रा को द्रव्यमान कहते हैं । द्रव्यमान की एस.आई. ईकाई किलोग्राम है । 01 किलोग्राम बराबर होता है अंतराष्ट्रीय प्रोटोटाईप ‘किलोग्राम’ ( एक प्लेटीनियम – इरीडियम मिश्र धातु सिलिंडर) के द्रव्यमान के बराबर है जो कि पेरिस ( फ़्रांस) के पास ‘बॉट और माप’ के अंतराष्ट्रीय ब्युरो पर मापा गया है ।

तापमान (Temperature) - तापमान की ईकाई केल्विन है । 01 केल्विन से आश्य है कि जल के त्रिक बिंदु का 1/273.15 वॉ भाग ।

समय (Time) – समय की इकाई सेकेण्ड है । सन 1960 तक मानक समय औसत दिवस पर आधारित था, प्रत्येक दिवस पृथ्वी की देशांतर रेखा पर सूर्य के उच्चतम बिंदु के क्रमिक अंशों के बीच का समय अंतराल से ही समय की गणना की जाती थी । फ़िर इसका 01 वर्ष के लिए औसत निकाल लइया जाता था । 1967 में, दूसरी बार एस. आई. इकाई के लिए एक परमाणु मानक अपनाया गया था । एक मानक सेकंड (one standard second) , ग्राउंड स्टेट पर सीज़ियम -133 परमाणु के हाइपरफाइन स्तरों के बीच अपुष्ट विकिरण 9 192 631 770 में लगे समय के बराबर होता है । परमाणु घड़ियाँ इसी पर आधारित हैं। परमाणु घड़ियों में, एक सेकंड की त्रुटि केवल 5000 वर्षों में एक बार होती है।

विद्युत धारा (Electric Current) – विद्युत धारा की ईकाई एम्पीयर है । यदि दो तारों को निर्वात में एक-दूसरे के सामांतर 01 मीटर की दूरी पर रखा जावे और धारा प्रवाहित की जावे तो तारों पर 2 x 10-7 न्यूटन प्रति मीटर का बल आरोपित होगा, तो तारों में प्रवाहित विद्युत धारा को 01 एम्पीयर विद्युत धारा कहा जावेगा ।

प्रकाश तीव्रता (Light Intensity) – प्रकाश तीव्रता की ईकाई केन्डेला है । यदि कोई बिंदु प्रकाश स्त्रोत 540 x 1012 आवृति का एकवर्णीय प्रकाश उत्सर्जित कर रहा हो व विकिरण की तीव्रता 1/683 बार प्रति स्टेरेडियन हो तो प्रकाश तीव्रता को 01 केन्डेला कहा जावेगा ।

तत्व की मात्रा ( Amount of Matter) – तत्व की मात्रा की ईकाई ‘मोल’ है । 01 मोल पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतने तत्वों की संख्या होती है, जितने कार्बन -12 के 0.012 किलोग्राम में परमाणु की संख्या होती है ।

एस.आई. ईकाई प्रणाली (S.I. Unit System)

ईकाई की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली (System of International Units) ईकाइयों की अन्तरर्राष्ट्रीय प्रणाली मीट्रिक प्रणाली का आधुनिक रूप है पेरिस की छोटी सी एजेंसी- इन्टरनेशलन ब्यूरों ऑफ वेट्‌स एंड मेजरमेन्टस द्वारा एस आई ईकाई निर्धारित किए जाते हैं । एक आई एस प्रणाली निरंतर रूप से विकसित होती प्रणाली है । अन्तरराष्ट्रीय समझौते के माध्यम के उपसर्गो व ईकाईयों की परिभाषा में संशोधन व शुद्वता माप, सुधार के लिए, होता रहता है । एस. आई. माप दुनिया की सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली प्रणाली है । इनका उपयोग वाणिज्य व विज्ञान में हर रोज किया जाता है । वे ईकाईयो, जो मौलिक ईकाईयों पर अधारित होती है । व्युत्पन्न ईकाईयों कहलाती है । उदाहरण के लिए क्षेत्रफल की ईकाई वर्ग मीटर व्युत्पन्न ईकाई है क्योंकि इसे लम्बाई की ईकाई मीटर में दर्शातें है । इसी प्रकार वेग की ईकाई मीटर/सेकण्ड व्युत्पन्न ईकाई है क्योंकि इसे लम्बाई व समय की ईकाईयों के कारण दर्शाया जाता हैं ।

SI प्रणाली में प्रत्येक मौलिक मात्रा की एक संबंद्व ईकाई है ।

एस.आई. ईकाई प्रणाली के लाभ (Advantages of S.I. Unit System)

एस.आई. के लाभ निम्नानुसार हैं:

  1. S.I का व्यापक आधार है। इसकी सात आधार ईकाईयाँ और दो पूरक ईकाईयाँ हैं।

  2. S.I तर्कसंगत है, अर्थात, यह किसी भी प्रकार की ऊर्जा के लिए एक इकाई देता है, जैसे, किसी भी प्रकार की ऊर्जा के लिए, अर्थात, यांत्रिक या ऊष्मा या विद्युत उर्जा के लिए केवल एक इकाई जूल (J) है ।

  3. S.I प्रणाली सुसंगत है क्योंकि SI में, सभी व्युत्पन्न ईकाईयों को मूल और पूरक ईकाईयों को गुणा और विभाजित करके प्राप्त किया जा सकता है और कोई संख्यात्मक कारकों को पेश करने की आवश्यकता नहीं होती है।

  4. S.I प्रणाली मीट्रिक है।

  5. S.I. प्रणाली M.K.S. प्रणाली का आधुनिक और बेहतर रूप है, इसलिए यह दुनिया के लगभग सभी देशों में आसानी से स्वीकार की जाती है।

  6. S.I. प्रणाली द्वारा तय किए गए प्रतीक अपरिवर्तनीय हैं ।

एस. आई. ईकाईयों के गुणक और उप- गुणक (Multiples and submultiples of SI units)

एस. आई. ईकाईयों के गुणकों और उप- गुणकों को इकाई के प्रतीक के लिए उपयुक्त उपसर्ग संलग्न करके संकेतित किया जाता है। उपसर्गों को रोमन वर्णों के रूप में मुद्रित किया जाता है, जो इकाई के प्रतीक के साथ जुड़े होते हैं । अधिकांश इकाई उपसर्ग बड़े अक्षर हैं [ अपवाद डेका (da), हेक्टो (h) और किलो (k) ] । सभी बहुखंडीय उपसर्ग छोटे वर्ण के होते हैं । उपसर्ग हमेशा छोटे अक्षर से लिखे जाते हैं जबतक कि वे एक वाक्य की शुरुआत में इस्तेमाल न हो रहें हों । सभी गुणक और उप-गुणांक दस के पूर्णांक में होते हैं । निम्न तालिका आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले सामना करने वाले गुणक और उप- गुणक उपसर्गों को सूचीबद्ध करती है।

व्युत्पन्न मात्रा और उनकी ईकाईयाँ

एस.आई. ईकाईयों और उनके प्रतीकों को लिखने के लिए नियम ( Rules for writing SI units and their symbols )

  1. वैज्ञानिक के नाम वाली ईकाईयों के प्रतीकों को बड़े अक्षर से लिखा जाना चाहिए | उदाहरण के लिए: न्यूटन के लिए N , हेनरी के लिए H, वाट के लिए W

  2. छोटे अक्षरों का उपयोग उन ईकाईयों के लिए प्रतीक के रूप में किया जाता है, जो कि व्युत्पन्न नहीं हैं । उदाहरण के लिए: मीटर के लिए m, किलोग्राम के लिए kg

  3. प्रतीकों के अंत में कोई पूर्ण विराम या अन्य विराम चिह्न का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए | उदाहरण के लिए: 50 m परंतु 50 m. नहीं ।

  4. ईकाईयों के प्रतीक बहुवचन रूप में नहीं लिखे जाते हैं । उदाहरण के लिए: 10 kg परंतु 10 kgs नही ।

  5. जब तापमान को केल्विन में व्यक्त किया जाता है, तो डिग्री चिन्ह नही लगाया जाता है । उदाहरण के लिए: 273 K परंतु 2730 K नही ।

  6. केवल एक अक्षर इकाई प्रतीक के किसी अन्य इकाई प्रतीक के विभाजन को इंगित करने के लिए सॉलिडस का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है। एक से अधिक सॉलिडस का उपयोग नहीं किया जाता है । उदाहरण के लिए: m s-1 या m/s; J / K mol या J K-1 mol-1

  7. ईकाई और प्रतीक के बीच कुछ स्थान को हमेशा छोड़ना चाहिए और यौगिक ईकाईयों आदि के बीच भी छोड़ना चाहिए जैसे बल, संवेग आदि । उदाहरण के लिए 2.3 m; kg m s-2 परंतु kgms-2 नही ।

  8. केवल स्वीकृत प्रतीकों का उपयोग किया जाना चाहिए । उदाहरण के लिए: एम्पीयर को A के रूप में दर्शाया गया है और amp के रूप में नहीं । सेकंड को s के रूप में दर्शाया गया है और sec के रूप में नहीं ।

  9. किसी भी भौतिक मात्रा का संख्यात्मक मान वैज्ञानिक संकेतन में व्यक्त किया जाना चाहिए । उदाहरण के लिए, पारा का घनत्व है 1.36 × 104 kg m-3 । इसे 13600 kg m-3 में व्यक्त नही किया जा सकता ।

परिशुद्धता और यथार्थता ( Accuracy and Precision)

परिशुद्धता (Accuracy), ज्ञात माप के लिए निकटता को संदर्भित करता है। उदाहरण के लिए, यदि लैब में आप किसी दिए गए पदार्थ के लिए 3.2 किलोग्राम वजन मापते हैं, लेकिन वास्तविक या ज्ञात वजन 10 किलोग्राम है, तो आपका माप सही नहीं है। इस मामले में, आपका माप, वास्तविक ज्ञात मूल्य के करीब नहीं है । परिशुद्धता (Accuracy) एक दूसरे से दो या अधिक मापों की निकटता को संदर्भित करता है। ऊपर दिए गए उदाहरण का उपयोग करते हुए, यदि आप किसी दिए गए पदार्थ का वजन पांच बार निकालते हैं और हर बार आप 3.2 किलोग्राम प्राप्त करते हैं, तो आपका माप बहुत सटीक है । परिशुद्धता (Accuracy) यथार्थता (Precision) से स्वतंत्र होता है । आप बहुत परिशुद्ध लेकिन यथार्थता (Precision) से दूर हो सकते हैं । इसी तरह आप यथार्थ हो सकते हैं लेकिन परिशुद्ध नही, जैसा कि ऊपर वर्णित है।

उदाहरण के लिए, यदि औसतन, किसी दिए गए पदार्थ के लिए आपका माप मान के करीब हैं, लेकिन माप एक दूसरे से बहुत दूर हैं, तो आपके पास परिशुद्धता (Accuracy) तो है परंतु यथार्थता (Precision) नही ।

परिशुद्धता (Accuracy) और यथार्थता (Precision) को समझने के लिए कल्पना करें कि कोई बास्केट बॉल खिलाड़ी बास्केट में बॉल डाल रहा है । यदि खिलाड़ी परिशुद्धता (Accuracy) या सटीकता के साथ बॉल फ़ेंकता है तो बॉल हमेशा गेंद को बॉस्केट में या उसके करीब जाएगी । यदि खिलाड़ी यथार्थता (Precision) के साथ बॉल फ़ेंकता है, तो हमेशा गेंद किसी निश्चित स्थान पर ही जाएगी, चाहे वह स्थान बॉस्केट के करीब हो या बॉस्केट से दूर । एक अच्छा खिलाड़ी गेंद को हर बार और बॉस्केट में डालता है तो कहा जावेगा की उसके पास परिशुद्धता (Accuracy) भी है और यथार्थता (Precision) भी ।

अतः कहा जा सकता है कि यथार्थता (Precision) माप के स्तर का वर्णन है जो दोहराया जाने पर लगातार एक समान परिणाम देता है अर्थात मापित मान, वास्तविक मान के कितने निकट है जबकि परिशुद्धता (Accuracy) माप का एक स्तर है जो सही और सुसंगत परिणाम देता है । परिशुद्धता (Accuracy) किसी माप की निकटता का परिणाम है; यथार्थता (Precision), माप के परिणाम की पुनरावृत्ति है । एक मापक यंत्र / प्रणाली को वैध माना जाता है यदि उसके पास परिशुद्धता (Accuracy) और यथार्थता (Precision) दोनो हैं ।

परिशुद्धता (Accuracy) और यथार्थता (Precision) का तुलनात्मक चार्ट

इसलिए, यदि वास्तविक माप परिशुद्ध और यथार्थ है, तो परिणाम त्रुटियों से मुक्त होगा । यदि वास्तविक माप यथार्थ है लेकिन परिशुद्ध नही है, तो अपेक्षित परिणाम वास्तिविकता से दूर होगा । यदि वास्तविक परिणाम परिशुद्ध है लेकिन यथार्थ नही है, तो माप में भारी भिन्नताएं होंगी । और अंत में, यदि परिशुद्धता (Accuracy) और यथार्थता (Precision) दोनों नही हैं तो तब परिणाम में एक ही समय में शुद्धता और सटीकता की कमी होगी ।

उपकरणों की यथार्थता (Precision of Instruments)

उपकरणों की माप प्रणाली की सटीकता यह संदर्भित करती है कि दोहराया माप (जो समान शर्तों के तहत दोहराया जाता है) के बीच कितनी समानता है । उपकरणों की मापन क्षमता कई कारकों पर निर्भर करती सकती है, जिनमें मापक यंत्रों का विभेदन या सीमा भी सम्मलित होती है । उदाहरण के लिए कागज की लम्बाई को मापने के लिए स्केल का इस्तेमाल किया जाता है । मापों की यथार्थता (Precision) से आश्य होगा कि मापा गए मान की सीमा ( range) का प्रसार कहॉ तक हुआ है । मापों की शुद्धता का विश्लेषण करने का एक तरीका यह होगा कि सबसे कम और उच्चतम माप मानों के बीच सीमा या अंतर का निर्धारण किया जाए । माना कि इस कागज की लम्बाई का न्यूनतम मान 10.9 से.मी. है और अधिकतम मान 11.2 से.मी. है । इस प्रकार, माप के प्रसार का अंतर एक - दूसरे से 0.3 से.मी. है । इन मापों को अपेक्षाकृत यथार्थ माना जा सकता है क्योंकि उनमें बहुत अधिक भिन्नता नही है । हालाँकि, अगर मापा 10.9, 11.1 और 11.9 होता, तो माप बहुत यथार्थ नहीं माने जाते क्योंकि एक माप से दूसरे माप में बहुत भिन्नता देख रही है ।

एक मौजूदा रेस्तरां को उदाहरण के तौर पर लेवें व यह दर्शित GPS मैप के केंद्र पर स्थित है । GPS मैप के माध्यम से इसे खोजने का प्रयास करें व प्रत्येक प्रयास को ब्लैक डॉट के रूप में इंगित किया गया है । निम्न चित्र में, आप देख सकते हैं कि GPS माप एक दूसरे से बहुत दूर फैले हुए हैं, लेकिन वे सभी लक्ष्य के केंद्र में स्थित रेस्तरां के वास्तविक स्थान के करीब हैं । यह एक कम परिशुद्धता (Accuracy), उच्च यथार्थता (Precision) प्रणाली को इंगित करता है।

चित्र – GPS मैप द्वारा केंद्र में स्थित एक रेस्तरां का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। ब्लैक डॉट्स रेस्तरां के स्थान को इंगित करने के लिए किए गए प्रत्येक प्रयास को इंगित करते हैं । डॉट्स एक दूसरे से काफी दूर तक फैले हुए हैं परंतु केंद्र से करीब हैं । यह अधिक परिशुद्धता (Accuracy), कम यथार्थता (Precision) प्रणाली को इंगित करते हैं ।

हालांकि, निम्न चित्र में, GPS माप एक दूसरे के काफी निकट केंद्रित हैं, लेकिन वे लक्ष्य स्थान से बहुत दूर हैं। यह एक कम परिशुद्धता (Accuracy), अधिक यथार्थता (Precision) प्रणाली को इंगित करता है।

चित्र – GPS मैप द्वारा केंद्र में स्थित एक रेस्तरां का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। ब्लैक डॉट्स रेस्तरां के स्थान को इंगित करने के लिए किए गए प्रत्येक प्रयास को इंगित करते हैं । डॉट्स एक दूसरे के निकट हैं परंतु केंद्र से दूर हैं । यह कम परिशुद्धता (Accuracy), अधिक यथार्थता (Precision) प्रणाली को इंगित करते हैं ।

मापन में त्रुटियां ( Errors in Measurement)

एक माप विश्वसनीय माना जावेगा है यदि यह परिशुद्ध होने के साथ-साथ यथार्थ भी हो । माप में त्रुटि, वास्तविक मान से मापी गई माप का विचलन है | मापा गया मान जितना कम परिशुद्ध होगा, परिणाम में उतनी ही अधिक त्रुटि होगी ।

एक माप में त्रुटि इसके मान में अनिश्चितता दर्शाती है । यह वह मान या रास्गि होती है जो वास्तविक मान से कम या अधिक हो सकती है । इसे मात्रा के प्रतीक से पहले एक डेल्टा चिह्न लगाकर दर्शाया जाता है जैसे Δa एक मात्रा का वह प्रतीक है जो त्रुटि को दर्शाता है। त्रुटियों को निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • निरंतर त्रुटि ( Constant Error)

  • क्रमबद्ध त्रुटि (Systematic Error)

  • यादृच्छिक त्रुटि (Random Error)

  • निरपेक्ष त्रुटि (Absolute Error)

  • औसत निरपेक्ष त्रुटि (Mean Absolute Error)

  • सापेक्ष त्रुटि (Relative Error)

  • प्रतिशत त्रुटि (Percentage Error)

निरंतर त्रुटि ( Constant Error)

जब पर्यवेक्षण की श्रृंखला के परिणाम में एक समान राशि की ही त्रुटि पाई जाती है, तो इस प्रकार की त्रुटि को निरंतर त्रुटि कहा जाता है । उदाहरण के लिए, वर्नियर कॉलिपर्स द्वारा सिलेंडर की लंबाई को मापने में, जिनके अंशांकन दोषपूर्ण हैं, माना कि 1 सेंटीमीटर वास्तव में 0.9 सेंटीमीटर मापता है तो मापी गई लम्बाई हमेशा एक स्थिर राशि से कम होगी । निरंतर त्रुटि से बचने के लिए, भौतिक माप यथासंभव विभिन्न तरीकों से किए जाते हैं।

क्रमबद्ध त्रुटि (Systematic errors)

ऐसी त्रुटियों में, माप एक निश्चित राशि से वास्तविक मान से कम या ज्यादा हो जाता है। इसलिए इन त्रुटियों की भविष्यवाणी की जा सकती है। एक गलत उपकरण, माप के समय भौतिक स्थितियों में परिवर्तन, मानवीय त्रुटि आदि क्रमबद्ध त्रुटियों के मुख्य कारण हैं । मूल रूप से, ये त्रुटियां हैं जिनके कारण ज्ञात हैं:

a) यंत्र (उपकरण) त्रुटि

ये त्रुटियां मापने के उपकरण के अपूर्ण डिजाइन या अंशांकन, उपकरण में शून्य त्रुटि आदि के कारण उत्पन्न होती हैं।

उदाहरण के लिए, थर्मामीटर के तापमान को अपर्याप्त रूप से कैलिब्रेट किया जा सकता है [ यह STP (मानक तापमान और दबाव) पर पानी के क्वथनांक पर 103 ° C पढ़ा जाता है जबकि इसे 100 ° C पढ़ा जाना चाहिए ।

वर्नियर कैलिपर में वर्नियर स्केल का शून्य चिह्न मुख्य पैमाने के शून्य चिह्न के साथ मेल नहीं खाता है तो भी यह उपकरण त्रुटि होगी ।

b) प्रायोगिक तकनीक या प्रक्रिया में त्रुटि

मानव शरीर के तापमान को नापने के लिए हाथ के बाजू के नीचे रखा थर्मामीटर हमेशा शरीर के तापमान के वास्तविक मान से कम तापमान देगा। प्रयोग के दौरान अन्य बाहरी परिस्थितियों (जैसे आर्द्रता, तापमान, हवा के वेग में परिवर्तन आदि) व्यवस्थित रूप से माप को प्रभावित कर सकते हैं ।

c) व्यक्तिगत त्रुटि

इस तरह की त्रुटियां किसी व्यक्ति के पूर्वाग्रह के कारण उत्पन्न होती हैं, तंत्र की समुचित सेटिंग का अभाव या व्यक्तिगत सावधानी बरतने में या लापरवाही बरतने में या बिना उचित सावधानी बरतने के कारण यह त्रुटि उत्पन्न होती है । उदाहरण के लिए, यदि आप, आदत के कारण, हमेशा अपने सिर को थोड़ी उपर दाईं ओर रखते हैं तो किसी उपकरण की सुई को पढ़्ने के लिए आप लंबन के कारण त्रुटि उतपन्न करेंगें ।

यादृच्छिक त्रुटि (Random Error)

ये त्रुटियां अज्ञात स्रोतों के कारण होती हैं । इस प्रकार की त्रुटियां के निवारण के लिए कई बार रीडिंग ली जाती है और उनका औसत निकाल लिया जाता है ।


निरपेक्ष त्रुटि (Absolute Error)

माना कि वास्तविक मान am है, तो किसी माप में निरपेक्ष त्रुटि a1 दर्शित की जाती है Δa1 = |am–a1|

सामान्य तौर पर हम कह सकते हैं कि निरपेक्ष त्रुटि an होगी Δan = |am–an|

माना कि किसी व्यक्ति की लम्बाई मापने में निरपेक्ष त्रुटि होगी

|183 cm – 195 cm| = वास्तविक लम्बाई 195 cm के लिए निरपेक्ष त्रुटि Δa1 = 12 cm होगी

|197 cm – 183 cm| = वास्तविक लम्बाई 197 cm के लिए निरपेक्ष त्रुटि Δa2 = 14 cm होगी

|183 cm – 195.3 cm| = वास्तविक लम्बाई 183 cm के लिए निरपेक्ष त्रुटि Δa3 = 12.3 cm होगी

|183 cm – 196.1 cm| = वास्तविक लम्बाई 183 cm के लिए निरपेक्ष त्रुटि Δa4 = 13.1 cm होगी

जब दो राशियों को जोड़ा या घटाया आता है तो, अंतिम परिणाम में कुल निरपेक्ष त्रुटि भी दोनों राशियों की अलग-अलग निरपेक्ष त्रुटि के जोड़ या अन्तर के बराबर होगी ।

Δan = |am + an| या Δan = |am– an|


औसत निरपेक्ष त्रुटि (Mean Absolute Error)

यदि मान a1, a2, a3 a4 के लिए निरपेक्ष त्रुटि Δa1, Δa2, Δa3 , Δa4 ……… Δan है तो औसत निरपेक्ष त्रुटि होगी

औसत निरपेक्ष त्रुटि ={ |Δa_1 | +| Δa_2 | +|Δa_3 |+|Δa_4 |+ ........+|Δa_n |} / n

समझने के लिए उपरोक्त उदाहरण के मामले में औसत निरपेक्ष त्रुटि होगी = [ 12+14+12.3+13.1 ] /4 = 12.85 से.मी.

सापेक्ष त्रुटि (Relative Error)

औसत निरपेक्ष त्रुटि और वास्तविक मान का अनुपात सापेक्ष त्रुटि होती है ।

सापेक्ष त्रुटि=(औसत निरपेक्ष त्रुटि (Mean Absolute Error))/(वास्तविक मान (True Value) a_m )

उपरोक्त उदाहरण में प्रथम केस के लिए सापेक्ष त्रुटि होगी = 12.85 / 183 = 0.07022 से.मी.


प्रतिशत त्रुटि (Percentage Error)

प्रतिशत त्रुटि को प्रतिशत के संदर्भ में व्यक्त करने के लिए सापेक्ष त्रुटि से प्राप्त किया जाता है यानि कि

प्रतिशत त्रुटि (Percentage Error)= सापेक्ष त्रुटि (Relative Error)×100%

उपरोक्त उदाहरण में प्रथम केस के लिए प्रतिशत त्रुटि होगी = 0.07022 x 100% = 7.022 %

त्रुटि का अनुमान (Estimation of Errors)

हम चाहेंगे कि आप माप के बारे में सोचें और त्रुटि का अनुमान लगाने के बारे में कुछ राय बनाएं। संभवतः कई स्वीकार्य तरीके होंगे। कोई "सर्वश्रेष्ठ" विधि नहीं हो सकती है। कभी-कभी "सर्वश्रेष्ठ" राय का विषय होता है। माप की त्रुटि का अनुमान लगाने का प्रयास करते समय, यह निर्धारित करना अक्सर महत्वपूर्ण होता है कि त्रुटि के स्रोत क्रमबद्ध या यादृच्छिक हैं या नहीं। एक एकल माप में कई त्रुटि स्रोत हो सकते हैं, और ये मिश्रित और यादृच्छिक त्रुटियाँ हो सकती हैं। यादृच्छिक त्रुटि की पहचान करने के लिए, माप को कई बार दोहराया जाना चाहिए। यदि मान स्पष्ट रूप से प्रत्येक दोहराया माप के साथ यादृच्छिक रूप से बदलता है, तो संभवतः यह यादृच्छिक त्रुटि है। यादृच्छिक त्रुटि को अक्सर माप के मानक विचलन द्वारा निर्धारित किया जाता है। ध्यान दें कि अधिक संख्या में माप करने से यादृच्छिक त्रुटि अधिक सटीक रुप से प्राप्त होती है ।

क्रमबद्ध त्रुटि का पता लगाना अधिक कठिन है। विधि और उपकरण का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए । मान्यताओं और निर्भरता की जाँच होनी चाहिए । यदि संभव हो तो, एक ही मात्रा वाली सामग्री का माप, अलग-अलग विधि द्वारा करने पर क्रमबद्ध त्रुटि का पता किया जा सकता है । एक क्रमबद्ध त्रुटि प्रयोग करने वाले के लिए विशिष्ट हो सकती है। विभिन्न प्रकार के प्रयोगकर्ताओं द्वारा दोहराए गए माप के बाद इस त्रुटि के बारे में कहा जा सकता है ।

विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

मापन में त्रुटियां के विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

वर्नियर कैलिपर्स ( Vernier Calipers)

विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

Screw Gauge / पेंचमापी

विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

वोल्टमीटर या विभवमापी (Voltmeter)

वोल्टमीटर एक मापन यंत्र है जो किसी परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर को मापने के लिये प्रयोग किया जाता है। १८१९ में हैंस ऑरेस्टड ने वोल्टमीटर का आविष्कार किया था ।

वोल्टमीटर को आम तौर पर एक वृत के अंदर अक्षर V के द्वारा दर्शाया जाता है ।

यदि वोल्टमीटर में वोल्ट मापते समय उसे पढने के लिए सुई लगा होती है तो उसे एनालॉग वोल्टमीटर कहा जाता है। सामान्यतः, भारत में 250v तक मापने की जरूरत होती है इसलिए वोल्ट मीटर में 0v से लेकर 300v तक का डायल बना होता है। जब वोल्ट मीटर से वोल्ट मापा जाता है तो मीटर की सुई, डायल पर उतने नंबर पर जाकर रूक जाता है जितना वोल्ट मापा जा रहा होता है। इसकारण से हमारे देश में अधिकतर इलेक्ट्रिक उपकरणों में 0-300v के कैपसिटी वाले वोल्ट मीटर का इस्तेमाल ही ज्यादातर किया जाता है ।

जिस वोल्ट मीटर में मापे गए वोल्ट की वैल्यू “डिस्प्ले स्क्रीन” पर दिखाई जाती है उसे डिजिटल वोल्टमीटर कहा जाता है। चूकिं एनालॉग वोल्ट मीटर पर रीडिंग को पढ़ने में आपको परेशानी महसूस होती हो सकती है व अतः अधिकतर व्यक्तियों द्वारा डिजिटल वोल्ट मीटर का उपयोग किया जाता है । डिजिटल वोल्ट मीटर द्वारा मापा गया वोल्ट डिजिट (अंक) के रूप में डिस्प्ले स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है जिसे एक ही नजर में और आसानी से पढ़ा जा सकता है। इस वोल्टमीटर द्वारा मापा गया वोल्टेज या विभव अधिक परिशुद्ध होता है क्योकि इसे दशांश में भी पढ़ा जा सकता है ।

किसी परिपथ / डिवाइस के वोल्टेज को मापने के लिए वाल्टमीटर को उस डिवाइस के समानांतर में जुड़ा होना चाहिए। यह आवश्यक है क्योंकि समानांतर में वस्तुएं समान संभावित अंतर का अनुभव करती हैं।

अमीटर या धारामापी (Ammeter)

अमीटर किसी परिपथ की किसी शाखा में बहने वाली विद्युत धारा को मापने वाला यन्त्र है। बहुत कम मात्रा वाली धाराओं को मापने के लिये प्रयुक्त अमीटर को को "मिलिअमीटर" (milliameter) या "माइक्रोअमीटर" (microammeter) कहते हैं। अमीटर की सबसे पुरानी डिजाइन डी'अर्सोनल (D'Arsonval) का धारामापी या चलित कुण्डली धारामापी था। ।


अमीटर को आम तौर पर एक वृत के अंदर अक्षर A के द्वारा दर्शाया जाता है ।


यदि अमीटर में धारा मापते समय उसे पढने के लिए सुई लगा होती है तो उसे एनालॉग अमीटर कहा जाता है। वोल्टेज के विपरीत, जिसका पूरे देश में पूर्व निर्धारित मानक मूल्य है, जब हम धारा के बारे में बात करते हैं तो ऐसा कोई एकल मानक मान नहीं होता है। उदाहरण के लिए, आपके घर में 230 V वेल्टेज की सप्लाई होती है, परंतु धारा का मान विभिन्न कारकों पर निर्भर करेगा, मुख्य रुप से घर पर लगे विभिन्न उपकरणों के लोड के कुल मान पर जोकि आपके घर के सर्किट के साथ जुड़े हुए है, साथ ही घर पर लगी विद्युत तार या केबिल की क्षमता पर । आपके घर पर लगे कुल लोड जितनी विद्युत शक्ति का इस्तेमाल करेंगें उतनी ही धारा बढ़ जावेगी ।


जिस वोल्ट मीटर में मापे गए वोल्ट का मान “डिस्प्ले स्क्रीन” पर दिखाई जाती है उसे डिजिटल वोल्टमीटर कहा जाता है। चूकिं एनालॉग वोल्ट मीटर पर रीडिंग को पढ़ने में आपको परेशानी महसूस होती हो सकती है व अतः अधिकतर व्यक्तियों द्वारा डिजिटल वोल्ट मीटर का उपयोग किया जाता है । डिजिटल वोल्ट मीटर द्वारा मापा गया वोल्ट डिजिट (अंक) के रूप में डिस्प्ले स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है जिसे एक ही नजर में और आसानी से पढ़ा जा सकता है। इस वोल्टमीटर द्वारा मापा गया वोल्टेज या विभव अधिक परिशुद्ध होता है क्योकि इसे दशांश में भी पढ़ा जा सकता है।

किसी परिपथ में धारा को मापने के लिए अमीटर को उस के साथ श्रेणीक्रम (series) में जुड़ा होना चाहिए। यह आवश्यक है क्योंकि श्रेणीक्रम में वस्तुएं एक समान धारा का इस्तेमाल करती हैं ।