म. प्र. शासन


मूलभूत नियम ( Fundamental Rule )

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मूलभूत नियम क्या हैं ?

  • मूलभूत नियम या मौलिक नियम, सामान्य नियमों का सेट हैं जिनके द्वारा सभी शासकीय सेवक, जिनका वेतन असैनिक व्य्यानुमानों से विकलनीय होता है, पर लागु होतें हैं । यह नियम को 1 जनवरी, 1922 से प्रभावीशील हैं । कुल 130 मूलभूत नियम हैं जिन्हें FR-1 से FR-130 के रूप में जाना जाता है ।

  • मूलभूत नियम या मौलिक नियम में किसी शासकीय सेवक के पदभार ग्रहण करने से लेकर उसके सेवानिवृति के भुगतान तक होने वाली समस्त घटनायें / स्थितियॉ समाहित है ।


ये नियम लागू क्यों हैं?

  • संविधान के अनुच्छेद 372 में निहित है कि संविधान के लागू होने से ठीक पहले, भारत के क्षेत्र में लागू सभी नियम या कानून तब तक प्रभावशील रहेंगें जब तक कि एक सक्षम विधानमंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा इन्हें संशोधित या निरस्त नही किया जाता ।


मूलभूत नियम के भाग


PART - I

  1. Extent of Applications Rule 1-8

प्रयुक्ति की सीमायें

  1. Definitions Rule 9

परिभाषायें


PART - II

  1. General Conditions of Service Rule 10-18

सेवा की सामान्य शर्तें


PART - III

  1. Pay Rule 19-43

वेतन

  1. Additions to Pay Rule 44-48

वेतन के अतिरिक्त

  1. Combinations of Appointments Rule 49

नियुक्तियों का संयोजन

  1. Deputation out of India Rule 50-51

भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति

  1. Dismissal, Removal & Suspension Rule 52-55

पदच्युति, पृथकरण, निलम्बन

  1. Compulsory Retirement Rule 56-57

अनिवार्य सेवानिवृति


PART - IV

    1. Omitted Rule 58-104

    2. Joining Time Rules, 1982

पदग्रहण काल


PART - VII

  1. Foreign Service Rule 109-127

बाह्य सेवा

  1. Civil Services (Leave)Rules, 1977

सिविल सर्विस अवकाश नियम, 1977


The Fundamental Rule 01 to 03

    • FR1: यह नियम 01.01.1922 से लागू होते हैं ।

    • FR2: केंद्र/ राज्य के समेकित निधि से भुगतान किए गए सभी सरकारी कर्मचारियों को पर लागू होतें है ।

    • FR3: उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू नही होते जिनकी सेवा शर्तें सेना या समुद्री विनियमों द्वारा शासित होती हैं ।

        • Consolidated Fund / समेकित निधि - संविधान के अनुच्छेद 266 के अनुसार, भारत की संचित निधि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष (direct and indirect) करों से प्राप्त सभी राजस्व, भारत सरकार द्वारा लिए गए सभी ऋण और सरकार द्वारा प्राप्त सभी ऋणों की पुनर्भुगतान राशि शामिल हैं। संक्षेप में, इसमें सरकार की लगभग सभी प्रमुख कमाई होती है और सरकार की ओर से सभी कानूनी तौर पर अधिकृत भुगतान भी इस निधि से चुकाए जाते हैं। इस निधि से किसी भी विनियोजन के लिए संसद / विधानसभा ( राज्य सरकार के लिए) के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

        • Contingency Fund / आकस्मिकता निधि - संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार, के अनुसार अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया है । यह निधि राष्ट्रपति / राज्यपाल (राज्य सरकार के लिए) के जिम्मे है और इस निधि से किसी विनियोजन के लिए संसद / विधानसभा ( राज्य सरकार के लिए) के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है । यह राष्ट्रपति / राज्यपाल की जगह पर वित्त सचिव द्वारा सांभाला जाता है।

    • FR6: वित्त विभाग द्वारा किसी भी सरकारी अधिकारी को शक्तियों का प्रत्योजन किया जावेगा

    • FR7: कोई भी शासकीय विभाग केवल वित्त विभाग के परामर्श के उपरांत ही अपने अधिकारी को अधिकार सौंप सकता है

    • FR8: केवल वित्त विभाग ही मूलभूत नियमों की व्याख्या कर सकता है।

    • FR10: प्रथम नियुक्ति पर स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य है । पदभार ग्रहण करते समय जमा किया जावे या 01 माह के भीतर जमा किया जावे । पहला वेतन भी तभी आहरित होगा जब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा कर दिया हो ।

    • FR11: शासकीय सेवक का सम्पूर्ण समय उस शासन के अधीन है जो उसे भुगतान करता है और बगैर किसी अतिरिक्त पारिश्रमिक दिए उसे किसी भी प्रकार से नियोजित किया जा सकता है ।

    • FR 12: दो या दो से अधिक सरकारी कर्मचारियों को एक ही समय में, एक ही स्थायी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता । Lien / धारणाधिकार पर गए सरकारी कर्मचारी का पद भरा नहीं सकता ।

    • FR 15: सरकारी कर्मचारी को अक्षमता या दुर्व्यवहार या उसके लिखित अनुरोध के कारण कम वेतन वाले पद पर पदानवत किया जा सकता है।

    • FR 16: सरकारी कर्मचारी को भविष्य निधि, पारिवारिक पेंशन निधि या इसी तरह के समान निधि की सदस्यता लेनी होगी ।

    • FR 17: वेतन और भत्ते कार्यालय में पदभार ग्रहण करने कि दिनॉक से मान्य होंगें ।

    • FR 17A: कर्तव्यों से अनाधिकृत अनुपस्थिति या हड़ताल में शामिल होने पर पेंशन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा ।

    • FR 18: 05 साल से अधिक की अवधि के लिए किसी भी शासकीय कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत नही किया जा सकता है । राज्यपाल मंजूरी दे सकते है।

        • अकार्य दिवस – वह अनुपस्थिति की अवधि जिसमें किसी भी तरह का अवकाश स्वीकृत नही किया गया है,को सभी उद्देश्यों अर्थात वेतनवृद्धि व अवकाश के लिए अकार्य दिवस माना जावेगा ।

    • FR 22C: परिवीक्षा अवधि के दौरान - वेतनमान का न्यूनतम ।

        • परिवीक्षाधीन सफलता पूर्वक पूर्ण होने के बाद या विभागीय परीक्ष उतीर्ण करने के पश्चात, प्रोबेशनर्स को वेतनवृद्धि दी जा सकेगी, जैसी भी स्थिति हो ।

        • जो व्यक्ति परीवीक्षावधी समाप्त होने पर स्थाईकरण के उपयुक्त नही पाये जाते है, तो उनका परीवीक्षाकाल 01 वर्ष बढ़ाया जा सकता है. यदि परीवीक्षाकाल अवधि में वृद्धी के बाद भी स्थाईकरण के लिए भी उपयुक्त नही है तो सिविल सेवा ( सेवा की शर्तें) नियम 1961 के नियम 8 के तहत कार्यवाही होगी

    • FR 23: जब किसी पद का वेतन परिवर्तित कर दिया जाता है, तो व्यक्ति के पास विकल्प रहता है कि वह अगले वेतन वृद्धि की दिनॉक तक या उसके वर्तमान पद को खाली होने तक या उस समयमान वेतनमान में वेतन आहरण बन करने तक पुराने वेतन को रखे ।

    • FR 24: वेतनवृद्धि, जब तक कि उसे रोका ना गया हो, सामान्य रूप से मिलती रहेगी ।


दक्षतावरोध

    • FR 25: - जहॉ किसी समयमान वेतनमान में दक्षतावरोध निर्धारित है, वहॉ दक्षतावरोध के ऊपर की अगली वेतनवृद्धि केवल उसी प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत की जा सकेगी जिसके पास वेतनवृद्धि को रोकने की शक्ति हो ।

    • FR 26: पद पर बिताया गया सम्पूर्ण कर्तव्य-काल को वेतनवृद्धि के लिए गिना जाएगा।

        • परिवीक्षा समाप्ति के पूर्व वेतनवृद्धि: परिवीक्षा पर नियुक्त शासकीय सेवक को, उसके द्वारा सफ़लता पूर्वक पूर्ण की गई सेवा के अनुरूप, पूर्व प्रभाव से वेतनवृद्धि दी जावेगी । परिवीक्षा अवधि आदेश निकलने के पूर्व ही वेतनवृद्धि दी जा सकेगी, परंतु परिवीक्षा अवधि समय पूर्ण होने पर ही ।

        • कर्त्तव्य में अनुपस्थिति की अवधि को वेतनवृद्धि में जोड़ा जावेगा । अगले वेतन वृद्धि की तारीख तदनुसार बढ़ाई जाएगी।

        • परिविक्षाधीन अवधि का वेतनवृद्धि में गणना - भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति पर, कम वेतन वाले पद के अलावा किसी अन्य पद पर सेवा देने पर, मेडिकल सर्टिफिकेट पर असाधारण अवकाश को छोड़कर अन्य सभी अवकाशों को छोड़कर । यदि उच्च वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययनों के लिए असाधारण अवकाश लिया है तो, इसकी गणना वेतनवृद्धि में की जावेगी ।


  • FR 27 ( Advance Increment):

नसबंदी:- निःसंतान - 02

01 जीवित बच्चे के बाद- 02

02 जीवित बच्चे के बाद- 01

पीएचडी: यूजीसी / एआईसीटीई वेतनमान के तहत वेतन पाने वाले अधिकारियों के लिए अग्रिम वेतन वृद्धि यूजीसी / एआईसीटीई देय है ।


Demotion

  • FR 28 : शास्ति के रूप में निम्न ग्रेड / पद में पदानवत - व्यक्ति निम्न वेतन या पद के अधिकतम से अधिक का वेतन नही ले सकता । उस अवधि को भी निर्दिष्ट करें जब तक यह शास्ति प्रभावी रहेगी । पदानवत आदेश में वेतनवृद्धि की स्थिति भी स्पष्ट की जावेगी, लेकिन वेतनवृद्धि निचले पद की होगी ।

  • FR 29: दुर्व्यवहार या अन्य कारणों से कोई शासकीय सेवक पदानवत हुआ हो, तो आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया जावेगा कि यह आदेश कितने समय तक के लिए प्रभावशील रहेगा तथा शास. सेवक के पुनः स्थापित होने पर पदानवत अवधि उसके भविष्य की वेतनवृद्धि में जोड़ी जावेंगी या नही ।


Demotion set aside

  • FR 29A: जब वेतनवृद्धि को रोकने की शास्ति को निरस्त या संशोधित किया जाता है,तो -

(क) अगर आदेश निरस्त किया गया है तो शास. सेवक पूर्व वेतन का हकदार होगा ।

(ख) यदि आदेश संशोधित किया गया है, तो भुगतान संशोधित आदेश के अनुसार विनियमित किया जाएगा

शास. सेवक की आरम्भिक भर्ती के पश्चात उनके अपात्र अथवा अयोग्य पाए जाने पर- Departmental Enquiry as per rule 14 of MP Civil Services (CCA) Rule 1966 – आरोप सिद्ध होने पर सेवा से बर्खास्त, अन्य कोई शास्ति नही |


Compensatory Allowances

  • FR 44: क्षतिपूरक भत्ता : यात्रा भत्ता, पहाड़ी भत्ता, गृह भाड़ा भत्ता आदि

अक्षम (दिव्यांग) वाहन भत्ता-

राजपत्रित - रु 250 प्रतिमाह अराजपत्रित - रु 150 प्रतिमाह

केवल तभी जब विकलांगता 40% से अधिक हो । निलंबन अवधि या अवकाश के दौरान लागू नहीं (आकस्मिक अवकाश को छोड़कर)

  • FR 44: Compensatory Allowances क्षतिपूरक भत्ता –

Washing Allowance / धुलाई भत्ता – Only for Class IV - Rs. 60 pm.

Stationary Allowance / स्टेश्नरी भत्ता – Only for Patwari – Rs. 100 pm

Cycle Allowance / साईकल भत्ता – Only for Contingent employees – Rs 12 pm

Special Allowance / स्पेशल भत्ता – Only for Daftari (दफ़तरी)– Rs. 50 pm


Government Residence

  • FR 45: शासकीय सेवकों को शासकीय आवासों के आवंटन के संबंध में नियम ।


Government Residence- License Fees Recovery

  • FR 45 A: शासकीय आवासें के लिए लाइसेंस शुल्क: शासकीय आवासों के लिए लाइसेंस फीस की वसूली के संबंध में नियम, सरकार द्वारा बनाए जाएंगे।


Fees / Consultancy

  • FR 46(A) : सरकार, शासकीय सेवक को किसी निजी व्यक्ति या निकाय या जनता के लिए एक निर्दिष्ट सेवा करने और पारिश्रमिक प्राप्त करने की अनुमति दे सकती है, अगर सेवा, सामग्री के रूप में, आवर्ती या गैर आवर्ती हो । आधिकारिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर असर नही पड़ना चाहिए । चिकित्सा अधिकारियों पर लागू नही है ।


Honorarium

  • FR 46(B): सरकार, किसी शसकीय सेवक को पारिश्रमिक के रूप में मानदेय स्वीकृत कर सकती है जब उसके द्वारा निष्पादन कार्य आकस्मिक प्रकृति का हो या श्रमसाध्य हो या विशेष योग्यता का हो । मानदेय प्रदान करने का कारण लिपिबद्ध किया जावेगा । यदि सरकार की पूर्वनुमति नही है तो भुगतान की पूर्वनुमति प्राप्त की जावेगी ।

  • FR 46(C): स्वीकृति प्राधिकरण को लिखित रूप में रिकॉर्ड करना होगा कि मू.भू. नियम 11 (सेवा की सामान्य शर्तों) का पालन किया गया है और इस तरह के अतिरिक्त पारिश्रमिक के भुगतान का औचित्य भी लेखबद्ध करना होगा ।

  • FR 47: सरकार, मानदेय के भुगतान और स्वीकृति तथा पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क की स्वीकृति के लिए शर्तों और सीमाओं के निर्धारण के लिए नियमों को बना सकती है । चिकित्सा अधिकारियों के लिए लागू नहीं है ।

  • FR 48: मानदेय - कोई शासकीय सेवक, शासन की पूर्व मंजूरी के बिना मानदेय स्वीकार नहीं करेगा ।

अपवाद:

परीक्षा कार्य, साहित्यिक कार्य, वैज्ञानिक कार्य

पाठ्य पुस्तकों की तैयारी - रुपये 1500 से अधिक नहीं

न्यायालय के मामलों में OIC – H.C. – Rs 1000; S.C. – Rs 1500

निबंध लेखन के लिए पुरस्कार

आपराधिक गिरफ्तारी के लिए पुरस्कार

आबकारी नियमों के तहत पुरस्कार

सेवा मामलों से जुड़े किसी भी तरह का पुरस्कार


Scientific work

  • FR 48(A): सरकारी कर्मचारी जिनके कर्तव्यों में वैज्ञानिक या तकनीकी अनुसंधान करना शामिल है, वे पेटेंट दाखिल करने की अनुमति के लिए आवेदन नहीं करेंगे।


दोहरा कार्य भत्ता - •उच्च पद के ग्रेड पे के 20% के बराबर, न्यूनतम अवधि – 15 दिवस, पे बैंड 4 व उच्च के पदों के किए लिए लागू नही


Dismissal

  • FR 52: शासकीय सेवक को जिस दिनॉक को बर्खास्त या पद्च्युत किया जाता है उसी दिनॉक से उस शासकीय सेवक का वेतन व भत्ते समाप्त हो जातें हैं ।


Pay in Suspension

  • FR 53: निलंबित शासकीय सेवक जीवन निर्वाह भत्ते का हकदार रहेगा ।

आयकर, HRA, ऋण और अग्रिमों का पुन: भुगतान के कटौती की अनुमति है।

शासकीय सेवक से लिखित सहमति पर GPF से अग्रिम की वसूली होगी ।

GPF अंशदान, सरकार को हानि की वसूली, अदालत के अटैचमेंट के कारण वसूली – नही की जावेगी ।


Leave to suspended Govt. Employee

  • FR 55: निलंबनाधीन शासकीय सेवक को किसी भी तरह अवकाश स्वीकृत नही किया जा सकता ।


Age of Superannuation

  • FR56 : Age of Superannuation–

Gazetted Officer on Medical Post – 65 yrs

AICTE / UGC pay scale – 65 yrs

Medical Education (Teaching / Doctors) – 65 yrs

Govt. Nurse – 65 yrs

Class IV – 62 yrs

Class III – 60 yrs

Gangman – 60 yrs

Librarian / PTI in Colleges – 62 yrs


Joining Time Rule, 1982

  • FR105-108 : MP Joining Time Rule, 1982

Time allowed to Govt. Servant to join new post or to travel to new post.

If not availed, can be credited as EL. Max 15.

Can be combined with vacation or other leave except CL

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Distance between HQ Joining Time admissible Joining Time admissible if

journey by road is more than 200 km

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1000 km or less 10 Days 12 Days

More than 1000 km 12 Days 15 Days

More than 2000 km 15 Days 15 Days

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Power to Grant Leave - EL

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Leave Concerned Officer Delegated power

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Class III(कार्यपालक को छोडकर) & IV Office Head Full

Class III (कार्यपालक) Office Head / Distt Head At a time 120 or less

Class II Office Head / Distt Head At a time 120 or less

Class I Office Head / Distt Head At a time 90 or less

जिला / कार्यालय प्रमुख के स्वयं के प्रकरण को छोड़कर

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Power to Grant Leave – अदेय अवकाश

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Leave Concerned Officer Delegated power

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Class III(कार्यपालक को छोडकर) & IV Office Head Full

Class III (कार्यपालक) Office Head / Distt Head At a time 90 or less

जिला / कार्यालय प्रमुख के स्वयं के प्रकरण को छोड़कर

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Power to Grant Leave – असाधारण अवकाश

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Leave Concerned Officer Delegated power

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Class III(कार्यपालक को छोडकर) & IV Office Head Full

Class III (कार्यपालक) Office Head / Distt Head At a time 120 or less

जिला / कार्यालय प्रमुख के स्वयं के प्रकरण को छोड़कर

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Power to Grant Leave – Leave before Retirement

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Leave Concerned Officer Delegated power

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Class II, III & IV Office Head Full

जिला / कार्यालय प्रमुख के स्वयं के प्रकरण को छोड़कर

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Power to Grant Leave – Maternity / Paternity Leave

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Leave Concerned Officer Delegated power

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Class I, II, III & IV Office Head Full

जिला / कार्यालय प्रमुख के स्वयं के प्रकरण को छोड़कर

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MP Leave Rules ( Pay from Contingency Fund), 1977

  • EL

स्थाई – 20 in a year

अस्थाई – 10 in a year

  • Half Pay Leave

स्थाई – 14 in a year

अस्थाई – 10 in a year


  • Maternity Leave

As per permanent employee

  • Extra Ordinary Leave

Not exceeding 90 days


विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिए नियमों को बनाने के लिए कौन अधिकृत है ?

  • राज्यपाल, राज्य सरकार के कर्मचारियों के मामलों में । संविधान के अनुच्छेद 309 में निहित शक्ति के फ़लस्वरूप ही महामहीम राष्ट्रपति या महामहीम राज्यपाल द्वारा शास. सेवकों के सेवा से सम्बंधित नियम बनाए जाते हैं ।

आचरण नियम क्या हैं ?

  • आचरण नियम, सामाजिक मानदंडों और नियमों और जिम्मेदारियों को रेखांकित करने वाले नियमों का समूह है जो सरकार अपने कर्मचारियों से पालन कअरने की अपेक्षा करती है।

यदि आचरण नियमों का उल्लंघन हो तो क्या होता है ?

  • यदि कोई कर्मचारी आचरण नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे चेतावनी दी जाती है या अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या विभागीय कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है । इन नियमों के तहत कार्यवाही, नियमित आपराधिक अदालतों की कार्यवाही से भिन्न होती है ।

‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌नियम

Rule 1. - संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ तथा प्रयुक्ति ( Short title, commencement and application )

          • इन नियमों को सिविल सेवा (आचरण) नियम कहा जाता है ।

          • केंद्र सरकार के मामले में यह वर्ष 1964 में लागू हुआ ।

          • अधिकांश राज्य सरकारों के मामले में, यह वर्ष 1965 में लागू हुआ ।

          • इन नियमों की परिधि में सभी व्यक्ति और पद , केंद्र सरकार या राज्य सरकार से सम्बंधित (जैसा भी मामला हो) आते हैं ।

          • इन पर लागू नहीं होगें: यदि राष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा यह घोषित कर दिया गया है कि किसी भी पद के धारक पर यह नियम लागू नहीं होंगे ।

          • किसी भी कंपनी, निगम, मंडल, संगठन, स्थानीय प्राधिकारी, शासकीय विभाग में एक कर्मचारी को शासकीय सेवक माना जाता है यदि उसका वेतन भारत के समेकित निधि / राज्य के समेकित निधि से निकाला जाता है (जैसा भी मामला हो) ।

Rule 2. - परिभाषा - परिवार ( Definition - Family )

  • शासकीय सेवक - केंद्रीय / राज्य सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति।

  • परिवार के सदस्य - पत्नी या पति, जो मान. न्यायालय की डिक्री से अलग न हुए हों ।

  • बच्चे या सौतेले बच्चे जो उन पर पूरी तरह से निर्भर हों

  • लेकिन इसमें यह शामिल नहीं है – शासकीय सेवक की कोई संतान जो उस पर किसी भी तरह से निर्भर नहीं है या जिसकी देखभाल से शासकीय सेवक को किसी न्यायालय द्वारा वंचित किया गया है;

  • रक्त या विवाह से संबंधित कोई अन्य व्यक्ति, जो शासकीय सेवक पर पूरी तरह निर्भर हो ।

Rule 3. सामान्य (General)

  1. प्रत्येक शासकीय कर्मी हर समय-

      • पूर्ण रूप से सनिष्ठ रहेगा ;

      • कर्तव्यपरायण रहेगा

      • ऐसा कोई भी कार्य नही करेगा जो शास. सेवक के लिए अशोभनीय हो

  2. प्रत्येक शासकीय कर्मी हर समय-

      • एक पर्यवेक्षी पद - सभी शासकीय सेवक, कर्तव्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण सुनिश्चित करेंग़ें ;

      • कोई भी शासकीय सेवक अपने आधिकारिक कर्तव्यों या शक्तियों से हटकर कार्य नहीं करेगा; सिवाय तब, जब वह अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशन में कार्य कर रहा हो;

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -

  1. वरिष्ठ अधिकारियों को सामान्यतः लिखित रूप में ही निर्देश देने चाहिए । अधीनस्थों को मौखिक दिशा जहाँ तक संभव हो, टालना चाहिए । जहाँ मौखिक निर्देश देना अपरिहार्य हो जाता है, वहॉ वरिष्ठ अधिकारी को लिखित में इस निर्देश की पुष्टि करनी चाहिए ।

  2. एक शासकीय सेवक जिसे अपने वरिष्ठ अधिकारी से कोई मौखिक निर्देश प्राप्त हुआ हो, तो वह लिखित रूप में, यथाशीघ्र इसकी पुष्टि करेगा तथा वरिष्ठ अधिकारी का भी यह कर्तव्य है कि वह लिखित में ही, उसके द्वारा दिए मौखिक निर्देशों, की पुष्टि करेगा ।

  3. कार्य, निर्धारित समय सीमा में और गुणवत्ता के साथ किया जाना चाहिए - कर्तव्य के प्रति समर्पण की कमी रहने पर नियम 3(i)(ख) का उल्लघन माना जावेगा ।

  4. एक शासकीय सेवक, वरिष्ठ कार्यालय/ वरिष्ठ अधिकारी से निर्देश / सलाह / मशविरा लेने के बहाने अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता, जब तक कि उस कार्य को करने कि शक्ति और जिम्मेदारी उस अधिकारी में निहित है । अर्थात बार-बार गैर आवश्यक मामलों में सलाह या निर्देश प्राप्त नही करना चाहिए ।

  5. शासकीय कार्यक्रम की निमंत्रण पत्रिकाओं में शासकीय सेवक का नाम नही होगा, केवल पदनाम होगा

  6. शासकीय सेवक द्वारा, बिना शासन की पूर्व अनुमति से उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर कड़ा दंड दिया जावे

  7. शासकीय सेवक द्वारा, अभ्यावेदनों की प्रतियॉ ऐसे अधिकरियों को भी भेजी जाती हैं जिन पर उनका प्रशासकीय नियंत्रण नही होता है (उदाहराणार्थ अन्य मंत्रीयों, सचिवों, संसद सदस्यों, विधान सभा सदस्यों आदि ) – अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी

Rule 3(A). तत्परता एवं शिष्ट व्यवहार (Promptness and Courtesy )

  • कोई सरकारी कर्मचारी

          1. अशिष्टता से कार्य नही करेगा

          2. विलम्बकारी कार्यनीति नही अपनाएगा

          3. ऐसा कुछ नही करेगा जो अनुशासानहीनता का घोतक हो

          4. शास. आवास को पट्टे / किराए पर नही देगा

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • शासकीय सेवक को न केवल ईमानदार और निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि उनकी प्रतिष्ठा व छवि भी ऐसी ही होनी चाहिए

  • शासकीय सेवक, अस्पृश्यता का अभ्यास नहीं करेंगे ।

  • कार्यालय भवनों के अंदर और बाहर लॉन और ऐसे अन्य स्थानों पर कार्ड नहीं खेलेंगे।

  • शाम 7.00 बजे के बाद कार्यालय भवनों में इनडोर खेल नही होगा, टूर्नामेंट आदि को छोड़कर

  • पिछले या पहले के नौकरी / रोजगार में किए गए कृत्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है ।

  • कर्मचारियों के कर्तव्यनिष्ठा होने और इसे सुनिश्चित करने का दायित्व कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी / नियंत्रणकर्ता अधिकारी / पर्यवेक्षक अधिकारियों का है ।

  • सांसद / विधायक से शिष्टाचार / सौजन्यता -

  1. शिष्टाचार और सम्मान प्रदर्शित करें;

  2. यदि उनका कोई अनुरोध स्वीकार करने में असमर्थ हो तो, विनम्रता से कारण स्पष्ट करें;

  3. अन्य आगंतुकों पर वरीयता प्रदान करें ;

  4. सार्वजनिक कार्यक्रमों में स्थान आरक्षित करें ;

  5. उनके सुझाव को धैर्यपूर्वक सुनें और नियम तथा अपने विवेक के अनुसार निर्णय लें;

  6. उन्हें आगमन पर व प्रस्थान पर अपनी सीट से खड़े हो जावें ;

  7. पत्रों पर त्वरित कार्यवाही करें । संदेहास्पद मामलों में अनुरोध ठुकराने से पहले उच्च अधिकारियों से निर्देश लेना चाहिए ।

  8. सेवा मामले से संबंधित व्यक्तिगत मामले के लिए सांसद / विधायक से संपर्क न करें।

  • वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मौखिक निर्देश – सामान्यतः टाला जाना चाहिए

          1. मौखिक निर्देश, जहां तक संभव हो, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जारी न किया जाए;

          2. यदि मौखिक निर्देश जारी किए गए हैं, तो उनकी तुरंत लिखित में पुष्टि की जानी चाहिए;

          3. यदि कोई कनिष्ठ अधिकारी मौखिक निर्देशों की पुष्टि करता है, तो वरिष्ठ को इसकी पुष्टि कर देनी चाहिए ।

          4. यदि किसी मंत्री का निजी स्टाफ़, मंत्री की ओर से मौखिक आदेश देता है, तो तुरंत ही लिखित रूप से इसकी पुष्टि की जानी चाहिए;

          5. यदि कनिष्ठ अधिकारी, किसी मंत्री या उनके निजी स्टाफ़ से मौखिक निर्देश प्राप्त करता है तो, इस निर्देश के बारे में तुरंत ही वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ।

          6. यदि मंत्री से प्राप्त मौखिक आदेश मानदंडों, नियमों, विनियमों या प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हैं, तो उनके बारे में विभाग के सचिव या विभाग प्रमुख को सूचित करना चाहिए साथ ही यह भी बताना चाहिए कि मौखिक निर्देश नियमों, विनियमों, मानदंडों या प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हैं।

  • धर्म परिवर्तन में शासकीय सेवक की भागीदारी

  • धर्म परिवर्तन या धार्मिक भावनाऐं भड‌काने जैसे कृत्यों में संलग्न शासकीय सेवकों पर - CCA नियम, के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी ।

  • शासकीय सेवक अपने परिवार की उचित देखभाल करेगा ।

  • शासकीय सेवक स्थानांतरण / पदस्थापना/ इत्यादि के लिए राजनीतिक प्रभाव नही डालेगा ।

  • शासकीय सेवकों द्वारा विभिन्न प्रायोजनों से की जाने वाली विदेश यात्रा –

          1. सेमीनार/ प्रशिक्षण / इत्यादि – शासन पर वित्तीय भार नही है तो विभागीय स्तर पर निर्णय होगा

          2. शासन पर वित्तीय भार पड़ने कि स्थिती में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जावेगा

          3. प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ शासकीय सेवकों के मामले में पैतृक विभाग से सहमति / असहमति ली जावेगी


Rule 3(B). - शासन की नीतियों का पालन (Observance of Government's policies )

  1. प्रत्येक शासकीय सेवक, हर समय -

              • शासकीय सेवक को विवाह की आयु, पर्यावरण का संरक्षण, वन्य जीवों व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के सम्बंध में शासन की नितियों का पालन करना चाहिए

              • शासकीय सेवक को महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के निवारण से सम्बंधित शासन की नीतियों का पालन हमेशा करना चाहिए

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • Physical contact / शारीरिक संपर्क

  • A demand or request for sexual favours / इस तरह की इच्छा या मांग प्रकट करना

  • Sexually coloured remarks/ अश्लील भावभंगिमा दर्शाना

  • Showing pornography / पोर्नोग्राफी दिखाना

  • Any other unwelcome physical, verbal or non-verbal conduct of sexual nature / यौन प्रकृति से सम्बंधित कोई भी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर मौखिक आचरण

Rule 4. - शासकीय संरक्षण प्राप्त प्रायवेट उपक्र्मों में, शासकीय सेवकों के निकट सम्बंधियों का नौकरी में रखा जाना

Employment of near relatives of Govt. servant in companies or firms enjoying Government patronage.

  1. किसी भी शासकीय सेवक को किसी भी कंपनी या फर्म में परिवार के लिए रोजगार प्राप्त करने हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव नहीं डालना चाहिए ।

  2. (i) कोई भी प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी अधिकारी, अपने आश्रित बच्चों को, सरकार की अनुमति के बिना, किसी भी ऐसी कम्पनी में जिससे उसका पदीय संव्यवहार हो, में रोजगार स्वीकार नही कराएगा :

बशर्ते कि जब रोजगार की स्वीकृति जरूरी है, तो इस मामले की रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी; और यह रोजगार सरकार की अनुमति के अधीन रहेगा ।

(ii) जैसे ही शासकीय सेवक को, उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा ऐसे रोजगार को प्राप्त करने के बारे में ज्ञात होता है तो वह, इस बावत सरकार को सूचित करेगा तथा यह भी बताएगा कि उस कम्पनी के साथ शासकीय सेवक के पदीय संव्यव्हार हैं या नहीं :

बशर्ते कि, शासकीय सेवक को ऐसी कोई सूचना देना आवश्यक नहीं होगी यदि उसने पहले ही सरकार की अनुमति ले ली है या सरकार को पहले ही रिपोर्ट भेज दी हो

  1. कोई भी शासकीय सेवक ऐसी किसी कंपनी या फर्म को ठेका नही देगा या अनुबंध नही करेगा जिसमें उसके परिवार का कोई सदस्य नौकरी कर रहा हो व इस तरह के मामलों को अपने वरिष्ठ अधिकारी को प्रेषित कर देगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • यदि नौकरी join करना अत्यावश्यक है, तो इस सम्बंध में रिपोर्ट सरकार को दी जानी चाहिए और सरकार की अनुमति के अधीन , नौकरी को अनंतिम रूप से स्वीकार किया जा सकता है ।

  • उस फर्म से अनुबंध या ठेका जिसमें, शासकीय सेवक के परिवार का कोई सदस्य नौकरी कर रहा हो –

  • इस तरह के तथ्य को संबंधित अधिकारी को उच्च अधिकारी को बताना चाहिए तथा अनुशंसा की जाना चाहिए कि इस मामलें को किसी अन्य अधिकारी को सौंप दिया जावे ।


Rule 5. राजनीति तथा निर्वाचनों में भाग लेना (Taking part in politics and elections )

        1. कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक दल या राजनितिक गतिविधियों से नहीं जुड़ेगा।

        2. अपने परिवार के किसी भी सदस्य को ऐसे किसी आंदोलन या गतिविधि में भाग लेने से रोकेगा जो विध्वंसक हो, कानून के खिलाफ़ हो और जहां वह अपने परिवार को रोकने में असमर्थ है, वहॉ सरकार को रिपोर्ट करेगा ।

        3. राजनीतिक दल / आंदोलन की स्थिति के बारे में सरकार का निर्णय अंतिम होगा ।

        4. किसी चुनावी गतिविधि में न तो दखल दे सकते हैं और न ही हस्तक्षेप कर सकते है ।

बशर्ते कि --

(i) वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते है

(ii) वह किसी आदेश के तहत निर्वाचन कार्य में सलंग्न होने पर उचित कार्यकर सकते हैं ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • राजनीतिक जनसभाओं में सरकारी सेवकों द्वारा उपस्थिति

(क) सार्वजनिक या निजी बैठक में भाग लेना प्रतिबंधित है;

(ख) बैठक किसी भी निषेधात्मक आदेश के विपरीत आयोजित नही की जावेगी

(ग) बैठक को आयोजित करने या आयोजन में सहायता करने में सक्रिय या प्रमुख भूमिका नही निभायेंगें

  • समसामयिक उपस्थिति को राजनीतिक आंदोलन में भागीदारी के रूप में नहीं माना जा सकता है, लगातार या नियमित उपस्थिति के बाद ही यह माना जावेगा कि शासकीय सेवक किसी खास रजनितिक दल से सहानुभूति रखता है । इस तरह के आचरण को राजनीतिक गतिविधि में शामिल होना माना जावेगा ।

  • शासकीय सेवक के पास प्रेस के माध्यम से पर्याप्त सुविधाएं हैं जिनके द्वारा वह विभिन्न राजनीतिक दलों के उद्देश्यों, लक्ष्यों और गतिविधियों के बारे में खुद को अवगत रख सकता है

  • सरकारी कर्मचारियों को न केवल निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि उन्हें चुनावों के संबंध में निष्पक्ष दिखना भी चाहिए।

  • किसी भी संदेह से बचना चाहिए व संदेह का कोई मौका भी नही देना चाहिए

  • शासकीय सेवक राजनैतिक विद्यार्थी संगठनों में भी भाग नही लेगा


Rule 6. प्रदर्शन तथा हड़तालें ( Demonstration and strikes )

  • कोई शासकीय सेवक -

  1. (i) भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के हितों के खिलाफ भाग नही लेगा या ऐसे मामलों में प्रदर्शन नही करेगा जिसमें अदालत की अवमानना, मानहानि या उकसाना शामिल हो

  2. (ii) किसी भी प्रकार की हड़ताल या प्रदर्शन में शामिल नही होंगें

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • कोई भी शासकीय सेवक जो किसी सेवा मामलों से सम्बंधित संघ का पदाधिकारी या सदस्य हो , उसे संघ से जुड़े किसी भी प्रतिनिधित्व या अन्य मामलों में, स्वयं आधिकारिक क्षमता के अनुसार कार्यवाही नही करनी चाहिए ।

  • हड़ताल: कर्मचारियों के एक समूह द्वारा काम करने से रोकना या रोकना या काम धीमा करना शामिल है -

      1. सामूहिक अनुपस्थित (जिसे गलत तरीके से "सामूहिक आकस्मिक अवकाश" के रूप में वर्णित किया जावेगा );

      2. ओवरटाइम कार्य करने से मना करना, जहाँ सार्वजनिक हित में ऐसे ओवरटाइम काम करना आवश्यक है;

      3. ‘go-slow’, ‘sit-down’, ‘pen-down, stay-in’, sympathetic’ या इसी तरह की कोई अन्य हड़ताल; साथ ही किसी भी तरह के बंद या आंदोलन में भाग लेना या कार्य से अनुपस्थित रहना ।


Rule 7. - शासकीय सेवकों द्वारा अवकाश पर प्रगमन ( Proceeding on Leave by Government Servants )

  • कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत होने के पूर्व, अवकाश पर प्रगमन नही करेगा, अर्थात अवकाश स्वीकृत होने के पश्चात ही अवकाश पर जा सकेगा ।

  • आपात स्थिति में, बाद में, अवकाश स्वीकृत करने पर, इसका कारण लेखबद्ध करना होगा ।


स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • यदि कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत ना कराकर कार्यालय से अनुपस्थित रहता है तो उसे अनाधिकृत अनुपस्थित माना जावेगा ।

  • म.प्र.पेंशन नियम 1976 के नियम 27 सहपठित मूलभूत नियम 17(ए) के तहत सभी उद्देश्यों के लिए सेवा में व्यवधान माना जावेगा ।

  • सामान्य परिस्थीती में बाद में किसी प्रकार का अवकास स्वीकृत ना किया जावे ।

  • यदि 01 माह से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहता है तो नियम CCA Rules के तहत विभागीय जॉच संस्थित की जावे व इसका निराकरण 06 माह में पूर्ण कर लिया जावे ।

  • आरोप सिद्ध होने पर सेवा से पदच्युत करने की शास्ति दी जावे ।

  • यदि 30 दिवस से कम अवधि के लिए भी अनाधिकृत अनुपस्थित रहता है तो भी कार्यवाही की जावेगी ।

  • अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवक, जिस दिनॉक को उपस्थित होता है, उसे उसी दिनॉक से निलम्बित किया जावे

  • तत्पश्चात, पूर्व में वर्णित विभागीय जॉच की जावे ।

  • 30 दिवस से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवकों को उनके अंतिम ज्ञात पते पर, सूचना भेजी जावे कि क्यों न सेवा में व्यवधान को पेंशन उपादान आदि के गणना में लिया जावे ।


Rule 8. - शासकीय सेवकों द्वारा संघों में सम्मलित होना ( Joining of associations by Government servants )

  • शासकीय सेवक ऐसे संघों में न तो सम्मलित होगें न सदस्य होंगे, जिनका उद्देश्य या क्रियाकलाप, भारत के प्रभुत्व, अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के हितों के प्रतिकूल हों

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • शासकीय सेवक द्वारा कार सेवा के रूप में ऐसा कोई कार्य नही किया जा सकता, जिससे दूसरे धर्म के व्यक्ति को ठेस पहुंचती हो

Rule 9. - शासकीय सेवकों द्वारा प्रेस व मीडिया से सम्पर्क ( Connection with press or other media )

  • कोई शासकीय सेवक

  1. अनुमति के बिना अखबार या अन्य प्रिंट मिडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी प्रकार की गतिविधि भी सम्मलित नही होगा ।

  2. अनुमति के बिना किसी भी मीडिया प्रसारण में भाग नही लेगा या लेख नही लिख लिखेगा या किसी भी पत्र को अपने नाम से या गुमनाम रूप से, छद्म नाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से किसी भी अखबार या मैग्जीन में नही लिखेगा ।

बशर्ते कि इस तरह के प्रसारण या इस तरह का योगदान विशुद्ध रूप से साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक चरित्र का हो तो, पूर्व अनुमति की आवघ्श्यकता नही है ।

Rule 10. - शासन की आलोचना ( Criticism of Government )

  • कोई सरकारी कर्मचारी नहीं,

    1. किसी भी रेडियो प्रसारण, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी भी समाचार-पत्र में कोई भी कथन या राय नही देगा -

      1. जिसका असर केंद्र सरकार या राज्य सरकार की नीतियों पर पड़ता हो ।

            • बशर्ते कि ऐसे शासकीय सेवकों की सेवा शर्तों से सम्बंधित, या उनके सुधार के लिए, एक ट्रेड यूनियन या सरकारी कर्मचारियों के संघ के पदाधिकारी के रूप में विचारों की अभिव्यक्ति हो ; या

      2. कोई शासकीय सेवक ऐसे बयान नही देगा, जो केंद्रीय - राज्य सरकार के सम्बंधों के विपरीत हो या उन्हें प्रभावित कर सकता हो;

      3. कोई शासकीय सेवक ऐसे बयान नही देगा, जो केंद्रीय और किसी विदेशी सरकार के सम्बंधों के विपरीत हो या उन्हें प्रभावित कर सकता हो;

            • बशर्ते कि इस नियम में कोई भी शासकीय सेवक द्वारा अपनी आधिकारिक क्षमता या उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों के तहत व्यक्त किए गए विचार या प्रतिक्रिया हो ।


Rule 11. - समिति या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष साक्ष्य ( Evidence before Committee or any other authority )

  • कोई शासकीय सेवक

      1. बिना अनुमति किसी भी व्यक्ति, समिति या प्राधिकार के द्वारा की जा रही जाँच के संबंध में साक्ष्य नहीं दे सकता ।

      2. किसी भी जॉच में केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी भी नीति या कार्रवाई की आलोचना नहीं करेगा ।

  • शासकीय सेवक को सरकार, संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा नियुक्त प्राधिकारी के समक्ष, न्यायालय के समक्ष या विभागीय जॉच समिति के समक्ष उपस्थित होने या साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु अनुमति की आवशयक्ता नही है ।


Rule 12. - अप्राधिक रूप से जानकारी देना ( Unauthorised Communication of Official Information )

  • कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी आधिकारिक दस्तावेज या वर्गीकृत जानकारी को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं देगा।


Rule 12(A). - सूचना के अधिकार से सम्बंधित ( Related to Right to Information Act )

  • सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 और उसके अधीन बनाए गए नियमों में विहित जानकारी दी जा सकती हैं ।

Rule 13. - चंदा ( Subscriptions )

  • कोई भी शासकीय सेवक, अनुमति के बगैर न तो चंदा लेगा और न ही स्वीकार करेगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:


सरकारी कर्मचारियों द्वारा सार्वजनिक धन का प्रायोजन – सम्भाग के आयुक्त, या विभाग प्रमुख, या उनके विभाग के आयुक्त चंदा जमा करने के कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं ।

(२) झंडा दिवस संग्रह – प्रतिबंध से मुक्त

(३) राष्ट्रीय रक्षा कोष – प्रतिबंध से मुक्त

(4) सेवा मामलों से जुड़े संघों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, सदस्यों द्वारा चंदा लिया जा सकता है





सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 (Civil Service Conduct Rules, 1965)

(For detail explanation click here)

सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिए नियमों को बनाने के लिए कौन अधिकृत है ?

  • राज्यपाल, राज्य सरकार के कर्मचारियों के मामलों में । संविधान के अनुच्छेद 309 में निहित शक्ति के फ़लस्वरूप ही महामहीम राष्ट्रपति या महामहीम राज्यपाल द्वारा शास. सेवकों के सेवा से सम्बंधित नियम बनाए जाते हैं ।

आचरण नियम क्या हैं ?

  • आचरण नियम, सामाजिक मानदंडों और नियमों और जिम्मेदारियों को रेखांकित करने वाले नियमों का समूह है जो सरकार अपने कर्मचारियों से पालन कअरने की अपेक्षा करती है।

यदि आचरण नियमों का उल्लंघन हो तो क्या होता है ?

  • यदि कोई कर्मचारी आचरण नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे चेतावनी दी जाती है या अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या विभागीय कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है । इन नियमों के तहत कार्यवाही, नियमित आपराधिक अदालतों की कार्यवाही से भिन्न होती है ।

‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌नियम

Rule 1. - संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ तथा प्रयुक्ति ( Short title, commencement and application )

          • इन नियमों को सिविल सेवा (आचरण) नियम कहा जाता है ।

          • केंद्र सरकार के मामले में यह वर्ष 1964 में लागू हुआ ।

          • अधिकांश राज्य सरकारों के मामले में, यह वर्ष 1965 में लागू हुआ ।

          • इन नियमों की परिधि में सभी व्यक्ति और पद , केंद्र सरकार या राज्य सरकार से सम्बंधित (जैसा भी मामला हो) आते हैं ।

          • इन पर लागू नहीं होगें: यदि राष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा यह घोषित कर दिया गया है कि किसी भी पद के धारक पर यह नियम लागू नहीं होंगे ।

          • किसी भी कंपनी, निगम, मंडल, संगठन, स्थानीय प्राधिकारी, शासकीय विभाग में एक कर्मचारी को शासकीय सेवक माना जाता है यदि उसका वेतन भारत के समेकित निधि / राज्य के समेकित निधि से निकाला जाता है (जैसा भी मामला हो) ।

Rule 2. - परिभाषा - परिवार ( Definition - Family )

  • शासकीय सेवक - केंद्रीय / राज्य सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति।

  • परिवार के सदस्य - पत्नी या पति, जो मान. न्यायालय की डिक्री से अलग न हुए हों ।

  • बच्चे या सौतेले बच्चे जो उन पर पूरी तरह से निर्भर हों

  • लेकिन इसमें यह शामिल नहीं है – शासकीय सेवक की कोई संतान जो उस पर किसी भी तरह से निर्भर नहीं है या जिसकी देखभाल से शासकीय सेवक को किसी न्यायालय द्वारा वंचित किया गया है;

  • रक्त या विवाह से संबंधित कोई अन्य व्यक्ति, जो शासकीय सेवक पर पूरी तरह निर्भर हो ।

Rule 3. सामान्य (General)

  1. प्रत्येक शासकीय कर्मी हर समय-

      • पूर्ण रूप से सनिष्ठ रहेगा ;

      • कर्तव्यपरायण रहेगा

      • ऐसा कोई भी कार्य नही करेगा जो शास. सेवक के लिए अशोभनीय हो

  2. प्रत्येक शासकीय कर्मी हर समय-

      • एक पर्यवेक्षी पद - सभी शासकीय सेवक, कर्तव्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण सुनिश्चित करेंग़ें ;

      • कोई भी शासकीय सेवक अपने आधिकारिक कर्तव्यों या शक्तियों से हटकर कार्य नहीं करेगा; सिवाय तब, जब वह अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशन में कार्य कर रहा हो;

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -

  1. वरिष्ठ अधिकारियों को सामान्यतः लिखित रूप में ही निर्देश देने चाहिए । अधीनस्थों को मौखिक दिशा जहाँ तक संभव हो, टालना चाहिए । जहाँ मौखिक निर्देश देना अपरिहार्य हो जाता है, वहॉ वरिष्ठ अधिकारी को लिखित में इस निर्देश की पुष्टि करनी चाहिए ।

  2. एक शासकीय सेवक जिसे अपने वरिष्ठ अधिकारी से कोई मौखिक निर्देश प्राप्त हुआ हो, तो वह लिखित रूप में, यथाशीघ्र इसकी पुष्टि करेगा तथा वरिष्ठ अधिकारी का भी यह कर्तव्य है कि वह लिखित में ही, उसके द्वारा दिए मौखिक निर्देशों, की पुष्टि करेगा ।

  3. कार्य, निर्धारित समय सीमा में और गुणवत्ता के साथ किया जाना चाहिए - कर्तव्य के प्रति समर्पण की कमी रहने पर नियम 3(i)(ख) का उल्लघन माना जावेगा ।

  4. एक शासकीय सेवक, वरिष्ठ कार्यालय/ वरिष्ठ अधिकारी से निर्देश / सलाह / मशविरा लेने के बहाने अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता, जब तक कि उस कार्य को करने कि शक्ति और जिम्मेदारी उस अधिकारी में निहित है । अर्थात बार-बार गैर आवश्यक मामलों में सलाह या निर्देश प्राप्त नही करना चाहिए ।

  5. शासकीय कार्यक्रम की निमंत्रण पत्रिकाओं में शासकीय सेवक का नाम नही होगा, केवल पदनाम होगा

  6. शासकीय सेवक द्वारा, बिना शासन की पूर्व अनुमति से उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर कड़ा दंड दिया जावे

  7. शासकीय सेवक द्वारा, अभ्यावेदनों की प्रतियॉ ऐसे अधिकरियों को भी भेजी जाती हैं जिन पर उनका प्रशासकीय नियंत्रण नही होता है (उदाहराणार्थ अन्य मंत्रीयों, सचिवों, संसद सदस्यों, विधान सभा सदस्यों आदि ) – अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी

Rule 3(A). तत्परता एवं शिष्ट व्यवहार (Promptness and Courtesy )

  • कोई सरकारी कर्मचारी

          1. अशिष्टता से कार्य नही करेगा

          2. विलम्बकारी कार्यनीति नही अपनाएगा

          3. ऐसा कुछ नही करेगा जो अनुशासानहीनता का घोतक हो

          4. शास. आवास को पट्टे / किराए पर नही देगा

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • शासकीय सेवक को न केवल ईमानदार और निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि उनकी प्रतिष्ठा व छवि भी ऐसी ही होनी चाहिए

  • शासकीय सेवक, अस्पृश्यता का अभ्यास नहीं करेंगे ।

  • कार्यालय भवनों के अंदर और बाहर लॉन और ऐसे अन्य स्थानों पर कार्ड नहीं खेलेंगे।

  • शाम 7.00 बजे के बाद कार्यालय भवनों में इनडोर खेल नही होगा, टूर्नामेंट आदि को छोड़कर

  • पिछले या पहले के नौकरी / रोजगार में किए गए कृत्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है ।

  • कर्मचारियों के कर्तव्यनिष्ठा होने और इसे सुनिश्चित करने का दायित्व कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी / नियंत्रणकर्ता अधिकारी / पर्यवेक्षक अधिकारियों का है ।

  • सांसद / विधायक से शिष्टाचार / सौजन्यता -

  1. शिष्टाचार और सम्मान प्रदर्शित करें;

  2. यदि उनका कोई अनुरोध स्वीकार करने में असमर्थ हो तो, विनम्रता से कारण स्पष्ट करें;

  3. अन्य आगंतुकों पर वरीयता प्रदान करें ;

  4. सार्वजनिक कार्यक्रमों में स्थान आरक्षित करें ;

  5. उनके सुझाव को धैर्यपूर्वक सुनें और नियम तथा अपने विवेक के अनुसार निर्णय लें;

  6. उन्हें आगमन पर व प्रस्थान पर अपनी सीट से खड़े हो जावें ;

  7. पत्रों पर त्वरित कार्यवाही करें । संदेहास्पद मामलों में अनुरोध ठुकराने से पहले उच्च अधिकारियों से निर्देश लेना चाहिए ।

  8. सेवा मामले से संबंधित व्यक्तिगत मामले के लिए सांसद / विधायक से संपर्क न करें।

  • वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मौखिक निर्देश – सामान्यतः टाला जाना चाहिए

          1. मौखिक निर्देश, जहां तक संभव हो, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जारी न किया जाए;

          2. यदि मौखिक निर्देश जारी किए गए हैं, तो उनकी तुरंत लिखित में पुष्टि की जानी चाहिए;

          3. यदि कोई कनिष्ठ अधिकारी मौखिक निर्देशों की पुष्टि करता है, तो वरिष्ठ को इसकी पुष्टि कर देनी चाहिए ।

          4. यदि किसी मंत्री का निजी स्टाफ़, मंत्री की ओर से मौखिक आदेश देता है, तो तुरंत ही लिखित रूप से इसकी पुष्टि की जानी चाहिए;

          5. यदि कनिष्ठ अधिकारी, किसी मंत्री या उनके निजी स्टाफ़ से मौखिक निर्देश प्राप्त करता है तो, इस निर्देश के बारे में तुरंत ही वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ।

          6. यदि मंत्री से प्राप्त मौखिक आदेश मानदंडों, नियमों, विनियमों या प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हैं, तो उनके बारे में विभाग के सचिव या विभाग प्रमुख को सूचित करना चाहिए साथ ही यह भी बताना चाहिए कि मौखिक निर्देश नियमों, विनियमों, मानदंडों या प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हैं।

  • धर्म परिवर्तन में शासकीय सेवक की भागीदारी

  • धर्म परिवर्तन या धार्मिक भावनाऐं भड‌काने जैसे कृत्यों में संलग्न शासकीय सेवकों पर - CCA नियम, के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी ।

  • शासकीय सेवक अपने परिवार की उचित देखभाल करेगा ।

  • शासकीय सेवक स्थानांतरण / पदस्थापना/ इत्यादि के लिए राजनीतिक प्रभाव नही डालेगा ।

  • शासकीय सेवकों द्वारा विभिन्न प्रायोजनों से की जाने वाली विदेश यात्रा –

          1. सेमीनार/ प्रशिक्षण / इत्यादि – शासन पर वित्तीय भार नही है तो विभागीय स्तर पर निर्णय होगा

          2. शासन पर वित्तीय भार पड़ने कि स्थिती में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जावेगा

          3. प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ शासकीय सेवकों के मामले में पैतृक विभाग से सहमति / असहमति ली जावेगी


Rule 3(B). - शासन की नीतियों का पालन (Observance of Government's policies )

  1. प्रत्येक शासकीय सेवक, हर समय -

              • शासकीय सेवक को विवाह की आयु, पर्यावरण का संरक्षण, वन्य जीवों व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के सम्बंध में शासन की नितियों का पालन करना चाहिए

              • शासकीय सेवक को महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के निवारण से सम्बंधित शासन की नीतियों का पालन हमेशा करना चाहिए

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • Physical contact / शारीरिक संपर्क

  • A demand or request for sexual favours / इस तरह की इच्छा या मांग प्रकट करना

  • Sexually coloured remarks/ अश्लील भावभंगिमा दर्शाना

  • Showing pornography / पोर्नोग्राफी दिखाना

  • Any other unwelcome physical, verbal or non-verbal conduct of sexual nature / यौन प्रकृति से सम्बंधित कोई भी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर मौखिक आचरण

Rule 4. - शासकीय संरक्षण प्राप्त प्रायवेट उपक्र्मों में, शासकीय सेवकों के निकट सम्बंधियों का नौकरी में रखा जाना

Employment of near relatives of Govt. servant in companies or firms enjoying Government patronage.

  1. किसी भी शासकीय सेवक को किसी भी कंपनी या फर्म में परिवार के लिए रोजगार प्राप्त करने हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव नहीं डालना चाहिए ।

  2. (i) कोई भी प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी अधिकारी, अपने आश्रित बच्चों को, सरकार की अनुमति के बिना, किसी भी ऐसी कम्पनी में जिससे उसका पदीय संव्यवहार हो, में रोजगार स्वीकार नही कराएगा :

बशर्ते कि जब रोजगार की स्वीकृति जरूरी है, तो इस मामले की रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी; और यह रोजगार सरकार की अनुमति के अधीन रहेगा ।

(ii) जैसे ही शासकीय सेवक को, उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा ऐसे रोजगार को प्राप्त करने के बारे में ज्ञात होता है तो वह, इस बावत सरकार को सूचित करेगा तथा यह भी बताएगा कि उस कम्पनी के साथ शासकीय सेवक के पदीय संव्यव्हार हैं या नहीं :

बशर्ते कि, शासकीय सेवक को ऐसी कोई सूचना देना आवश्यक नहीं होगी यदि उसने पहले ही सरकार की अनुमति ले ली है या सरकार को पहले ही रिपोर्ट भेज दी हो

  1. कोई भी शासकीय सेवक ऐसी किसी कंपनी या फर्म को ठेका नही देगा या अनुबंध नही करेगा जिसमें उसके परिवार का कोई सदस्य नौकरी कर रहा हो व इस तरह के मामलों को अपने वरिष्ठ अधिकारी को प्रेषित कर देगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • यदि नौकरी join करना अत्यावश्यक है, तो इस सम्बंध में रिपोर्ट सरकार को दी जानी चाहिए और सरकार की अनुमति के अधीन , नौकरी को अनंतिम रूप से स्वीकार किया जा सकता है ।

  • उस फर्म से अनुबंध या ठेका जिसमें, शासकीय सेवक के परिवार का कोई सदस्य नौकरी कर रहा हो –

  • इस तरह के तथ्य को संबंधित अधिकारी को उच्च अधिकारी को बताना चाहिए तथा अनुशंसा की जाना चाहिए कि इस मामलें को किसी अन्य अधिकारी को सौंप दिया जावे ।


Rule 5. राजनीति तथा निर्वाचनों में भाग लेना (Taking part in politics and elections )

        1. कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक दल या राजनितिक गतिविधियों से नहीं जुड़ेगा।

        2. अपने परिवार के किसी भी सदस्य को ऐसे किसी आंदोलन या गतिविधि में भाग लेने से रोकेगा जो विध्वंसक हो, कानून के खिलाफ़ हो और जहां वह अपने परिवार को रोकने में असमर्थ है, वहॉ सरकार को रिपोर्ट करेगा ।

        3. राजनीतिक दल / आंदोलन की स्थिति के बारे में सरकार का निर्णय अंतिम होगा ।

        4. किसी चुनावी गतिविधि में न तो दखल दे सकते हैं और न ही हस्तक्षेप कर सकते है ।

बशर्ते कि --

(i) वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते है

(ii) वह किसी आदेश के तहत निर्वाचन कार्य में सलंग्न होने पर उचित कार्यकर सकते हैं ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • राजनीतिक जनसभाओं में सरकारी सेवकों द्वारा उपस्थिति

(क) सार्वजनिक या निजी बैठक में भाग लेना प्रतिबंधित है;

(ख) बैठक किसी भी निषेधात्मक आदेश के विपरीत आयोजित नही की जावेगी

(ग) बैठक को आयोजित करने या आयोजन में सहायता करने में सक्रिय या प्रमुख भूमिका नही निभायेंगें

  • समसामयिक उपस्थिति को राजनीतिक आंदोलन में भागीदारी के रूप में नहीं माना जा सकता है, लगातार या नियमित उपस्थिति के बाद ही यह माना जावेगा कि शासकीय सेवक किसी खास रजनितिक दल से सहानुभूति रखता है । इस तरह के आचरण को राजनीतिक गतिविधि में शामिल होना माना जावेगा ।

  • शासकीय सेवक के पास प्रेस के माध्यम से पर्याप्त सुविधाएं हैं जिनके द्वारा वह विभिन्न राजनीतिक दलों के उद्देश्यों, लक्ष्यों और गतिविधियों के बारे में खुद को अवगत रख सकता है

  • सरकारी कर्मचारियों को न केवल निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि उन्हें चुनावों के संबंध में निष्पक्ष दिखना भी चाहिए।

  • किसी भी संदेह से बचना चाहिए व संदेह का कोई मौका भी नही देना चाहिए

  • शासकीय सेवक राजनैतिक विद्यार्थी संगठनों में भी भाग नही लेगा


Rule 6. - प्रदर्शन तथा हड़तालें ( Demonstration and strikes )

  • कोई शासकीय सेवक -

  1. भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के हितों के खिलाफ भाग नही लेगा या ऐसे मामलों में प्रदर्शन नही करेगा जिसमें अदालत की अवमानना, मानहानि या उकसाना शामिल हो

  2. किसी भी प्रकार की हड़ताल या प्रदर्शन में शामिल नही होंगें

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  1. कोई भी शासकीय सेवक जो किसी सेवा मामलों से सम्बंधित संघ का पदाधिकारी या सदस्य हो , उसे संघ से जुड़े किसी भी प्रतिनिधित्व या अन्य मामलों में, स्वयं आधिकारिक क्षमता के अनुसार कार्यवाही नही करनी चाहिए ।

  2. हड़ताल: कर्मचारियों के एक समूह द्वारा काम करने से रोकना या रोकना या काम धीमा करना शामिल है -

  • सामूहिक अनुपस्थित (जिसे गलत तरीके से "सामूहिक आकस्मिक अवकाश" के रूप में वर्णित किया जावेगा );

  • ओवरटाइम कार्य करने से मना करना, जहाँ सार्वजनिक हित में ऐसे ओवरटाइम काम करना आवश्यक है;

  • ‘go-slow’, ‘sit-down’, ‘pen-down, stay-in’, sympathetic’ या इसी तरह की कोई अन्य हड़ताल; साथ ही किसी भी तरह के बंद या आंदोलन में भाग लेना या कार्य से अनुपस्थित रहना ।

Rule 7. - शासकीय सेवकों द्वारा अवकाश पर प्रगमन ( Proceeding on Leave by Government Servants )

  • कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत होने के पूर्व, अवकाश पर प्रगमन नही करेगा, अर्थात अवकाश स्वीकृत होने के पश्चात ही अवकाश पर जा सकेगा ।

  • आपात स्थिति में, बाद में, अवकाश स्वीकृत करने पर, इसका कारण लेखबद्ध करना होगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • यदि कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत ना कराकर कार्यालय से अनुपस्थित रहता है तो उसे अनाधिकृत अनुपस्थित माना जावेगा ।

  • म.प्र.पेंशन नियम 1976 के नियम 27 सहपठित मूलभूत नियम 17(ए) के तहत सभी उद्देश्यों के लिए सेवा में व्यवधान माना जावेगा ।

  • सामान्य परिस्थीती में बाद में किसी प्रकार का अवकास स्वीकृत ना किया जावे ।

  • यदि 01 माह से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहता है तो नियम CCA Rules के तहत विभागीय जॉच संस्थित की जावे व इसका निराकरण 06 माह में पूर्ण कर लिया जावे ।

  • आरोप सिद्ध होने पर सेवा से पदच्युत करने की शास्ति दी जावे ।

  • यदि 30 दिवस से कम अवधि के लिए भी अनाधिकृत अनुपस्थित रहता है तो भी कार्यवाही की जावेगी ।

  • अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवक, जिस दिनॉक को उपस्थित होता है, उसे उसी दिनॉक से निलम्बित किया जावे

  • तत्पश्चात, पूर्व में वर्णित विभागीय जॉच की जावे ।

  • 30 दिवस से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवकों को उनके अंतिम ज्ञात पते पर, सूचना भेजी जावे कि क्यों न सेवा में व्यवधान को पेंशन उपादान आदि के गणना में लिया जावे ।


Rule 8. - शासकीय सेवकों द्वारा संघों में सम्मलित होना ( Joining of associations by Government servants )

  • शासकीय सेवक ऐसे संघों में न तो सम्मलित होगें न सदस्य होंगे, जिनका उद्देश्य या क्रियाकलाप, भारत के प्रभुत्व, अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के हितों के प्रतिकूल हों

स्पष्टीकरण:

शासकीय सेवक द्वारा कार सेवा के रूप में ऐसा कोई कार्य नही किया जा सकता, जिससे दूसरे धर्म के व्यक्ति को ठेस पहुंचती हो

Rule 9. - शासकीय सेवकों द्वारा प्रेस व मीडिया से सम्पर्क ( Connection with press or other media )

  • कोई शासकीय सेवक

            1. अनुमति के बिना अखबार या अन्य प्रिंट मिडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी प्रकार की गतिविधि भी सम्मलित नही होगा ।

            2. अनुमति के बिना किसी भी मीडिया प्रसारण में भाग नही लेगा या लेख नही लिख लिखेगा या किसी भी पत्र को अपने नाम से या गुमनाम रूप से, छद्म नाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से किसी भी अखबार या मैग्जीन में नही लिखेगा ।

बशर्ते कि इस तरह के प्रसारण या इस तरह का योगदान विशुद्ध रूप से साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक चरित्र का हो तो, पूर्व अनुमति की आवघ्श्यकता नही है ।

Rule 10. - शासन की आलोचना ( Criticism of Government )

  • कोई शासकीय सेवक,

      1. किसी भी रेडियो प्रसारण, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी भी समाचार-पत्र में कोई भी कथन या राय नही देगा

        • जिसका असर केंद्र सरकार या राज्य सरकार की नीतियों पर पड़ता हो ।

            • बशर्ते कि ऐसे शासकीय सेवकों की सेवा शर्तों से सम्बंधित, या उनके सुधार के लिए, एक ट्रेड यूनियन या सरकारी कर्मचारियों के संघ के पदाधिकारी के रूप में विचारों की अभिव्यक्ति हो ; या

      2. कोई शासकीय सेवक ऐसे बयान नही देगा, जो केंद्रीय - राज्य सरकार के सम्बंधों के विपरीत हो या उन्हें प्रभावित कर सकता हो;

      3. कोई शासकीय सेवक ऐसे बयान नही देगा, जो केंद्रीय और किसी विदेशी सरकार के सम्बंधों के विपरीत हो या उन्हें प्रभावित कर सकता हो;

            • बशर्ते कि इस नियम में कोई भी शासकीय सेवक द्वारा अपनी आधिकारिक क्षमता या उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों के तहत व्यक्त किए गए विचार या प्रतिक्रिया हो ।

Rule 11. - समिति या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष साक्ष्य ( Evidence before Committee or any other authority )

  • कोई शासकीय सेवक,

      1. बिना अनुमति किसी भी व्यक्ति, समिति या प्राधिकार के द्वारा की जा रही जाँच के संबंध में साक्ष्य नहीं दे सकता ।

      2. किसी भी जॉच में केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी भी नीति या कार्रवाई की आलोचना नहीं करेगा ।

      3. शासकीय सेवक को सरकार, संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा नियुक्त प्राधिकारी के समक्ष, न्यायालय के समक्ष या विभागीय जॉच समिति के समक्ष उपस्थित होने या साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु अनुमति की आवशयक्ता नही है ।

Rule 12. - अप्राधिक रूप से जानकारी देना ( Unauthorised Communication of Official Information )

  • कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी आधिकारिक दस्तावेज या वर्गीकृत जानकारी को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं देगा।

Rule 12(A). - सूचना के अधिकार से सम्बंधित ( Related to Right to Information Act )

  • सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 और उसके अधीन बनाए गए नियमों में विहित जानकारी दी जा सकती हैं ।

Rule 13. - चंदा (Subscriptions )

  • कोई भी शासकीय सेवक, अनुमति के बगैर न तो चंदा लेगा और न ही स्वीकार करेगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  1. सरकारी कर्मचारियों द्वारा सार्वजनिक धन का प्रायोजन – सम्भाग के आयुक्त, या विभाग प्रमुख, या उनके विभाग के आयुक्त चंदा जमा करने के कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं ।

  2. झंडा दिवस संग्रह – प्रतिबंध से मुक्त

  3. राष्ट्रीय रक्षा कोष – प्रतिबंध से मुक्त

  4. सेवा मामलों से जुड़े संघों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, सदस्यों द्वारा चंदा लिया जा सकता है

Rule 14. उपहार ( Gifts )

  1. (1) कोई भी शासकीय सेवक अपने परिवार के किसी भी सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति को अपनी ओर से, किसी भी उपहार को स्वीकार करने की अनुमति नही देगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

"उपहार“ - में गई मुफ्त परिवहन, बोर्डिंग, लॉजिंग या अन्य सेवा शामिल होगी, पारिवारिक या व्यक्तिगत मित्र को छूट प्राप्त है

नोट (1) - आकस्मिक भोजन, लिफ्ट या अन्य सामाजिक आतिथ्य को उपहार नहीं माना जाएगा -

नोट (2) - व्यक्ति से आतिथ्य या बार-बार सत्कार स्वीकार करने से बचना चाहिए / उसके साथ केवल आधिकारिक व्यवहार रखें ।

  1. शादियों, वर्षगाँठ, अंतिम संस्कार या धार्मिक कार्यों जैसे अवसरों पर, - केवल निकट संबंधियों से उपहार,परंतु सरकार को सूचित करना होगा जब उपहार का मूल्य निम्नानुसार से अधिक हो:-

  • Rs.1500.00 - Class I or II post;

  • Rs. 700.00 - Class III post; and

  • Rs. 250.00 - Class IV post.

  1. शादियों, वर्षगाँठ, अंतिम संस्कार या धार्मिक कार्यों जैसे अवसरों पर, - केवल निकट मित्रों से उपहार,परंतु सरकार को सूचित करना होगा जब उपहार का मूल्य निम्नानुसार से अधिक हो:-

        • Rs. 500.00 - Class I or II post;

        • Rs. 200.00 - Class III post; and

        • Rs. 100.00 - Class IV post.

  2. किसी भी अन्य मामले में, एक सरकारी सेवक, सरकार के अनुमोदन के बिना किसी भी उपहार को स्वीकार नहीं करेगा, यदि उसका मूल्य निम्न से अधिक हो

        • Rs. 200.00 - Class I or Class II post; ,and

        • Rs. 50.00 - Class III or Class IV post.

  3. रू 2000.00 से अधिक की गिफ़्ट राशि चेक के माध्यम से स्वीकार की जावेगी

  4. शास. व्यय पर क्रय की गई वस्तु / सुविधा पर प्रोत्साहन स्वरूप मिलने वाली उपहार / सुविधा शासकीय खाते में जमा करना होगा


Rule 14(A). - दहेज ( Dowry )

  • कोई भी शासकीय सेवक न तो दहेज लेगा या देगा


Rule 15. - शासकीय सेवकों के सम्मान में सार्वजनिक प्रदर्शन ( Public demonstrations in honour of Government servants )

  • कोई भी शासकीय सेवक, सरकार की पूर्व अनुमति के बिना, स्वयं के सम्मान या अन्य शासकीय सेवक के सम्मान में आयोजित किसी भी समारोह में नही जाएगा, न ही कोई सम्मान या प्रशंसापत्र स्वीकार करेगा

बशर्ते कि

  1. शासकीय सेवक, सेवानिवृत्ति या स्थानांतरण जैसे विदाई समारोह में जा सकतें हैं

  2. सार्वजनिक निकायों या संस्थानों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सम्मलित हो सकतें है ।

नोट: - किसी भी विदाई पार्टी हेतु कर्मचारियों पर चंदा देने हेतु दबाव नही डालेगा;

तृतीय श्रेणी या चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से चंदा संग्रह नहीं किया जावेगा

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  1. शासकीय सेवक के सम्मान में सार्वजनिक प्रदर्शन- सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है।

  2. शासकीय सेवकों द्वारा पुरस्कारों की स्वीकृति - पुरस्कार देने वाली निकाय स्वयं ही प्रतिष्ठित व सम्मानित होनी चाहिए और पुरस्कार में कोई मौद्रिक घटक शामिल नहीं होना चाहिए

  3. शासकीय कर्मी किसी प्रकार का उदघाटन / शिलान्यास का अनावरण नही कर सकते ।


Rule 16. - शासकीय सेवकों द्वारा प्रायवेट कारोबार या नियोजन ( Private business or employment )

  1. बिना अनुमति के कोई शासकीय सेवक -

      • प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यापार या व्यवसाय में संलग्न नही होगा

      • किसी भी तरह का अन्य रोजगार नही करेगा

      • किसी भी निकाय में चुनाव नही लड़ेगा या किसी उम्मीदवार या परिवार के सदस्य के लिए समर्थन नही करेगा , या

      • कंपनी अधिनियम, १९५६ के तहत बैंकों में कोई व्यावसायिक गतिविधियाँ नही करेगा

      • स्वयं को सम्मलित नही करेगा -

            1. (i) रेडीयो या टेलीविजन के प्रायोजित कार्यक्रम में;

            2. (ii) सरकारी मीडिया द्वारा संचालित मीडिया कार्यक्रम लेकिन निजी एजेंसी द्वारा निर्मित; या

            3. (iii) वीडियो पत्रिका रूप में निजी रूप से निर्मित मीडिया कार्यक्रम:

      • बशर्ते कि शासकीय सेवक द्वारा अपनी आधिकारिक क्षमता में निर्मित या कमीशन किए गए कार्यक्रम में भाग लेने हेतु कोई पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं होगी।

  2. कोई शासकीय सेवक, शासन की पूर्व मंजूरी के बिना -

      • सामाजिक या धर्मार्थ प्रकृति के मानद कार्य कर सकता है

      • साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक या सामयिक प्रकृति के कार्य कर सकता है

      • एक शौकिया के रूप में खेल गतिविधियों में भाग लें सकता है

      • किसी भी साहित्यिक, वैज्ञानिक या सामाजिक धर्मार्थ सोसाईटी या क्लब या इसी तरह के संगठन में सदस्यता ले सकता है , यदि उनका पंजीकरण सोसाईटी अधिनियम के तहत हुआ हो ।

      • सरकारी कर्मचारियों के लाभ के लिए एक पंजीकृत सहकारी समिति में सदस्यता ले सकता है

      • बशर्ते कि --

          1. (i) सरकार द्वारा निर्देशि प्राप्त होते ही अपनी गतिविधियों को बंद कर देगा

          2. (ii) एक महीने की अवधि के भीतर, अपनी भागीदारी की प्रकृति के सम्बंध में सरकार को रिपोर्ट भेजेगा ।

  3. यदि किसी शासकीय सेवक के परिवार का कोई सदस्य किसी व्यवसाय या बीमा एजेंसी या अन्य किसी कमीशन एजेंसी में कार्य कर रहा है तो वह इस बावत सरकार को सूचित करेगा ।

  4. सरकार की अनुमति के बिना किसी भी कार्य के लिए कोई शुल्क स्वीकार नहीं करेगा ।

Rule 17. - विनिधन, उधार देना या उधार लेना ( Investment, lending and borrowing )

  1. कोई भी शासकीय सेवक किसी भी शेयर, डिबेंचर या अन्य निवेश में ब्रोकर का कार्य नही करेगा :

        • स्टॉक ब्रोकर्स या अधिकृत लाइसेंस प्राप्त व्यक्तियों के माध्यम से कभी-कभार किए गए निवेश की अनुमति है।

        • स्पष्टीकरण - बार-बार खरीद या बिक्री या दोनों को सट्टा माना जाता है।


            • अपनी ओर से किसी को भी, कोई भी निवेश करने कि अनुमति नहीं देगा, जो उसके आधिकारिक कर्तव्यों को प्रभावित कर सकता हो । किसी कम्पनी के निदेशक के रूप में या मित्र के रूप में शेयरों की प्राप्ति को शेयर में निवेश ही माना जावेगा ।

            • यदि शासकीय सेवक किसी कम्पनी के IPO के सम्बंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल है तो इस तरह के IPO में निवेश नही कर सकेगा ।

  2. किसी भी संदेह के मामले में, सरकार का निर्णय अंतिम होगा ।


            • कोई भी शासकीय सेवक अपनी ओर से या किसी के माध्यम से - किसी भी फर्म या निजी लिमिटेड कंपनी में, व्यक्तिगत क्षमता में, एक एजेंट के रूप में ना तो उधार ले सकता है या उधार दे सकता है ।

                  • बशर्ते कि कोई सरकारी कर्मचारी, किसी रिश्तेदार या दोस्त को ब्याज मुक्त अस्थायी ऋण दे सकता है या स्वीकार कर सकता है; या अपने निजी कर्मचारी को वेतन का अग्रिम के रूप में भुगतान करा सकता है ।

            • जब एक सरकारी कर्मचारी को उस पद पर नियुक्त या स्थानांतरित किया जाता है, जिसमें उपरोक्त नियमों का उल्लंघन होता हो, तो वह प्राधिकरण को इस बावत सूचित करेगा और उसके निर्णय के अनुसार कार्य करेगा।

  3. अधार राशि 2000.00 रुपये से अधिक होने पर चेक के माध्यम से लेगा ।

Rule 18. - ऋण शोध्क्षमता तथा स्वभावतः ऋणग्रस्ता ( Insolvency and habitual indebtedness )

  • शासकीय सेवक को आदतन ऋणग्रस्तता या दिवालियेपन से बचना चाहिए ।

  • किसी भी देय ऋण की वसूली के सम्बंध में, कानूनी कार्यवाही के बारे में सरकार को सूचित करेगा।


Rule 19. - जंगम,स्थावर तथा मूल्यवान सम्पत्ति ( Movable, immovable and valuable property )

  1. (i) प्रत्येक शासकीय सेवक, प्रथम नियुक्ति के समय, अपनी संपत्ति और देनदारियों के बारे में घोषणा करेगा –

          • चल सम्पत्ति

          • अचल सम्पत्ति

          • शेयर / डिबेंचर

          • ऋण / देनदारियाँ

          • अपने नाम पर या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर;

                • नोट 1.- चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर सामान्यतः लागू नहीं होगा।

                • नोट 2.- 1000 रुपये से कम की चल वस्तुओं का मूल्य - एकमुश्त के रूप में जोड़ा जावेगा । कपड़े, बर्तन, क्रॉकरी, किताबें, आदि जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं को शामिल करने की आवश्यकता नहीं है ।

(ii) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी एक वार्षिक रिटर्न जमा करेगा, जो उसके या उसके परिवार या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर विरासत में मिली अचल संपत्ति / स्वामित्व / बंधक के संबंध में पूर्ण विवरण देगा ।

  1. निर्धारित प्राधिकारी को सूचित किए बगैर कोई अचल संपत्ति खरीदने, बेचने, पट्टे पर लेना, गिफ़्ट लेने आदि का कार्य नही करेगा ।

(a) शासकीय सेवक पूर्व अनुमति लेगा यदि

(i) मरम्मत / परिवर्तन / निर्माण - रुपये 5000 से अधिक हो

यदि अनुमान 10% से अधिक संशोधित होते हैं तो पूर्व सूचना देगा ।

कार्य पूर्ण होने के पश्चात, ऐसे कार्य की अंतिम लागत और उस स्रोत को प्रस्तुत करें जहां से धन राशि प्राप्त की, दस्तावेजों की प्रतियों भी प्रस्तुत करनी होगी ।

(ii) चल संपत्ति, पूर्व अनुमति प्राप्त करें या सूचित करें - लेनदेन की तारीख से एक महीने के भीतर, अगर ऐसी संपत्ति का मूल्य निम्न से अधिक हो

            • Class I or II - Rs. 10,000.00

            • Class III or IV - Rs. 5000.00

  1. (A) यदि कोई निर्धारित रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है तो यह कदाचार की श्रेणी में आएगा;

(B) एक कदाचार के कारण अनुशासनात्मक कार्यवाही होने पर, यह साबित करना कि संपत्ति वैध रूप से अर्जित की गई है, सरकारी कर्मचारी का दायित्व होगा

  1. (i) सरकार या निर्धारित प्राधिकारी, सरकारी कर्मचारी से चल या अचल संपत्ति का पूरा विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकते हैं।

(ii) यदि, चल और अचल संपत्ति को, आय के ज्ञात स्रोतों से परे पाया जाता है, तो तब तक यह माना जाएगा कि उक्त क्रय भ्रष्ट स्रोत से किया है जब तक कि शासकीय सेवक द्वारा साबित नही कर दिया जाता ।

  1. सरकार तृतीय श्रेणी या चतुर्थ श्रेणी के किसी भी वर्ग को छूट दे सकती है।

          • "चल – अचल संपत्ति" में शामिल हैं-

              1. आभूषण, बीमा पॉलिसी (वार्षिक प्रीमियर - रु १,००० / -), शेयर, प्रतिभूतियां और डिबेंचर;

              2. सभी ऋण और अग्रिम;

              3. मोटर कार, मोटर साइकल, घोड़े या अन्य कोई साधन; तथा

              4. रेफ्रिजरेटर, रेडियो रेडियोग्राम और टेलीविजन सेट 2. अनुमति हेतु प्राधिकारी से आशय है“ -

          • (i) the Government - Class I post

(ii) Head of Department - Class II post;

(iii) Head of Office - Class III or IV post;

          • विदेश सेवा के संबंध में या प्रतिनियुक्ति पर, मूल विभाग निर्णय लेगा।

______________________________________________________________________________________________________________________

मकान बनाने व उसमें विस्तार करने की मंजूरी का प्रपत्र

(GAD No. 1950/2521/1(3)/85 dt. 15.09.1965)

महोदय,

मैं आपको यह सूचित करता हूँ कि मैं मकान बनाना या उसमें मरम्मत कराना चाहता हूँ ।

मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि मुझे मकान बनाने या उसमें मरम्मत कराने कि अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें ।

मकान बनाने या विस्तार करने कि अनुमानित लागत निम्नानुसार है :-

Land / जमीन

(1) Location (Survey number, village, district, State),

(2) Area

(3) Cost

Building Materials Etc./ निर्माण के लिए सामान

(1) Bricks (Rate/quantity/cost)

(2) Cement (Rate/quantity/cost)

(3) Iron and Steel (Rate/quantity/cost)

(4) Timber (Rate/quantity/cost)

(5) Sanitary Fittings (Cost)

(6) Electrical Fittings (Cost)

(7) Any other special fittings (Cost).

(8) Labour Charges

(9) Other charges, if any.

Total Cost of Land and Building / भवन कि कुल कीमत

1. निर्माण की देखरेख स्वयं / ..… द्वारा की जाएगी । ....... को भुगतान … @ …द्वारा होगा

ठेकेदार के साथ मेरा कोई पदीय संव्यवहार नही है और न ही अतीत में उसके साथ मेरा कोई आधिकारिक व्यवहार था ।

मेरे और ठेकेदार के पदीय संव्यवहार की प्रकृति इस प्रकार है:

2. प्रस्तावित संकुचन की लागत निम्नानुसार पूरी की जाएगी: -

रकम

(i) स्वयं की बचत

(ii) पूर्ण विवरण के साथ ऋण / अग्रिम

(ii) विवरण के साथ अन्य स्रोत।

आपका आभारी

FORM II

(Form of report to the prescribed authority after completion of the buildings/extension of a house)

महोदय,

मेरे पत्र क्रं ...... दिनॉक........ के तारतम्य में आदेश क्रं ...... दिनॉक.....के द्वारा मुझे मकान बनाने या विस्तार करने कु अनुमति प्रदान की गई थी ।

मै आपको सूचित करना चहाता हूँ कि उक्त कार्य पूर्ण हो चुका है व प्रमाणित मूल्यकान रिपोर्ट सलग्न है

भवदीय

VALUATION REPORT

I/We hereby certify that I/We have valued House(Here enter details of the house) …………….constructed by Shri/ Smt. …………………and I/We give below the value at which we estimate the cost of the house under the following heading :-

Headings Cost

Rs.

(1) Bricks (2) Cement (3) Iron and Steel

(4) Timber (5) Sanitary Fittings (6) Electrical Fittings

(7) Any other special fittings (8) Labour Charges (9) Other charges, if any.

Total cost of the building______________

(Signature of the Valuation authority)

Date :

______________________________________________________________________________________________________________________

4. Prescription of time limits for grant of permission

  • Rule 9 (2) {Press Book Publishing} - 30 days

  • 14 (4) {Gifts} - 30 days

  • 19 (2) {dispose of any immovable property} - 30 days

  • 19 (3) {transcation of immovable property} - 30 days

  • 19-A {Movable and Immovable property} - 30 day

  • Rule 20 (1) {Vindications of acts} - 6 weeks

5. शासकीय सेवक के पति / पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा अपने स्वयं के निधियों से अर्जित सामग्री, जिसमें स्त्रीधन, सरकारी सेवक के निधियों से अलग, विरासत में मिली सामग्री आदि शामिल हैं, नियम 19 के उप-नियमों के प्रावधान के अंतर्गत नही आएगी ।


Rule 20. शासकीय सेवकों के कार्यों तथा चरित्र का निर्दोष सिद्ध किया जाना ( Vindication of acts and character of Government servant )

  • कोई भी शासकीय सेवक, सरकार की पूर्व अनुमति के, किसी भी ऐसे कार्य के लिए न्यायालय या समाचार पत्र में नही जावेगा, जो आलोचना या मानहानि का विषय बन गया हो ।

  • अपने निजी चरित्र को या निजी क्षमता में किए गए किसी कृत्य को निर्दोष सिद्ध करने के लिए इन नियमों का सहारा नही ले सकता ।

Rule 21. - अशासकीय या अन्य प्रभाव डालाना ( Canvassing of non-official or other outside influence )

  • सरकार के अधीन अपनी सेवा से संबंधित किसी भी कार्य के लिए, किसी भी अधिकारी पर राजनीतिक या अन्य बाहरी प्रभाव को नहीं डालेगा

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  1. रिश्तेदारों द्वारा सेवा मामलों पर प्रतिनिधित्व को हतोत्साहित किया जाना चाहिए -

        • किसी रिश्तेदार द्वारा प्रस्तुत सेवा मामलों से सम्बंधित आवेदनों पर कोई नोटिस नहीं लिया जाना चाहिए।

        • मृत्यु या शारीरिक विकलांगता से संबंधित मामले अपवाद रहेंगें ।

  2. गैर-सरकारी दबाव -

        • पहली बार उल्लंघन – ऐसा न करने की सलाह दी जावेगी ।

        • दूसरी बार उल्लंघन - एक लिखित चेतावनी और उसके बाद CR में लेखबद्ध जावेगा ।

  3. गैर-सरकारी प्रभाव- सार्वजनिक / आम जनता का ज्ञापन

        • समूहों / वर्गों की समस्याओं से सम्बंधित ज्ञापन स्वीकार किए जावेंगें व इन पर त्वरित कार्यवाही की जावेगी

        • सेवानिवृत्त कर्मियों से संबंधित सभी ज्ञापनों पर त्वरित कार्यवाही की जावेगी ।

  4. सेवा मामलों पर सरकारी सेवकों का ज्ञापन-

        • उचित माध्यम से अग्रेषित किया जाना चाहिए। अग्रिम प्रति भेजी जा सकती है।

        • वेतन / भत्ते या अन्य देय राशि के भुगतान न होने के सम्बंध में, (2) अन्य सेवा मामले के सम्बंध में, (3) कार्यालय प्रमुख के आदेशों के विरुद्ध

          1. वैधानिक नियमों और आदेशों के तहत अपील और याचिकाएँ (जैसे CCA नियम आदि )।

          2. यदि किसी व्यक्ति को ज्ञापन प्रस्तुत करेने के 01माह के भीतर उत्तर नहीं मिला है, तो वह अपनी शिकायतों के निवारण के लिए अगले उच्च अधिकारी को ज्ञापन दे सकता है।

          3. शासकीय सेवकों को स्वयं के सेवा से सम्बंधित मामलों में मान. मंत्री गण / मुख्यमंत्री से बिना अनुमति के नही मिलना चाहिए ।

          4. एवं समस्या निवारण के सम्बंध में उचित मार्ग का उपयोग करना चाहिए

Rule 22. - द्दिविवाह ( Bigamous marriage )

  • कोई भी सरकारी कर्मचारी, पति / पत्नी के जीवित रहने पर, सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर, दोबारा से शादी नहीं कर सकता । शादि के सम्बंध में पर्सनल लॉ के नियम प्रभावशील रहेंगें ।

  • कोई भी सरकारी कर्मचारी महिला का यौन उत्पीड़न नहीं करेगा। उसमे समाविष्ट हैं:-

  1. शारीरिक संपर्क बनाना या कोशिस करना

  2. यौन सहमति की मांग या अनुरोध करना

  3. कामास्क्त टिप्पणी करना

  4. अश्लील साहित्य दिखाना

  5. कामास्क्त प्रकृति का कोई अन्य अभद्र शारीरिक, मौखिक या शारीरिक आचरण

  • भारत सरकार और राज्य सरकार के परिवार कल्याण नीतियों का पालन करेगा ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

कदाचारण :- यदि तीसरा बच्चा 26-1-2000 को या उसके बाद पैदा हुआ हो ”।

Rule 22(A). - अवचार की सामान्य धारणा (General concept of Misconduct )

  • कदाचरण - इन नियमों में उल्लिखित निर्देशों या निषेध के उल्लंघन होने पर सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियमों के तहत कार्यवाही की जावेगी ।

Rule 23. - मादक पेयों तथा औषधियों का उपयोग (Consumption of intoxicating drinks and drugs )

  • कोई भी शासकीय सेवक

      1. मादक पेय से संबंधित किसी भी कानून का कड़ाई से पालन करेगा ;

      2. ड्यूटी के दौरान कोई नशीला पेय या दवा का इस्तेमाल नहीं करेगा

      3. नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर नहीं दिखाई देगा

      4. आदतन किसी भी नशीले पेय या दवा का उपयोग नही करेगा

  • सार्वजनिक स्थान - कोई भी स्थान या परिसर (एक वाहन सहित) जहॉ आम जनता जा सकती हो को सार्वजनिक स्थल माना जावेगा, ऐसे स्थल पर शराब इत्यादि का सेवन नही कर सकते ।

स्पष्टीकरण / व्याख्या / संबंधित आदेश सारांश -:

  • सार्वजनिक स्थान -

      1. क्लब - सदस्य और गैर-सदस्य मेहमानों के लिए सार्वजनिक स्थल माना जावेगा ।

      2. किसी होटल में ठहरने के कमरे में शराब पीना नियम 23 के प्रावधानों को आकर्षित नहीं करेगा लेकिन बार या रेस्तरां में शराब पीना जहाँ आम जनता को जाने की अनुमति है, उपरोक्त नियम को आकर्षित करेगा।

      3. सरकारी सेवकों को विदेशी मिशनों द्वारा, चाहे वह मिशन परिसर के भीतर हो या हॉल / लाउंज में विशेष रूप से आरक्षित हों, यहां तक कि आधिकारिक पार्टियों में भी नशीले पेय का सेवन करने से बचना चाहिए।

  • शासकीय सेवक से घोषणा पत्र लिया जावे कि वह सार्वजनिक रूप से एवं अपने कर्तव्यों के निर्वहन कि अवधि में मद्यपान नही करेगा

Rule 23(A) - 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को रोजगार में लगाने पर प्रतिबंध ( Prohibition regarding employment of children below 14 years of age)

  • कोई भी सरकारी कर्मचारी 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को काम पर नहीं रखेगा।

Rule 24 - निर्वचन ( Interpretation )

  • यदि इन नियमों की व्याख्या से संबंधित कोई प्रश्न उठता है, तो इसे सरकार को भेजा जाएगा, और सरकार का नियम अंतिम होगा।

Rule 25 - शक्तियों का प्रत्यायोजन ( Delegation of Powers )

  • सरकार यह निर्देश दे सकती है कि इन नियमों (नियम 24 और इस नियम के तहत शक्तियों को छोड़कर) के तहत किसी भी विभागाध्यक्ष द्वारा प्रयोग होने वाली कोई भी शक्ति, किसी अन्य अधिकारी को भी प्रयोग करने हेतु जारी आदेश में निर्दिष्ट कर सकेगी ।

Rule 26 - निरसन तथा व्यावृति (Repeal and Saving)

  • इन नियमों के शुरू होने से ठीक पहलेसे प्रचलित कोई भी नियम समाप्त किए जाते हैं




सामान्य भविष्य निधि नियम,1955 (General Provident Fund Rule,1955 )

(For detail explanation click here)

उद्देश्य

      • शासकीय सेवक के सेवानिवृत्ति होने पर पारिवारिक जिम्मेदारी व अतिरिक्त संसाधनों को प्राप्त कर, सुखी जीवनयापन करने के लिए

      • एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य शासकीय सेवक (मतलब सब्सक्राइबर) के परिवार को सुरक्षा प्रदान करना है, शासकीय सेवक की अचानक मृत्यु हो जाने पर


सामान्य भविष्य निधि खातों का संधारण किसके द्वारा किया जाता है ?

      • महालेखाकार कार्यालय (लेखा एवं हकदारी)

      • सामान्य भविष्य निधि नियम 1955 के प्रावधानों के अनुरूप संधारित किया जाता है ।


सामान्य भविष्य निधि में अभिदान की पात्रता किसे हैं ?

  • 1 जनवरी 2005 से पूर्व स्थाई या अस्थाई रूप से नियुक्त शासकीय कर्मचारी

  • एक बार तय की गई अभिदान, वित्तीय वर्ष के दौरान अपरिवर्तित बनी रहेगी |


क्या G.P.F. में अभिदान आवश्यक है ?

      • निलंबन अवधि एवं सेवा निवृत्ति के चार माह पहले छोड़कर प्रत्येक माह मासिक अभिदान आवश्यक है ।

      • अर्द्ध वैतनिक अवकाश की दशा में वैकल्पिक है , अतः लिखित सहमति पर ही अभिदान किया जा सकता है (नियम 10) ।


अभिदान की न्यूनतम दर क्या है ?

      • कुल परिलब्धियों का 12 प्रतिशत (नियम 11)

      • कुल परिलब्धियों से अधिक नहीं ।


क्या परिवार के सदस्य के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को G.P.F. के लिए नामित किया जा सकता है ?

  • नहीं / No


सा.भ.नि. (G.P.F.) नियम 2-C (i) (a) & (ii) में परिभाषित केवल परिवार के सदस्यों को ही नामित किया जा सकता है।

  • पुरुष:- Wife, Parents/paternal grand parents, legitimate children, minor brothers, unmarried sisters, deceased son’s wife and his children

  • महिला:- Husband, Parents/paternal grand, parents, legitimate children, minor brothers, unmarried sisters, deceased son’s widow and his children


यदि खाता ऋणात्मक शेष है तो ब्याज का क्या प्रावधान है ?

  • खाता ऋणात्मक होने पर 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज चालू ब्याज दर के साथ लागू होगी (नियम 15 अनुसार) ।

  • स्वीकृत आंशिक अंतिम आहरणों की प्रविष्टियां क्या सेवा पुस्तिका में भी की जातीं हैं ? •हॉं , स्वीकृत किये गये तथा भुगतान किये गये आंशिक अंतिम आहरणों का इन्द्राज संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में अनिवार्य रूप से किया जावेगा ।


क्या विभाग को अभिदाता की सामान्य भविष्य निधि पासबुक का संधारण अनिवार्य है ?

      • हॉं, वर्ष 1983 से अनिवार्य है ।

      • पासबुक का संधारण किस प्रकार किया जावेगा ?

      • प्रत्येक आहरण संवितरण अधिकारी द्वारा उनके अधीनस्थ समस्त सामान्य भविष्य निधि के सदस्यों की पासबुक संधारण की जावेगी पासबुक माहवार/वर्षवार तैयार की जावेगी ।

      • इसमें समस्त कटौत्रों/आहरणों के पूर्ण विवरण दर्ज किये जावेंगे जिसमें कटौत्रों/आहरणों का माह एवं कोषालय व्हाउचर्स क्रमांक, कटौत्रों की राशि, देयकों की राशि आदि का विवरण दिया जावेगा ।

      • आहरणों बावत्‌ स्वीकृति व आहरण की टीप भी स्पष्टतः दी जानी चाहिये ।

      • वर्ष के अन्त में पासबुक में ब्याज की राशि की गणना सहित संवरण करना चाहिये। प्रत्येक वर्ष की पासबुक आहरण अधिकारी से सत्यापित की जानी आवश्यक है ।


खाता सुधार हेतु मान्य किये जाने वाले सत्यापित विवरण क्या हैं ?

  • सत्यापित पासबुक की प्रति जिसमें व्हाउचर क्रमांक एवं दिनांक सहित कटौत्रों/आहरणों का विवरण हो।

  • सत्यापित व्हाउचर/कटौत्रा पत्रक की फोटो प्रति जिसमें मुख्य शीर्ष, आहरण अधिकारी का नाम, व्हाउचर क्रमांक एवं दिनांक अंकित हो।

  • आहरण एवं संवितरण अधिकारी द्वारा सत्यापित विवरण

  • कैश बुक की फोटो प्रति, बिल रजिस्टर इत्यादि।


क्या अग्रिमों की वसूली खाते में जमा होने पर भी अग्रिम को शेष में से घटाना आवश्यक है ?

      • हां, अग्रिमों की आहरित राशि खाते के शेष निर्धारण करते समय कम की जावेगी एवं अग्रिम के विरूद्ध प्राप्त वसूलियां खाते में जमा की जावेगी।

      • लेखा सुधार, अभिदाता के लेखे में कब परिलक्षित होगा ?

      • वर्ष के अंत में लेखा संवरण के पश्चात जारी लेखा विवरण में वर्ष के दौरान किये गये समस्त सुधार परिलक्षित होंगे ।


आन लाईन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है ?

      • महालेखाकार कार्यालय की बेव साइट पर Online Grievance Redressal पर की जा सकेगी | उदाहरण:- www.agmp.nic.in एवं www.agmp.cag.gov.in

      • आपकी समस्या का समाधान Online शिकायत दर्ज करने के एक माह के अन्दर सूचित किया जावेगा ।


अंतिम भुगतान की क्या प्रक्रिया है ?

  • सेवानिवृत्त अभिदाता/मृतक अभिदाता के प्रकरणों में दावेदार जैसी भी स्थिति हो के संदर्भ में निर्धारित प्रारूप पंचम अनुसूची में विभाग द्वारा आवेदन पत्र पूर्ण कर व जांच सूची अनुसार संपूर्ण दस्तावेज संलग्न कर महालेखाकार को प्रस्तुत किया जावेगा ।


अंतिम भुगतान प्रकरण के साथ क्या-क्या दस्तावेज/प्रमाणपत्र संलग्न करना आवश्यक हैं ?

  • निम्न दस्तावेज आवश्यक हैं :-

      1. निर्धारित प्रारूप में, आवेदन चेक लिस्ट से जांच कर , सभी प्रविष्टियॉ पूर्ण की गई हों ।

      2. आंशिक अंतिम आहरणों की प्रमाणित सूची - कोषालय व्हाउचर क्रमांक व दिनांक सहित ।

      3. सा.भ.नि. (G.P.F.) पुस्तिका की सत्यापित मूल प्रति ।

      4. अभिदाता की मृत्यु की स्थिति में मूल नामांकन, यदि मूल नामांकन उपलब्ध नहीं है तो आहरण अधिकारी का प्रमाण पत्र कि नामांकन पत्र उपलब्ध नहीं है तथा परिवार के सदस्यों की सूची, यदि परिवार नहीं है तो सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र ।


अंतिम भुगतान पर देय राशि ?

      • सेवानिवृत्ति की तारीख से एक वर्ष के भीतर 90% शेष राशि का भुगतान किया जा सकता है ।

      • सेवानिवृति होने पर, बिना कोई कारण बताए पूर्ण भुगतान किया जावेगा ।


शासन से त्यागपत्र देकर दूसरे सेवा में नियुक्त होने पर G.P.F. का भुगतान किस प्रकार किया जाता है ?

  • यदि अभिदाता एक शासन की शासकीय सेवा को छोड़कर अन्य शासन की सेवा में सम्मिलित होता है तो ऐसी अवस्था में अभिदाता की जमा राशि पर नियम 14 अन्तर्गत ब्याज गणना की जावेगी और ब्याज सहित धन राशि स्थानान्तरित की जावेगी ।


अभिदाता की मृत्यु होने पर अंतिम भुगतान किस प्रकार हो सकेगा ?

      • अभिदाता की मृत्यु होने पर विभाग समस्त प्रमाण पत्र सहित निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा। प्रकरण के साथ निम्न दस्तावेज अनिवार्यतः संलग्न किये जावें :-

          1. नामांकन प्रमाण पत्र यदि नामांकन प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है तो इसका अनुपलब्धता प्रमाण पत्र ।

          2. अभिदाता के परिवार का पूर्ण विवरण ।

          3. यदि अभिदाता द्वारा नामांकन नहीं भरा गया है एवं परिवार नहीं है तो सक्षम न्यायालय का उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से भेजा जावे।


क्या चतुर्थ वर्ग कर्मचारी से तृतीय वर्ग कर्मचारी होने पर G.P.F. का सदस्य बना जा सकता ?

      • हॉं, चतुर्थ वर्ग से तृतीय वर्ग में शामिल होने पर सामान्य भविष्य निधि खाता आबंटन हेतु आवेदन निर्धारित प्रपत्र में विभाग के माध्यम से महालेखाकार कार्यालय में प्रेषित करना चाहिए ।

      • समीक्षा उपरान्त खाता क्रमांक आबंटित किया जावेगा ।


DPF की राशि का अंतरण GPF खाते में कैसे किया जावेगा ?

  • खाता आबंटन होने पर विभाग द्वारा DPF का GPF में समायोजन हेतु प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र के साथ DPF के समस्त कटौत्रों/आहरणों का ब्याज सहित विवरण पत्रक अनिवार्य रूप से प्रेषित करना होगा। साथ हीं साथ अभिदाता का खाताबंदी प्रमाण पत्र तथा अभुगतान प्रमाण पत्र भी प्रेषित करना होगा। तत्पद्गचात कटौत्रों/आहरणों के पत्रक की जांच कर विभागीय राशि को GPF खाता में अंतरित किया जा सकता है ।


क्या शपथ पत्र से गुम कटौत्रों का समायोजन संभव है ?

  • जहां अवशेष बेलेन्स की कुल राशि रू. 2500 से अधिक हो किंतु रू. 5000 से अधिक न हो वहां अंशदाता द्वारा दिये गये (निर्धारित प्रारूप) शपथ पत्र पर प्रस्तुत करने पर भुगतान प्राधिकृत किया जा सकता है ।


अंतिम भुगतान प्रकरण में ऋणात्मक शेष होने पर क्या करें ?

  • खाते का समाशोधन कराया जावे, फिर भी शेष ऋणात्मक रहता है तो ऋणात्मक राशि (नियमानुसार) 2.5 प्रतिशत दण्डात्मक ब्याज सहित सामान्य ब्याज दर के साथ राशि सा.भ.नि. (G.P.F.) खाता में जमा की जा सकती है ।

  • •मुख्य शीर्ष / major head :

                  • 8009-01-101-0001-सा.भ.नि. (G.P.F.)


G.P.F. से आहरण कैसे व कितना होगा ?

  • GPF से आहरण - बारह माह का वेतन या जी.पी.एफ़. में जमा राशि का तीन-चौथाई (75 प्रतिशत), जो भी कम हो। कुछ मामलों में, बीमारी के लिए, जमा राशि का 90 प्रतिशत आहरण की अनुमति दी जा सकती है।

  • सा.भ.नि. (G.P.F.) से ऋण •जीपीएफ में कुल बकाया राशि का तीन-चौथाई या 75 प्रतिशत वापस लिया जा सकता है

        1. घर खरीदने के उद्देश्य से, बकाया आवास ऋण का पुनर्भुगतान, घर बनाने के लिए भूमि की खरीद, पुनर्निर्माण या वर्तमान घर में नवीन निर्माण या परिवर्तन ।

        2. मेडिकल ग्राउंड्स पर लंबे समय तक बीमारियों के संबंध में खर्च का भुगतान करने हेतु

        3. बच्चों की शिक्षा के लिए भुगतान करने हेतु

        4. शादी या अन्य समारोहों के संबंध में अनिवार्य खर्च का भुगतान करने हेतु

        5. घर बनाने हेतु

        6. कार/व्हीकल क्रय करने हेतु


विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

चिकित्सा परिचर्या नियम,1958 ( Medical Attendance Rule,1958 )

(For detail explanation click here)

नियम -1 संक्षिप्त नाम एवं प्रभावशीलता (Short Name and Applicability)

  • सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्चा) नियम, 1958

  • यह नियम लागू होंगे-

            1. नियमतकारी शासकीय कर्मचारी

            2. संविदा शासकीय कर्मचारी

            3. प्रशिक्षणाधीन या कर्तव्यस्थ नगर सैनिक

            4. आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले पूर्णकालिक कर्मचारी

            5. परियोजना मे मासिक वेतन पर निरंतर नियोजित कार्य-प्रभावित स्थापना के सदस्य

  • यह नियम लागू नहीं होंगे-

            1. सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी

            2. अंशकालिक शासकीय कर्मचारी

            3. अवैतनिक कर्मचारी


नियम -2 परिभाषा ( Family )

          • परिवार में सम्मिलित होंगें:

              1. पत्नी या पति

              2. पूर्णतः आश्रित उसके माता-पिता

              3. संतान

              4. धर्मज संतान जिसमे विधिक रुप से गोद ली गई संतान तथा सौतेली संतान।

          • परिवार के सदस्य जिन्हें शिक्षा अथवा उपचार या स्वयं की सहूलियत के कारण निवास स्थान से दूर रखा है, उसके साथ रहते हुए माना जायेगा।

          • पूर्णतः आश्रित तलाकशुदा पुत्री परिवार मे सम्मिलित मानी जा सकती है

          • पूर्णतः आश्रित सदस्यों की समस्त स्त्रोतों से आय (पेंशन सहित) 01 लाख से अधिक न हो ।

          • विवाहित महिला शासकीय कर्मचारियों के माता पिता की चिकित्सा प्रतिपूर्ति के संबंध मे

          • विवाहित महिला सरकारी कर्मचारियों के माता-पिता की चिकित्सा प्रतिपूर्ति

              1. उस पर पूर्णतः निर्भर हों

              2. आय का कोई स्त्रोत न हो

              3. साधारणतः वर्ष भर निवास करते हों

              4. महिला कर्मचारी के सिवाय उनका और कोई सहारा न हो

              5. महिला कर्मचारी से इस बावत घोषणा पत्र लिया जावेगा


नियम -3. उपचार (Treatment)

        • नि: शुल्क चिकित्सा उपचार के हकदार होंगे

        • निवास स्थान पर चिकित्सा उपचार की मांग पर. डॉक्टर को रोगी का इलाज करने के लिए उसके निवास पर जाना होगा

        • उपचार अनुवर्ती कार्रवाई

              1. शासकीय सेवक और उनके आश्रित – मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी द्वारा अनुमति दी जा सकती है - केवल 06 महीने के लिए


नियम -4. निःशुल्क उपचार ( Free Treatment)

  • शासकीय चिकित्सालय / महाविद्यालयों मे निःशुल्क उपचार ।

  • 2.चिकित्सा अग्रिम ( राज्य के अंदर ) – जिला चिकित्सा बोर्ड


नियम -5. मानसिक रोग से पीड़ित शासकीय कर्मचारी ( Government employee suffering from mental illness )

        • मानसिक रोग से पीड़ित शासकीय कर्मचारियों या आश्रितों को शासकीय मानसिक चिकित्सालय मे, भरती होने की तारीख से अधिक से अधिक दो वर्ष की अवधि तक Free medical treatment आदि दिया जावेगा ।

        • परन्तु ऐसे शासकीय कर्मचारी जिसका वेतन 100 रुपये प्रतिमाह से अधिक है, विहित भरण पोषण स्वयं की आधी रकम से वहन करेगा।


नियम -6. प्रतिपूर्ति की मांग ( Demand for reimbursement )

  • शासकीय सेवक पहले चिकित्सा उपचार, जांच, कमरे का किराया या खुराक अथवा अन्य प्रभार के बिलों का भुगतान करेगा और तत्पश्चात वह उसकी प्रतिपूर्ति की मांग कर सकेगा


Amount Authorised Officer

चार बार या लगातार तीन माह तक रु 1000/- प्रति माह से अधिक CMHO

More than 10000 Medical Board

More than 25000 Director Health services / Dean Govt. Medical College

  • लागू नहीं है

            1. अंतरंग (इन्डोर) रोगियों तथा

            2. उन रोगियों पर जो ऐसे रोग से पीड़ित हों, जिसमे बारे मे संबंधित CMHO द्वारा प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया हो कि उनका उपचार लम्बे समय तक चलना है या चलने की सम्भावना है, से संबंधित प्रतिपूर्ति बिलों के मामले मे लागू नहीं होगा।

  • टिप्पणी- यह प्रमाण पत्र एक समय मे एक वर्ष से अधिक के लिए जारी नहीं किये जावेंगे।


नियम -7. प्रतिपूर्ति का हकदार ( Entitled to compensation )

  • कोई शासकीय सेवक:

        • OPD के ल लइए 01 वर्ष में 04 बार या लगातार 03 माह तक रो 250 प्रतिमाह सए अधिक चिकित्सा प्रतोपूर्ती बिल स्वयं के नाम से या परिवार के नाम सए नही लगाएगा ।

        • यदि किसी 01 वर्ष मएं राशि 3000 से अधिक होती है तो, ऐसे समस्त बिलों की जॉच एक चिकित्सा मंडल से कराएगा जिसमें सम्भागीय सयुंक्त संचालक(स्वास्थ), मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सम्बंधित बीमारी के विशेषज्ञ तथा जिला आयुर्वेद अधिकारी सम्मिलित होंगें ।

        • उपचार के लिए पी.ए.सी. की खरीदी पर हुआ सम्पूर्ण व्यय, जो उपचार के प्रत्येक दौर के लिए अधिक से अधिक 4 कि.ग्रा. या 4000 ग्राम होगा।

        • मधुमेह(Diabetes) patient – For purchasing insulin for 06 months in primary stage.

        • Oxygen देने मे हुआ सम्पूर्ण व्यय

        • Blood purchasing पर हुआ व्यय

        • Total expenditure during delivery.

        • Room charges in hospital. (Class – IV and contingent employees – only 50% )

        • Pathological / Microbiological investigations – Total Bill

        • No reimbursement for Ambulance or other vehicle.

        • विकलांग शासकीय सेवक - केपीलर, कृतिम अंग, विकृत पैर के जूते, विकलांग पट्टियॉ, गर्दन की कॉलर, आदि आवश्यक उपकरण - पहली बार शासन के व्यय पर

        • लुको प्लास्टर / चिपकने वाला टेप - कोई प्रतिपूर्ति नहीं


नियम -8. प्रतिपूर्ति का आवेदन फार्म ( Reimbursement application form )

  • व्यय किये जाने की तारीख से छः माह के भीतर प्रस्तुत किया जावेगा।

        • परन्तु जहां, शासकीय कर्मचारी स्वयं ही नियंत्रण प्राधिकारी हो वहां छः माह की अवधि की गणना कोषालय अधिकारी को मांग प्रस्तुत किये जानें की तारीख के संदर्भ मे की जायेगी

  • फॉर्म 2 में सभी बिल सिविल सर्जन द्वारा काउंटरसाइन किए जावेंगें


नियम - 9. उपचार का ब्यौरा ( Treatment details Doctor)

  • प्रत्येक शासकीय सेवक के सम्बंध में डायरी या ज्ञापन के रूप में उसके द्वारा किए गए उपचार या परीक्षण की तारीख और स्थान सहित व्यौरा रखेगे ।


नियम-10. चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति (Medical expenses reimbursement )

  • मेडिकल बिल आहरण एवं संवितिरण अधिकारी द्वारा पास किए जावेंग़ें

  • मेडिकल बिल के संबंध में सभी नियम परिवार के सदस्यों पर भी लागू होंगे।

  • प्रसव के दौरान कुल व्यय - (यदि 03 या अधिक बच्चे जीवित हैं कोई प्रतिपूर्ति नही)

  • आयुर्वेदिक / यूनानी / होम्योपैथिक / बायो-केमिक उपचार के लिए भी लागू होगें ।

  • राज्य सरकार के कर्मचारी - निजी अस्पताल में राज्य के बाहर उपचार

  1. डीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय - आंकलन का 80% या निश्चित सीमा (जो भी कम हो)।

  • राज्य सरकार के कर्मचारी – राज्य के निजी अस्पताल में उपचार

  1. सयुंक्त संचालक – चिकित्सा सेवाएं - आंकलन का 80% या निश्चित सीमा (जो भी कम हो) ।

  • राज्य के भीतर उपचार - आपातकालीन स्थिति

  1. किसी भी मान्यता प्राप्त अस्पताल में - – कार्योत्तर स्वीकृति प्राप्त करनी होगी – सम्भागीय आयुक्त की अध्यक्षता में समिति

  • राज्य के अंदर निजी अस्पताल में उपचार (कार्योत्तर)


Divisional Commissioner President

JD - Health Member - Secretary

JD - Treasury Member

CMHO Member

Civil Surgeon Member


  • राज्य के बाहर निजी अस्पताल में उपचार

  1. डीन, शास. मेडिकल कॉलेज - अधिकृत – आंकलन का 80% या उस बीमारी के लिए निश्चित सीमा (जो भी कम हो)।


Divisional Commissioner President

Dean, Medical College Member - Secretary

JD - Treasury Member

JD - Health Member

Air Ambulance

  • आपातकालीन परिस्थिति में, सरकार एयर एम्बुलेंस लागत की प्रतिपूर्ति कर सकती है - आवेदन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजा जाएगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों या केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उचित माध्यम से उचित सरकार को आवेदन भेजना होगा ।


विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

सिविल सेवा (नियंत्रण, वर्गीकरण एवं अपील) नियम, 1966 [ Civil Services (CCA) Rule,1966]

(For detail explanation click here)


जॉच कब की जाती है व प्रमुख बिंदु क्या हैं ?

  • जब शासकीय सेवक द्वारा नैतिकता के आधार पर सारे कानूनों व आचरण नियमों का पालन नही किया जा रहा हो ।

  • जब सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लघन होता है तो जॉच (DE) बैठती है।

  • कदाचरण जब जॉच के घेरे में आता है व प्रथम दष्टया यही होता तो विभागीय जॉच (DE) होती है।

  • किसी भी शासकीय सेवक की शिकायत आने पर प्रारंभिक जॉच करनी चाहिए ।

  • प्रारंभिक जॉच के आधार पर आरोप सिद्ध होने पर विभागीय जॉच (DE) करनी चाहिए।

  • सम्बंधित को युक्तियुक्त अवसर प्रदान किया जावेगा -

      1. पक्ष सुना जावे

      2. चार्ज शीट प्रस्तुत की जावे

  • शिकायत कर्त्ता को जॉच अधिकारी न बनाया जावे।

  • कोई भी अधिकरी खुद के प्रकरण मे जॉंचकर्ता नहीं बन सकता

  • पारित किया गया दण्ड आदेश (Speaking Order) होना चाहिए

  • जिस कदाचरण को समाज स्वीकार नहीं करती उसे शासन भी स्वीकार नहीं करता

  • यदि कोई कर्मचारी विभागीय जॉच में अनियमितता के कारण, मान. न्यायालय द्वारा मुक्त हुआ हो तो भी उसके विरुद्ध दुबारा विभागीय जॉच करने में रोक नही है ।

  • जिन आरोपों पर विभागीय जॉच हो रही हो और उन्ही आरोपों के सम्बंध में मान. न्ययालय का निर्णय हो तो दुबारा विभागीय जॉच नही हो सकती ।

  • किंतु बहाली यदि तांत्रिक बिंदुओं पर हो जैसे विभागीय जॉच में कोई अनियमियत्ता या संविधान की धारा 311 के तहत बचाव का अवसर न देना, तो दुबारा जॉच की जा सकती है, परंतु जिन तथ्यों को न्यायालय ने प्रमाणित माना हो, उन तथ्यों पर जॉच नही होगी ।


किसी शासकीय सेवक की जॉच के सम्बंध में भारत के संविधान के प्रमुख प्रावधान क्या हैं ?

  • अनुच्छेद 309

      1. संसद और राज्य विधान-मंडल को यह अधिकार प्रदान करता है कि संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से सम्बंधित लोक सेवाओं और पदों के लिए भर्ती एवं नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेंगे.

  • अनुच्छेद 310

      1. प्रत्येक व्यक्ति जो रक्षा का या संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का सदस्य है अथवा रक्षा से सम्बंधित कोई पद या संघ के अधीन कोई पद धारण करता है, तो वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा और वह प्रत्येक व्यक्ति जो किसी राज्य की सिविल सेवा का सदस्य है या राज्य के अधीन कोई सिविल पद पर धारण करता है वह (उस राज्य के राज्यपाल) के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा.

  • अनुच्छेद 311 में दी गई जाँच की दो आवश्यक विशेषता

      1. शासकीय सेवक को आरोपों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए

      2. बचाव करने का उचित व पर्याप्त अवसर दिया जावे

  • अनुच्छेद 311(1) व 311(2) लागू नही होगा

      1. जहॉं किसी न्यायालय ने शासकीय कर्मी पर सजा सुनाई हो।

      2. किसी खास कारण से, जो कि लेखबद्ध किया जावेगा, के कारण शासकीय सेवक को बगैर विभागीय जॉच के पदच्युत या पंक्ति में अवनत किया जाना हो

      3. महा. राष्ट्रपती / महा. राज्यपाल को समाधान हो कि राष्ट्र के हित में जॉच करना उपयुक्त नही है ।

  • अनुच्छेद 311(2) (क)

      1. न्यायालय में दोष सिद्ध (Conviction) होने पर सेवा से पदच्युत किया जा सकता है।

  • अनुच्छेद 311(2) (ख)

      1. यदि किसी शासकीय सेवक ने गंभीर गलती की है जिसे विभागीय जॉच में शामिल नही किया जा सकता - नौकरी से हटाया जावेगा (पदच्युत किया जावेगा)

  • अनुच्छेद 311(2) (ग)

      1. यदि किसी शासकीय सेवक ने देशद्रोह का कार्य किया है, तो उसकी जॉच नही होगी - नौकरी से हटाया जावेगा (पदच्चयुत किया जावेगा) ।

  • अनुच्छेद 311(2)(क),(ख),(ग) के तहत पदच्युत शासकीय सेवक अपील नही कर सकता ।


क्या सेवानिवृत्त शासकीय सेवक द्वारा सेवा अवधि के दौरान किए गए किसी भी कृत्य के संबंध में जांच की जा सकती है ?

      • सेवानिवृत्ति के बाद कार्यवाही शुरू की जा सकती है

          1. केवल राज्यपाल की मंजूरी से ही ।

          2. केवल उन्ही कृत्यों / घटनाओं के संबंध में जो सेवानिवृति के चार साल के अंदर हुई हो


सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न प्रावधानों में आपके सामने आने वाले कुछ सकारात्मक तत्व क्या हैं ?

        • प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुप्रयोग

        • अनुच्छेद 311 के तहत संरक्षण

        • जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान

        • मृत्यु के बाद समस्त भुगतान


कुल नियम 35

Rule 1 to 3 - सामान्य / General

Rule 4 to 8 - वर्गीकरण / Classification

Rule 9 to 21 - नियंत्रण / Control

Rule 22 to 32 - अपील / Appeal

Rule 33 to35 - अन्य / Other


Rule 1: संक्षिप्त नाम एवं प्रारम्भ (Short title and commencement )

  • इन नियमों को म.प्र. सिविल सेवा ( वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम,1966


Rule 3: प्रयुक्ति (Applicability)

  • यह नियम निम्न पर लागू नहीं होंगें:

  • All India Service

  • Casual Employment

  • ऐसे व्यत्कि जिन्हें 01 माह के नोटिस के बगैर भी सेवा से मुक्त किया जा सकता है

  • Special provision made by the Governor


Rule 4: सेवाओं का वर्गीकरण ( Classification of Services )

  • राज्य सिविल सेवा - प्रथम श्रेणी

  • राज्य सिविल सेवा - द्वितीय श्रेणी

  • राज्य सिविल सेवा - तृतीय श्रेणी

  • राज्य सिविल सेवा - चतुर्थ श्रेणी


Rule 6: पदों का वर्गीकरण (Classification of Posts)

  • राज्य सिविल पद - प्रथम श्रेणी

  • राज्य सिविल पद - द्वितीय श्रेणी

  • राज्य सिविल पद - तृतीय श्रेणी

  • राज्य सिविल पद - चतुर्थ श्रेणी


Rule 7: प्रथम व द्वितीय पदों पर नियुक्तियां (Appointments in Class I or II posts)

  • सम्बंधित समस्त नियुक्तियॉ राज्य शासन द्वारा की जावेगी


Rule 8: अन्य पदों पर नियुक्ति (Appointment in other posts)

  • सम्बंधित समस्त नियुक्तियॉ राज्य शासन द्वारा उल्लिखित प्राधिकारियों द्वारा की जावेगी


Rule 9: निलम्बन (Suspension)

  • निलंबन के आधार

      1. अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार लंबित हो

      2. राज्य की सुरक्षा के हित में गतिविधियाँ हों

      3. आपराधिक जांच, पूछताछ या परीक्षण के तहत

      4. शासकीय कर्मचारी द्वारा कार्यालय में उपस्थिति, व्यापक जनहित के खिलाफ हो

      5. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि, प्रथम दृष्टया, बर्खास्तगी, निष्कासन या सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड लगाया जा सकता है।

      6. नैतिक पतन से सम्बंधित अपराध या आचरण

      7. भ्रष्टाचार, गबन या शासकीय धन का दुरुपयोग, अनुपातहीन संपत्ति हासिल करना, व्यक्तिगत लाभ के लिए शासकीय पद / शक्ति का दुरुपयोग

      8. गंभीर लापरवाही और कर्तव्य परायणता जिससे सरकार को काफी नुकसान हुआ;

      9. कर्तव्य परयाणता में कमी

      10. उच्च / वरिष्ठ अधिकारियों के लिखित आदेशों का पालन न करना या जानबूझकर विफल करना

निलंबन कौन कर सकता है ?

          • नियुक्तिकर्त्ता अधिकारी

          • अन्य वह अधिकारी जिसके अधीन नियुक्तिकर्ता अधिकारी हो

          • अनुशासनिक अधिकारी

          • राष्ट्रपति/ राज्यपाल द्धारा, सामान्य या विशेष रुप से प्राधिकृत अधिकारी


निलंबन के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु

  • निलम्बन सजा नहीं है

  • शासकीय सेवक को कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से अलग करना

  • कर्त्तव्य व अधिकार छीन लेना

  • 48 घंटे से अधिक अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने (Police Custody) या 48 घंटे से अधिक के लिए दोष सिद्ध होने के कारण अभिरक्षा में रहने के कारण शासकीय सेवक को निलम्बित कर दिया गया समझा जावेगा

  • चार्जशीट मान0 न्यायलय में प्रस्तुत होने पर से निलंबन होगा।

  • अधिकारी द्धारा निलंबित कर्मी को चार्जशीट दी जावेः

      1. कार्यालय प्रमुख – 45 days

      2. विभाग प्रमुख – 45 days

      3. शासन – 90 days

  • बशर्त है कि वह 45 दिनों/ 90 दिनो में वृद्धि न की गई हो - Only in Rare Case

  • निलंबन के दौरान, अर्द्ध वेतन का नियम लागू होगा, निर्वाह भत्ता पहले 03 महीनों के लिए मूल वेतन का 50% होगा । 03 महीनों के बाद, समीक्षा की जाएगी और निर्वाह भत्ता में 50% यानि मूल वेतन का 75% किया जा सकता है ।

  • डीए और किसी भी अन्य प्रतिपूरक भत्ते का भुगतान किया जाएगा ।

  • निलंबन के दौरान, यदि आरोपी शासकीय सेवक सहयोग न करे तो जीवन निर्वाह भत्ता को 50% पर ही रखा जा सकता है या इसे कम भी किया जा सकता है - 50 प्रतिशत से घटा कर 40 प्रतिशत या 30 प्रतिशत किया जा सकता है ।

  • निलंबन के दौरान यदि 45/90 दिवस में आरोप पत्र जारी नही किया गया है, तो निलम्बन स्वयं समाप्त (प्रतिसंह्मत) हो जावेगा । यदि निलम्बन विभागीय कारणों से किया गया हो तो ही ।

  • निलंबन के दौरान यदि 45/90 दिवस में आरोप पत्र जारी नही किया गया है तो निलम्बन स्वयं समाप्त (प्रतिसंह्मत) हो जाता है, परंतु, यदि आवश्यक हो तो अपचारी को पुनः निलम्बित भी किया जा सकता है ।

  • यदि निलम्बन किसी आपराधिक या अभियोजन के मामले में किया गया हो तो ( निलम्बन आदेश के 45/90 दिवस की प्रतिसंह्मत की शर्त लागू नही होगी )

  • जिन शासकीय सेवक का निलम्बन साम्प्रदायिक दंगों में कर्तव्यविमुखता के कारण किया जाता है, उनका निलम्बन, विभागीय जॉच पूर्ण होने से पहले, सामान्य प्रशासन विभाग से सलाह लिए बगैर समाप्त न किय जावें ।


जीवन निर्वाह भत्ता क्यों दिया जाता है ?

          • अनुच्छेद 21 (संविधान का भाग III) - प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण

          • किसी शासकीय सेवक के, निलम्बन के दौरान, निर्धारित मुख्यालय से बिना अनुमति के अनुपस्थिती के कारण भी जीवन निर्वाह भत्ता नही रोका जा सकता ।

          • सक्षम अधिकारी चाहे तो इस अनुशासनहीनता के लिए अतिरिक्त आरोप लगाकर विभागीय जॉच कर सकता है ।

निलम्बन के प्रशासनिक प्रभाव

          • अग्रिम नहीं दिए जा सकता ।

          • अवकाश नही दिया सकता ।

          • प्रशिक्षण, प्रतिनियुक्ति आदि पर नहीं भेजा जा सकता ।

          • निलंबन / विभागीय जांच की अवधि में, एक शासकीय सेवक का इस्तीफा केवल सार्वजनिक हित में स्वीकार किया जा सकता है::-

              1. आरोपों में नैतिक संकीर्णता शामिल न हो

              2. उपलब्ध साक्ष्य ऐसे न हों, जिनसे , शास सेवक की बर्खास्तगी/ पदच्युत की सम्भावना हो

          • उपरोक्त मामलों में, विधि विभाग के परामर्श के उपरांत ही इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है।

          • निलंबन के दौरान स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अनुमति सक्षम प्राधिकारी द्वारा अस्वीकार की जा सकती है।

          • सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर, निलंबित शासकीय सेवक को सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। जीवन निर्वाह भत्ता बंद हो जाएगा। शासकीय सेवक को केवल अनंतिम पेंशन का भुगतान ही किया जाएगा।

          • यदि कार्यवाही के परिणामस्वरूप कुछ धन वसूल होने की संभावना है, तो अवकाश नकदीकरण / ग्रेच्युटी को रोक दिया जा सकता है।

          • विभागीय परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन विभागीय कार्यवाही के अंतिम रूप से पूर्ण होने के पश्चात ही पदोन्नति पर विचार किया जाएगा ।

निलम्बन काल - वसूलियॉ, कटौतीयॉ

          • अनिवार्य कटौती की जानी चाहिए:

                  1. आयकर

                  2. घर का किराया

                  3. ऋण और अग्रिमों की चुकौती – वसूली की दर विभाग प्रमुख द्वारा निर्धारित की जावेंगी

                  4. GIS में योगदान

            • निलंबित अधिकारी के विकल्प पर कटौती:

                  1. PLI प्रीमियम

                  2. को-ऑपरेटिव स्टोर / सोसायटी की देनदारियॉ

                  3. GPF अग्रिम का रिफंड

          • निलंबित अधिकारी से कटौती नही की जाना चाहिए :

                  1. GPF सदस्यता

                  2. कोर्ट अटैचमेंट्स के कारण वसूली

                  3. सरकार को नुकसान की वसूली

निलंबन का निरसन

  • निलम्बन तब तक प्रभावशील रहेगा जब तक इसे समाप्त नही कर दिया जाता ।

  • किसी भी समय सक्षम अधिकारी द्वारा निलम्बन आदेश निरस्त किया जा सकता ।

  • यदि सेवा से बर्खास्तगी, पदच्युति या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शास्ति दी जाती है, तो निलंबन स्वतः ही समाप्त हो जावेगा ।

  • यदि विभागीय जॉच के दौरान किसी शासकीय सेवक की मृत्यु हो जाती है तो उसके विरुद्ध लम्बित अनुशासनात्मक कार्यवाही तत्काल रोक दी जावेगी ।


Rule 10: शास्तियॉ ( Penalties )

  • शास्तियॉ दो प्रकार की होती हैं:

      1. लघु शास्ति

      2. दीर्घ / मुख्य शास्ति

  • मुख्य शास्तियों को संविधान के अनुच्छेद 311 में संरक्षण प्राप्त है

  • लघु शास्ति संविधान के अनुच्छेद 311 में संरक्षण प्राप्त नहीं है । बगैर DE के भी दण्ड दिया जा सकता है, परंतु यदि वेतनवृद्धि के रोके जाने या वसूली की शास्ति अधिरोपित होने की सम्भावना हो तो, विहित प्रक्रिया अपनानी होगी ।

  • लघु शास्ति - कुल 04

          1. परिनिन्दा / निन्दा ; चेतावनी दण्ड नही है

          2. पदोन्नति का रोका जाना (निश्चित अवधि के लिए)

          3. शासन को हुई हानि की वसूली / क्षति की वसूली । ( वसूली हमेशा व्यक्ति से होती है जी पी एफ से नही )

          4. वेतन वृद्धि का रोकना

              • संचनीय – हमेशा के लिए वेतन वृद्धी (इक्रीमैन्ट रोकना)

              • असंचनीय – कुछ अवधि के लिए वेतन वृद्धी (अवधि पूरी होने पर पूरा इन्क्रीमैन्ट मिल जावेगा । निलम्बित अवधि का बकाया (ऐरियर) नही मिलेगा ।

  • दीर्घ / मुख्य शास्ति - कुल 05

          1. पदानवत किया जाना (Demotion)

          2. वेतन कम करना

          3. अनिवार्य सेवा निवृत करना (Compulsory Retirement)

                • अधिकारी के विवेकानुसार Pension व Gratuity कम की जा सकती है।

                • उदाहरण - 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत या 25 प्रतिशत Pension या Gratuity कम करना

                • पेंशन रोकने या वापस लेने या पेंशन से वसूली का अधिकार महामहीम राज्यपाल के पास होता है।

                • लोक सेवा आयोग से परामर्श लिया जावेगा

          4. सेवा से पृथक करना

                • Pension व Gratuity की पात्रता खत्म हो जाती है ।

                • परन्तु दोबारा नौकरी में आ सकता है।

          5. पदच्युत /बर्खास्त किया जाना (Dismissal from Services)

                • Pension व Gratuity की पात्रता खत्म हो जाती है ।

                • दोबारा नौकरी में नही आ सकता है।


Rule 11: चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए शास्ति ( Penalties for Class IV Employees )

          • चतुर्थ श्रेणी शासकीय सेवक को बगैर DE के 50.00 रूपये का दण्ड- माह में एक बार दिया जा सकता है।

          • नोटिस जारी करना होगा।


Rule 12: अनुशासनिक प्राधिकारी ( Disciplinary authority )

          • अनुशासनिक प्राधिकारी, नियुक्ति अधिकारी होगा।

          • प्रथम श्रेणी अधिकारी जो जिला स्तर से कम स्तर का न हो – तृतीय श्रेणी / चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर शास्ति अधिरोपित कर सकता है

          • समान्यतः नियुक्तिकर्ता अधिकारी का उच्च अधिकारी शास्ति जारी नही करता ।

          • द्दितीय श्रेणी अधिकारी – यदि राज्य शासन ने आरोप पत्र जारी नही किए हैं तो विभागाध्यक्ष लघुशास्ति अधिरोपित कर सकते हैं ।

          • सम्भागीय कमिश्नर – प्रथम श्रेणी / द्दितीय श्रेणी कर्मियों पर लघु शास्ति अधिरोपित करा सकते हैं ।

          • सम्भागीय कमिश्नर – प्रथम श्रेणी / द्दितीय श्रेणी कर्मियों निलम्बन भी कर सकते हैं |

          • सूचना विभाग/ विभागाध्यक्ष को दी जावेगी

          • यदि किसी शासकीय सेवक के विरुद्ध सम्भाग में पदस्थ रहने के दौरान, सम्भागायुक्त के द्वारा विभागीय जॉच प्राम्भ कर दी गई है तो, शासकीय सेवक के अन्य सम्भाग में स्थानातरण हो जाने के बावजूद भी, जिस सम्भाग में जॉच प्राम्भ की गई थी उसी सम्भाग में जॉच की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी ।

          • समस्त कार्य विभाग के अनुविभागीय अधिकारी, उनके कार्यालायों में पदस्थ तृतीय श्रेणी व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर लघु शास्ति अधिरोपित कर सकते हैं


Rule 13: कार्यावाहियॉ संस्थित करने के लिए प्राधिकारी ( Authorities to initiate Proceedings )

  • राज्यपाल या उनके द्धारा सशक्त कोई प्राधिकारी

                • Class III or IV & नियुक्ति अधिकारी/ कलेक्टर या इनसे उच्च अधिकारी

                • Class I or II & नियुक्ति अधिकारी/ आयुक्त या इनसे उच्च अधिकारी

  • नोट-दीर्घ शास्ति कलेक्टर या आयुक्त नही दे सकते


Rule 14: मुख्य शास्ति का अधिरोपण ( Imposition of Major Penalty )

          • SCN जारी करना

          • निश्चित अवधि में जवाब प्राप्त करना

          • जवाब की जाच करना

          • जॉच अधिकारी निुयुक्त करना

          • सामान्यतः 10 दिवस के अंदर जॉच अधिकारी को जाच शुरू चाहिए

          • ग्वाही कराना

          • जॉच रिपोर्ट प्रस्तुत करना

          • मुख्य शास्ति की कार्यवाही एक वर्ष कि समयावधि में आवश्यक रूप से पूर्ण की जावे


Rule 15: जॉच रिपोर्ट पर कार्यवाही ( Action on the Enquiry Report )

  • जॉंच रिपोर्ट पर नियुक्तिकर्ता अधिकारी निर्णय लेगा

  • नियुक्तिकर्ता अधिकारी जॉंच रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है । असहमत होने पर, असहमती का कारण अभिलिखित कर निर्णय लिया जावेगा । न्याय के हित में साक्षी को पुनः बुला सकता है ।

  • जॉचकर्त्ता अधिकारी से स्पष्टिकरण नही ले सकता

  • जाच रिपोर्ट में दण्ड का प्रस्ताव नही किया जावेगा


Rule 16: लघु शास्ति का अधिरोपण ( Imposition of Minor Penalty )

  • शासकीय सेवक को लिखित सूचना दी जावेगी व उसे सूचित किया जावेगा कि कौन सी शास्ति दी जाना प्रस्तावित है ।

  • यदि उत्तर संतोषनक हो तो प्रस्तावित शास्ति को कम किया जा सकता है

  • शासकीय सेवक को निर्धारित दिवस के अंदर जवाब व साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा

  • शासकीय सेवक को, विभागीय जॉच प्रारम्भ होने के पश्चात केवल चेतावनी देकर प्रकरण समाप्त नही किया जा सकता

  • या तो शासकीय सेवक दोषमुक्त होगा या कम-से-कम परनिंदा की शास्ति अधिरोपित की जावेगी

  • शासकीय सेवक को लिखित सूचना दी जावेगी

  • शासकीय सेवक को 15 दिवस के अंदर जवाव व साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा

  • नियुक्तिकर्ता / अनुशासनिक अधिकारी आवश्यक समझे तो DE प्रारंभ करे

  • यदि वेतन वृद्धि रोके जाने की सम्भावना हो तो नियम 14 के तहत वर्णित प्रक्रिया अपनानी होगी

  • विभागाध्यक्ष, द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के विरुद्ध लघु शास्ति अधिरोपित कर सकते है

  • लघु शास्ति से सम्बंधित विभागीय जॉच, 150 दिवस कि समयावधि में आवश्यक रूप से पूर्ण की जावे


Rule 14 & 16: विभागीय जॉच समय सारिणी ( Departmental Enquiry Time Limit )

  • जहॉ नियम 16 के तहत विभागीय जॉच की गई हो, परंतु जॉचकर्ता अधिकारी के निष्कर्षों के आधार पर यह राय हो कि प्रकरण में नियम 14 के तहत मुख्य शास्ति अधिरोपित की जानी चाहिए , तो अधिकारी जॉच के अभिलेख उस प्राधिकारी (नियुक्ति प्राधिकारी) की ओर अग्रेषित किए जावेंगें जो मुख्य शास्ति अधिरोपित करने हेतु सक्षम हो

  • जहॉ प्रारम्भिक जॉच की गई हो - अधिकतम 03 माह में प्रकरण का निराकरण किया जावेगा ।

  • पदोन्नत शासकीय सेवक के विरूद्ध दण्डादेश पदोन्न्त पद हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा ही जारी किए जावेंगें ।

  • विभागीय जॉच में विलम्ब की स्थिती में जिम्मेदार कार्मिक के विरुद्ध भी कार्यवाही की जावे

  • •किसी मामले में, विभागीय जॉच में, एक से अधिक शास्ति लगाई जा सकती है ।

  • •लघु शास्ति के साथ-साथ दीर्घ शास्ति भी लगाई जा सकती है, परंतु निय्म 14 में उल्ल्खित प्रक्रिया का पालन किया जावे ।


कार्य समय

विभागीय जॉच का निर्णय अधिकतम 01 सप्ताह

आरोप पत्रादि अधिकतम 01 माह

अपचारी से आरोप पत्र का उत्तर प्राप्त किया जाना 7 दिवस से 01 माह

प्राप्त उत्तर का परीक्षण –जॉच अधिकारी, प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की नियुक्ति 7 दिवस से 01 माह

जॉच अधिकारी द्वारा जॉच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना – मुख्य शास्ति की प्रक्रिया हेतु अधिकतम 06 months

जॉच अधिकारी द्वारा जॉच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना – लघु शास्ति की प्रक्रिया हेतु अधिकतम 06 months

जॉच प्रतिवेदन का परिक्षण एवं शास्ति पारित करने का निर्णय - मुख्य शास्ति की प्रक्रिया हेतु अधिकतम 03 weeks

जॉच प्रतिवेदन का परिक्षण एवं शास्ति पारित करने का निर्णय - लघु शास्ति की प्रक्रिया हेतु अधिकतम 02 सप्ताह

आयोग की मंत्रणा जहॉ आवश्यक हो अधिकतम 02 सप्ताह


Rule 17: आदेशों का संसूचित किया जाना ( Communication of Orders )

          • अनुशासनिक प्राधिकारी द्वारा शासकीय सेवक को आरोप पत्र, प्रारम्भिक जॉच, निष्कर्ष, लोक सेवा आयोग की मंत्रणा देनी होगी ।

          • म.प्र. शासन की ई-मेल नीति 2015 एवं भारत सरकार की ईमेल नीति 2014 द्वारा शासकीय ई-मेल से किए गय समस्त पत्राचार की वैधानिक मान्यता है ।

          • अतः निलम्बन / बहाली के आदेश, आरोप पत्र आदि सहित दंडादेश सम्बंधित शासकीय सेवक को ई-मेल के माध्यम से भी तामीली कराया जाना चाहिए ।


Rule 18: समान कार्यवाहीयॉ ( Common Proceedings )

          • यदि किसी मामले में एक से अधिक शासकीय सेवक संलग्न हैं, तो सब पर अनुशासनिक कार्यावाहियॉ समान रूप से की जावेंगी

          • आरोप पत्र व अन्य सभी कार्यावाहियॉ समान होगी

          • यदि,समान विभागीय कार्यवाही में मुख्य शास्ति अधिरोपित करने वाले प्राधिकारी भिन्न- भिन्न हों और जॉच में मुख्य शास्ति बनती हो तो, ऐसे प्राधिकारियों में से उच्चतम प्राधिकारी द्वारा अन्य प्राधिकारियों की सहमति से कार्यवाही के आदेश जारी किए जावेंगे


Rule 19: कतिपय मामलों में विशेष प्रक्रिया ( Special Procedure in Certain Cases )

  • जहॉ राज्यपाल को समाधान हो जावे कि राज्य के हित में, इन नियमों में उल्लिखित की गई रीति से जॉच करना ईष्टकारी नही है, तो विभागीय जॉच के बगैर ही शास्ति लगाई जा सकती है ।

  • यदि किसी शासकीय सेवक को मान. न्यायालय द्वारा सजा दी गई हो और यदि पारित निर्णय में कर्मचारी के नैतिक पतन का आभास होता है और वह लोक हित में सेवा में रखने के योग्य नही है तो, नियम 10 व नियम 14 एवं संविधान के अनुच्छेद 311 के अंतर्गत विभागीय जॉच की आवश्यकता नही है तो उस शासकीय सेवक पर ‘सेवा से पद्च्युत’ करने की शास्ति अधिरोपित की जावेगी ।

  • यदि अपचारी शास. सेवक ने मान न्यायालय में अपील दायर की है और अपीलीय न्यायालय ने दोषसिद्ध को स्थगन न देकर मात्र सजा को स्थगित किया है तो भी शास्ति अधिरोपित की जा सकती है ।

  • यदि सेवा निवृत शासकीय सेवक को जिनके विरुद्ध विभागीय जॉच प्रारम्भ नही की गई हो और उन्हें अपराधिक मामलों में दंडित किया गया हो तो म.प्र. पेंशन नियम 1976 के नियम 9(1) के तहत स्थाई रूप से पेंशन रोकने के लिए , आवश्यकतानुसार आयोग का मत प्राप्त कर, अंतिम आदेश मंत्री परिषद द्वारा पारित किया जावेगा ।

  • ऐसे शासकीय सेवक जिनके विरुद्ध विभागीय जॉच या अपराधिक प्रकरण लम्बित है तो म.प्र. पेंशन नियम 1976 के नियम 9(4) के तहत स्वीकृत पेंशन में अस्थाई रूप से 50 प्रतिशत कटोत्री, विभागीय जॉच प्रारम्भ करने कि तिथी से, मान. राज्यपाल / मंत्री परिषद द्वारा पारित किया जावेगा ।

  • यदि विभागीय जॉच 01 वर्ष में पूर्ण नही होती है तो म.प्र. पेंशन नियम 1976 के नियम 9(4) (क) के एक वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात रोकी गई 50 प्रतिशत पेंशन पुनस्थापित हो जावेगा ।

  • यदि विभागीय जॉच 02 वर्ष में पूर्ण नही होती है तो म.प्र. पेंशन नियम 1976 के नियम 9(4) (ख) के दो वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात रोकी गई पेंशन की पूर्ण राशि पुनस्थापित हो जावेगा ।

  • यदि विभागीय जॉच आदेश में पेंशन रोकने की शास्ति अधिरोपित की जाती है तो म.प्र. पेंशन नियम 1976 के नियम 9(4) (ग) के तहत शास्ति आदेश विभागीय जॉच प्रारम्भ होने की तिथी से प्रभावशील माना जावेगा ।

  • आवश्यकतानुसार आयोग का मत प्राप्त होने पर ही प्रकरण मंत्री परिषद के समक्ष लाया जवेगा ।

  • शास्ति लगाते समय, आवश्यकतानुसार, लोक सेवा आयोग से राय ली जाना जरुरी है ।

  • यदि अपील में निचली अदालत के फ़ैसले को निरस्त कर दिया जाता है तो पूर्व में पारित शास्ति आदेश को निरस्त कर दिया जावेगा और शासकीय सेवक की उस अवधि को, सभी प्रायोजनों के लिए कर्तव्य की अवधि मानकर पूर्ण वेतन, भत्तों का भुगतान कर दिया जावेगा ।

  • ऐसे मामलों में ‘संक्षिप्त जॉच' की जावेगी और उसे इस बात का अवसर दिया जावेगा कि उस पर जो शास्ति अधिरोपित करना प्रस्तावित है उसके सम्बंध में वह सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके ।

  • ‘संक्षिप्त जॉच' से तातपर्य है कि शासकीय सेवक को उस पर अधिरोपित की जाने वाली शास्ति की सुचना दी जावे । उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जावे ।

  • इस प्रकार की कार्यप्रणाली पूर्ण करने के पश्चात ही शास्ति अधिरोपित की जावे ।


Rule 20 & 21: प्रतिनियुक्ति के सम्बंध में ( About Deputation )

  • जो कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे, उस पर वहां के नियम लागू होगें ।

  • लघु शास्ति अधिरोपित की जा सकती हैं, परंतु मूल विभाग से परामर्श के पश्चात ।

  • प्रत्येक स्तर पर जॉच की कार्यवाही से मूल विभाग को भी अवगत कराया जाना आवश्यक है ।

  • परंतु दीर्घ शास्ति के लिए अलग प्रक्रिया रहेगी ।

  • यदि, प्रतिनियुक्ति के दौरान, शासकीय सेवक द्वारा प्रतिनियुक्ति वाले विभाग में कोई कृत्य किया जाता है और मुख्य शास्ति का प्रकरण बनता है, तो प्रतिनियुक्ति वाले सेवक की सेवायें मूल विभाग को वापिस करते हुए, सम्पूर्ण कार्यवाही मूल विभाग को सौंपी जावेंगी ।

  • प्रत्येक स्तर पर जॉच की कार्यवाही से मूल विभाग को भी अवगत कराया जाना आवश्यक है ।


Rule 22: Appeal / अपील

  • आदेश जिनके विरूद्व अपील नही होगी।

      1. नियम 11 के तहत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर रु 50.00 का दण्ड

      2. President/ Governor द्धारा अधिरोपित शास्ति

  • आदेश जिनके विरूद्व अपील नही होगी।

      1. मान न्यायालय द्धारा पारित आदेश

      2. जॉच अधिकारी द्वारा जॉंच को आगे बढाने के लिए पारित अंतरिम आदेश


Rule 23: अपील ( Appeal )

  • आदेश जिनके विरूद्ध अपील की जा सकती

      1. नियम 22 को छोड़कर सभी।


Rule 24: अपील – अपीलीय प्राधिकारी ( Appeal - Appellate Authority )

  • शास्ति अधिरोपित करने वाले से उच्च अधिकारी


Rule 25: अपील – अपील के लिए कालावधि ( Appeal - Timeframe for Appeal )

  • शास्ति आदेश प्राप्त होने की दिनॉक से 45 दिवस के अंदर


Rule 26: अपील – अपील का प्रारूप ( Appeal - Appeal Format )

  • आदेश जिसके विरूद्ध अपील की गई है के समस्त सुसंगत अभिलेख प्रस्तुत करें ।


Rule 27: अपील – अपील पर विचार ( Consideration of Appeal )

          • अपील स्वीकार हो सकती है और नही भी।

          • अपील पर कार्यवाही वैसे ही होगी जैसे विभागीय जॉच के दौरान होती है।

          • फिर से नोटिस जारी होगी।

          • पूरी जाच होगी ।


Rule 28: अपील – अपील के आदेश पर कार्यवाही ( Implementation on Appeal Orders )

  • अपीलीय अधिकारी द्वारा जारी आदेश पर, प्राधिकारी को कार्यवाही करनी होगी


Rule 29: अपील एवं पुनर्वलोकन ( Appeal and Review )

  • नियम 28 के तहत, यदि अपील हार गये तो 6 महीने के अंदर पुनः और उच्च अधिकारी के समझ अपील कर सकते है।


Rule 30: आदेश व सूचना की तामिली ( Serving Orders & Notices )

  • प्रत्येक आदेश / सूचना की तामिली व्यक्तिगत रुप से या रजिस्टीकृत डाक या ई-मेल से होगी


Rule 31: समयावधि में वृद्धि ( Increase in time period )

  • सझम प्राधिकारी, इन नियमों में उल्लिखित किए गए समयावधि को, पर्याप्त कारण दर्शाते हए वृद्धि कर सकता है ।


Rule 32: आयोग की मंत्रणा की प्रतिलिपी का दिया जाना (Supply of copy of commission's advice )

          • सक्षम प्राधिकारी, आयोग की मन्त्रणा की प्रतिलिपि, संबंधित कर्मचारी को उपलब्ध कराएगा

          • दीर्घ शास्ति आवश्यक रुप से आयोग को भेजी जावेगी


CCA Rule: यादशात हेत महत्वपूर्ण बिंदु ( Important Points to remember)

  • यदि सेवानिवृत शासकीय सेवक को विभागीय जॉच में गवाह हेतु बुलाया जाता है तो उन्हें टी.ए. / डी.ए की पात्रता होगी ।

  • किस श्रेणी के प्रकरण विभागीय जॉच आयुक्त को सौंपे जावें :

  • प्रथम श्रेणी अधिकारियों के समस्त प्रकरण, केवल उन प्रकरणों को छोड़कर जहॉ अपचारी विभागीय जॉच अधिकारी से वरिष्ठ हो या जहॉ प्रशासकीय विभाग अन्य किसी अधिकारी से जॉच कराना उपयुक्त समझे

  • किस श्रेणी के प्रकरण विभागीय जॉचआयुक्त को सौंपे जावें :

      1. द्दितीय श्रेणी अधिकारियों के वे प्रकरण जिनमें अपचारी अधिकारी से प्राप्त बचाव उत्तर, विचार करने के बाद, प्रशासकीय विभाग का मत हो कि प्रकरण गम्भीर स्वरूप का है अतः विभागीय जॉच आयुक्त से जॉच कराना उपयुक्त समझे

      2. जहॉ समान विभागीय जॉच होना हो और कम-से-कम एक अधिकारी प्रथम श्रेणी का हो ।

      3. विभागीय जॉच शासन स्तर पर संस्थित हुई हो

      4. यदि पहले से कोई जॉच अधिकारी नियुक्त है तो उसके नियुक्ति आदेश निरस्त करने के पश्चात ही प्रकरण सौंपा जावेगा

  • आरोप पत्र/ अभिकथन पत्र/ गवाहों व अभिलेखों की सूची आदि विभागीय जॉचआयुक्त को सौंपीं जावें

  • अपचारी का लिखित बचाव पत्र विभागीय जॉचआयुक्त को सौंपीं जावें

  • प्रस्तुतकर्ता अधिकारी, अपचारी अधिकारी से निम्न श्रेणी का न हो

  • प्रस्तुतकर्ता अधिकारी के सेवा निवृति में कम-से-कम दो वर्ष शेष हों

  • सेवा निवृत शासकीय सेवक को जॉच अधिकारी बनाया जा सकता है; परंतु निश्चित प्रक्रिया के तहत

  • यदि कोई शासकीय सेवक गलत जानकारी देकर शासकीय सेवा में आया हो तो नियम 14 के तहत दीर्घ शास्ति अधिरोपित करने की कार्यवाही की जावेगी


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अवकाश क्या है व इसके प्रावधान क्या हैं ? ( What is Leave and what are its provisions )

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  • सक्षम अधिकारी के पूर्व अनुमोदन उपरांत, वास्तविक कारणों से कार्यालय से दूर रहने के प्रावधान को ‘अवकाश’ कहा जाता है ।

  • यह एक आकस्मिक उद्देश्य या नियोजित गतिविधि के लिए या चिकित्सा आधार पर या असाधारण परिस्थितियों में दिया जा सकता है ।

  • अवकाश को अधिकार के रूप नही माना जावेगा ।

  • अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी किसी भी प्रकार के अवकाश को मना या निरस्त कर सकता है, परंतु अवकाश के प्रकार को बदल नही सकता |

  • म. प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 7 के अनुसार कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत होने के पूर्व, अवकाश पर प्रगमन नही करेगा, अर्थात अवकाश स्वीकृत होने के पश्चात ही अवकाश पर जा सकेगा ।

  • यदि कोई भी शास. सेवक अवकाश स्वीकृत ना कराकर कार्यालय से अनुपस्थित रहता है तो उसे अनाधिकृत अनुपस्थित माना जावेगा ।

  • म.प्र.पेंशन नियम 1976 के नियम 27 सहपठित मूलभूत नियम 17(ए) के तहत सभी उद्देश्यों के लिए सेवा में व्यवधान माना जावेगा ।

  • यदि 01 माह से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहता है तो नियम CCA Rules के तहत विभागीय जॉच संस्थित की जावे व इसका निराकरण 06 माह में पूर्ण कर लिया जावे ।

  • आरोप सिद्ध होने पर सेवा से पदच्युत करने की शास्ति दी जावे ।

  • यदि 30 दिवस से कम अवधि के लिए भी अनाधिकृत अनुपस्थित रहता है तो भी कार्यवाही की जावेगी ।

  • अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवक, जिस दिनॉक को उपस्थित होता है, उसे उसी दिनॉक से निलम्बित किया जावे

  • तत्पश्चात, पूर्व में वर्णित विभागीय जॉच की जावे ।

  • 30 दिवस से अधिक अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित शासकीय सेवकों को उनके अंतिम ज्ञात पते पर, सूचना भेजी जावे कि क्यों न सेवा में व्यवधान को पेंशन उपादान आदि के गणना में लिया जावे ।


असाधारण अवकाश (Extra Ordinary Leave )

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  • सरकारी कर्मचारी को असाधारण अवकाश तब दिया जाता है जब कोई अन्य अवकाश खाते में न हो या जब अन्य अवकाश होत हुए भी कर्मचारी असाधारण अवकाश के लिए लिखित में आवेदन करे ।

  • असाधारण अवकाश हमेशा बिना वेतन के ही स्वीकृत होगा ।

  • अवकाश स्वीकृत प्राधिकारी, शासकीय सेवक की अनुपस्थिति अवधि को असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर सकता है, भले ही उसके खाते में कोई भी अवकाश शेष हों ।

  • असाधारण अवकाश को अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा ।


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आकस्मिक अवकाश (Casual Leave )

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  • आकस्मिक अवकाश मान्यता प्राप्त अवकाश नही है ।

  • किसी शासकीय सेवक को आकस्मिक अवकाश किसी अप्रत्याशित जरूरतों / कार्यों में भाग लेने के लिए, सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रदान किया जाता है ।

  • आकस्मिक अवकाश, ड्यूटी के एवज में प्राप्त नही होते हैं ।

  • वर्ष के अंत में आकस्मिक अवकाश ‘लैप्स’ होते हैं और आगे नहीं बढ़ाए जाते हैं।

  • आकस्मिक अवकाश तब स्वीकृत किया जा सकता है, जब कर्मचारी के अवकाश पर जाने के बाद जनता या प्रशासन को असुविधा न हो और कर्मचारी के काम को शेष कर्मचारियों में वितरित किया सके या सम्बंधित कर्मचारी के डयूटी पर वापिस लौटने तक, किसी तरह की असुविधा न उत्त्पन्न हो ।

  • CL अवकाश पर गए शासकीय सेवक को ड्यूटी से अनुपस्थित नहीं माना जाता है।

  • CL एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम 13 दिनों के लिए ही मिल सकती हैं ।

  • वर्ष में किसी भी माह में शासकीय सेवा में आए, किसी कर्मी को आनुपातिक रूप से या पूर्ण अवधि के लिए, सक्षम अधिकारी के विवेक पर, आकस्मिक अवकाश प्राप्त होता है ।

  • आकस्मिक अवकाश को स्पेशल आकस्मिक अवकाश या किसी holiday के साथ जोड़ा जा सकता है; लेकिन किसी अन्य तरह की नियमित अवकाश के साथ नहीं जोड़ा जा सकता ।

  • आकस्मिक अवकाश की अवधि के दौरान पड़ने वाले holiday को CL के रूप में नहीं गिना जाता है।

  • शनिवार / रविवार / सार्वजनिक अवकाश / साप्ताहिक अवकाश को CL के आगे या पीछे जोड़ा जा सकता है ।

  • शासकीय टूर के दौरान भी आकस्मिक अवकाश लिया जा सकता है, लेकिन उस अवकाश की अवधि में दैनिक भत्ता नही मिलेगा ।

  • आधे दिन के लिए भी CL ली जा सकती है ।

  • CL को आम तौर पर किसी भी एक समय में 8 दिनों से अधिक के लिए नहीं दिया जाना चाहिए ।

  • CL को ज्वाइनिंग टाइम के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है ।

  • दिसम्बर माह में केवल 02 दिवस का ही आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है ।

  • अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी को अवकाश स्वीकृत करते समय वास्तविक कारण के बारे में संतुष्ट होना चाहिए ।


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दत्तक ग्रहण अवकाश ( Child Adoption Leave )

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  • Adoption leave महिला कर्मचारियों के लिए लागू एक विशेष प्रकार का अवकाश है ।

  • एक महिला कर्मचारी, जिसने एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को वैध गोद लिया हो और जिसके 2 से कम जीवित बच्चे हों, को गोद लेने की दिनॉक से 67 दिवस के लिए Adoption leave दी जा सकती है।

  • आकस्मिक अवकाश को छोड़कर, किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ Adoption leave को जोड़ा जा सकता है, 01 वर्ष तक की अवधि के लिए बच्चे की 01 वर्ष की सीमा तक ।

  • यदि अदेय अवकाश या लघुकृत अवकाश के लिए आवेदन किया है तो, अधिकतम 60 दिवस का अवकाश बगैर चिकित्सा प्रमाणत्र के दिया जा सकता है ।

  • Adoption Leave के दौरान, कर्मचारी को अवकाश पर प्रगमन के पूर्व प्राप्त वेतन के बराबर वेतन मिलता रहेगा ।

  • दत्तक ग्रहण अवकाश को अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा ।


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लघुकृत अवकाश (Commuted Leave )

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  • पूर्ण वेतन के साथ, मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर, कुल ‘अर्द्ध-वेतन अवकाश’ के आधे के बराबर Commuted leave दी जा सकती है।

  • जब Commuted leave दी जाती है, तो इस तरह के अवकाश के दुगने को ‘अर्द्ध-वेतन अवकाश’ से घटाया जाता है ।

  • अवकाश स्वीकृत करने के पूर्व, प्राधिकारी को संतुष्ट होना पड़ेगा कि शासकीय सेवक, अवकाश की समाप्ति पर कर्तव्य पर वापिस लौट आवेगा ।

  • सम्पूर्ण सेवाकाल में, चिकित्सा प्रमाणपत्र के बगैर भी, सार्वजनिक हित में अध्ययन हेतु, अधिकतम 180 दिवस की Commuted leave दी जा सकती है।

  • अस्पताल / MCI में पंजीकृत मेडिकल प्राधिकरण से मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर Commuted leave दी जा सकती है ।

  • Commuted leave का लाभ उठाने के बाद कार्य पर उपस्थित होने वाले कर्मचारियों को भारतीय चिकित्सा परिषद के साथ पंजीकृत अस्पताल / चिकित्सा प्राधिकरण से फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा ।

  • Commuted leave को सेवानिवृत्ति की तैयारी के रूप में नहीं दिया जा सकता है।

  • अर्जित अवकाश उपलब्ध होने पर भी Commuted leave दी जा सकती है।

  • जहां एक कर्मचारी को Commuted leave दी जाती है, वह स्वेच्छा से ड्यूटी पर वापस लौटे बगैर इस्तीफ़ा दे देता है तो, Commuted leave को HPL माना जाएगा और अतिरिक्त लीव सैलरी की वसूली की जावेगी । हालांकि, बीमार शासकीय सेवक के मामले में या शास. सेवक की मृत्यु के मामले में वसूली नही की जावेगी ।


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अर्जित अवकाश (Earned Leave )

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  • अर्जित अवकाश ड्यूटी द्वारा 'अर्जित' किया जाता है।

  • अकादमिक स्टाफ (अवकाश विभाग) को छोड़कर किसी कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिवस का ही अर्जित अवकाश मिलेगा ।

  • प्रत्येक वर्ष 01 जनवरी और 15 जुलाई को एक समान दर से अग्रिम रूप से अर्जित अवकाश का कर्मचारी के अवकाश खाते में जोड़ा जावेगा ।

  • अर्जित अवकाश को 300 दिनों तक जमा किया जा सकता है । उन दिनों की संख्या भी शामिल रहेगी जिन दोनों का leave encashment का लाभ ले लिया गया हो ।

  • वर्ष कि किसी माह में सेवा में आए कर्मचारी को एक माह के लिए 2 ½ दिवस का अर्जित अवकाश मिलेगा ।

  • सेवानिर्वत या सेवा से इस्तीफ़ा या बर्खास्त / पदच्युत शासकीय सेवक को अर्द्ध-वर्ष के लिए अर्जित अवकाश का लाभ 2½ दिन प्रति पूर्ण कैलेंडर माह की दर से सेवा के अंतिम माह से पहले माह तक के लिए जोड़ा जावेगा ।

  • जब किसी भी अर्द्ध-वर्ष की शुरुआत में अर्जित अवकाश 300 दिन से अधिक का हो जाता है, तो अर्द्ध-वर्ष के लिए 15 दिनों की अर्जित अवकाश को अलग से रखा जाएगा और इस अवकाश का लाभ 06 माह के दौरान उठाया जा सकेगा ।

  • किसी अर्द्ध वर्ष में अलग से जमा की गई अर्जित अवकाश का लाभ न लेने पर इसे पूर्व की अर्जित अवकाश खाते में जमा किया जाएगा, बशर्ते कुल जमा अर्जित अवकाश 300 दिनों से अधिक न हो।

  • ऐसी प्रक्रिया को उन मामलों में शामिल नही किया जा सकता जहॉ, दिसंबर या जून के आखिरी दिन कर्मचारी के खाते में अर्जित अवकाश 300 दिन या उससे कम है, लेकिन 285 दिनों से अधिक है। इसका आशय यह है कि किसी शासकीय सेवक के खाते में 300 +15 दिवस से अधिक का अर्जित अवकाश नही हो सकता ।

  • किसी कर्मचारी को एक बार में अधिकतम 120 दिवस का ही अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है; हालाँकि, सेवानिवृत्ति की तैयारी के लिए अर्जित अवकाश एक समय में 240 दिनों तक लिया जा सकता है, ।

  • शासकीय सेवकों को एक बार में 240 दिनों तक का अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, अगर भारत के बाहर नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान जाना हो तो । इस मामले में 120 दिवस की सीमा नही रहेगी ।


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अर्द्ध वेतन अवकाश (Half Pay Leave )

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  • सभी सरकारी कर्मचारी सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए 20 दिनों के HPL के हकदार हैं। सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए 20 दिनों का अर्द्ध - वेतन अवकाश प्राप्त होता है ।

  • प्रत्येक कर्मचारी के खाते में, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के 1 जनवरी और 1 जुलाई को, 10 दिवस का अर्द्ध वेतन अवकाश अग्रिम में जोडा आवेगा ।

  • वर्ष के किसी भी माह में शासकीय सेवा में आए व्यक्ति को उस वर्ष के प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह के लिए 5/3 दिवस के हिसाब से अर्द्ध वेतन अवकाश प्राप्त होगा ।

  • जहां किसी कर्मचारी की अनाधिकृत अनुपस्थिति या निलंबन की अवधि को ‘अकार्य-दिवस’ माना गया है तो, अर्द्ध वर्ष की शुरुआत में उसके खाते में अवकाश को कुल ‘अकार्य दिवस’ के एक-अठारहवें की दर से कम कर दिया जावेगा परंतु अधिकतम 10 दिवस ही ।

  • सेवानिर्वत या सेवा से इस्तीफ़ा या बर्खास्त / पदच्युत शासकीय सेवक को अर्द्ध-वर्ष के लिए अर्जित ‘अर्द्ध-वेतन अवकाश’ का लाभ 5/3 दिवस प्रति पूर्ण कैलेंडर माह की दर से सेवा के अंतिम माह से पहले माह तक के लिए जोड़ा जावेगा ।

  • अर्द्ध-वेतन अवकाश का लाभ मेडिकल ग्राउंड या मेडिकल सर्टिफिकेट पर या निजी मामलों में लिया जा सकता है।

  • अर्द्ध-वेतन अवकाश तब भी दिया जा सकता है जब उसके खाते में अर्जित अवकाश हो ।


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अदेय अवकाश (Leave Not Due )

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  • अदेय अवकाश तब स्वीकृत किया जाता है जब किसी शासकीय सेवक के खाते में अर्द्ध-वेतन अवकाश शेष न हो और कर्मचारी इस अवकाश के लिए लिखित में अनुरोध करे ।

  • अदेय अवकाश चिकित्सा प्रमाण पत्र पर दिया जाता है।

  • अदेय अवकाश केवल तभी दिया जावेगा, जब अवकाश मंजूर करने वाले प्राधिकारी संतुष्ट हो कि अवकाश की समाप्ति पर कर्मचारी सेवा में लौट आवेगा ।

  • अदेय अवकाश को उस अर्द्ध-वेतन अवकाश तक ही सीमित किया जाना चाहिए, जिसे कर्मचारी द्वारा बाद में अर्जित करने की संभावना है।

  • पूरी सेवा के दौरान अदेय अवकाश की अधिकतम सीमा 360 दिवस है, परंतु एक बार में केवल 90 दिवस ही स्वीकृत किया जा सकेगा, यदि चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर यह अवकाश लेना हो तो अधिकतम सीमा 180 दिवस रहेगी ।

  • कोई शासकीय सेवक जिसे अदेय अवकाश स्वीकृत किया गया हो और वह सेवा से त्यागपत्र दे या स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले तो अदेय अवकाश को रद्द कर दिया जावेगा ।

  • इस्तीफा / सेवानिवृत्ति / उस तारीख से प्रभावी होगी, जिस दिनॉक को इस तरह का अवकाश लिया गया था और अवकाश का वेतन भी वसूला जावेगा ।

  • यदि कोई सरकारी सेवक जिसने ‘अदेय अवकाश’ लिया हो और ड्यूटी पर लौटने के बाद इस्तीफा दे या सेवानिवृत्त हो तो, वह अवकाश के वेतन को उस सीमा तक वापस करेगा जितना अवकाश उसने में अर्जित न किया हो ।

  • यदि सेवानिवृत्ति अस्वस्थता के कारण हो या शासकीय सेवक की मृत्यु की स्थिति में अवकाश वेतन नहीं वसूला जाएगा।


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मातृत्व अवकाश (Maternity Leave )

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  • महिला सरकारी कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश दिया जाता है।

  • 02 से कम जीवित बच्चों वाली महिला कर्मचारी को 180 दिनों की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश दिया जाए।

  • वेतन का भुगतान, अवकाश पर प्रगमन के पूर्व मिलने वाले वेतन के बराबर किया जावेगा ।

  • मातृत्व अवकाश को किसी भी तरह के अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है।

  • मातृत्व अवकाश को अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा ।

  • अविवाहित महिला कर्मचारी भी मातृत्व अवकाश के लिए पात्र हैं ।

  • किसी महिला शासकीय सेवक को सम्पूर्ण सेवाकाल में 45 दिवस तक का मातृत्व अवकाश, मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर, गर्भपात के कारण प्रदान किया जा सकता है । (जीवित बच्चों की संख्या का बंधन नही है)।


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पित्तृत्व अवकाश (Paternity Leave )

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  • पितृत्व अवकाश केवल पुरुष कर्मचारियों के लिए लागू एक विशेष प्रकार का अवकाश है।

  • विवाहित पुरुष कर्मचारी को, जिसके दो जीवित बच्चे तक के लिए, 15 दिवस की अवधि के लिए पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है ।

  • बच्चे के जन्म के लिए उसकी पत्नी के अस्पताल में भर्ती होने की तिथी से बच्चे की डिलीवरी की तारीख से छह महीने तक के दौरान 15 दिवस का अवकाश लिया जा सकता है ।

  • पितृत्व अवकाश के दौरान, कर्मचारी को अवकाश पर प्रगमन के पूर्व प्राप्त वेतन के बराबर वेतन मिलेगा ।

  • आकस्मिक अवकाश को छोड़कर पितृत्व अवकाश को किसी अन्य प्रकार की अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है।

  • पितृत्व अवकाश को अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा ।

  • यदि निर्दिष्ट अवधि के भीतर पितृत्व अवकाश का लाभ नहीं उठाया जाता है, तो पितृत्व अवकाश को व्यपगत माना जाएगा।


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विशेष आकस्मिक अवकाश (Special Casual Leaves )

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  • विशेष आकस्मिक अवकाश को मान्यता प्राप्त अवकाश के रूप नहीं माना जाता है और विशेष आकस्मिक अवकाश पर गए सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से अनुपस्थित नहीं माना जाता है।

  • विशेष आकस्मिक अवकाश को नियमित अवकाश या आकस्मिक अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है परंतु एक बार में दोनों के साथ नहीं ।

  • Special casual leave for Family welfare scheme.


Govt. Servant Nature of Operation Duration

Male Govt. Servant Vasectomy 6 Days

Vasectomy for second time 6 Days

Recanalization ( Unmarried or having 02 or less children) Upto 21 Days


Female Govt. Servant Puerperal/non-puerperal tubectomy 14 Days

Puerperal/non-puerperal tubectomynbsp; for second time 14 Days

Salpingectomy after Medical termination of pregnancy (MTP) 14 Days

IUCD insertion/reinsertion Day of insertion/reinsertion

  • दूसरा ऑपरेशन, चिकित्सा प्राधिकरण से इस तरह का प्रमाण पत्र के प्राप्त करने पर ही मान्य होगा कि पहला ऑपरेशन विफल होने के कारण दूसरा ऑपरेशन किया गया था ।

  • उस पुरुष सरकारी कर्मचारी को अधिकतम 7 दिनों के विशेष आकस्मिक अवकाश , की पात्रता होगी जिसकी पत्नि का टयूबेक्टोमी ऑपरेशन हुआ हो । रविवार या अन्य राजपत्रित अवकाश, यदि इस अवधि के भीतर आते हैं, तो इनकी 07 दिवस के विशेष अवकाश में गणना की जावेगी ।

  • नसबंदी से जुड़े विशेष आकस्मिक अवकाश को नियमित अवकाश के पूर्व जोड़ने की अनुमति नही होगी ।

  • Special casual leave for Sports Activity


Event Duration

Sporting events of national/international importance Upto 30 Days in a year


  • Special casual leave for Cultural activities

Event Duration

राष्ट्रीय/ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की नृत्य तथा गायन प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु Upto 15 Days in a year


  • Special casual leave for Union / Association Activities

Event Duration

Activities of Associations/Unions recognized by

State Govt – President and Secretary Upto 10 Days in a year

Activities of Associations/Unions recognized by

State Govt – President and Secretary of Divisional / District level Upto 07 Days in a year

Activities of Associations/Unions recognized by

State Govt – President and Secretary of Tehsil level Upto 03 Days in a year


  • Special casual leave for some festivals

    • हिंदु महिला कर्मचारी-हरतालिका तीज

  • मुस्लिम कर्मचारियों के लिए रमजान मुबारक में 30 मिनट पूर्व कार्यालय छोड़ने की अनुमति

  • जैन कर्मचारियों के लिए अनंत चतुर्दशी के दिवस विशेष आकस्मिक अवकाश

  • जैन कर्मचारियों के लिए पर्युषण पर्व के अवसर पर धार्मिक कृत्य के कारण 12 बजे तक कार्यालय में उपस्थित होने की अनुमति


  • Special casual leave for PwDs employees

      • रजिस्टर्ड राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय संस्थाओं द्वारा आयोजित सभाओं, सेमीनारों या प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने हेतु निःशक्त कर्मचारियों को विशेष आकस्मिक अवकाश – अधिकतम 10 दिवस प्रत्येक वर्ष

      • Special casual leave for attending Scientific associations


Event Duration

Meetings + Paper presentations organized

by Scientific Associations of repute Event duration + Travelling Time


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विशेष निर्योग्यता अवकाश (Special Disability Leave )

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  • किसी शासकीय सेवक को अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, जिसे आधिकारिक कर्तव्यों के नियत प्रदर्शन के परिणामस्वरूप चोट पहुंची हो या जानबूझकर चोट पहुंचाई हो ।

  • इस तरह का अवकाश तब तक नहीं दिया जावेगा जब तक कि विकलांगता, घटना के 03 माह के भीतर प्रकट न हुई हो और व्यक्ति इसे नोटिस में न लाया हो ।

  • बशर्ते कि प्राधिकारी विकलांगता के कारण संतुष्ट हो, तो वह घटना के तीन माह के बाद भी अवकाश स्वीकृत कर सकता है ।

  • किसी भी स्थिति में अवकाश 24 महीने से अधिक अवधि के लिए स्वीकृत नहीं किया जावेगा ।

  • विशेष निर्योग्यता अवकाश को किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है।

  • यदि विकलांगता बढ़ जाती है या पुन: हो जाती है तो विशेष विकलांगता अवकाश एक बार से अधिक भी दिया जा सकता है, लेकिन 24 महीने से अधिक नहीं ।

  • विशेष विकलांगता अवकाश पेंशन के लिए सेवा की गणना में कर्तव्य के रूप में गिना जाएगा और अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा ।

  • पहले 120 दिनों के लिए अवकाश वेतन, अर्जित अवकाश के रूप में होगा ।

  • शेष अवधि के लिए, अवकाश वेतन अर्द्ध-वेतन अवकाश के रूप में होगा ।

  • किसी शासकीय सेवक को अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, जिसे आधिकारिक कर्तव्यों के नियत प्रदर्शन के परिणामस्वरूप चोट पहुंची हो |

  • एक अधिकृत चिकित्सा प्राधिकरण को यह प्रमाणित करना होगा कि विकलांगता पदीय कर्तव्य के प्रदर्शन के कारण हुई है ।

  • विशेष विकलांगता अवकाश को अवकाश वेतन के रूप में 120 दिनों से अधिक के लिए स्वीकृत नही किया जावेगा जैसा कि अर्जित अवकाश में होता है ।

  • विशेष विकलांगता अवकाश की स्वीकृति से संबंधित सभी मामलों को संबंधित प्रशासनिक विभाग को भेजा जाएगा ।


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अध्ययन अवकाश (Study Leave)

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  • अध्ययन अवकाश वह अवकाश है जो एक शासकीय सेवक को उच्च अध्ययन या विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु दिया जाता है, जो उसके पदीय कर्तव्य व दायित्व के साथ सीधा और करीबी संबंध रखता हो ।

  • इस तरह का अध्ययन एक सरकारी कर्मचारी के रूप में उनकी क्षमताओं में सुधार करता हैं और सार्वजनिक मुद्दों से, प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उन्हें सक्षम बनाता है ।

  • जिन शासकीय सेवक के नौकरी में 05 वर्ष पूर्ण हो गए हों, को अध्ययन अवकाश दिया जा सकता है । यह अवकाश पेशेवर या तकनीकी विषय में उच्च अध्ययन या विशेष प्रशिक्षण से युक्त किसी विशेष पाठ्यक्रम के लिए दिया जा सकता है और यह अध्ययन उस शासकीय सेवक के कर्तव्यों से सीधा और करीबी संबंध रखता हो ।

  • जिस पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन अवकाश लिया जाना हो, उसके बारे में प्रमाणित करना होगा कि यह अध्ययन निश्चित लाभ के लिए सार्वजनिक हित से जुड़ा है और अध्ययन को प्राधिकारी द्वारा अवकाश के रूप में स्वीकृत करने के लिए भी सक्षम होना चाहिए।

  • अधिकारी को अध्ययन अवकाश के दौरान किए गए कार्य पर एक पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए ।

  • अधिकतम 24 माह का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, लेकिन एक बार में 12 माह के लिए ही स्वीकृत की जावेगी ।

  • कोई व्यक्ति जो, अध्ययन अवकाश की समाप्ति की दिनॉक से तीन साल के भीतर सेवानिवृत्त होने वाला हो, को अध्ययन अवकाश की अनुमति नहीं दी जाएगी ।

  • एक व्यक्ति जो अध्ययन अवकाश चाहता है उसे एक बॉन्ड भरना होगा कि वह अध्ययन अवकाश की समाप्ति के बाद तीन साल की अवधि के लिए सरकार की सेवा करने के लिए बाध्य रहेगा ।

  • अध्ययन अवकाश को अवकाश खाते से विकलित नही किया जावेगा और अन्य अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है।

  • भारत से बाहर के लिए अध्ययन अवकाश स्वीकृत नही किया जावेगा अगर उस तरह का अध्ययन भारत में उपलब्ध है ।

  • एक सरकारी कर्मचारी जिसे अध्ययन अवकाश दिया गया है, को अध्ययन से सम्बंधित समस्त फीस की लागत को स्वय वहन करना होगा ।

  • अध्ययन अवकाश को अन्य प्रकार के अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में असाधारण अवकाश के साथ नही जोड़ा जावेगा ।

  • यदि कोई सरकारी कर्मचारी अध्ययन अवकाश से वापस आए बिना या ड्यूटी पर लौटने के तीन साल की अवधि के दौरान इस्तीफा दे या सेवानिवृत्त हो जाता है, तो उसे अवकाश वेतन, फीस की लागत, यात्रा भत्ता और अन्य खर्च, यदि कोई हो, की दोगुनी राशि,व्याज सहित, वापस करना होगी ।

  • यदि कोई सरकारी कर्मचारी चिकित्सा आधार पर इस्तीफा दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो कोई वसूली नहीं की जाएगी ।

  • यदि कोई सरकारी सेवक, अध्यन अवकाश की समाप्ति के तीन साल की अवधि के भीतर इस्तीफा दे देता है और सरकार के नियंत्रण में किसी भी स्वायत्त संस्थान में सेवा से जुड़ जाता है, तो उसे अवकाश वेतन, फीस की लागत, यात्रा और अन्य खर्चों की राशि,ब्याज सहित वापस करनी होगी ।


विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

संतान पालन अवकाश (Child Care Leave )

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  • संतान पालन अवकाश, महिला कर्मचारियों और एकल पुरुष कर्मचारियों के लिए एक विशेष प्रकार का अवकाश है।

  • एकल पुरुष - अविवाहित या विधुर या तलाकशुदा सरकारी कर्मचारी।

  • पात्र शासकीय सेवक को अधिकतम 730 दिवस का संतान पालन अवकाश सम्पूर्ण सेवाकाल में, दो नाबालिग बच्चों की देखभाल हेतु ( परीक्षा, बीमारी आदि ) मिल सकता है ।

  • संतान पालन अवकाश केवल दो जीवित बच्चों के लिए स्वीकार्य होगा ।

  • इस अवकाश का लाभ उठाने के लिए, बच्चे की आयु 18 वर्ष या उससे कम होनी चाहिए।

  • विकलांग बच्चे के लिए आयु सीमा 22 वर्ष रहेगी । 40% की न्यूनतम विकलांगता होने पर।

  • बच्चे की विकलांगता के सम्बंध में प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा ।

  • CCL को कैलेंडर वर्ष में 3 बार से अधिक नही दिया जावेगा ।

  • CCL को अर्जित अवकाश के रूप में मान्य किया जावेगा और उसी तरह से स्वीकृत किया जावेगा ।

  • संतान पालन अवकाश को परिवीक्षा अवधि के दौरान, आमतौर पर विशेष परिस्थितियों को छोड़कर नहीं दिया जाना चाहिए । अवकाश स्वीकृति प्राधिकारी को पूरी तरह से संतुष्ट होना चाहिए कि इस कर्मचारी को वास्तव में अवकाश की आवश्यकता है ।

  • यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परिवीक्षा के दौरान यह अवकाश जिस अवधि के लिए स्वीकृत किया जा रहा हो वह न्यूनतम हो ।

  • परिवीक्षा की अवधि स्वीकृत अवकाश की उस कालावधि के बराबर अवधियो तक के लिए बढ़ा दी जाएगी, जिसके लिए अवकाश स्वीकृत किया गया है ।

  • संतान पालन अवकाश को आकस्मिक अवकाश को छोड़कर अन्य अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है ।

  • संतान पालन अवकाश के दौरान, कर्मचारी को अवकाश पर प्रगमन के पूर्व प्राप्त वेतन के बराबर ही वेतन मिलता रहेगा ।

  • अवकाश लेखा – इस अवकाश का खाता पृथक से संधारित किया जाएगा तथा सम्बंधित शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका में इसकी प्रविष्टि की जाएगी |


विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

म.प्र. / छ.ग. सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवा की सामान्य शर्तें, 1961

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सेवा की सामान्य शर्तें

  • "सामान्य शर्तें" का अर्थ है, आदेश की शर्तों के तहत सरकार और कर्मचारी के बीच अधिकारों और दायित्वों को लागू करना।

  • राज्य की सिविल सेवा निम्नानुसार वर्गीकृत होगी: -

      1. राज्य सिविल सेवा, श्रेणी ‘प्रथम';

      2. राज्य सिविल सेवा, श्रेणी ‘द्वितीय';

      3. राज्य सिविल सेवा, श्रेणी ‘तृतीय';

      4. राज्य सिविल सेवा, श्रेणी ‘चतुर्थ';

नियुक्ति के लिए पात्रता

  • भारत का नागरिक; या

  • सिक्किम की प्रजा; या

  • भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो पाकिस्तान से भारत में स्थायी रूप से बसने के इरादे से पलायन कर चुका है; या

  • नेपाल की या भारत में स्थित किसी पुर्तगाली या फ्रांसीसी क्षेत्र की प्रजा ।

अयोग्यता

  • पुरुष उम्मीदवार - 01 से अधिक पत्नी नही होना चाहिए ।

  • महिला उम्मीदवार – ऐसे व्यक्ति से शादी न की हो जिसकी पहले से पत्नी हो ।

  • मानसिक और शारीरिक रूप से फिट होना चाहिए - मेडिकल अथॉरिटी से सर्टिफिकेट।

  • यदि कोई जांच कहती है कि उम्मीदवार सेवा या पद के लिए किसी भी संबंध में उपयुक्त नहीं है।

  • यदि किसी उम्मीदवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया गया हो।

  • विवाह के लिए निर्धारित आयु के पूर्व विवाह कर लिया हो ।

  • जिसकी 02 से अधिक जीवित संतान हों और जिनमें से 01 का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके पश्चात हुआ हो ।

भर्ती का तरीका

  • सीधी भर्ती;

  • पदोन्नति;

  • किसी अन्य सेवा या पद पर पहले से नियोजित किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के स्थानांतरण

सेवा शर्तों के संबंध में मूलभूत नियम में प्रावधान

  • FR 10 –18: शासकीय सेवक के लिए सेवा की सामान्य शर्तें विहित की गई हैं ।

  • FR 10: •प्रथम नियुक्ति पर स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य है । पदभार ग्रहण करते समय जमा किया जावे या 01 माह के भीतर जमा किया जावे । पहला वेतन भी तभी आहरित होगा जब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा कर दिया हो ।

Prescribed Authority

  • Gazetted Post - Medical Board – Divisional Level

  • Non-Gazetted post or other posts - Medical Board – District Level

Prescribed Authority for Female Candidates

  • Gazetted Post - Medical Board – Divisional Level - One member will be female doctor.

  • Non-Gazetted post or other posts - Medical Board – District Level

Prescribed Authority for Physically handicapped persons

  • For All Posts - Medical Boards attached to the Special Employment Exchanges for physically handicapped persons and Vocational Rehabilitation Centres. No further medical examination is required for appointment of such candidates.

  • •मेडिकल सर्टिफिकेट: मेडिकल अथॉरिटी उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है:

  1. Fit;

  2. Temporarily unfit - यदि अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित किया जाता है: उम्मीदवार को आवश्यक उपचार लेने की सलाह दी जाएगी और संबंधित चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट अवधि के बाद फिर से चिकित्सा परीक्षण किया जावेगा ।

  3. Unfit - Medical Certificate: If declared Unfit : उम्मीदवार को संक्षिप्त कारणों से अवगत कराया जावेगा । पुन: परीक्ष के लिए, उम्मीदवार को सूचना की तारीख से 01 महीने के भीतर अपील करने का अधिकार है।

Re-examination fees: Rs. 10

  • चिकित्सा प्रमाण पत्र: गर्भवती महिला के लिए: सामन्यतः दो प्रकार के पद होते हैं :

  1. पद जो कर्तव्यों की खतरनाक प्रकृति के होते हैं; जैसे पुलिस संगठन आदि में और नियुक्ति से पहले विस्तृत प्रशिक्षण दिया है - यदि 12 सप्ताह से अधिक के गर्भवती को नियुक्त नहीं किया जाएगा और अस्थायी रूप से अनफिट घोषित किया जाएगा । अवधि समाप्त होने के बाद ही उसे नियुक्त किया जाएगा। हालाँकि, पद को महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित रखा जाएगा।

  2. वे पद जो किसी भी तरह के विस्तृत प्रशिक्षण को निर्धारित नहीं करते हैं - Øउम्मीदवार को सीधे नौकरी पर नियुक्त किया जाएगा, भले ही वह चिकित्सा परीक्षण के दौरान गर्भवती पाई गई हो।

  • चिकित्सा परीक्षा की आवश्यकता नहीं है, यदि,

      1. यदि व्यक्ति को पहले से ही निर्धारित मानक के चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा चिकित्सकीय जांच की गई हो; तथा

      2. यदि व्यक्ति पहले से ही एक ही पंक्ति में है और पदोन्नत किया गया हो ।

  • चिकित्सा प्रमाणपत्र - तत्काल नियुक्ति, असाधारण मामले:

      1. नियुक्ति चिकित्सा परीक्षण के बगैर की जा सकती है, परंतु नियुक्ति के ततकाल पश्चात चिकित्सा परिक्षण किया जावेगा ।

      2. 02 माह का वेतन-भत्तों का भुगतान किया जा सकता है ।

      3. वित्त मंत्रालय और DoPT की स्वीकृति लेना आवश्यक है ।

  • FR 11: शासकीय सेवक पूरे समय यानी 24 घंटे के लिए सरकार के अधीन होता है, और उसे उचित प्राधिकारी द्वारा आवश्यकतानुसार किसी भी तरीके से नियोजित किया जा सकता है।

  • FR 12: दो या दो से अधिक सरकारी कर्मचारियों को एक ही समय में, एक ही स्थायी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता । Lien / धारणाधिकार पर गए सरकारी कर्मचारी का पद भरा नहीं सकता ।

  • FR 13: एक शासकीय सेवक तब तक पद धारण करता है जब तक कि, मूलभूत नियम 14 के तहत, उसका धारणाधिकार निलंबित या समाप्त नही कर दिया जाता ।

  • FR 14: एक बार जब शासकीय सेवक ने एक पद पर धारणाधिकार हासिल कर लिया है, तो तब तक इसे समाप्त नहीं किया जाएगा: -

      1. जब तक वह दूसरे पद पर धाराणाधिकार प्राप्त नही कर लेता;

      2. जब तक वह सेवानिवृत, स्वैच्छिक सेवानिवृत या अनिवार्य सेवानिवृत्ति या पदच्युत, बर्खास्त नही हो जाता या किसी अन्य संस्थान में पद नही ले लेता ।

  • FR 15: स्थायी पद के वेतन की तुलना में कम वेतन वाले निचले पद पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, जिस पर वह एक धारणाधिकार रखता है, सिवाय

      1. अक्षमता या दुर्व्यवहार के कारण;

      2. उसके लिखित अनुरोध पर।

  • FR 16: भविष्य निधि, आदि कटोत्रा अनिवार्य है

      1. पारिवारिक पेंशन या अन्य समान निधि के लिए बनाई गई भविष्य निधि या फंड

  • FR 17: वेतन और भत्ते -

      1. नियुक्ति की तारीख से प्राप्त होंगें ।

      2. जैसे ही पद का त्याग होता है, वेतन और भत्तों का भुगतान बंद हो जावेगा ।

      3. बिना किसी अनुमति के अनुपस्थित रहने की स्थिति में, वह ऐसी अनुपस्थिति के दौरान किसी भी वेतन और भत्ते का हकदार नहीं होंगा ।

  • FR 17A: अनाधिकृत अनुपस्थित -

      1. अवधि को सेवा में रुकावट या ब्रेक के रूप में माना जावेगा ।

      2. हड़ताल से संबंधित किसी भी गतिविधि में भाग लेना या शामिल होना, जिसे सरकार द्वारा अवैध घोषित किया गया हो;

  • FR 18: 05 वर्ष से अधिक का अवकाश स्वीकृत नहीं होगा -

      1. 5 वर्ष से अधिक की निरंतर अवधि के लिए किसी भी तरह का अवकाश स्वीकृत नही किया जावेगा ।

      2. सरकार द्वारा असाधारण परिस्थितियों में, छूट प्रदान की जा सकती हैं।

परिवीक्षा

  • सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति - निर्धारित अवधि के लिए परिवीक्षा ।

  • परिवीक्षा अवधि एक वर्ष से अधिक अवधि तक ही बढ़ाई जा सकती है।

  • विभागीय परीक्षा / आवश्यक प्रशिक्षण उत्तीर्ण करना होगा, यदि सेवा के लिए अनिवार्य हो ।

परिवीक्षा का सफल समापन

  • परिवीक्षा के सफल समापन और निर्धारित विभागीय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद, यदि कोई हो, परिवीक्षाधीन व्यक्ति, यदि कोई स्थायी पद उपलब्ध है, तो उस सेवा या पद पर स्थाई कर दिया जावेगा, जिसमें उसकी नियुक्ति हुई हो ।

  • या उचित प्राधिकारी द्वारा उसके पक्ष में एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जो कि परिवीक्षाधीन सफ़लतापूर्वक पूर्ण कर ली गई है, परंतु स्थायी पद की अनुपलब्धता के कारण उसे स्थाई नही किया जा सका है और भविष्य में जैसे ही स्थायी पद उपलब्ध होगा, उसे स्थाई कर दिया जावेगा ।

  • परिवीक्षाधीन व्यक्ति, जिसे न तो स्थाई किया गया है और न ही उसके पक्ष में किसी तरह का प्रमाण पत्र जारी किया गया है, को एक अस्थायी शासकीय सेवक के रूप में नियुक्त किया गया माना जावेगा , जो परिवीक्षा की समाप्ति के दिनॉक से प्रभावी होगा और उसकी सेवा शर्तों मध्य प्रदेश शासकीय सेवक (अस्थायी और अर्ध-स्थायी सेवा) नियम, 1960 द्वारा शासित होंगी ।

शासकीयी सेवकों की उपयुक्तता के लिए परीक्षण

  • पहले से ही शासकीय सेवा में नियोजित कोई व्यक्ति, सीधी भर्ती, पदोन्नति या स्थानांतरण द्वारा किसी अन्य सेवा या पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसकी उपयुक्तता का पता लगाने के लिए उसे दो साल की अवधि के लिए स्थापन्न हैसियत में नियुक्त किया जाएगा।

  • नियुक्ति प्राधिकारी, पर्याप्त कारणों से, अधिकतम एक वर्ष तक के लिए स्थापन्नता की कालावधि बढ़ा सकते हैं ।

  • यदि सेवा अवधि के अंत में या उसके दौरान, शासकीय सेवक को उस सेवा या पद के लिए अनुपयुक्त पाया जाता है, जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया है, तो उसे उसकी पूर्ववर्ती सेवा या पद पर वापस कर दिया जाएगा।

  • यदि परीक्षण की कालावधि के अंत में, शासकीय सेवक को उस सेवा या पद के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया है, और यदि वह स्थायी पद उपलब्ध है, तो उस शासकीय सेवक को उस सेवा या पद पर स्थाई कर दिया जावेगा, जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया था ।

  • या उचित प्राधिकारी द्वारा उसके पक्ष में एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जो कि स्थापन्न शासकीय सेवक को स्थाई कर दिया गया होता, परंतु स्थायी पद की अनुपलब्धता के कारण उसे स्थाई नही किया जा सका है और भविष्य में जैसे ही स्थायी पद उपलब्ध होगा, उसे स्थाई कर दिया जावेगा ।

  • एक शासकीय सेवक, जिसे न तो स्थाई किया गया है और न ही उसके पक्ष में कोई प्रमाण पत्र जारी किया गया है और न ही उसे पूर्ववर्ती सेवा या पद पर वापस किया गया है तो, उसे उसे आगामी आदेश तक स्थापन्नता में माना जावेगा और इस तरह की अवधि के दौरान उसे किसी भी समय अपनी मूल सेवा या पद पर वापस किया जा सकता है।

पदक्रम सूची

  • पदक्रम सूची में शासकीय सेवकों के वरिष्ठता के आधार पर नाम रखा जावेगा

  • बशर्ते कि जब किसी सेवा में दो या दो से अधिक अलग-अलग शाखाएँ या पद हों और एक समूह या पद से दूसरे सामूह या पद में स्थानांतरण नही हो सकता हो तो, ऐसी सेवा या पद के लिए एक अलग पदक्रम सूची बनाई जावेगी ।

वरिष्ठता

  • सीधी भर्ती या पदोन्नत व्यक्ति की वरिष्ठता: - योग्यता के क्रम के आधार पर।

  • जहां DPC द्वारा चयन के आधार पर पदोन्नति की जाती है, वरिष्ठता उसी क्रम में होगी जिसमें वे अनुशंसित किए गए हैं।

  • जहाँ पदोन्नति अयोग्यता की अस्वीकृति के अधीन वरिष्ठता के आधार पर की जाती है, वहॉ पदोन्नति के लिए उपयुक्त माने जाने वाले व्यक्तियों की वरिष्ठता निम्न श्रेणी के सापेक्ष वरिष्ठता के समान होगी, जहाँ से उन्हें पदोन्नत किया गया है।

  • हालांकि जहां किसी व्यक्ति को पदोन्नति के लिए अयोग्य माना गया हो और एक जूनियर द्वारा उसे अधिक्रमित किया गया हो तो, तथा बाद में उस व्यक्ति को पदोन्नति हेतु उपयुक्त माना जाता है तो उन जूनियर व्यक्तियों पर उच्चतर सम्वर्ग अवधारित नही की जावेगी, जिन्होने उसे अधिक्रमित किया था ।

  • ऐसे व्यक्ति की वरिष्ठता जिसका मामला ACR की कमी के कारण या किसी अन्य कारणों से DPC द्वारा स्थगित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उस तिथि से पदोन्नत होने के लिए उपयुक्त पाया गया जिस दिन उसके कनिष्ठ को पदोन्नत किया गया था, चयनित सूची में उससे तत्काल कनिष्ठ व्यक्ति के पदोन्नति की तिथि से या उस तिथि से जिस दिन वह विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा पदोन्नत होने के लिए उपयुक्त पाया गया था, माना जावेगा ।

  • सीधी भर्ती और पदोन्नति के बीच की सापेक्ष वरिष्ठता, नियुक्ति / पदोन्नति आदेश जारी करने की तारीख के अनुसार निर्धारित की जाएगी

  • बशर्ते कि यदि किसी व्यक्ति को उसके वरिष्ठ से पहले रोस्टर के आधार पर नियुक्त / पदोन्नत किया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति की वरिष्ठता का निर्धारण योग्यता / चयन / उपयुक्त सूची के अनुसार उचित प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

  • यदि किसी सीधी भर्ती की परिवीक्षा की अवधि या किसी पदोन्नत की परीक्षण अवधि बढ़ा दी जाती है, तो नियुक्ति प्राधिकारी यह निर्धारित करेगा कि क्या उसे वही वरिष्ठता दी जानी चाहिए जैसी कि उनको प्रदान की गई होती, यदि उसने परिवीक्षा/परीक्षण की सामान्य कालावधि सफ़लतापूर्वक पूर्ण कर ली होती या क्या उसे निम्न वरिष्ठता दी जानी चाहिए ।

स्थानांतरण की वरिष्ठता

  • राज्य सरकार के एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरण द्वारा नियुक्त किए गए व्यक्तियों की सापेक्ष वरिष्ठता ऐसे स्थानांतरण के लिए उनके चयन के आदेश के अनुसार निर्धारित की जाएगी।

  • जहां कोई व्यक्ति, सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा उपयुक्त उम्मीदवारों की अनुपलब्धता की स्थिति में, भर्ती नियमों में प्रावधानों के अनुसार स्थानांतरण द्वारा नियुक्त किया जाता है, ऐसा स्थानांतरित व्यक्ति, सीधी भर्ती या पदोन्नत व्यक्ति के साथ समूहीकृत किया जाएगा, तथा उसे सीधी भर्ती या पदोन्नत व्यक्ति से नीचे रखा जावेगा ।

  • ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिसे शुरू में प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है और बाद में संविलियन कर लिया जाता है, ऐसे सम्वर्ग में जिसमें उसे संविलियन किया गया हो, तो आमतौर पर उसकी वरिष्ष्ठता संविलियन दिनॉक से मानी जावेगी ।

  • यदि वह पहले से ही (तिथि या अवशोषण पर) एक ही या समकक्ष ग्रेड को अपने मूल विभाग में पहले से ही धारण कर रहा है, तो संवर्ग में इस तरह की नियमित सेवा को उसकी वरिष्ठता तय करने में भी ध्यान में रखा जाएगा, इस शर्त के अधीन उन्हें वरिष्ठता प्रदान की जाएगी, जिस तिथि से वह प्रतिनियुक्ति पर पद धारण कर रहे हैं या जिस तारीख से उन्हें अपने वर्तमान विभाग में समान या समकक्ष संवर्ग के लिए नियमित आधार पर नियुक्त किया गया है।

विशेष प्रकार के मामलों में वरिष्ठता

  • ऐसे मामले में जहां किसी निम्न सेवा,संवर्ग या पद या कटौती की शास्ति का दंड शासकीय सेवक पर अधिरोपित की गई हो और एक निर्दिष्ट अवधि के लिए हो और भविष्य की वेतन वृद्धि को स्थगित करने के लिए नहीं हो, तो शासकीय सेवक की वरिष्ठता, तब शास्ति के आदेश की शर्तें अन्यथा उपबंधित नही करती हों; उच्च सेवा, संवर्ग या पद या उच्च समयमान पर उसी प्रकार निर्धारित की जावेंगी जैसे की उसकी कटौत्री न किए जाने की स्थिति में की गई होती ।

  • जहां ऐसे मामलों में कटोत्री, एक निर्दिष्ट अवधि के लिए है और भविष्य की वेतन वृद्धि को स्थगित करती हो, पुनर्पदोन्नति के संबंध में शासकीय सेवक की वरिष्ठता, तब शास्ति के आदेश की शर्तें अन्यथा उपबंधित नही करती हों; उच्च सेवा, संवर्ग या पद या उच्च समयमान वेतन में या उसके द्वारा की गई सेवा की अवधि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जावेगी ।

  • अधिशेष कर्मचारी, नए कार्यालय में अपनी वरिष्ठता के उद्देश्य से पिछले कार्यालय में प्रदान की गई पिछली सेवा के लाभ के हकदार नहीं होंगे और ऐसे कर्मचारियों को उनकी वरिष्ठता के मामले में नए प्रवेशार्थी के रूप में माना जाएगा।

  • जब किसी कार्यालय में एक विशेष संवर्ग के दो या अधिक अधिशेष कर्मचारियों को, किसी अन्य कार्यालय में एक ही संवर्ग में संविलियन के अलग-अलग तारीखों पर चुना जाता है, तो पूर्व कार्यालय में उनकी अंतर-वरिष्ठता जिस तरह से थी, उसी तरीके से रहेगी ।

    • अन्यथा

        • इन तिथियों के बीच उस संवर्ग पर नियुक्ति के लिए कोई सीधी भर्ती का चयन नहीं किया गया हो, और

        • इन तिथियों के बीच उस संवर्ग पर नियुक्ति के लिए कोई भी पदोन्नति न हुई हो ।

तदर्थ कर्मचारियों की वरिष्ठता

  • तदर्थ आधार पर नियुक्त व्यक्ति को अपनी सेवाओं के नियमित होने तक कोई वरिष्ठता नहीं मिलेगी।

  • यदि किसी व्यक्ति को भर्ती नियमों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए तदर्थ आधार पर नियुक्त किया गया हो, और नियुक्ति नियमों के अनुसार उसकी सेवा के नियमितीकरण तक निर्बाध रूप से जारी रही हो, तो वरिष्ठता के लिए स्थापन्न सेवा की अवधि की गणना की जाएगी।

पदोन्नति

  • सरकार, प्रत्येक संवर्ग या सेवा के संबंध में निर्धारित करेगी कि किस पद पर नियुक्ति पदोन्नति द्वारा की जा सकती है और वह पद या संवर्ग या सेवा जिससे ऐसी पदोन्नति की जा सकती है, और किस प्रक्रिया का पालन किया जावेगा ।

  • उच्च संवर्ग या सेवा में पदस्थ, स्थायी सरकारी सेवक को निम्न संवर्ग या सेवा में वापस किया जा सकता है, जहां से उन्हें पदोन्नत किया गया था यदि उच्च संवर्ग या सेवा में कोई रिक्तियां नहीं हैं, और इस तरह के प्रत्यावर्तन को रैंक में कमी (पदावनति) नहीं माना जाएगा


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