Background Knowledge

ऊष्मीय उत्सर्जन ( Thermionic Emission )

  • एक 'गर्म' धातु की सतह से मुक्त इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन को थर्मिओनिक उत्सर्जन कहा जाता है।

  • प्रयुक्त धातुएं टंगस्टन, टैंटलम, ऑक्साइड लेपित बेरियम, स्ट्रोंटियम, आदि हैं।

  • तापमान 1000 K से 2500K तक होता है

  • थर्मिओनिक उत्सर्जन सिर्फ तापमान पर नहीं निर्भर करता है, परंतु यह धातु के अंदर इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जन के लिए आवश्यक ऊर्जा पर भी निर्भर करता है।

Factors affecting / प्रभावित करने वाले कारक

  • धातु सतह की प्रकृति पर

  • धातु की सतह के तापमान पर

  • धातु की सतहीय क्षेत्रफ़ल पर

Properties of metal / धातु की विशेषता

  • निम्न कार्यफ़लन ( Low work-function )

  • उच्च ग्लांक बिंदु ( Higher melting point )

विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-

ठोस में ऊर्जा बैंड ( Energy Band in Solids )

  • एक स्वतंत्र परमाणु के विलग ऊर्जा स्तर होते है ।

  • सबसे बाहरी स्तर संयोजक स्तर कहलाता है।

  • सबसे बाहरी स्तर के इलेक्ट्रॉनों को संयोजक इलेक्ट्रॉन कहा जाता है ।

  • संयोजक स्तर के ऊपर खाली स्तरों को चालन स्तर के रूप में जाना जाता है ।

  • ठोस में, परमाणु व्यवस्थित जाली में रहते हैं और प्रत्येक परमाणु पड़ोसी परमाणुओं से प्रभावित रहता है।

  • परमाणुओं की निकटता के कारण उनके इलेक्ट्रॉन आपस में घुल-मिल जाते हैं ।

  • इलेक्ट्रॉनों का अंतर मिश्रण के कारण, अनुज्ञेय ऊर्जा के स्तर की संख्या बढ़ जाती है।

  • एकल ऊर्जा स्तर के बजाय, वहाँ ऊर्जा के स्तर के बैंड होगें ।

  • इस तरह के भरे हुए निकटवर्ती ऊर्जा स्तरों के एक सेट को एक ऊर्जा बैंड कहा जाता है।

          1. Valence band / संयोजी बंध

          2. Conduction band / चालन बंध

          3. Forbidden Energy Gap / वर्जित ऊर्जा अंतराल

Valence Band:

  • पिछला पूरी तरह से भर (कम से कम T = 0 K पर ) बैंड को संयोजी बैंड कहा जाता है।

  • इसमें सन्योजी इलेक्ट्रॉन होते है।

  • कभी भी रिक्त नही रहता।

Conduction Band:

  • उच्च ऊर्जा के अगले बैंड को चालन बैंड कहा जाता है।

  • चालन बैंड खाली या आंशिक रूप से भरा रह सकता है।

  • इसमे स्थित इलेक्ट्रॉन धारा प्रवाह में भाग लेते है ।

Forbidden Gap:

  • चालन बैंड के नीचले स्तर और सन्योजी बैंड के शीर्ष स्तर के मध्य ऊर्जा अंतराल को अंतराल बैंड (या वर्जित ऊर्जा अंतराल) कहा जाता है।

Energy Bands in Insulators / कुचालक में ऊर्जा बैंड

  • कुचालक वह सामग्री है जिसमें धारा बहुत आसानी से प्रवाह नहीं की जा सकती हैं ।

  • उदाहरण: लकड़ी, कागज, प्लास्टिक, हीरा।

  • संयोजक बैंड, और चालन बैंड के मध्य वर्जित ऊर्जा अंतराल बहुत बड़ा होता है ।

  • वर्जित ऊर्जा अंतराल 3eV से अधिक होता है ।

  • चालन बैंड में कोई इलेक्ट्रॉन नही होता है ।

  • चालन बैंड से सन्योजी बैंड में इलेक्ट्रॉनों को शिफ्ट करने के लिए बहुत बड़ी ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।

  • कुचालक की प्रतिरोधकता लगभग 1011 से 1016 Ωm के मध्य निहित है।

Energy Bands in Semi-conductors / अर्द्धचालक में ऊर्जा बैंड

  • अर्धचालक सामग्री वह है जिसकी चालकता कंडक्टर और इंसुलेटर के मध्य हिती है ।

  • वर्जित ऊर्जा अंतराल 1eV से कम होता है।

  • Example Ge and Si.

  • कमरे के तापमान पर अर्धचालक की प्रतिरोधकता इंसुलेटर और कंडक्टर के मध्य में होती है।

  • अर्धचालक की प्रतिरोधकता लगभग 0.1 से 500 x 10 -3 Ωm के मध्य निहित है।

  • अर्धचालक मे नकारात्मक तापमान गुणांक देखा गया है जिसका मतलब यह है कि तापमान में वृद्धि के साथ प्रतिरोधकता कम हो जाती है ।

  • वर्जित ऊर्जा अंतराल 0.7eV for Ge and 1.1eV for Si होता है।

  • चालन बैंड में कोई इलेक्ट्रॉनों नही होते हैं। 0 K ताप पर सन्योजी बैंड पूरी तरह से भर रहता है

  • आपूर्ति ऊर्जा की कम मात्रा के बावजूद, इलेक्ट्रॉन आसानी से चालन बैंड से संयोजक बैंड से चले जाते हैं।

  • यदि तापमान बढ़्या जाता है, तो वर्जित ऊर्जा अंतराल में कमी आती है और कुछ इलेक्ट्रॉन मुक्त होकर चालन बैंड में चले जाते हैं।

  • सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वालाअर्धचालक पदार्थ सिलिकॉन है क्योंकि यह प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है और तापमान पर कम निर्भर रहता है।

Energy Bands in Conductors / चालक में ऊर्जा बैंड

  • चालक में कोई ऊर्जा अंतराल नही होता है

  • सन्योजी बैंड और चालन बैंड अतिछादित हो जाते है ।

  • प्रतिरोधकता लगभग 10 -8 Ωm होती है ।

  • बैंडों के अतिछादन के कारण इलेक्ट्रॉन मुक्त होकर सन्योजी बैंड से चालन बैंड में प्रवेश करा जाते है।

  • इसलिए बहुत कम विभवांतर पर भी धारा सतत रूप से प्रवाहित हो सकती है।

  • चालक में कुल धारा प्रवाह केवल इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है।।

  • चालक में वर्जित उर्जा अंतराल करीब 0.01 eV होता है।

विस्तृत अध्ययन के लिए निम्न विडियो देखें :-