एक समय की बात है, नन्दन नाम का एक चित्रकार था | वह एक अच्छा और ईमानदार पुरुष था | वह बहुत अच्छे चित्र भी बनाता था और उन्हें बाज़ार में बेच आता था | एक बार वह चित्र बेचकर आ रहा था तभी उसे एक चमकती हुई कलम दिखाई दी | उसने सोचा '' इतनी सुंदर कलम किसकी होगी ? मैं इसे अपने साथ ले जाता हूँ , मेरी चित्रकारी में काम आएगी |
घर पहुँचकर वह उस कलम से एक आम का चित्र बनाता है | जैसे ही चित्र पूरा होता है, आम चित्र से निकलकर उसके सामने आ जाता है! फिर वह एक केले का चित्र बनाता है और केला उसके सामने आ जाता है | नन्दन समझ जाता है कि यह एक जादुई कलम है | वह बहुत खुश होता है | वह जो कुछ भी बनाता सब उसके सामने आ जाता था | धीरे-धीरे वह बहुत अमीर हो गया और जादुई कलम की मदद से लोगों की सेवा करना शुरू कर देता है |
उसका पडोसी रामू, उससे इर्ष्या करने लगता है | एक बार रामू, नन्दन को जादुई कलम इस्तेमाल करते हुए देख लेता है | उसके अंदर लालच आ जाता है | रात में वह नन्दन के घर से जादुई कलम चुरा लेता है और गाँव छोड़कर भाग जाता है | दूसरे घर पहुँचकर वह कलम की मदद से नोटों की गड्डी बनाता है, पर ये क्या! देखते ही देखते उसके सामने ढेर सारा कचरा आ जाता है | वह कई बार उस कलम से नोट , फल और सिक्के बनाता लेकिन हर बार मिट्टी, पत्थर और कचरे का ढेर ही वह अपने सामने पाता | गुस्से में आकर रामू कलम को तोड़ने की कोशिश करता है, पर कलम उसके हाथ से छूटकर नन्दन के घर चला जाता है | सज़ा के तौर पर कलम रामू के ऊपर पत्थरों की बारिश करता है |
शिक्षा -हम चाहे कुछ भी कर ले , गलत काम करने पर हमे सज़ा ज़रूर मिलती है |
नागपुर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण हम लोग करीब चार महीनों से ताडोबा में ही हैं | इसी दौरान हमें कई दुर्लभ दृश्य देखने का अवसर मिला उस रोमांचकारी अनुभव को मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ |
ताडोबा में हमसे मिलने मेरे मामा और मामी भी हुए आए थे | वे ३ दिन तक हमारे साथ रुके | जिस रात वे आ रहे थे , उस रात हिरन की काफी आवाज़े सुनाई दे रही थीं | जहाँ से ये आवाज़े आ रही थीं वहाँ हम तक़रीबन एक घंटा रुके किंतु रात के अंधेरे के कारण हम कुछ देख पाने में असफल रहें |
जिस दिन मेरे मामा - मामी नागपुर वापस जाने वाले थे उस दिन फिर से हिरन की आवाज़े सुनाई देने लगी | सभी लोग थके हुए थे तो केवल मैं, मेरी दीदी और मामी ही वह नज़ारा देखने जा पहुँचे | उस समय सामने के रास्ते से एक तेंदुआ हमारी तरफ़ आ रहा था और सुबह का समय होने के कारण हम उसे साफ़ - साफ़ देख पा रहें थे| मैंने दीदी से गाड़ी घुमाने को कहा उस समय वो तेंदुआ कुछ दूरी से हमारे साथ - साथ ही चल रहा था | ये सारी घटना हमारे रिसोर्ट के सामने ही घटित हुई |
वो वहाँ से दूर जा रहा था, पर हम चाहते थे कि ये दृश्य हमारे परिवार के सभी सदस्य देखे अतः मैंने दीदी से कहकर कॉल करके सबको बुलाने को कहा | पहले तो नेटवर्क नहीं मिल पाया, किंतु बाद में मम्मी से बात हुई| जब सब लोग आए तब तक तेंदुआ काफ़ी सामने निकल चुका था| मम्मी अपने साथ प्रकृतिवादी (Naturalist ) को भी लेकर आई थीं , उन्होंने अंदाज़ा लगाकर बताया कि वो तेंदुआ अब कहाँ से निकलेगा |
उन्होंने सभी को शांत रहने और गाड़ी बंद करने को कहा | हमने जैसे ही गाड़ी बंद की, वैसे ही वो तेंदुआ हमारे सामने के रास्ते से गुज़रा | मम्मी जिप्सी लेकर आई थी तो मैंने उसमें बैठकर उस तन्दुए को देखा | प्रकृतिवादी ने हमें ये भी बताया कि वह नर तेंदुआ काफी दुर्लभ है | थोड़ी देर बाद जब वो तेंदुआ जंगल में अंदर चला गया तब हम भी रिसोर्ट लौट आए | मेरी दूसरी बहन इस अनोखे नज़ारे का अनुभव न ले पायी क्योंकि उसकी क्लासेस चल रही थीं | उस दिन से मेरा मन बार - बार यही कह रहा है कि ऐसा ही दुर्लभ नज़ारा वापस जाने से पूर्व एक बार फिर देख सकूँ |
इस अविस्मरणीय पल का एक विडियो भी मैं इस अनुभव के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ |
यह जो नाम मेरा है आयुष , संज्ञा ये कहलाता है |
मैं हम, तुम, तुम्हारा कहते ही यह, सर्वनाम बन जाता है |
अच्छा, बुरा, मोटा, पतला, जो हमको बतलाता है,
वह शब्द तो व्याकरण में विशेषण कहलाता है।
खेलना, पढ़ना, काम का होना, क्रिया शब्द बन जाता है।
जो बोलू काम करने वाला तो, कर्ता वह कहलाता है |
चूहा से चुहिया या आयुष से आयुषी जब भी बन जाता है ,
सच कहता हूँ , तब यह नियम लिंग परिवर्तन कहलाता है |
जो हो एक किताब तो वह, एक वचन हो जाता है ,
और हो कई किताबें तो वह, बहुवचन बन जाता है ।
सच कहता हूँ भाई मेरे, व्याकरण तो भाषा की जान है ,
इसी व्याकरण की बदौलत हम सबको, भाषा का शुद्ध ज्ञान है |
अनगिनत बातें सिखलाती , समय का महत्व जो समझाती।
आओ सुनाऊँ उनकी कहानी, बापू कहती जिनको दुनिया सारी।
सिर पर बाल नहीं थे उनके , शरीर पर लटके केवल खादी।
कोट - पेंट त्याग कर , धोती में लिपटी दुबली कद - काठी।
गोल- गोल चश्मा चेहरे पर, मुख पर मुस्कान हल्की – सी
दिखने में थे वे सीधे- साधे , हाथों में थी लाठी मोटी- सी
लाठी लिए हाथ में सदा , कदम चलें नही, उनके भागे।
दौड़- दौड़ के कदम मिलाए, उनके संगी – साथी सारे ।
सत्याग्रह हों या फिर दांडी यात्रा,
अगणित होती, लोगों की मात्रा।
सादगी में क्या है महानता,
हमें सिखलाती बापू की सज्जनता |
स्वच्छता की मिसाल बनकर ,सफाई का ज्ञान कराया,
भेद – भाव सबको भुलाकर , एकता का पाठ पढ़ाया |
जिनका रहता हर शब्द और कर्म पर काबू।
हम सब मिल कर पुकारते उन्हें, प्यारे बापू – प्यारे बापू ।
प्रभु का दिया जीवन है प्यारा,
जिसमें रक्त है सबसे न्यारा
मनुष्य वही जो दूसरों के काम आए
दुर्घटना या आपातकाल में
किसी जीव का जीवन बचाए
रक्तदान महा पुण्य है प्यारा
मुसीबत में मिले इससे सहारा ,
हरी सब्जियाँ, फल और दूध
पौष्टिकता है इनमें खूब
साफ़-सफाई का ध्यान रखो
और आलस से बचो
नहीं चलेगा कोई बहाना,
समस्या हो तो डॉक्टर को दिखाना |
रक्त का दान शुरू करो,
दूसरों की मदद ज़रूर करो |
क्यों न खुद की पहचान बनाएँ
आओ एक महान कदम उठाएँ
रक्तदान करें और दूसरों से भी करवाएँ !!
आओ हम सब साथ मिल जाएँ,
अपने सपनों का भारत बनाएँ ,
गांधी, नेहरू, सुभाष और तिलक की,
कुर्बानियों को यूँ न व्यर्थ गवाएँ,
आओ अपने सपनों का भारत बनाएँ !
आज़ादी की गूँज हों हर दिशाओं में .
ईमानदारी और सत्य का परचम लहराएँ ,
आओ अपने सपनों का भारत बनाएँ !
हर तरफ खुशियों की बैसाखी हो,
नफरत की आग कहीं न, न गोलाबारी हो,
मानव, मानवता का धर्म निभाए !
आओ अपने सपनों का भारत बनाएँ !
जीवन है तो, राहें भी कठिन होंगी,
योद्धा वही जो, हँसता हुआ हर पल बढ़ता जाए,
निस्वार्थ भावना से हम, देश पर न्योछावर हो जाएँ,
आओ अपने सपनों का भारत बनाएँ !
एक जानवर रंग रंगीला, बिना मारे वह रोवे।
उस के सिर पर तीन तिलाके, बिन बताए सोवे।।
बीसों का सर काट लिया
ना मारा ना ख़ून किया
आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।
दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।
फ़ारसी बोली आईना,
तुर्की सोच न पाईना
हिन्दी बोलते आरसी,
आए मुँह देखे जो उसे बताए
(उत्तर - मोर)
(उत्तर - नाखून)
(उत्तर - भुट्टा)
(उत्तर - दर्पण)