आज फिर मेरी आँखें भर आयी
Bittu Kumar
आज फिर मेरी आंखों ने वो नजारा देखा
जिस से सहमा है मेरा सारा बचपन
किस्तों किस्तों से जुड़ रही मेरी हिम्मत
एक ही पल में बिखर गयी
आज फिर मेरी आँखें भर आयी।
दौड़ के जाने को पाँव नही मिले
मिली तो दो आंखे और कान
कैसे अनसुना कर दूं उस कहानी को
जिसके किस्से मैंने सुने हैं सुबह शाम
ना अंधी ना बहरी बन पाई
आज फिर मेरी आँखें भर आयी।
किसी के दो शब्द ने दी मुस्कान
अब कुछ अलग सा दिखा,
वही पुराना मकान
कोने से निकल कर आँगन में आयी
पर तभी मेरी सांसे फिर से घबराई
सब पुराना ही था, नये थे बस समान
फिर उसी कोने में जाकर
दीवारों को सिसकिया सुनाई
आज फिर मेरी आँखें भर आयी।