धरती हमारी माता है, हम धरती पुत्र हैं। धरती के अनुदानों वरदानों के क्रम में जब मनुष्य के जीवन यापन, आहारों का क्रम आता है तो सर्वप्रथम अन्न की बात आती है। यह इसलिए कि मनुष्य के जीवन का सर्वश्रेष्ठ रत्न अन्न को ही माना गया है क्योंकि मानव का जन्म, जीवन, स्वास्थ्य एवं मृत्यु - अन्न पर ही आधारित है।
भगवान श्री कृष्ण ने भी यही कहा है कि मनुष्य की उत्पत्ति अन्न से हुई है, इसी का सर्मथन आयुर्वेद के प्रणेता महर्षि चरक भी करते हैं। महर्षि चरक का कहना है कि मनुष्य शरीर की उत्पत्ति एवं पोषण, वृध्दि, विकास सब अन्न के अधीन हैं, शरीर को धारण करने वाले धातु, दोषों का निर्माण भी अन्न से ही होता है (च०सं०)।
यह भी अकाट्य सत्य है कि प्रकृति स्वयं द्वारा निर्मित तत्वों की प्रासंगिकता एवं महत्व को समय के साथ स्वयं प्रतिपादित, स्थापित करती है। मनुष्य का यह स्वभाव है कि वह उन सुख सुविधाओं में जीवन आराम ढूढंता है, जिसमें उसे अधिक श्रम, समय एवं अर्थ न लगाना पड़े। परतुं इस प्रकार प्रकृति के पार जाना भी असंभव है।
अन्न के संदर्भ में यह भी स्व प्रमाणित है कि समय एवं भौतिकता के कारण हमने स्वयं बहुत कुछ गंवाया है। और जो हमारा सबसे बड़ा धन है, सबसे बड़ी अमूल्य संपदा हैं- "स्वास्थ्य", सबसे ज्यादा हानि उसी की हुई है। समय के साथ हमारा जीवन स्तर, खान - पान सब बदला, साथ में स्वास्थ्य चौपट हुआ, इस स्वास्थ्य की भरपाई कैसे हो, हमारा धन कैसे वापस आये, हम कैसे निरोग रहें, हमारा सतुंलन कैसे बना रहे, तब धरती माता ने हमें वही स्मरण कराया - हमारे मनों के माध्यम से, विचारों से, बुध्दिजीवियों से, शोधों के आधार पर भी मोटे अन्न का मूल्य आज भी सर्वोपरि है।
जो कम साधन सुविधा, कम जलवायु में उत्पन्न होते हैं, मिलेट्स वही सुपर फ़ूड हैं, जिन्हें भारतीय जीवन में आदिकाल से "मोटा अन्न" कहा जाता है। समाजिक उथल पुथल के साथ ही इन्हें 'कुअन्न' या 'ग्रामीण इलाके का अन्न' कहकर इसकी खेती को पीछे छोड़ते गये और पश्चिमी देशों का तथा बाजारवाद का प्रभाव इतना बढ़ गया कि खान पान की प्राचीन एवं परम्परागत मौसम के अनूकूल खाने की जो भारतीय प्रथा थी वो पीछे छूट गयी, जिसके कारण अनेकानेक बीमारियों ने अपनी पैठ बनायी। हर भारतीय घर से ये मोटे अनाज समाप्त होते गये और कुपोषण एवं रोग बढ़ते गये, जबकि उन मोटे अनाजों की क्षमता, प्रभाव, लाभप्रदायी गुणवत्ता यथावत बनी रही।
आज जब भारत में मधुमेह, मोटापा, थायराइड, ह्रदयरोग आदि रोग सुरसा की भांति बढ़ते ही जा रहे हैं, तब फ़िर इन्हीं मोटे अनाज अर्थात मिलेट्स की वकालत वैज्ञानिक तथा चिकित्सक दोनों कर रहे हैं। साथ ही साथ विश्व मिलेट्स की गुणवत्ता को स्वीकार कर रहा है। यही कारण है कि UNO द्वारा 2023 को "मिलेट्स इयर" के रूप में घोषित किया गया है।
मिलेट्स को मूल्यवान बनाने वाले हैं - उनमें उपस्थित भरपूर पोषक तत्व, जो रोगों से रक्षा करते हैं और कुपोषण को दूर करते हैं। इनकी गुणवता एवं पोषण की दृष्टि से इन्हें "सुपरफ़ूड" और "स्मार्ट फ़ूड" के नाम से भी जाना जा रहा है। ICRISAT (International Crops Research Institute for the Semi-Arid Tropics) के अनुसार - इन्हें दो व्यापक श्रेणियों में स्वीकृत किया गया है- मेजर या मुख्य मिलेट्स और माइनर या छोटे मिलेट्स । ज्वारा, बाजरा, रागी और कंगनी मुख्य मिलेट्स की श्रेणी में आते हैं तथा सामा, कोदो, चिन्ना इत्यादि को छोटे मिलेट्स में माना जाता है। मिलेट्स की गुणवत्ता एवं मूल्य का कारण इसकी स्वाभाविक उपज भी है, क्योंकि ये कम पानी, उर्वरक एवं कीटनाशक के साथ कम उपजाऊ मिट्टी में भी आसानी से उगते हैं और भरपूर फ़सल देते हैं।
मिलेट्स के मूल्यवान होने का कारण उनमें उपस्थित पोषक तत्व हैं। ये ग्लूटन फ़्री होते हैं, इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इनमें उच्च मात्रा में डायटरी फ़ाइबर, सभी आवश्यक अमीनो एसिड्स, विटामिन और मिनरल्स के साथ प्रोटीन भी होता है, जिसके कारण मिलेट्स का सेवन ग्लूकोस लेवल को संतुलित करता है। इनका उपयोग वजन कम करने में भी सहायक होता है। जैसे - बाजरे का प्रतिदिन प्रयोग मोटापा कम करने एवं BMI को संतुलित करता है।
मिलेट्स का उपयोग कुपोषण जन्य रोगों से बचाता है, क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, मैगनीज, मैग्निशियम, जिंक, फ़ास्फ़ोरस, कॉपर, सेलेनियम आदि तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही सभी प्रकार के मिलेट्स- एण्टी आक्सीडेंट, फ़्लेवोनाइड्स, एंथोसाइनिन, सैपोनिन आदि के पावर हाउस कहे गये हैं।
यही कारण है कि सभी मोटे अनाजों को सुपर फ़ूड, स्मार्ट फ़ूड की श्रेणी में रखकर इनका प्रचार प्रसार स्वास्थ्य रक्षा हेतु किया जा रहा है। और कभी उपेक्षित रहे ये अन्न अब मॉलों की शोभा बढ़ा रहे हैं; और जहाँ खाद्य पदार्थों की भरमार है, वहाँ प्रथम पंक्ति में, प्रथम श्रेणी में पुन: स्थापित हो अपने मूल्य का बोध करा रहे हैं।
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