अश्वगंधा में शक्ति भरी है दुर्बल रहे ना कोई।
बूढ़े बच्चे सभी के लिए यह नित्य अमूल्य होई।।
वानस्पतिक नाम – विथैनिया सोम्नीफ़ेरा
कुल – सोलेनेसी
हिन्दी - अश्वगंधा, असगंध
संस्कृत – बराहकर्णी
मराठी – ढोरगुंज
गुजराती – आसंध घोड़ा, आहन
तमिल – आमकुर्लांग
कन्नड़ – अश्वगंधी नाम से जाना जाता है।
अश्वगंधा प्राचीन काल से आयुर्वेद में उपचार होने वाली एक कारगर औषधि है। कई गंभीर बीमारियों में हजारों साल से अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता रहा है। इसके पत्तियों तथा जड़ो में घोड़े के मूत्र जैसी गंध आने के कारण व अश्व की तरह बलवर्धक होने के कारण इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। अश्वगंधा की खेती - महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तरप्रदेश में की जाती है।
अश्वगंधा सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक रोगों में लाभकारी है।
अश्वगंधा शक्तिवर्धक रसायन है, शारीरिक कमजोरी को दूर करता है एवं शुक्रवर्धक रसायन है।
अश्वगंधा का सेवन करने से हृदय संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक होते हैं।
लिवर की सूजन एवं फैटीलिवर की समस्याओं को भी कम करने में सहायक होता है।
अश्वगंधा रक्त विकार, शोथ एवं गठिया- वात रोगियों के लिए भी लाभदायक है।
अश्वगंधा का पाक शक्तिवर्धक है एवं वृद्धावस्था में आने वाली समस्त व्याधियों से बचाता है।
अश्वगंधा पाक
आवश्यक सामग्री :-
अश्वगंधा चूर्ण – 50 ग्राम
दूध – 1 लीटर
शक्कर – 500ग्राम
घृत – 50ग्राम
प्रक्षेप घटक द्रव्य :-
1. दालचीनी – 5 ग्राम
2. तेजपत्र – 2 ग्राम
3. लौंग – 2 ग्राम
4. जावित्री – 2 ग्राम
5. जायफल – 2 ग्राम
6. पीपला मूल – 2ग्राम
7. छोटी इलायची – 5 ग्राम
ड्राईफ़्रूट्स घटक द्रव्य :-
1. काजू – 50 ग्राम
2. बदाम – 50 ग्राम
3. पिस्ता – 10 ग्राम
4. चिरौंजी –10 ग्राम
5. सिघाड़ा का आटा –10 ग्राम
बनाने की विधि :-
1. सर्वप्रथम दूध को उबाल लें। गुनगुना रहने पर अश्वगंधा के चूर्ण को घोलकर धीमी आंच में मावा बना लें।
2. इस मावा को 40 ग्राम घी डालकर भूनें - दानेदार लाल होने तक।
3. 500 ग्राम चीनी में 200 मि.लि. पानी डालकर चासनी तैयार करें, तीन तार की चासनी आने पर मावा को अच्छी तरह से मिला दें।
4. 1 से 5 तक के ड्राईफ़्रूट्स को दरदरा चूर्ण बना कर चासनी में मिला दें।
5. 1 से 7 तक की प्रक्षेप घटक को एक साथ मिलाकर चासनी में डाल दें। चासनी चम्मच में लगने लगे, तब घी लगे थाली में जमा दें। थोड़ी देर बाद स्वेच्छानुसार काट लें।
भोजन के एक घंटे बाद, रात्रि में सोने से आधे घंटे पहले 10ग्राम अश्वगंधा पाक गुनगुने दूध के साथ सेवन करें।
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