Botanical Name :- Punica grenatum.
Family Name :- Punicaceae
English Name :- Pomegranate
हिन्दी – अनार (दाड़िम)।
बंगाली – दाड़िम।
मराठी – डालिम्ब।
कन्नड – दालिम्ब
गुजराती – दाड़म।
तेलगू – दालिम्ब काया
तामिल – मादलै।
प्राप्ति स्थान – यह पौधा प्राय: सभी फल वाटिकाओं में लगाया जाता है। जबकि अफगानिस्तान तथा हिमालय में (2-3 हजार फीट तक) यह वन्य रूप में उगता देखा गया है।
पहचान – यह पौधा झाड़ीदार, अनेक शाखाओं तथा प्रशाखाओं में विभाजित होता है। प्राय: यह छोटा वृक्ष रूप में होता है। इसकी शाखाएँ एवं प्रशाखाएँ अग्र भाग पर थोड़ी नुकीली काँटेदार होती है। इसके पत्र एक से डेढ़ इंच लंबे आयताकार चिकने तथा छोटे वृंत वाले होते हैं। यह विपरीत या न्यूनाधिक विपरीत या समूहबंध होते हैं। पत्रों पर पारभासक सूक्ष्म छीटे होते हैं।
इसके फूल – गहरे लाल रंग के, फल – गोल एवं मोटे छिलके वाला होता है, फल के अंदर सफेद, लाल या गुलाबी रंग के असंख्य नोकदार दाने होते हैं। यह दाने सूखने पर अनारदाना बनते हैं।
प्रयोज्य अंग – मूल की छाल, कांड की छाल, फल की छाल एवं स्वरस का उपयोग किया जाता है।
यह औषधि शीतल, रक्त शोथक, हृदय रोचक एवं ग्राही है।
प्रयोग –
1. छाल का प्रयोग – स्फीत कृमि में – इसके लिए 80 ग्राम छाल को डेढ़ लीटर जल में उबाल कर आधा शेष रहने पर छानकर नित्य प्रत्येक आधे घंटे के बाद चार बार खाली पेट पिलाने से तथा बाद में थोड़ा एरण्ड तैल देने से लाभ होता है।
2. अतिसार तथा संग्रहणी में – अतिसार, प्रवाहिका में फल की छाल का क्वाथ पिलाने से लाभ होता है। इसके संपूर्ण फल को जरा भूनकर, कूटकर रस निकालकर देने से अतिसार तथा प्रवाहिका में लाभ होता है।
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