भारतीय चिकित्सक प्राचीनकाल से खांसी – जुकाम आदि में तुलसी का प्रयोग करते आए हैं। 'चरक संहिता' के अनुसार खांसी में छोटी मक्खी के शहद के साथ तुलसी का रस विशेष लाभदायक होता है। 'चरक' में भी यही कहा गया है कि दमा (श्वास) को ठीक करने वाली प्रमुख औषधियों में से तुलसी एक है।
- साधारण खांसी में तुलसी के पत्ते और अडूसा के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन से शीघ्र लाभ होता है।
- तुलसी के बीज, गिलोय, सोंठ, कटेरी की जड़, समान भाग पीसकर छान लें। इसमें से आधा माशा चूर्ण शहद के साथ खाने से खांसी में लाभ होता है।
- कुकर खाँसी में तुलसी मंजरी और अदरक को बराबर लेकर पीसकर शहद में मिलाकर चाटें।
- तुलसी की मंजरी, बच, पीपल आधा-आधा तोला और मिश्री दो तोला लेकर एक सेर पानी में औटाएँ, जब आधा रह जाए तो छानकर रख लें। इसको एक-एक छटांक दिन में कई बार सेवन करने से कुकर खांसी में लाभ होता है।
- छोटे बच्चों की खांसी में तुलसी की पत्ती 4 रत्ती और ककड़ासिंघी तथा अतीस दो-दो रत्ती शहद में मिलाकर माँ के दूध के साथ देने से फायदा होता है।
- तुलसी का रस और मुलहठी का सत मिलाकर चाटने से खांसी दूर होती है।
- तुलसी और कसौंदी की पत्ती का रस मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
- चार-पाँच लौंग भूनकर तुलसी पत्र के साथ लेने से सब तरह की खांसी में लाभ पहुँचता है।
- सूखी खांसी में अगर गला बैठ गया हो तो तुलसी पत्र, खसखस तथा मुलहठी पीसकर समान भाग लाल बूरा या खांड मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
- तुलसी पत्र आधा तोला, गेहूँ का चोकर एक तोला, मुलहठी आधा तोला पावभर पानी में पकाएँ। आधा रह जाने पर छानकर थोड़ा देशी बूरा या खांड मिलाकर पीने से शीघ्र ही खांसी दूर होती है।
- तुलसी पत्र, हल्दी और कालीमिर्च का उपर्युक्त विधि से बनाया काढ़ा भी जुकाम और हरारत में लाभ करता है।
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