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Department of Ayurveda and Holistic Health
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
भारतवर्ष के अनेक भागों में मलेरिया का प्रकोप विशेष रूप से पाया जाता है। यह वर्षा ॠतु के पश्चात् मच्छरों के काटने से फैलता है। तुलसी के पौधों में मच्छरों को दूर भगाने का गुण होता है। उसकी पत्तियों का सेवन करने से मलेरिया का दूषित तत्व दूर हो जाता है। इसलिए हमारे यहाँ ज्वर आने पर तुलसी और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पी लेना सबसे सुलभ और सरल उपचार माना जाता है।
डॉक्टर लोग इसके लिए 'कुनैन' का प्रयोग करते हैं, पर कुनैन इतनी गरम चीज है कि उसके सेवन से बुखार दूर हो जाने पर भी अनेक बार अन्य उपद्रव पैदा हो जाते हैं। उनसे खुश्की, गरमी, सिर चकराना, कानों में साँय-साँय शब्द सुनाई पड़ना आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसको मिटाने के लिए दूध-संतरा आदि रस जैसे पदार्थों के सेवन की आवश्यकता होती है, जिनका सामान्य जनता को प्राप्त हो सकना कठिन ही होता है।
ज्वर को दूर करने के लिए वैद्यक ग्रंथों के कुछ नुस्खे इस प्रकार हैं -
1. जुकाम के कारण आने वाले ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस, अदरक के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
2. तुलसी के हरे पत्ते- एक छटांक और कालीमिर्च- आधा छटांक दोनों को एक साथ बारीक पीसकर झरबेरी के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। इसमें से दो गोलियाँ तीन-तीन घंटे के अंतर से जल के साथ सेवन करने से मलेरिया अच्छा हो जाता है।
3. तुलसी के पत्ते 11, कालीमिर्च 9, अजवाइन 2 माशा, सौंठ 3 माशा, सबको पीसकर एक छटांक पानी में घोल लें। तब एक कोरा मिट्टी का प्याला, सिकोरा या कुल्हड़ आग में खूब तपाकर उसमें उक्त मिश्रण को डाल दें और उसकी भाप रोगी के शरीर को लगाएँ। कुछ देर बाद जब वह गुनगुना, थोड़ा गरम रह जाए तो जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर पी लिया जाए, इससे सब तरह के बुखार जल्दी ही दूर हो जाते हैं।
4. पुदीना और तुलसी के पत्तों का रस एक-एक तोला लेकर उसमें 3 माशा खाँड़ मिलाकर सेवन करें, इससे मंद-ज्वर में बहुत लाभ होता है।
5. शीत ज्वर में तुलसी के पत्ते, पुदीना, अदरक तीनों आधा-आधा तोला लेकर काढ़ा बनाकर पिएँ।
6. तुलसी के पत्ते और काले सहजन के पत्ते मिलाकर पीस लें। उस चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से विषम ज्वर दूर होता है।
7. मंद ज्वर में तुलसी पत्र आधा तोला, काली दाख दस दाना, कालीमिर्च एक माशा, पुदीना एक माशा, इन सबको ठंडाई की तरह पीस-छानकर मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
8. विषम ज्वर और पुराने ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस एक तोला पीते रहने से लाभ होता है।
9. तुलसी पत्र एक तोला, कालीमिर्च एक तोला, करेले के पत्ते एक तोला, कुटकी 4तोला, सबको खरल में खूब घोंटकर मटर के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। ज्वर आने से पहले और सायंकाल के समय दो-दो गोली ठंडे पानी के साथ सेवन करने से जाड़ा देकर आने वाला बुखार दूर होता है। मलेरिया के मौसम में यदि स्वस्थ मनुष्य भी एक गोली प्रतिदिन सुबह लेता रहे तो ज्वर का भय नहीं रहता। ये गोलियाँ दो महीने से अधिक रखने पर गुणहीन हो जाती हैं।
10. तुलसी पत्र और सूरजमुखी की पत्ती पीस-छानकर पीने से सब तरह के ज्वरों में लाभ होता है।
11. कफ के ज्वर में तुलसी पत्र, नागरमोंथा और सौंठ बराबर लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
12. जो ज्वर सदैव बना रहता हो, उसमें दो छोटी पीपल पीसकर तथा तुलसी का रस और शहद मिलाकर गुनगुना करके चाटें।
13. तुलसी पत्र और नीम की सींक का रस बराबर लेकर थोड़ी कालीमिर्च के साथ गुनगुना करके पीने से क्वार के महीने का फसली बुखार दूर होता है।
14. सामान्य हरारत तथा जुकाम में तुलसी की थोड़ी-सी पत्तियों का चाय की तरह काढ़ा बनाकर, उसमें दूध और मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। कितने ही जानकार व्यक्तियों ने आजकल बाजार में प्रचलित चाय की अपेक्षा तुलसी की चाय को हितकर बताया है।