धन्वन्तरि ई-समाचार पत्र
Dhanvantari E-Newsletter
Department of Ayurveda and Holistic Health
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
भोजन के समय दाल, शाक आदि में मिलाए जाने वाले मसालों में से अधिकांश ऐसे होते हैं, जिनमें किसी न किसी रोग के निवारण की क्षमता भी है। कई मसालों को एक साथ मिला देने पर उनसे रुचिकर स्वाद बनता है, पर औषधि की दृष्टि से उस सम्मिश्रण का प्रभाव गुणहीन हो जाता है। ऐसी स्थिति में वह औषधि के स्थान पर प्रयोग करने योग्य भी नहीं रह जाते।
मसालों को सामान्यतया स्वादवर्धक एवं पाचक माना जाता है। उनका आम प्रयोग-प्रचलन इसी रूप में है, पर उन्हें निरापद घरेलू चिकित्सा के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है।
आयुर्वेद के ग्रंथों पर दृष्टि डालते हैं, तो हम पाते हैं कि मसाले के रूप में प्रचलित औषधियाँ, बहु-गुणकारी, भूख बढ़ाने वाली एवं अनेक रोगों को नाश करने वाली हैं। दैनन्दिन जीवन में प्रयुक्त होने के कारण हम दुर्भाग्यवश उनका महत्व नहीं जान पाते, पर गहराई से विवेचन करें तो हम पाते हैं कि भारतीय भोजन पद्धति कितनी दूरगामी नीतियों को सामने रखकर ॠषि-मनीषियों द्वारा निर्धारित की गई थी।
मसाला औषधि वाटिका में प्रयुक्त की जा सकने वाली औषधियाँ इस प्रकार हैं-
(1) राई, (2) हल्दी, (3) अदरक, (4) सौंफ, (5) मेथी, (6) जीरा, (7) मिर्च, (8) पुदीना, (9) पिप्पली, (10) गिलोय, (11) तुलसी, (12) अजवाइन, (13) धनिया, (14) लहसुन, (15) ग्वारपाठा, (16) प्याज, (17) आँवला।
धन्वन्तरि ई - समाचार पत्र के अगले अंक से हम लोग प्रत्येक अंक में एक मसाला औषधि की चर्चा करेंगे व उसके उपयोग के बारे में जानेंगे।