करीबन 45 से 50 डीजाईन मास्टर प्लान बनवाये, उसमे से 3 अलग अलग रूमो के सेम्पल सेंटर पे बनाए और उसे लगभग एक साल उपयोग कीया और उसमे से एक डीजाईन को फाईनल किया| ऐसे धम्म्होल का अभ्यास किया और कुछ डिजाईन बनाए, उसके बाद एक फाईनल धम्म्होल + वुडन + मोडल बनाया, वो ठीक लगा और अंत में एक मास्टर प्लान फाईनल किया, जीसमे हमें सबसे ज्यादा महत्व दिया साधक ओरीएन्टेड यानी साधक की कम्फर्टनेस कैसे हो उसे महत्व दिया, और कमसे कम मेंटेनन्स रहे. मास्टर प्लान बनाने से पहेले पुरे साल का पवन का एनालीसीस किया|
८ महीना गरमी का है, तब साउथ वेस्ट से हवा आती है|
हो शके तो इस दिशा में धम्महोल से कम से कम 50 की दुरी तक बड़े वृक्ष नहीं लगाने चाहिए ताकि पवन का ज्यादा फायदा मिल शके | (हमने 150 फीट छोड़कर वृक्ष लगाए है|)
उस मुताबीक प्लान को बीठाया| नए पुराने साधको का निवास – डायनींग को अलग कर दिया, जीससे उसे नए साधको का डीस्टबंस ना रहे और हमें उतने साधको की कम्पाउंडीग ना करनी पड़े| रूम और होल की डीजाईन ऐसे बनाए की हवा को टकराकर मुड़ना पड़े तो समजो के २ वेलोसीटी की स्पीड से हवा आ रही है तो वो 2 की जगह 4 वेलोसीटी की हो जाये यानी उसकी स्पीड बढ जायेगी|
गरमी के मॉसम मे धम्महॉल के तापमान के विषय मे साधक का अनुभव
धम्म होल कैसा होना चाहिए
मेक्सीम वेंटीलेशन – कही पडदे लगाने की जरूरत ना पड़े| पडदे लगाने से दो बड़े नुकसान होते है, हवा को 80% रोक देता है, और जब हवा आती है तो साथ प्रकाश भी आता है|
होल मे पडदे ना लगे हो फीर भी हल्की सी जरूरत जीतनी हमें साधना में है, उतना ही कुदरती प्रकाश आता रहे|
विंडो के माप साईज : 260 फुट पेरीफेरी मे से लगभग 160 फुट ओपन 4 दिशाओ मे से विंड|
वेस्ट्मे 40 X 10 फुट वेंटीलेशन जहा से 8 महीना 47% हवा आनेवाली है, और गरमी मे उसमे पानी का ओटोमेटीक पाईप लगाया हो, जीससे पवन ठंडा होकर होल मे आये|
नोर्थ साउथ मे इन डायरेक्ट वेंटीलेशन ईस्ट में लुवर्स कभी कभी वातावरण में हवा ही नहीं बहती, तब पंखा उलटा धुमाते है तो वो चार दीशा में से हवा खीचकर हवा होल में लाती है| और जब जब जरूरत पड़ती है, तब साधना के समय पंखो उल्टा ही धुमाते है उससे लाभ ये होता है की कीसीको गरमी महेसुस नहीं होती है, डायरेक्ट पवन भी महेसुस नहीं होता |
धम्महोल का धम्मआसन वेस्ट फेसींग किया है, क्युकी साउथ वेस्ट हवा कि डायरेक्शन थी, तो साधको को सीधा पवन न लगे जीससे साधना में तकलीफ न हो और आँखों पर प्रकाश न आये|
करीबन साल के 8 माह से ज्यादा पवन की दिशा वेस्ट होती है |
इसलिए हमने साधकों पूर्वी (east) फैसिंग बेठक व्यवस्था की ताकि सीधा पवन उसके चहरे एवं शरीर पर न लगे जिससे साधना मे उसे कोई खलेल न हो।
हमने वरिष्ट आचार्यों से परामर्श लिया उसका कहेना की है आप पूर्वी ओर वेस्ट कोई भी दिशा मे साधकों की बेठक व्यवस्था रख शकते है |
एक ओर बात का हमने धम्महॉल मे ध्यान रखा की उसमे जो मच्छर एव अन्य जीवों को रोकने के लिए जाली लगाई है वह बाहर न लगाकर धम्महॉल के अंदर करीबन 10 फिट तक लगाई है |
ऐसा करने की वजह यह थी की अगर हम बाहर जाली लगते है तो पवन को पूरा अंदर नहीं आने देती है, पर अगर हम उसे अंदर लगते है तो ज्यादा मात्रा पवन हॉल मे आता है |
हमारा प्लान भी ऐसे ही बैठ रहा था | प्रवचन के दोरान पंखे को सीधा घुमाते हे, चारो दिशा में से अधिक वेंटीलेशन के कारण, साधक प्रवचन मे इतना मन लगाके सुनता हे|
हमने बडा DC पंखा लगाया है वह पूरे हॉल मे सिर्फ एक ही है | इसको पूरी स्पीड पर चलाया जाए तो सामान्य 12 पंखों की बिजली का उपयोग करता है | अगर हम उसे सही 40-45 की स्पीड पे लगाए तो सिर्फ 6 पंखों की खपत मे काम बन जाता है, ओर इतनी स्पीड हॉल के लिए काफी है |
दरवाजा कैसा होना चाहिए ?
जो दरवाजे होते है उसमे PULL करने के लीये जो हेंडल लगाए है वो बराबर है, पर PUSH करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है तो वहा हेंडल नहीं लगाना चाहिए| जीससे फायदा ये होता है, की अगर साधक दरवाजा PUSH करना चाहता है तो वहा हेंडल होने की वजह से वो कभी कभी PULL कर देता है, जीसकी वजह से दरवाजा टकराता है, ओर दूसरे जो साधक ध्यान मे बैठे होते है उसे डीस्टर्ब होता है|
इस वजह से जहा जहा PUSH करना होता है वहा धम्महोल मे हेंडल ना डाले|
अधर लेंगवेज होल
जो होल के दोनों साइड धम्म्सेवक बैठते हे, उसके पीछे अधर लेंगवेज होल बनाए है, जो सुबह शाम तक बहार से आते या पार्टटाइम साधको ध्यान करते हे| प्रवचन के समय एक होल इंगलीश प्रवचन और दुसरे होल मे अधर लेंगवेज प्रवचन और बहार से आते साधको को AT के सामने होल से अलग लगे, मगर फीर भी अलग न लगे वो हीसाब से बनाया है|
धम्महोल के अंदर जब साधक एंट्री करते है, तब दरवाजे ईस प्रकार से डीजाईन होने चाहिए के, उसको बहार की हवा पूरी मात्रा मे मीले ओर मच्छर कही कोने मे बैठ ना पाये और अंदर प्रवेश ना करे|
मच्छर
हमने धम्म हॉल मे ओलआउट लगाए है, वैसे तो हम ओलआउट सेंटर पर देते भी नहीं है, क्यूकी जीससे मच्छर मर जाते है मगर इतने बड़े धम्महोल के लीये हमारे पास इसके इलावा कोई चारा नहीं है, क्यूकी इतने बड़े धम्महोल मे एक दो मच्छर आ गए तो उसे नीकालना बहोत ही कठीन हो जाता है|
पर धम्महोल करीबन 4500 फुट का है जीसमे हमने करीब 15 ओलआउट का कोमन प्लग रखा है और शून्यागार मे भी हमने करीबन 15-20 ओलआउट के प्लग रखे है जीसके ऊपर हमने टाईमर लगाया है, अगर मच्छर है तो टीचर रात को 10 बजे स्वीच चालू करके सो जाते है तो वो रात को 1 बजे अपने आप बंध हो जाता है|
जो 3 घंटा तो बहोत काफी है उससे ज्यादा उसकी आवश्यकता नहीं होती है, अगर आपको ज्यादा आवश्यकता है तो आप टाईमर भी एक्सटेंड कर सकते है|
उसको कोई भी कभी भी चालू नहीं कर सकता, क्यूकी साधना के दोरान ओलाउट चालू करने की वजह से साधक को ध्यान मे खलेल होती है|