निर्माण की स्केल, सामग्री (जैसे – बलुआ पत्थर, मार्बल), डिज़ाइन, बजट और समय-सीमा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें।
आर्किटेक्चरल ड्रॉइंग, स्ट्रक्चरल प्लान, और अनुमानित लागत तैयार रखें।
उस ठेकेदार की पिछली परियोजनाएँ देखें – क्या उसने धार्मिक/मंदिर निर्माण में काम किया है?
बलुआ पत्थर या पारंपरिक शिल्प कार्य का अनुभव है या नहीं, यह ज़रूरी है।
मंदिर शैली (नागर/द्रविड़/बिहार शैली आदि) में उसका अनुभव हो तो उत्तम।
3–5 योग्य ठेकेदारों से लिखित प्रस्ताव/quotation मंगवाएँ।
लागत, सामग्री का ब्रांड, कार्य की समयसीमा, और भुगतान की शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए।
पहले के काम का फिजिकल निरीक्षण करें (भवन, मंदिर आदि)।
संबंधित स्थान के टस्ट या समिति से प्रामाणिकता की पुष्टि करें।
ठेकेदार का पंजीकरण (Contractor License) और GST/IT नंबर की जाँच करें।
यदि संभव हो, तो कार्यस्थल बीमा/लेबर सेफ्टी भी सुनिश्चित करें।
सभी शर्तें लिखित में होनी चाहिए:
कार्य की शुरुआत और समाप्ति की तिथि
पेमेंट शेड्यूल (किस्तों में)
देरी पर पेनल्टी
गुणवत्ता की गारंटी और सामग्री की ज़िम्मेदारी
श्रमिकों की व्यवस्था और सुपरविजन
एक स्थानीय समिति/सुपरविजन टीम बनाएं जो निर्माण की निगरानी करे।
कार्य प्रगति की फोटोग्राफिक/वीडियो डॉक्यूमेंटेशन रखें।
केवल "कम कीमत" वाले ठेकेदार का चयन न करें।
बिना अनुबंध या बिना लेखा-जोखा वाले कार्य से बचें।
भावनात्मक निर्णय नहीं – तथ्य और ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लें।