https://youtu.be/fHtRxbsX1Ao?si=Lbive_NY6TMZJmdc
एक बार की बात है एक सर क्लास में पढ़ा रहे थे। वह सभी स्टूडेंट से कोई ना कोई सवाल पूछ रहे थे तभी उन्होंने देखा कि क्लास में एक बच्चा बहुत ही उदास बैठा हुआ था मानो उसके साथ बहुत बुरा हुआ हो। सर ने भी उस बच्चे को कुछ नहीं पूछा और ना ही कुछ कहा लेकिन चार पाच दिन तक ऐसा ही चलता रहा। तभी सर ने उस बच्चे के पास जाकर उससे पूछा कि बेटा तुम इतने उदास क्यों बैठ रहते हो। दूसरे बच्चों की तरह तुम एंजॉय नहीं करते और किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते हो।
उस लड़के ने सर से कहा कि सर मेरे अतीत में मेरे साथ कुछ बुरा हो गया था इसी वजह से मेरा किसी भी चीज में अब मन नहीं लग रहा है। मैं कुछ भी कर लू दूसरे बच्चों की तरह खुश नहीं रह पा रहा हूं। सर ने उस बच्चे की बात को पूरा सुना और अगले दिन वो सर अपने बैग में शिकंजी बनाने का सारा सामान लेकर आए और सारे बच्चे क्लास से जाने के बाद सर उस बच्चे के पास शिकंजी बनाने का वह सामान लेकर गए और उस सामान से उन्होंने उस लड़के को एक गिलास शिकंजी बनाकर दिया। लड़के को लगा कि सर यह सब कुछ मुझे खुश करने के लिए कर रहे हैं।
सर ने लड़के की तरफ शिकंजी का गिलास बढ़ाया और उसे पीने के लिए कहा। लड़के ने जैसे ही शिकंजी का एक जिप लिया तो उसे उस शिकंजी में नमक ज्यादा लगा। उसने सर से कहा कि सर इस शिकंजी में नमक ज्यादा हो गया है। तभी सर ने उस लड़के से कहा ठीक है लाओ मैं इसे फेंक देता हूं लड़के ने सर से कहा सर इसे फेंकने की जरूरत नहीं है अगर इसमें थोड़ी शक्कर मिला देंगे तो यह खुद मीठा और अच्छा हो जाएगा। तभी सर ने उस लड़के की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा यही चीज मैं तुम्हें आज इस शिकंजी के जरिए समझाने आया था।
हमारी जिंदगी भी बिल्कुल इस शिकंजी की तरह है और हमारे अतीत में जो बुरी और दुखद चीजें हमारे साथ हुई है वो उस शिकंजी में मिले नमक की तरह है।जब हमारे अतीत में बहुत बुरा हुआ हो जिसकी वजह से हमारी जिंदगी बिल्कुल कड़वी हो जाती है। तब हमें उसमें कुछ अच्छे पल ऐड करने की जरूरत होती है।जिस तरह से शिकंजी में नमक ज्यादा हो गया था लेकिन उसमें शक्कर मिलाने के बाद वह मीठा हो गया उसी तरह हमें भी हमारे बीते हुए कल को भूलकर उसमें खुशि ऐड करनी चाहिए। ताकि हमारी बुरी यादें हमारी अच्छी यादों से ज्यादा हो जाए और हमारी जिंदगी फिर से मीठी और खुश हो जाए।
जो अतीत में हो गया वो हो गया उसकी वजह से आज उदास मत रहो। क्योंकि हमारा आज भी आगे चलकर कल में बदल जाएगा और हम फिर से उस कल की वजह से उदास रहने लगेंगे इसीलिए खराब चीजों को भूलते हुए आगे बढ़ो और अपनी लाइफ में पॉजिटिव रहो और जितना हो सके अच्छा और पॉजिटिव सोचो।
https://youtu.be/6dX2HpKaVI0?si=Cufio47moImVY4fl
एक समय की बात है पांच मेंढक एक साथ किसी जंगल से जा रहे थे। चलते चलते उन मेंडक में से तीन मेंढक एक बड़े से गड्ढे में गिर जाते हैं। पांच में से तीन मेंडक गड्ढे में गिर गए तो ऊपर दो बचे। अब गड्ढे में गिरने के बाद वह तीनों मेंढक ऊपर चढ़ने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन वो गड्ढा बहुत बड़ा था। उस गड्ढे से बाहर निकलना इतना आसान नहीं था अब गड्ढे के ऊपर जो दो मेंढक बचे हुए थे। वह गड्ढे के अंदर देखकर उन तीनों मेंढक से कहते हैं कि अब तुम तीनों इस गड्ढे से कभी बाहर नहीं निकल सकते हो। यह बहुत बड़ा गड्ढा है तो तुम्हारा कोशिश करना व्यर्थ है।
यह सुनने के बाद उन तीनों मेंढक में से एक मेंढक को लगता है कि यह सही बोल रहे हैं। यह गड्ढा बहुत बड़ा है और अब हम इसमें से कभी नहीं निकल सकते हैं। तो मेंढक थोड़ी कोशिश करने के बाद हार मान लेता है और उसी गड्ढे में एक जगह आराम से जाकर बैठ जाता है। अब बाकी जो दो मेंढक थे वह अभी भी ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। अब उन दोनों को देखकर ऊपर वाले मेंढक फिर से उन्हें यह कहते हैं कि तुम जो कोशिश कर रहे हो वह बेकार है। तुम इस गड्ढे से कभी बाहर नहीं निकल सकते हो और अब तुम्हें अपनी सारी जिंदगी इसी गड्ढे में गुजारनी पड़ेगी।
अब यह सुनने के बाद जो दो मेंढक कोशिश कर रहे थे ऊपर चढने की उनमें से एक और मेंढक को यह लगता है कि यह सही बोल रहे हैं। अब हम इस गड्ढे से कभी बाहर नहीं निकल सकते हैं और वह भी हार मानकर बैठ जाता है। लेकिन अभी भी उनमें से एक मेंढक ऊपर चढने की कोशिश कर ही रहा था। ऊपर वाले दो मेंढक उसे भी कहते हैं कि क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है। उन दोनों ने हार मान लिया है और तुम अभी भी यह सोच रहे हो कि तुम इस बड़े से गड्ढे से बाहर निकल सकते हो। वो ऊपर वाले दोनों मेंढक उसे बोलते रहे लेकिन उनकी बातों का उस मेंढक पर कोई असर नहीं हुआ और वह मेंढक कोशिश करता रहा और कोशिश करते करते वह उस गड्ढे से बाहर निकल गया।
अब उसे वह सारे मेंढक देख रहे थे कि यह बाहर कैसे निकल गया। मैं आपको बताता हूं कि वह मेंढक बाहर कैसे निकला। वह मेंढक इस बड़े गड्ढे से इसीलिए बाहर निकला क्योंकि वह मेंढक बहरा था उसे कुछ सुनाई नहीं देता था। तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम जिंदगी में कुछ अच्छा करते हैं तो बहुत लोग आते हैं। हमें रोकने के लिए तरह-तरह की बातें करते हैं लेकिन अगर आपको अपने काम में कामयाबी हासिल करनी है। तो बहरे बन जाओ उनकी बातों का अपने ऊपर कोई असर ही मत होने दो क्योंकि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग। लोग तब भी कहते जब आप कुछ नहीं करते हो और तब भी कहते हैं जब आप कुछ करते हो तो चाहे आप कुछ करो या ना करो लोगों का काम है कहना और वह तो कहेंगे ही।
https://youtu.be/-9OGDxKtUMI?si=vJy0FeJT9Lhhfe3r
एक बार की बात है एक गांव में एक लड़का रहता था। वो लड़का पढ़ाई में बहुत होशियार था लेकिन उसकी पढ़ाई नहीं हो पाती थी। क्योंकि वह लड़का अपना घर भी चलाया करता था वह रोज अपने खेत में जाता दिन भर वहां काम करता और शाम को घर वापस आकर वह थोड़ी बहुत पढ़ाई कर लिया करता था। अब जब वह लड़का 12वीं क्लास में गया तो सभी गांव वालों को यह लग रहा था कि हमारे गांव से यही लड़का 12वीं में फर्स्ट आएगा। क्योंकि गांव वालों को भी पता था कि वह लड़का पढ़ाई में बहुत होशियार है।
जब 12वीं का एग्जाम आया लड़के ने एग्जाम दिया और जब 12वीं का रिजल्ट आया तो लड़का किसी कारण से एक सब्जेक्ट में फेल हो गया। जब गांव वालों को यह बात पता चली तो सारे गांव वाले उस लड़के को ताने देने लगे और उसका मजाक उड़ाने लगे। वह जब भी अपने घर से खेत की तरफ जाता तो उस रास्ते पर उसे जितने लोग मिलते वह सब उसे ताने देते रहते। अब वह लड़का लोगों के ताने सुनकर बहुत परेशान हो जाता है और यह बात वह अपने उस्ताद को बताता है कि।
उस्ताद जी मैं जब भी अपने घर से खेत की तरफ जाता हूं। तो उस रास्ते पर जितने लोग मुझे मिलते हैं सब मेरा मजाक उड़ाते हैं। तो उसके उस्ताद ने उसे कहा कि तू ना एक काम कर एक बड़ा सा लोटा ले और उस लोटे को पूरा ऊपर तक दूध से भर दे और जब तू उस रास्ते से गुजरे तो तू उस लोटे से दूध का एक बूंद भी नीचे गिरने मत देना। लड़के ने एक दिन वैसा ही किया वह जब उस रास्ते से दूध का लोटा लेकर निकला तो उसका फोकस उस लोटे पर इतना था कि उसे लोगों की आवाज ही सुनाई नहीं दी। वह इतने ध्यान से उस लोटे को लेकर चल रहा था कि उस लोटे से दूध का एक भी कतरा नीचे ना गिरे। इसकी वजह से उसे लोगों के तानों की आवाज सुनाई ही नहीं दी।
तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने काम में इतना ढल जाओ। इतना फोकस अपने काम पर लगा दो कि बाकी की चीजों का आप पर कोई असर ही ना हो। लोगों की आवाजें लोगों के ताने आपको सुनाई ही ना दे जैसे कैमरा होता है जो सिर्फ अपने सब्जेक्ट पर फोकस करता है। बाकी सारी चीजों को वह बलर कर देता है तो बस आपको भी उसी तरह अपने काम पर अपने टारगेट पर फोकस करना है। बाकी चीजें तो अपने आप ही ब्लर हो जाएंगी।
https://youtu.be/LzxthmESXXg?si=z0LC92pYbjZc5jim
एक बार की बात है एक गुरु और शिष्य खेतों के रास्ते से जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक जोड़ी पुराने जूते रखे हुए दिखे। उन्होंने इधर-उधर देखा तो थोड़ी दूरी पर एक किसान खेतों में काम कर रहा था और वह जूते उसी के थे। यह देखकर शिष्य को शरारत सूझी और उसने मुस्कुराते हुए अपने गुरु से कहा कि गुरुजी मैं अभी ऐसा काम करने वाला हूं। जिससे आप खुश हो जाओगे और हंसने लगोगे। गुरुजी ने उससे पूछा कि तुम क्या करने वाले हो जिससे मैं हंसने लगूंगा।
तो शिष्य ने कहा क्यों ना गुरु जी हम यह जूते कहीं छिपा दे और हम भी झाड़ियों के पीछे छिप जाए और जब वह किसान यहां पर आएगा और उसे जूते नहीं दिखेंगे तो बड़ा मजा आएगा और आपकी हंसी छूट जाएंगी। गुरुजी ने शिष्य से कहा कि इससे मैं खुश होने वाला नहीं हूं किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है। तभी गुरुजी ने शिष्य से कहा कि अब मैं ऐसा काम करूंगा जिससे तुम खुश हो जाओगे। तभी शिष्य ने कहा कि वह कैसे? गुरुजी ने कहा तुम बस झाड़ियों के पीछे छुप जाओ मैं दो मिनट में आ रहा हूं।
शिष्य झाड़ियों के पीछे जाकर छिप गया और गुरुजी ने उन दोनों जूतों के साथ क्या किया पता नहीं और थोड़ी देर के बाद वह भी झाड़ियों के पीछे आकर छिप गए। फिर थोड़ी देर के बाद किसान वहां पर आया जैसे ही उस किसान ने एक जूते में अपना पैर डाला उसे जूते में कुछ होने का एहसास हुआ। उसने देखा तो जूते में उसे चांदी का एक सिक्का दिखा किसान ने हैरानी से इधर-उधर देखा। लेकिन उसे कोई नहीं दिखाई दिया उसने सिक्का जेब में रख लिया। फिर उसने दूसरे जूते में पैर डाला उसमें भी उसे चांदी का सिक्का दिखा।
यह देखकर किसान रोने लगा फिर उसने फौरन दोनों हाथ उठाकर ऊपर वाले से कहा ऐ ऊपर वाले तू बड़ा दयालु है। आज मेरी बीमार पत्नी की दवा और बच्चों के खाने का इंतजाम तूने कर दिया। आज मेरा विश्वास तुझ पर और भी मजबूत हो गया तू सबका ख्याल रखता है। यह कहकर अपने आंसू पोचता हुआ वह किसान अपने घर चला गया। यह नजारा देखकर शिष्य हैरान हो गया और अंदर ही अंदर उसे बहुत खुशी महसूस होने लगी और उसे अच्छा फील होने लगा। तभी गुरु ने अपने शिष्य से पूछा अब बताओ इसमें ज्यादा मजा आया या तुम्हारे जूते छिपाने में ज्यादा मजा आता। शिष्य ने अपने गुरु को जवाब दिया कि आज आपने मुझे जिंदगी की सच्ची सीख दी है। जो मजा दूसरों को खुश होता हुआ देखने में है वह किसी और चीज में नहीं है।
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी जरूरतमंद को कुछ दे देना या उसकी मदद करने से बढ़कर कोई और पुण्य का काम है ही नहीं। अब जहां कहीं भी आपको किसी अनजान इंसान के साथ शरारत करने का सूझे तो वहां पर इस तरह की शरारत करके देखना आपको सच में बहुत मजा आएगा या फिर आप जब अपना जन्मदिन मनाते हो तो केक या दोस्तों को पार्टी देने के बजाय किसी हॉस्पिटल या रेलवे स्टेशन के बाहर जाकर। वहां के लोगों को कुछ खिला देना आपको अपना जन्मदिन मनाने पर गर्व महसूस होगा।
https://youtu.be/XX5K1CUGcao?si=2ZUJgyu-eHf3w0Wn
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक चिड़िया रहती थी। वो चिड़िया बहुत ही प्यारी और अच्छी थी लेकिन उस चिड़िया की एक अजीब सी आदत थी। वह चिड़िया हर दिन जो भी देखती सुनती या महसूस करती उसके साथ दिन भर जो भी होता। अच्छा होता बुरा होता तो उस अनुभव को एक पत्थर पर लिख देती और फिर वो उन पत्थरों को अपनी एक छोटी सी पोटली में रखकर उड़ जाया करती थी। यह उस चिड़िया की आदत बन गई थी और उसे इस चीज में मजा आता था। वह सोचती थी कि अच्छी बातें याद रखना अच्छी बात है। जो कि सच में मेरी नजर में भी अच्छी बात है।
चिड़िया सोचती थी कि बुरी बातों को कहीं लिख लेना चाहिए अपने दिल में नहीं रखना चाहिए। शुरुआत में तो उस चिड़िया को मजा आ रहा था। वह रोज पत्थरों पर अपनी बातें लिखती और उस पत्थर को अपनी पोटली में रख लेती लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उस चिड़िया की यह आदत बढ़ती जा रही थी। हर दिन पत्थर जमा करने की वजह से उस चिड़िया की पोटली में बहुत सारे पत्थर जमा हो गए थे और इसकी वजह से उस चिड़िया को उड़ने में दिक्कत आने लगी थी और उसकी उड़ान कम होती जा रही थी। उसने ध्यान नहीं दिया कि पत्थरों का भार उसके शरीर पर बढ़ रहा था। उसकी यह आदत धीरे धीरे उसे शारीरिक और मानसिक रूप से थका रही थी। तो कुछ दिनों के बाद उस चिड़िया का चल पाना भी मुश्किल हो गया था और एक दिन ऐसा आया कि वह चिड़िया उसी पत्थरों के बोझ तले दबकर मर गई।
वह चिड़िया जिन पत्थरों को यह सोचकर जमा कर रही थी कि बुरे वक्त में वह अपनी लिखी हुई यादों को याद करके संभल जाएंगी। उन्हीं यादों ने उसकी जान ले ली थी तो दोस्तों इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे याद अच्छी हो या बुरी हमें उन दोनों को पास्ट में ही छोड़ देना चाहिए। पास्ट में ही भुला देना चाहिए उसे अपने साथ लेकर नहीं चलना चाहिए। इस कहानी में तो चिड़िया की उस आदत को पत्थरों के थ्रू हमें बताया गया है। लेकिन असल जिंदगी में कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वह यादों को उन बुरी बातों को उन अच्छी बातों को अपने दिल या दिमाग में ही रखे रहते हैं और प्रेजेंट में जीने की वजह पास्ट में ही जीते हैं। अगर हम उन चीजों को छोड़कर आगे नहीं बढ़ेंगे। तो हमारे अंदर ही बोझ की तरह जमा होते रहेंगे और हमारी शांति और खुशियों को छीन लेंगे और हमें अंदर ही अंदर खा जाएंगे। जो हो गया है उसे वही छोड़ दो चाहे अच्छा हो या बुरा और प्रेजेंट में जीना शुरू करो क्योंकि बीते कल को बदलना संभव नहीं है। लेकिन हम अपने आज के सफर को बेहतर बना सकते हैं।
https://youtu.be/ZUCc68MZXco?si=TvztIIwLYtglVMQk
एक बार एक राजा ने अपने राज्य की एक रास्ते पर बड़ा सा पत्थर रखवा दिया और खुद जाकर एक बड़े से पेड़ के पीछे खड़ा हो गया और चुप कर उसे रास्ते पर नजर रखने लगा। यह देखने के लिए की कौन उस बड़े से पत्थर को रास्ते से हटता है। थोड़ी देर के बाद उस रास्ते पर कुछ लोग आते हैं और जब उन्होंने रास्ते के बीच में एक बड़ा सा पत्थर दिखता है तो वो लोग रास्ता बदल लेते हैं और दूसरे रास्ते से चले जाते हैं। फिर थोड़ी देर के बाद उस रास्ते पर राजा के ही राज महल के जो कम करने वाले वह आते हैं और वह भी जब इस बड़े से पत्थर को देखते हैं तो बिना उस पत्थर को रास्ते से हटाकर वहां से पलट कर चले जाते हैं और उल्टा राजा को बुरा बोलते हैं की राजा अपने राज्य का कम ठीक से नहीं कर रहा है। इतने बड़े-बड़े पत्थर रास्ते के बीच में पड़े हुए हैं राजा को इन्हें रास्ते से हटाना चाहिए। यह कहकर वह वहां से चले जाते हैं फिर थोड़ी देर के बाद उस रास्ते पर एक सब्जी वाला आता है जिसके कंधे पर सब्जियां थी और जब वो उस बड़े से पत्थर को देखता है तो वह अपने कंधे से सब्जियों का बोरा नीचे रखकर उसे पत्थर को हटाने की कोशिश करता है और बहुत मेहनत के बाद वह उस बड़े से पत्थर को रास्ते से हटा देता है। वह जैसे ही उस पत्थर को रास्ते से हटता है तो पत्थर के नीचे बहुत सारे सोने के सिक्के और एक चिक्की राखी हुई थी। जिसमें लिखा था की यह इनाम राजा की तरफ से पत्थर हटाने वाले के लिए है और यह सब होते हुए पेड़ के पीछे से राजा खुद देख रहा था। राजा उस आदमी के पास जाता है और उस आदमी को राजा अपने महल का सबसे खास आदमी बना लेता है। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की हमारे रास्ते में आने वाली रुकावटें मुश्किलें हमें बेहतर करने और आगे बढ़ाने का मौका देती है। इसलिए जिंदगी में जब भी ऐसा मौका मिले उसे हाथ से गवाओ मत। बहुत से लोग ऐसे वक्त में मुश्किल कम को देखते ही पीछे है जाते हैं, लेकिन जब सब पीछे हो जाए तो आप सामने आ जाओ क्योंकि जीत उन्हें ही मिलती है जो प्रॉब्लम्स में अपॉर्चुनिटी ढूंढते हैं और जब अपॉर्चुनिटी मिलती है तो वही अपॉर्चुनिटी आपकी कल को बेहतर बनाती है।
https://youtu.be/3X7aFxC6g3k?si=-qeTk-cByE83q8LT
दोस्तों आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है। एक आलसी इंसान जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। यह कहानी आलस्य की बुरी आदत को हटाने और आपको स्वाधीन बनाने के लिए है। कृपया इसे पूरा पढ़े, दोस्तों एक समय की बात है। एक गांव में एक किसान रहता था एक बार जब उसने अपने खेत में फसल उगाई तब एक गौरैया ने उसके खेत के बीचोबीच फसल में घोंसला बना दिया और उसने दो अंडे भी दे दिए। बहुत जल्द उन अंडों से गौरैया के बच्चे बाहर आ गए और अपनी मां के साथ खुशी-खुशी रहने लगे। गौरैया खाने की तलाश में रोज जंगल में जाती थी। एक दिन जब वह जंगल से वापस आई तो उसने देखा कि उसके बच्चे डरे हुए हैं उसने पूछा क्या हुआ बच्चों तुम डरे हुए क्यों हो।
बच्चों ने कहा मां आज खेत में किसान आया था और उसने कहा कि कल वह अपने बेटे को फसल काटने के लिए भेजेगा मां हम क्या करेंगे अभी तो हमने उड़ना भी नहीं सीखा है। बच्चों की बात सुन मां गौरैया ने कहा डरो मत बच्चों कल कोई फसल काटने के लिए नहीं आएगा। अगले दिन वही हुआ जो गौरैया ने कहा था कोई वहां फसल काटने के लिए नहीं आया। बहुत दिन ऐसे गुजर गए पर कोई फसल काटने नहीं आया सब कुछ अच्छा चल रहा था। गौरैया के बच्चे बहुत खुश थे एक दिन फिर जब गौरैया जंगल से वापस आई तब उसके बच्चे फिर से डरे हुए थे। गौरैया ने फिर उनके डर का कारण पूछा तो उन्होंने कहा मां आज फिर किसान खेत में आया था और उसने कहा कि कल वह मजदूरों को फसल काटने के लिए भेजेगा। यह सुनने के बाद गौरैया दोबारा से कहती है डरो मत बच्चों कल कोई फसल काटने के लिए नहीं आएगा। अगले दिन वही हुआ जो गौरैया ने कहा था कोई वहां फसल काटने के लिए नहीं आया। एक दिन फिर जब गौरैया जंगल से वापस आई तब उसके बच्चों ने कहा मां आज किसान फिर खेत में आया था वह फिर फसल काटने की बात कर रहा था पर हमें पता है कि कोई फसल काटने के लिए नहीं आने वाला है।मां गौरैया ने कहा पूरा वाक्य बताओ तब बच्चों ने कहा मां आज फिर किसान खेत में आया था और उसने कहा कि मैंने दूसरों पर निर्भर रहकर बहुत समय बर्बाद कर लिया।
अब मैं कल खुद आकर फसल काटूंगा यह सुनकर मां गौरैया डर गई और कहा बच्चों अब हमें यह स्थान जल्द से जल्द छोड़ना होगा और किसी अन्य स्थान पर अपना घोंसला बनाना होगा क्योंकि कल किसान फसल काटने के लिए जरूर आएगा। बच्चों ने कहा मां पर किसान ने ऐसा कई बार कहा है पर प्रत्येक बार कोई भी फसल काटने के लिए नहीं आया है। आप इतने सुनिश्चित कैसे हो कि कल किसान फसल काटने के लिए जरूर आएगा? मां गौरैया ने कहा पहली बार किसान फसल कटाई के लिए अपने बेटे पर निर्भर था, दूसरी बार किसान फसल कटाई के लिए मजदूरों पर निर्भर था और जब आप अपने कामों के दूसरों पर निर्भर होते हो तो आपका काम कभी पूरा नहीं होता है पर तीसरी बार उसने खुद फसल काटने का निर्णय लिया है। तो कल वह जरूर आएगा उस समय तक बच्चे उड़ने के लायक हो गए थे। वह वहां से उड़ गए और किसी दूसरी जगह पर अपना घोंसला बना लिया। अगले दिन किसान खेत में आया और फसल की कटाई करना शुरू कर दिया।
दोस्तों जो इंसान हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता है। उस का काम कभी पूरा नहीं होता वास्तव में वह आलसी इंसान है ऐसा इंसान समाज में तिरस्कृत ही होता है। इसका यह मतलब नहीं है कि हमें दूसरों की सहायता नहीं लेनी चाहिए दूसरों से सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है पर दूसरों पर निर्भर हो जाना यह गलत है। यदि आप अपने काम को अच्छी तरह और निश्चित समय अंतराल में पूर्ण करना चाहते हैं तो उचित रहेगा कि उसे आप स्वयं ही करें। अपना काम स्वयं करने की आदत आपको स्वाभिमानी बनाती है और एक स्वाभिमानी व्यक्ति का सम्मान पूरा समाज करता है।