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बीरबल के घर चोरी। एक आलस भरे दिन बीरबल अपने आंगन में खटिया पर सुस्त हो लेटे थे। जैसे ही उनकी आँख लगने वाली थी कि अचानक उनकी पत्नी उर्वशी वहाँ आ गई। अरे ये क्या अब तक आपने खेत में पानी नहीं डाला। मैंने आपसे कहा था ना कि आज यह कार्य किसी भी हाल में हो जाना चाहिए। वो दरअसल। वो वो कुछ नहीं। कल सवेरे अगर मुझे खेत सूखी मिली तो मैं चली अपने मायके। अरे वाह! मेरा मतलब है क्या? ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं। मैं मायके बस अपनी माँ को लेने जाऊँगी। और फिर वो रहेगी हमारे साथ हमेशा हमेशा के लिए। अरे बाप रे! अब तो तुम बिलकुल चिंता मत करो। कल सवेरे तुम्हें खेत नहाया धोया हुआ मिल जाएगा। अब तो यह काम करना ही पड़ेगा। फिर क्या, सास के आने के डर से बीरबल तुरंत खटिया से उठे और उन्होंने कुएं से पानी निकालने के लिए उसकी तरफ प्रस्थान किया और तभी वहां आ पहुंचे दो सिपाही।
अरे तुम दोनों यहां कैसे? बीरबल जल्दी चलिए। बादशाह ने आपको तुरंत महल बुलाया है इस वक्त। क्या मैं जरा बाद में नहीं आ सकता? दरअसल, कल सवेरे तक अगर मैंने खेतों को पानी नहीं दिया तो बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी। लगता है आपकी सांस आने वाली है। उनसे बड़ी मुसीबत और क्या हो सकती है? सही पकडे है। महल में बादशाह की सांसें अटकी हुई है। जल्दी चलिए वरना देर हो जाएगी। क्या? यह तो ऐसे हुआ मानो आगे कुआं तो पीछे खाई। पर अब क्या करूं? चलो भाई। जैसे ही बीरबल दरबार पहुंचे तो यह देख चौंक गए कि बादशाह तो चुस्त दुरुस्त है। अंगूर खा रहे हैं तो फिर और क्या मुसीबत हो सकती है। महाराज की जय हो बताइए। महाराज, आपने इस वक्त मुझे अचानक क्यों याद किया? वो दरअसल किसी नजर अंदाजी के कारण तुम्हें काल कोठरी में जाना होगा। बीरबल यह सुन थोड़े अचंभित हुए। वो सोचने लगे कि कहीं उनकी पत्नी ने उनकी चुगली अकबर से तो नहीं कर दी और इस वजह से उन्हें सजा देने वाले थे। पर मैं खेतों में पानी डालने ही वाला था। महाराज! आपकी कसम।
यह क्या कह रहे हो? हम तो तुम्हें काल कोठरी में बस कैदियों के निरीक्षण के लिए भेज रहे हैं। पता नहीं कैसे, पर हमें पता चला है कि वहां से कुछ कैदी फरार हो चुके हैं। ओह, यह तो बहुत गंभीर समस्या है। मैं अभी जाकर देखता हूं कि क्या गड़बड़ है। जैसे ही बीरबल काल कोठरी के बाहर पहुंचे, उन्हें भीतर से कुछ आवाजें सुनाई दी। उन्होंने छुपकर भीतर देखा तो वहां दिखे दो कैदी डाकू भोंदू और ढूँढो जो जेलर साहब से कुछ आग्रह कर रहे थे। बस कैसे भी कर आप हमें यहां से बाहर निकाल दीजिए जेलर साहब, फिर देखिए आपकी कैसी चांदी हो जाती है। धीरे बोलो, यहां दीवारों के भी कान होते हैं। और चांदी का मैं क्या करूंगा? मुझे तो चाहिए ढेर सारा सोना। अगर वह मुझे तुम लाकर दे सकते हो तो समझो तुम्हारी यहां से छुट्टी पक्की। पर हम इतना सोना लाए कहां से? पकड़े जाने के बाद हमारा लूटा हुआ सारा सोना तो जप्त हो गया और कुछ तो। बादशाह ने उसे बीरबल को बख्शीश के तौर पर दे दिया। वह मैं कुछ नहीं जानता। चाहिए तो आज की रात के लिए मैं तुम्हें रिहा करता हूं। उसके बाद भले तुम चोरी करो या डाका डालो। अगर यहां से निकलना है तो मुझे कल सवेरे तक एक बक्सा भर सोना ला दो।
यह कहकर जेलर वहां से जाने के लिए निकले बीरबल तुरंत दीवार के पीछे जा छुप गए और जैसे ही जेलर वहां से निकले बीरबल दोबारा जासूसी करने लगे। अरे सुनो! मेरे पास एक योजना है। देखो अब महल से सोना चुराना तो संभव नहीं और। किसी और के घर में कितना सोना है वो भी हमें पता नहीं। तो क्यों न हम बीरबल के घर से हमारे सोने के साथ साथ उसका भी चुरा लें। अरे वाह! यह तो बढ़िया योजना है। चुराए हुए सोने से आधा जेलर को दे देंगे और आधे से हम एक अंधे पांव की गाड़ी डालेंगे और जिंदगी की नई शुरुआत करेंगे। और फिर जैसे ही रात के अंधेरे ने धरती को अपनी आगोश में लिया, बीरबल अपने घर लौटे जहां उनकी पत्नी काफी क्रोधित नजर आ रही थी। क्यों खेतों में पानी डाला या नहीं? बीरबल उसका जवाब देने ही वाले थे कि तभी उन्हें किसी के आने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने खिड़की के बाहर देखा तो दो लोग कंबल ओढ़े उनके घर के यहां आ रहे थे। बीरबल समझ गए कि यह और कोई नहीं बल्कि भोंदू और ढूँढो ही है। फिर बीरबल ने ऊंचे स्वर में अपनी पत्नी से कहा, अरे भाग्यवान! तुम क्या चुल्लू भर पानी की बात कर रही हो? मैं अभी बाबा रणछोड़ दास के पास जा कर आया ह उन्होंने मुझे ऐसा उपाय बताया है कि जिससे नियमित रूप से अपने खेतों में वर्षा होती रहेगी। यह क्या कह रहे हो? सच्ची। हां, हां, बस हमें इतना करना होगा कि घर का सारा सोना एक पेटी में डाल कर उसे कुएं में फेंक देना होगा क्या? क्यों? हां। अब तो जल्दी से सारा सोना दे दो। क्या कोई बेवकूफ औरत ही अपना सोना यूं कुएं में डाल देगी? उससे अच्छा मैं तुम्हें ना उसमें धकेल दूं। अरे वो हमेशा के लिए थोडी डालना है। बस कुछ दिनों की तो बात है। फिर कुएं से सारा पानी निकाल कर हम सोना फिर बाहर निकाल लेंगे।
भोंदू और ढूँढो, ये बीरबल तो बहुत बेवकूफ निकला। इसने तो हमारा काम आसान कर दिया। फिर क्या? बीरबल ने पेटी को पानी में डाला और वहां से चले गए। मौका देख दोनों डाकू वहां आए। जब उन्होंने कुएं में झांका तो वो काफी गहरा था। अरे ये तो बहुत गहरा है। हम दोनों को भी तैरना नहीं आता। अब क्या करें? अब क्या ये चरखे से लगे बाल्टी से पानी निकाल देते हैं? और फिर उन दोनों ने पानी को बाहर निकाल कर फेंकना शुरू किया। परंतु पानी इतना गहरा था कि इस कार्य को करते करते सूर्योदय हो गया, जिसके बाद वह उस पेटी को बाहर निकालने में सफल रहे। अरे वाह! आखिर मेहनत रंग लाई। चलो अब इसे खोलकर मालामाल हो जाए और अपनी अंडा पाव की गाड़ी लगाने का सपना पूरा करे। और जैसे ही उन्होंने पेटी खोली तो उसमें से निकले कुछ पत्थर। अरे ये क्या? इसमें तो सोना है ही नहीं। यह कैसे मुमकिन है? और तभी वहां आ पहुंचे बीरबल कुछ सैनिकों के साथ, जिन्हें देख दोनों डाकू घबरा गए। वैसे ही मुमकिन है जैसे तुम दोनों का काल कोठरी से एक रात के लिए बाहर आना। मैंने तुम दोनों की सारी बातें सुन ली थी। हमें माफ कर दो बीरबल। हमसे गलती हो गई। हां बीरबल, हम तो इन पैसों से अंडा पाव की गाड़ी खोलकर एक ईमानदारी की जिंदगी बिताना चाहते थे। हमें सच में अपने किए पर पछतावा है। बीरबल ने इस पर विचार किया और बोले। अगर ऐसी ही बात है तो ठीक है। मैं तुम्हारी ज़िन्दगी संवारने में मदद करूँगा। पर मेरी एक शर्त है। तुम्हें उस जेलर की करतूतों के खिलाफ सरकारी गवाह बनना होगा। हमें मंजूर है, मंजूर है। बढ़िया कोई सवाल? हाँ, एक सवाल है। जब आपने हमारी बात सुन ली थी तो हमें उसी वक्त क्यों नहीं पकड़ा? हमसे यह कुआं खाली करवाने की क्या जरूरत थी? बीरबल और तभी वहाँ उर्वशी आ गई। सुनो जी, खेत में पानी डाला या नहीं? या बुलाओ अम्मा को। बीरबल मुस्कुराए और बोले। भाग्यवान! पानी डाल दिया है, खुद ही देख लो। यह देख सारे लोग हंस पड़े। और हमने यह सीखा कि हर इंसान को सुधार का दूसरा अवसर मिलना चाहिए।
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तीन रुपयों की चुनौती। एक दिन बादशाह अकबर बेसब्री से किसी का इंतज़ार कर रहे थे। उनका फिक्र से भरा चेहरा देख शातिर मंत्री खड़े हुए और बोले। बादशाह अकबर महान आज आपके नूरानी चेहरे की चमक किसी पुरानी दीवार की तरह क्यों उड़ी हुई है? वो दरअसल हम बीरबल का इंतज़ार कर रहे हैं। उसे हमने एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य के लिए भेजा हुआ है। फिर क्या? बीरबल का नाम सुनते ही शातिर मंत्री के मन में जलन की आग ऐसी सुलगी जैसे नया सोने का हार बनाने पर पड़ोस की औरतें जल उठती है। मुझे तो समझ नहीं आता आप सारे महत्वपूर्ण कार्य उस लेटलतीफ बीरबल को ही क्यों सौंपते हैं। कभी कभी हमें भी आपकी खातिरदारी का मौका दीजिये। ये सुन बादशाह अकबर ने सोचा चलो जब तक बीरबल नहीं आ जाते तो क्यों ना ज़रा शातिर मंत्री की फिरकी ले जाए। तुम सही कह रहे हो।
शातिर उद्दीन तुम कई साल से हमारे दरबार में मुफ्त की रोटियां तोड़ रहे हो तो क्यों न आज तुम्हें कुछ कार्य सौंपा जाए। आप बस हुकुम कीजिए मालिक आपके लिए मैं दुनिया यहां से वहां कर दूंगा। यह बात सुनकर अकबर के मन में एक विचार आया और उन्होंने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले। तुम्हें दुनिया यहां से वहां करने की कोई जरूरत नहीं। बस बाजार जाकर तीन रुपयों को तीन चीजों पर बराबर बराबर खर्चना है। यानी हर एक चीज ₹1 की होनी चाहिए। यह सुन तो शातिर मंत्री को बेहद आश्चर्य हुआ और वो बोले। ये क्या बचकानी बात हुई? मेरा मतलब है मैं कोई बच्चा थोड़ी हूं और बादशाह महान जो एक ₹1 की चीजें खरीदूंगा। वो हम भी जानते हैं कि तुम उम्र से बच्चे नहीं हो। पर यह जितना आसान सुनाई दे रहा है, उतना है नहीं। तुम्हें इन रुपयों को खर्चना तो है पर उसमें हमारी एक शर्त है। कैसी शर्त? शर्त यह है कि तुम इन पैसों से जो कुछ भी खरीदोगे, उसमें पहली चीज यहाँ की होनी चाहिए। दूसरी चीज वहाँ की होनी चाहिए और तीसरी चीज न यहाँ की होनी चाहिए और न वहाँ की।
यह सुन तो शातिर मंत्री का सिर ही चकरा गया। ये क्या? यहाँ वहाँ जहाँ कहाँ? मुझे तो चक्कर आ रहा है। क्यों? तुम तो कहते थे तुम बीरबल से भी बेहतर हो। शातिर मंत्री को तो समझ नहीं आ रहा था कि उस चुनौती को कैसे सुलझाए। पर आज उनकी इज्जत का सवाल था इसलिए उन्होंने झूठे घमंड से इस चुनौती को स्वीकारा और बादशाह से ₹3 ले वहां से निकल पड़े। फिर क्या? शर्त अनुसार मंत्री जी बाज़ार तो आ गए पर उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे। बड़ी हिम्मत कर वह एक दुकान वाले के पास गए और हिचकिचाते आवाज में पूछा। अरे सुनो! क्या तुम्हारे पास एक यहां की चीज, दूसरी वहां की चीज और तीसरी ऐसी चीज है जो ना यहाँ की हो ना वहाँ की। दुकान वाले ने कुछ क्षण तक शातिर मंत्री को अचंभित हो देखा और बोला।
अरे भाई कहना क्या चाहते हो? अरे बहरे हो क्या यहाँ और वहाँ की चीज चाहिए। तुम एक काम करो जल्द से जल्द यहाँ से वहाँ निकलो वरना तुम यहाँ के रहोगे ना वहाँ के। यह देख शातिर मंत्री तुरंत वहाँ से भागा। अरे बाप रे! आज तो बादशाह ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। फिर क्या वह एक दुकान से दूसरे दुकान चक्कर लगाने लगा। लेकिन उसे ऐसा कोई नहीं मिला जो इस शर्त के मुताबिक एक ₹1 वाली तीन चीजें दे सके। बल्कि उन्हें पागल समझकर लोग उन्हें वहां से भागने लगे। आखिरकार वो थक हारकर वापस महल लौट आया जहां बीरबल भी मौजूद थे। मंत्री को यूं हताश देख अकबर बोले। क्यों शर्त पूरी हुई। माफ करना बादशाह अकबर, मैं इस चुनौती को पार नहीं कर पाया। देखो, इसी वजह से हमें सारे महत्वपूर्ण काम बीरबल को सौंपने पड़ते हैं। माफ करना बादशाह सलामत! पर मुझे नहीं लगता कि इस कार्य से किसी की काबिलियत परखी जा सकती है। यह चुनौती इतनी मुश्किल है कि बीरबल भी इसे पार नहीं कर पाएगा। यह बात है तो क्यों न हम बीरबल से पूछे कि अगर वह तुम्हारी जगह होते तो क्या करते?
फिर अकबर ने बीरबल की ओर देखा और वही बात दोहराई। तो बीरबल चुनौती यह है कि तुम्हें बाज़ार से तीन रुपयों की तीन चीज़ें बराबर बराबर दाम पर लानी है। यानी हर एक चीज़ ₹1 की होनी चाहिए। पर तुम इन पैसों से जो कुछ भी खरीदोगे, उसमें पहली चीज़ यहां की होनी चाहिए। दूसरी चीज़ वहां की होनी चाहिए और तीसरी चीज न यहां की होनी चाहिए और न वहां की। यह सुन तो बीरबल का सिर भी चकरा गया। उन्होंने मन ही मन सोचा कि पता नहीं बादशाह के दिमाग में ऐसे खयाल आते कैसे है। बीरबल को पसीना होते देख शातिर मंत्री बोले, देखा देखा, बादशाह अकबर बीरबल के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है। यानी वह हमसे जरा भी अक्लमंद नहीं है, यह बात साबित हो चुकी है। और तभी बीरबल भी हार मान कर वहां से जाने लगे जिसे देख बादशाह और बाकी दरबारियों को यकीन नहीं हुआ। बीरबल क्या सच में तुम्हारे पास इसका कोई जवाब नहीं। बीरबल बिना कुछ कहे वहां से चले गए और शातिर मंत्री मन ही मन मुस्कुरा उठे। बीरबल का भांडा फूट ही गया। बीरबल निराश हो रास्ते से जा ही रहे थे। तभी उन्हें याद आया कि उन्हें घर के लिए कुछ मिठाई लेनी है तो वह एक दुकान की ओर गए और पूछा।
भैया ये पेठा कैसे दिया? ₹1 किलो ले लो साहब। यह यहां की मशहूर मिठाई है। यह सुन बीरबल के दिमाग की बत्ती चली। आखिरकार उन्हें यहां की चीज मिल चुकी थी। ठीक उसी वक्त उनके पास एक भिखारी आ गया। ऊपर वाले के नाम पर कुछ दे दे बाबा। तू एक देगा तो वह हजार देगा। रोटी तू देगा तो वह अचार देगा। बीरबल ने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और उसमें से ₹1 उसे दे दिया। ऊपर वाला तुम्हारा भला करे। यह सुन बीरबल के तो होश ही उड़ गए और वह खुशी से उछल पड़े। और तभी उनके हाथ से एक सिक्का गिर गया जो रेंगते हुए एक जुए का खेल दिखाते व्यक्ति के सामने आ गिर पड़ा। उसने कटोरी उठाई और बोला। इसमें नहीं है। तुम हार गए। यह सुन बीरबल का दिमाग किसी घोड़े से तेज दौड़ा और उससे भी तेज दौड़े खुद बीरबल मिल गया जवाब। जवाब मिल गया। बीरबल तेजी से दरबार लौटे और हाँफते हुए कहा, महाराज! मैंने ₹3 यहाँ वहाँ और न यहाँ वहाँ पर खर्च कर दिए हैं।
वो कैसे? पहला ₹1 मैंने मिठाई पर खर्च कर दिया, जो यहां इस दुनिया की चीज है। दूसरा रुपया मैंने एक गरीब फकीर को दान किया जिससे मुझे पुण्य मिला। जो वहां यानी स्वर्ग की चीज है। और तीसरा रुपया मैं जुए में हार गया। इस तरह जुए में हारा रुपया वो तीसरी चीज थी जो न यहां मेरे काम आई न वहां वो स्वर्ग में भी मुझे नसीब नहीं होगी। यह सुन तो सारे दरबारी कुछ देर के लिए दंग रह गए और अचानक। जोर जोर से तालियां बजाने लगे। वाह बीरबल! इसलिए हमें तुम पर इतना भरोसा है। ये सारी घटनाएं तो हर किसी के दिनचर्या में होती है। परंतु कुछ ही लोग इन साधारण कामों को असाधारण तरीके से देख पाते हैं। तुम्हें तुम्हारा नजरिया औरों से बेहतर बनाता है। अब आई बात समझ में। जी जी, बादशाह अकबर आज से सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित और यहां वहां देखना बंद। यह सुन सारे लोग हंस पड़े और हमने यह सीखा कि चीजों को देखने का हमारा सही नजरिया। हमें सही चुनाव करने में मदद करता है।
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अकबर का सपना। एक दिन अकबर कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे थे और इस परेशानी को देख बीरबल ने उनसे पूछा। महाराज सब खैरियत तो है? अब क्या बताऊं बीरबल? कल रात एक घटी घटना ने हमारा चैन वेन सब उजाड़ दिया है। कृपया हमें बताइये क्या पता शायद कोई उपाय निकल आये। जी बादशाह महान आप बस हुकुम कीजिये। आपके लिए दुनिया हिला देंगे हम। दरअसल बात यह है कि। बादशाह ने उन्हें बताया कि कल रात उन्हें एक सपना आया जिसमे उन्होंने एक खूबसूरत सा महल देखा जो मानो जन्नत जैसे बादलों में बसा हुआ था। उसमें कई नायाब रत्नों और हीरों से सजी दीवारें थी और सामने थे आलीशान और सुन्दर बगीचे। महल का मुख्य द्वार सोने से बना हुआ था जो धीरे से खुला और उसमें से निकली उनके पूज्य पिताजी की आत्मा और उन्होंने अकबर से कहा, बेटा अकबर।
हम हमेशा से एक ऐसा ही महल बनाना चाहते थे। पर हमारी यह इच्छा अधूरी रह गई। इसलिए हम चाहते हैं कि तुम मुगल सल्तनत की शान को आगे बढ़ाओ और हमारी इस आखिरी इच्छा को पूरी करो। तो बस अब्बा की यह बात हमें अंदर से खाई जा रही है। अगर हम उनकी इच्छा पूरी नहीं कर पाए तो हम जन्नत जाकर उन्हें क्या जवाब देंगे? यह सुन बीरबल बोले। महाराज, सपने तो सपने होते हैं। जिसे सुन शातिर मंत्री बोले पर अपने तो अपने होते हैं ना। और अपनों के सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। परंतु मंत्री जी यूं हवा में उड़ता महल बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। हां हां तुम्हारे लिए होगा मुश्किल मेरे लिए नहीं है। बड़े बादशाह की इच्छा पूरी होकर ही रहेगी। क्या तुम सच कह रहे हो शातिर उद्दीन? शत प्रतिशत सच। मैं एक ऐसे करिश्माई महल मिस्त्री को जानता हूं, जिसके लिए कोई भी कार्य मुश्किल नहीं। आपकी इजाजत हो तो मैं आज ही उसे पेश करता हूं महाराज। यह तो बहुत खुशी की बात है। उसे ले आओ। यह सुन बीरबल ने अपना माथा पीटा और बोले, चलो। अब इस मुसीबत का हल हम साथ मिलकर ढूंढते हैं।
फिर क्या? कुछ देर बाद शातिर उद्दीन उस महल मिस्त्री को ले आए। यह रहे दुनिया के अव्वल दर्जे के वास्तुकार। पिंटू मिस्त्री नमस्कार महाराज! यह सज्जन ने बताया कि आपको हवाई महल बनाना है बन तो जायेगा पर? पर उसमें खर्चा बहुत आवे से महाराज!। खर्चे की फिक्र तुम मत करो। हमारे बादशाह अपने अब्बू की इच्छा पूरी करने के लिए अपनी सारी दौलत लुटा सकते हैं। ये हवाई महल तो मामूली बात है। हां चाहे जो हो जाए, यह महल बनके रहना चाहिए। ठीक से फिर तो काम चालू समझो महाराज! फिर क्या, कुछ दिन यूं ही बीत गए। परंतु पिंटू मिस्त्री ने हवाई महल का काम शुरू तक नहीं किया। जब भी महाराज उससे इस विषय में पूछते। वह बस बहाने बनाते रहता और अकबर से कुछ और समय और पैसे मांग लेता। पता नहीं उस शख्स में ऐसा क्या खास था कि अकबर भी उसकी बात को मान लेते और उसे और धन प्रदान कर देते, जिसमें से वह दो टका हिस्सा फिर शातिर मंत्री को सौंप देता। परंतु अब तो शातिर मंत्री का सब्र भी जवाब देने लगा था।
ओए पिंटू, यूं कब तक तुम काम को टालते रहोगे? आम खाओ ना मालिक, गुठली क्यों गिन रहे हो? अरे अगर बादशाह का सब्र टूट पड़ा तो तुम आम क्या कुछ काम के नहीं रहोगे। जितना पैसा बनाना था, हम बना चुके। अब चुपचाप महल का काम शुरू कर दो। पिंटू बिना जवाब दिए बस हँस कर वहाँ से चला गया। अब तो शातिर मंत्री को भी समझ नहीं आ रहा था कि पिंटू के दिमाग में क्या चल रहा है। अरे यह पिंटू तो खुद भी डूबेगा और मुझे भी ले डूबेगा। मैं तो गया। अगले दिन बादशाह ने शातिर मंत्री से हवाई महल के बारे में पूछा। कितना वक्त लगेगा इस कार्य में? वो दरअसल वो। और उसी वक्त वहाँ एक बुजुर्ग व्यक्ति इंसाफ की गुहार लगाते हुए आया। बादशाह मुझे इंसाफ दो, इंसाफ दो मुझे बादशाह।
क्या बात है चाचा जी इतने परेशान क्यों हो? पहले आप मुझे वादा कीजिए कि आप मुझे किसी भी हाल में इंसाफ देकर रहेंगे। अकबर के दरबार से कोई भी मायूस होकर नहीं जाता। हम वादा करते हैं आपके साथ इंसाफ होगा। शुक्रिया बादशाह। दरअसल बात यह है कि पिछले हफ्ते तक मैं एक बहुत अमीर व्यापारी था। मेरा एक हंसता खेलता परिवार भी था। परंतु कुछ दिनों पहले दो खूंखार अपराधियों ने मेरा सारा खजाना लूट लिया। और तो और मेरे पूरे परिवार को भी खत्म कर दिया महाराज। यह सुन तो बादशाह समेत सारे लोग चौंक गए। उस बुजुर्ग की हालत देख बादशाह को उन पर तरस आने लगा। हम आपके साथ पूरी सहानुभूति रखते हैं और आश्वासन देते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। क्या हम जान सकते हैं कि तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं? तुम उन अपराधियों के बारे में कुछ भी जानते हो तो हमें बताओ। जी बादशाह मैं उनके नाम अच्छे से जानता हूँ। मैं तो क्या आप भी उन्हें अच्छे से जानते हैं। यह सुन तो सारे लोग एकदम चौंक गए और बादशाह बोले क्या।
हम उन्हें जानते हैं अभी के अभी उनका नाम बताओ। आज तो उनकी खैर नहीं। तो सुनिए उनका नाम है शातिर उद्दीन क्या और बादशाह अकबर क्या? तुम होश में तो हो चाचा जी। मैंने खुद अपनी आँखों से आप दोनों को वह घिनौना जुर्म करते हुए देखा है। यह कब हुआ भला? उस रात मेरे सपने में सपने में। सपने में हाँ सपने में मैंने देखा कि आप दोनों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। मेरा हंसता खेलता परिवार उजाड़ दिया। मेरी जिंदगी भर की कमाई लूट ली आपने। यह सुन तो बादशाह का क्रोध उफान चढ़ गया और वो बोले। बस बहुत हुआ मुझे तो लगता है आप अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं जो सपनों में देखी हुई चीज को सच मान बैठे हैं। अरे ऐसा भी कभी होता है भला? होता होगा तभी तो मेरे राज्य के बादशाह खुद सपने में दिखे हुए महल को बनाने में बेमिसाल दौलत लुटा रहे हैं। अब आप ही बताएं आपका सपना, असली सपना और मेरा सपना नकली सपना। यह कैसा इंसाफ हुआ भला। यह सुन बादशाह तो पहले चौंक गए, फिर उन्होंने इस बात पर गहराई से विचार किया और उन्हें अपनी नादानी समझ में आने लगी। बात तो आपने सही कही है। लगता है हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। हम आज ही उस काम को बंद करवाने का आदेश देते हैं। हमें सपनों की दुनिया से बाहर निकालकर हकीकत से रूबरू करवाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। और हम जानते हैं कि यह कार्य केवल एक ही शख्स कर सकता है। क्यों सही कहा ना? बीरबल। यह सुन बीरबल ने अपनी नकली दाढ़ी मूंछ निकाली और वो सब हंस पड़े और उसी वक़्त वहां आ पधारे पिंटू मिस्त्री। अरे वाह वाह वाह। हम सही वक्त आवे है महाराज। महल बनाने के लिए कुछ किलो सोना कम पड़ रहा है। थोड़े पैसे मिल जाते तो। हाँ क्यों नहीं। सिपाहियों इसे काल कोठरी में ले जाकर इसकी अच्छी खातिरदारी करो। अरे पर पर मेरा कसूर क्या है? और इस तरह बीरबल ने फिर अपनी बुद्धि से सच सामने ला दिया और हमने यह सीखा कि भावनाओं में बहकर निर्णय लेना महंगा पड़ सकता है।
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बीरबल की सजा। एक दिन दरबार में बीरबल सभी को अकबर के नए शाही खटिया के मजेदार किस्से सुना रहे थे और जैसे ही महाराज ने अपनी तशरीफ उस मखमली खटिया पर रखी, उनके वजन से वह खटिया ऐसी टूटी मानो जैसे किसी सूखी डाली पर हाथी बैठ गया हो। ये सुन अकबर समेत सभी हंस पडे। परंतु शातिर मंत्री को यह बात हजम न हुई। अरे यह क्या? बादशाह महान की इतनी तौहीन? मैं यह हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता। अचानक दरबार में सन्नाटा छा गया और अकबर बोले, यह क्या कह रहे हो मुख्यमंत्री जी? यह तो बस मजाक है। माफ करना जिल्ले इलाही। पर यह पहली बार नहीं है कि बीरबल ने आपका मजाक उड़ाया हो। जो यहां सबको केवल एक चुटकुला लगता है, वह जनता को हकीकत भी लग सकता है। पता है कल क्या हुआ था? जब मैं बाजार से आ रहा था तब मुझे वहां दो व्यक्ति गुफ्तगू करते हुए सुनाई दिए अरे चुन्नी लाल, क्या हाल बना रखा है। सिर्फ वजन बढ़ाने से तुम बादशाह जैसे थोड़े बन जाओगे।
प्रजा के द्वारा अपनी यूँ बेइज्जती सुन तो बादशाह को भी क्रोध आ गया और शातिर मंत्री ने आग में घी डालने का काम जारी रखा। सही सुना आपने बादशाह महान। अब जनता भी आपका मजाक उड़ाने लगी है और यह सब हुआ है इस बीरबल के कारण। बादशाह ने बीरबल की ओर गुस्से से देखा जिससे बीरबल भी हड़बड़ा से गए। इस बीरबल के हल्के फुल्के चुटकुले आपकी इज्जत को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बादशाह महान! अगर आज आपने यह नहीं रोका तो कल आप बस एक मजाक बनकर रह जाओगे। यह इल्जाम गलत है। अच्छा मेरी बात गलत और तुम्हारी बेइज्जती सही। वाह भाई वाह! भलाई का जमाना ही नहीं रहा। मुख्यमंत्री जी सही कह रहे हैं बीरबल। तुम बार बार हम पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करते हो। आज तुम्हारी वजह से राज्य में हमारी बदनामी हुई है। इसलिए सजा के तौर पर हम अभी इसी वक्त तुम्हें राज्य से निकल जाने का आदेश देते हैं। और अगर तुम राज्य के आसपास भी दिखे तो तुम्हें भूखे शेर के पिंजरे में डाल दिया जाएगा। अब निकलो यहां से। सुना नहीं तुमने। दफा हो जाओ यहां से। बीरबल को तो यकीन नहीं हो रहा था कि बादशाह ने उन्हें इतनी कठोर सजा दी है, लेकिन उनके आदेश का सम्मान करते हुए वह बादशाह को आखिरी बार नमन कर वहां से चुपचाप निकल गए।
दरबार में उदासी का माहौल छा गया। परंतु शातिर मंत्री के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगे। बीरबल तो गयो। इस घटना के कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक रहा परंतु आखिरकार बादशाह को अपने चहेते सलाहकार की याद आने लगी। दरबारियों, मुझे लगता है हमने गुस्से में बीरबल के साथ नाइंसाफी की है। क्यों? क्या कहते हो? क्या हमें बीरबल को दोबारा बुला लेना चाहिए? इससे पहले कोई कुछ कहता। शातिर मंत्री तुरंत उठे और बोले, यह क्या कह रहे हो आप? जिल्ले इलाही। बादशाह अकबर के मुंह से निकला शब्द उस तीर की तरह है जो वापस नहीं लिया जा सकता। लोग क्या कहेंगे। बादशाह अपने फैसले से मुकर गए। इससे आपकी और बदनामी होगी। पर बीरबल के बिना हमें कुछ फैसले लेने में बेहद कठिनाई हो रही है। बस इतनी सी बात। हम आज ही नए सलाहकार की नौकरी के लिए ढिंढोरा पीट देते हैं। आप देखते जाइए कैसे बीरबल से भी कई गुना होशियार लोग हमें मिलेंगे। बादशाह को यह बात पसंद तो नहीं आई, परंतु न चाहते हुए भी उन्होंने इस बात की अनुमति दे दी। ठीक है, बुलाओ लोगों को।
फिर क्या? आदेश अनुसार एक के बाद एक कई नमूने अपने हुनर का नमूना देने आए। बंद करो यह नौटंकी। हमें सलाहकार चाहिए, कोई विदूषक नहीं। हमें यकीन हो गया है कि इस राज्य में बीरबल की जगह कोई नहीं ले सकता। पर तभी एक ज्ञानी बाबा अपने चेलों के साथ वहां पधारे। उनके दिव्य उपस्थिति से ही दरबार में शांति का माहौल छा गया। आपकी तारीफ? यह है चमत्कारी बाबा इस पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान और चतुर महापुरुष। और हम इनके समर्थक और भक्त। कहने के लिए तो मुख्यमंत्री भी अपने आप को गबरू जवान कहते हैं। पर हर कहीं बात सच तो नहीं हो सकती ना। हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि हम इस पृथ्वी के सबसे बड़े ज्ञानी है। यह तो लोग कहते है हमें कोई दिखावे का शौक नहीं पर अगर आप हमारे चमत्कार को परखना ही चाहते है तो पूछिए पूछिए जो पूछना है। फिर क्या? एक एक कर मंत्रियों ने अपने सवाल जवाब का दौर शुरू किया। तो बताइए इंसान का सबसे करीबी दोस्त कौन होता है? उसकी अच्छी समझ ही उसका सबसे अच्छा दोस्त होता है, क्योंकि वही उसे सही या गलत का अंतर बता सकता है। यह सुन दरबारी काफी प्रभावित हुए और मुख्य मंत्री ने पूछा बहुत खूब।
बीरबल की जगह लेने वाले बाबा, अब बताओ इस पृथ्वी पर सबसे श्रेष्ठ चीज कौन सी है? लल्लू, इस पूरे संसार में सबसे श्रेष्ठ वही है जो तुम्हारे पास बिल्कुल नहीं है। ज्ञान। यह सुन सभी हंस पडे और शातिर मंत्री तिलमिलाते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गए। तभी तानसेन उठे और अपना गला साफ करते हुए बोले। अच्छा ये बताओ संसार का सबसे मधुर सुर कौन सा है? वो सुर जो ईश्वर से प्रार्थना करती हो। यह जवाब सुन मानो बादशाह अकबर की आँखें भर आई परंतु उन्होंने अपनी भावनाओं को काबू किया और बोले बहुत खूब। बस एक आखिरी सवाल हमें यह बताओ किसी राज्य को चलाने के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है? राज्य को चलाने के लिए राजा का मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य अच्छा हो तो एक राजा प्रजा के बारे में सोच सकता है। यह जवाब सुन तो मानो दरबार में खुशी की लहर छा गई। वाह वाह देखा बादशाह महान। आखिर हमें बीरबल से ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति मिल ही गया। इतना ही नहीं बीरबल तो केवल हाजिर जवाब था। सुना है यह बाबा तो चमत्कार भी कर सकते हैं। क्यों है ना?
बिल्कुल कड़ी तपस्या के बाद मैंने ऐसी विद्या हासिल की है जिससे मैं किसी भी मनुष्य का रूप धारण कर सकता हूं। महाराज, आप बस बंद आंखों से उस व्यक्ति के बारे में सोचिए जिसे इस वक्त आप सबसे ज्यादा मिलना चाहते हो। यह सुन बादशाह की आंखें फिर बीरबल की याद में नम हो गई। उन्होंने अपनी आंखों को बंद किया और मन में अपने चहीते सलाहकार के बारे में सोचने लगे। फिर क्या? बाबा ने अपनी लंबी दाढ़ी और बाल खींच कर निकाले और सारे दरबारी यह देख कर अचंभित हुए कि उस पोशाक के पीछे और कोई नहीं बल्कि खुद बीरबल थे। यह देख तो शातिर मंत्री अपनी कुर्सी से ही फिसल गए। अकबर ने जब अपनी आँखें खोली तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। बीरबल तुम? जी महाराज! मैं आपसे कुछ दिनों पहले हुए घटना के लिए माफी माँगता हूँ। परन्तु मैं आपको यह बता दूँ मेरा इरादा कभी आपके वजन का मजाक उड़ाना नहीं होता। बस केवल यह याद दिलाना होता है कि आपको आपके स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए ताकि आप निश्चिंत हो राज्य का ख्याल रख सकें। सही कहा बीरबल, हम भी अपने दुर्व्यवहार के लिए तुमसे माफी माँगते हैं और आज से यह ऐलान करते हैं कि हम और राज्य के हर मंत्री अब से हर दिन व्यायाम करेंगे। यह सुन तो शातिर मंत्री ने अपना माथा पीटा और हमने यह सीखा कि गुस्से में कभी भी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
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एक बार राज्य के एक आलीशान हवेली के आंगन में शोक का माहौल छाया हुआ था। उसकी वजह थी उस हवेली के मालिक चवन्नी लाल का निधन। उनकी पत्नी रुक्मणी और सबसे छोटे बेटे मोतीलाल का तो मानो रो रो कर बुरा हाल हो चुका था। परंतु सबसे बड़े पुत्र हीरालाल और मध्य पुत्र पन्ना लाल तो बस यह इंतज़ार में थे कि कब यह सभा खत्म हो और वह अपनी मां से अपना हक मांग सके। कुछ देर बाद जब सारे मेहमान लौट गए। मौका देख हीरालाल बोला। चलो आखिरकार यह कार्य संपूर्ण हुआ। अब आते हैं मुद्दे की बात पर। कैसी बात? बेटा, यही कि अब क्योंकि पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे तो सबसे बड़ा बेटा होने के कारण इस हवेली को मेरे नाम कर देना चाहिए। अरे वाह! ऐसे कैसे सिर्फ तुम्हारे नाम हो। मैं तो कहता हूं इस पुरानी टूटी फूटी हवेली को बेचकर हमें उन पैसों का बंटवारा कर लेना चाहिए। मेरे पास एक ग्राहक पहले से मौजूद है, पर मैं उसका दो टका दलाली भी लूंगा। रिश्तेदारी अपनी जगह और धंधा अपनी।
ये सुन तो रुक्मिणी देवी के कानों को तो जैसे यकीन ही नहीं हुआ। हे भगवान! पिता को गुजरे एक दिन भी नहीं हुआ और उनके बेटों ने बंटवारे की मांग कर दी। फिर उन्होंने अपने छोटे बेटे की तरफ देखा और बोली, तू क्यों चुप है? तुझे भी तो अपना हिस्सा चाहिए होगा ना? नहीं मां, ये कैसी बात कर रही हो? यह हवेली पिताजी की सबसे अनोखी निशानी है। मैं चाहता हूं इसकी शानो शौकत यूं ही बरकरार रहे और हम सब परिवार इसमें हंसी खुशी रहे। वो सब मैं नहीं जानता। मैं बड़ा हो, इस पर मेरा हक है। हद में रहो भइया, मेरा हिस्सा दे दो वरना। वरना क्या कर लोगे। फिर क्या? उन दोनों भाइयों में बंटवारे को लेकर नोकझोंक होने लगी। जिसे देख उनकी मां बोली ठीक है। बंटवारा होकर रहेगा। सिर्फ हवेली का ही नहीं बल्कि तुम्हारी मां का भी। और इसका फैसला कल अकबर के दरबार में होगा।
अगली सुबह उस दुखियारी मां ने अपनी आपबीती बादशाह अकबर को सुनाई, जिसे सुन उनके हृदय को बड़ा दुख हुआ। यह तो बहुत शर्म की बात है कि आपके बेटे इतने जल्दी बंटवारा चाहते हैं। पर आप क्या चाहती हो? जरा वो भी बताएं! महाराज मेरे पति ने बड़ी मेहनत से वो हवेली खड़ी की है। मैं नहीं चाहती कि मैं इसे तीनों बेटों को सौंपे और वो उसके टुकड़े टुकड़े कर दें। मैं यह हवेली किसी एक बेटे को देना चाहती हूं जो इसकी सही कीमत समझे। बीरबल इस पर तुम्हारा क्या विचार है? महाराज मैं इन मां जी की बातों से सहमत हूं। घर भले ही छोटा हो या बड़ा, उसे चलाना आसान नहीं होता। तो मेरा मानना यह है कि तीनों में से जो कोई कम खर्चे में ज्यादा काम निकाल सकता है, घर उसी के नाम होना चाहिए। वह कैसे? फिर बीरबल ने अपनी जेब से तीन सिक्के निकाले और जा कर उन भाइयों को एक एक सिक्का सौंप दिया। यह है 10 आने के सिक्के है। अब तुम्हें बस यह करना है। इन सिक्कों से कुछ ऐसी चीजें ले आओ, जिससे उस हवेली का सबसे बड़ा कमरा अधिक से अधिक भर जाए। यह सुन तो तीनों आश्चर्य चकित हो गए। यह कैसे मुमकिन है? हमारा सबसे बड़ा कमरा तो इतना बड़ा है, इतना बड़ा है कि एक कोने से दूसरे कोने में जाने के लिए हमें बैलगाड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता है।
हां, 10 आने से कमरा तो छोड़ो, हमारा पेट भी नहीं भरेगा। यही तो चुनौती है जो घर खर्चा चलाने में सक्षम होगा, घर उसी का। अब जल्दी जाओ। तुम्हारे पास सूरज ढलने तक का ही वक़्त है। फिर क्या? ये सुन दोनों भाई वहाँ से तुरंत दौड़े। पर मोतीलाल वहीं सिर झुकाए खड़ा रहा। अरे मोती, तुम्हें हवेली नहीं चाहिए क्या? हवेली से ज़्यादा मुझे मेरा परिवार चाहिए बीरबल। वो तो अब तुम्हारे हाथों में ही है। वो कैसे? देखो तुम्हारे भाई अगर जीत गए तो घर भी गया और परिवार भी। लेकिन अगर तुम जीते तो तुम्हारे भाईयों के पास तुम्हारे साथ रहने के सिवाय और कोई चारा नहीं रहेगा। तो अब इस परिवार को टूटने से तुम ही बचा सकते हो तो जाओ वक्त कम है। ये सुन तो मोतीलाल भी वहां से दौड़ा और बीरबल ने मन ही मन दुआ की कि ये चुनौती मोतीलाल ही जीते। सूरज ढलने वाला था और हीरा और पन्ना तो हवेली पहुँच गए परंतु मोतीलाल का अब तक कोई पता नहीं था। उन्हें लगा कि उसने पहले ही हार मान ली है। ठीक है, अब और इंतज़ार नहीं करते।
हीरालाल तुम बड़े हो बताओ ऐसा क्या लाये हो जिससे यह कमरा अधिक से अधिक भर जाये। हीरालाल घमंड से मुस्कुराया और अपने साथ रखी बोरी को उठाकर उसे पलट दिया जिसमें से निकली सूखी घास उसने बड़े आत्मविश्वास से उसे जमीन पर फैलाया। यह सोच के इससे कमरा भर जायेगा। परन्तु वह घास बस आधे कमरे को ही भर पड़ी जिसे देख पन्ना हंस पड़ा। यह कमरा तो तुम्हारे खोपड़ी जैसा है, आधा खाली है। अब देखो मेरा कमाल। फिर पन्नालाल ने अपनी बोरी पलटी और उसमें से निकले ढेर सारे पंख। उसने उन्हें सारे कमरे में फैलाया और कमरा भरने से बस कुछ फीट दूर वह पंख कम पड़ गए। देखा अभी भी कमरा भरा नहीं है तो क्या हुआ? शर्त यह थी कि कौन कमरे को अधिक से अधिक भर सकता है। और मोतीलाल तो आया नहीं। तो उस हिसाब से मैं ही जीता। यह सुन तो वहां खड़ी मां तो उदास हो गई। क्योंकि वो जानती थी कि अब ये हवेली बिक जाएगी। और तभी वहां आ गया मोतीलाल परंतु खाली हाथ था।
अरे मोतीलाल, तुम कुछ नहीं लाए। बीरबल आपके शर्त अनुसार में बाजार सामान लाने गया था। पर वहां मोतीलाल ने बताया कि जब वो बाजार में चीजों को देख रहा था तब उसे एक रोता बिलखता बच्चा दिखाई दिया। अरे बालक क्यों रो रहे हो? तभी उस बच्चे की मां वहां आ गई। अब क्या बताऊं भाईसाहब ये जिद पकड़ कर बैठा है कि इसे नई चड्डी चाहिए। तो इसमें समस्या क्या है? समस्या ये है कि मैंने कल ही अपनी पुरानी साड़ी से इसके लिए तीन चड्ढी सिल दी थी। अब जो चीज है उस पर खर्च कर घर का हिसाब किताब क्यों बिगाड़ना? वो पैसे भविष्य में किसी जरूरी वास्तु के लिए काम आ सकते हैं। ये सुन तो वह बच्चा और रोने लगा। जिसे देख उसकी मां बोली अब बंद कर दो रोना। आँसू से पूरा राज्य भर दोगे क्या? पूरा राज्य भर दोगे क्या? यह सुन मोतीलाल के मन में एक योजना आई और वह तुरंत वहाँ से भाग पड़ा। तो ये रहे वो 10 आने। इसे मैं बचाकर रखूँगा। फिर कभी काम आएँगे। अरे मूर्ख! शर्त तो तू हार गया ना? नहीं भैया, मैं बस अभी आया। फिर मोतीलाल उस कमरे से बाहर गया और जब वह लौटा तो उसके हाथ में था एक लालटेन।
यह लालटेन पिताजी ने पाँच आने में खरीदा था। अब देखो इसका कमाल। फिर क्या? जैसे ही मोतीलाल ने लालटेन को जलाया, उससे निकली रोशनी ने जमीन से लेकर दीवारें और यहाँ तक कि छत को भी अपनी कोमल प्रकाश से भर दिया। ढलते सूरज के अंधकार की चुनौती उस अग्नि ने पार कर ली थी। क्यों भर गया ना कमरा, वो भी बिना किसी खर्चे के। और तो और इस लालटेन से पिताजी की यादें हमारे घर को हमेशा जगमगाए रखेगी। जिससे उनके होने का अहसास भी बना रहेगा। ये देख रुक्मणी देवी और बीरबल बहुत खुश हुए और बड़े भाइयों का सिर शर्म से नीचे झुक गया। वाह मोतीलाल तुमने तो कमाल कर दिया। अब चुनौती के अनुसार ये हवेली तुम्हारी। नहीं बीरबल! ये हवेली सारे परिवार की है और यूं ही बनी रहेगी। सच्ची विरासत धन दौलत नहीं बल्कि वो बंधन है जिसे हम एक परिवार के रूप में साझा करते हैं। ये सुन तो दोनों बड़े भाइयों के आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने अपनी माता और छोटे भाई से अपनी गलती की माफी माँगी और हमेशा एक साथ रहने का वादा किया। और हमने ये सीखा कि अगर दिल के तार जुड़े रहे तो बंटवारा कभी नहीं हो सकता।
Title: Cursed River | श्रापित नदी | Akbar Birbal Story
Description: Cursed River श्रापित नदी की अकबर बीरबल कहानी पढ़ें, जहाँ चतुराई और बुद्धिमानी की अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। बीरबल के चतुराई भरे किस्सों का आनंद लें।
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श्रापित नदी। एक समय की बात है। यमुना नदी का पानी सूखने की वजह से राज्य में भयंकर सूखा पड़ा था, जिसके कारण लोग कुपोषण का शिकार हो रहे थे। ये सब देख परेशान बादशाह अकबर ने यह मुद्दा दरबारियों के सामने उठाया परन्तु बीरबल वहां मौजूद नहीं थे। यह राज्य पर अब तक का सबसे बड़ा संकट आया हुआ है। और बीरबल कहां है? माफ कीजिए जिल्ले लाही लगता है बीरबल झुमरी तलैया घूमने गया है। बीरबल की यह लापरवाही से बादशाह आग बबूला हो गए। परन्तु उन्होंने अपने आप को शांत किया और बोले ठीक है तो बताओ किस को यमुना के सूखने की वजह पता चली? बादशाह हमारे राज्य की दशा देख मुझसे रहा नहीं गया इसलिए मैंने यमुना किनारे जाकर निरीक्षण करने का फैसला किया और वहां मुझे एक अंतरयामी पुरुष बाबा पानीपूरी मिले। उन्होंने अपनी अंतर शक्ति से पता लगाया कि यमुना का पानी क्यों सूख गया है।
तो इंतजार किस बात का। बाबा को तुरंत पेश किया जाए। जैसे ही बाबा अंदर आए, और वह बोले। मूर्ख बालक! यमुना इसलिए सूख गई हैं क्योंकि हमने उसे श्राप दिया है। यह सुन सारे दरबार में हड़कंप मच गया। क्या यह आप क्या कह रहे हैं? भला आपने ऐसा क्यों किया? वह दरअसल बाबा ने बताया कि कुछ दिनों पहले वह यमुना के किनारे अपनी प्यास बुझाने गए थे, परंतु तभी उन्हें कुछ सिपाहियों ने रोक दिया। ढोंगी बाबा कहां चले, बेटा मैं तो केवल पानी पीने जा रहा हूं। यह पानी सिर्फ राज्य के लोगों के लिए है। चलो निकला यहां से। पता नहीं कहां कहां से आ जाते हैं। भूखे प्यासे यह अपमान सुन बाबा बेहद क्रोधित हो गए और बोले।
क्या बाबा पानीपूरी का इतना अपमान मैं तुम्हें श्राप देता हूं? कुछ दिनों में इस नदी का पानी सूख जाएगा। यह मेरा श्राप है। यह सुन बादशाह को आश्चर्य हुआ और उन्होंने तुरंत बाबा से माफी मांगी। यह तो बेहद दुख की बात है। उन नासमझ सिपाहियों की तरफ से हम आपसे माफी मांगते हैं। कृपया उनकी गलती की सजा आप पूरे राज्य को मत दीजिए। बाबा पानीपूरी हमें भी इस बात का एहसास है। इसलिए हम तुम्हारे पास इसका उपाय लेकर आए हैं। बताइए, हम अपनी जनता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। आपको बस यह करना होगा। दो किलो के तीन सोने से बने नारियल यमुना के किनारे मिट्टी में गाड़ने होंगे। कुछ ही दिनों में पानी लौट आएगा। बस इतनी सी बात आपका बहुत बहुत शुक्रिया बाबा जी। आज आप यही रुक कर महल की शानोशौकत का मजा लीजिए। कल सुबह तक नारियल तैयार होंगे। अगले दिन तीन सोने के नारियल महल में लाए गए, जिसे देख बाबा की आंखें भी चमक उठीं। बस जल्द से जल्द इन्हें नदी किनारे गाड़ दो। और हां, सूरज ढलने तक वहां कोई नहीं जाएगा वरना श्राप खतम नहीं होगा। जैसी आपकी इच्छा बाबा। सिपाही उन नारियलों को लेकर वहां से जा ही रहे थे। तभी वहां बीरबल आ गए जिसे देख बादशाह क्रोधित हो गए। अब तुम यहां क्यों आए हो? हमारे राज्य पर इतना बड़ा संकट था और तुम झुमरी तलैया घूमने चले गए। कोई लाज लज्जा है या नहीं?
क्षमा चाहता हूं महाराज! मैं घूमने तो गया था पर झुमरी तलैया नहीं बल्कि राज्य की समस्या का हल ढूंढने।हल हमें मिल चुका है। बाबाजी ने कहा है, हमें सोने के तीन नारियल यमुना किनारे गाड़ने होंगे और पानी लौट आएगा, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है महाराज, मुझे इससे भी आसान उपाय मालूम है। बस सूरज की धूप इस खिड़की के भीतर पहुंचते ही हमें तीन बार चुटकी बजानी होगी। फिर क्या? जैसे ही धूप खिड़की के भीतर आई, बीरबल ने तीन बार चुटकी बजाई। सब लोग शांत हो गए और धीरे से बहते हुए पानी की आवाज कानों में बढ़ती हुई प्रतीत हुई और किसी चमत्कार की तरह यमुना का पानी लौट आया। यह देख सारे लोग दंग रह गए। परंतु एक समस्या है महाराज! यह उपाय अस्थाई है?
ऐसी स्थिति पूर्ण निर्माण न हो, इसलिए हमें एक और कार्य करना होगा। हमें किसी एक ज्ञानी बाबा को आग में तपे सरिया को उसके पीठ पर चटका देना होगा। यह सुन तो बाबा पानीपूरी चौक गया और तभी कुछ सैनिक वहां तपा हुआ सरिया ले आए। जिसे देख बाबा उछलकर कुर्सी पर बैठ गया और कांपते हुए बोला। अरे ये सब उपाय कुछ नहीं होता। जब नदी का पानी सूखा ही नहीं था तो यह सब कैसे हो सकता है। ये सुन दरबारी और बादशाह चौंक गए। पानी सूखा नहीं था। क्या मतलब है तुम्हारा? मैं बताता हूं महाराज, दरअसल नदी का पानी क्यों सूख गया, यह जानने के लिए मैं कुछ सिपाहियों के साथ नदी के किनारों की तरफ जाने लगा। कुछ घंटों के बाद हमने देखा कि नदी के एक बिंदु पर किसी ने बड़ी सी बांध बनाई हुई है, जिसके कारण पानी आगे बढ़ना बंद हो गया है। हमने तुरंत उस जगह पर छापा मारा और वहां किनारे बैठे दो व्यक्ति को पकड़ लिया जिन्होंने हमें बताया कि?
हमें माफ कीजिए बीरबल ये सारी योजना बाबा की थी। श्राप का ढोंग रचाकर वह बादशाह से पैसे लूटना चाहता था। जैसे ही आप नारियल को गाड़ दें, ये महाशय जाकर उसे वहां से निकाल देता और इसके लोग बांध खोल देते और पानी के साथ इस राज्य में अंधविश्वास की भी लहर आ जाती। तुमने सही कहा बीरबल, इस बाबा पर भरोसा करने से पहले हमने चीजों को जांच कर तर्क से निर्णय लेना चाहिए था। हम इसी वक्त इस बाबा और उसके साथियों को आजीवन काल के लिए कालकोठरी में डालने का आदेश देते हैं। बीरबल तुमने चुटकी बजाकर पानी लाया कैसे? बीरबल वो राज जानने के लिए तुम्हें मेरे ऊपर तीन सोने के नारियल चढ़ाने होंगे। यह सुन वहां सब लोग हंस पड़े और हमने सीखा कि बुरे वक्त में हमें अंधविश्वास पर भरोसा करने से बचना चाहिए, वरना बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
Title: होशियार बीरबल | Birbal's Intelligence Story
Description: Birbal Intelligence Story होशियार बीरबल की अकबर बीरबल कहानी पढ़ें, जहाँ बुद्धिमानी और चतुराई का अद्भुत नमूना मिलता है। बीरबल के चतुराई भरे किस्सों का आनंद लें।
https://www.youtube.com/watch?v=PrSRdes1otk
भाईदूज के पवित्र अवसर पर महारानी साहिबा के लाडले भाई शमशेर सिंह सिंघम अपनी बहन से मिलने आए थे। आरती उतारने के बाद महारानी जी बोली मेरे लाडले भाई को किसी की नजर न लगे। बताओ तुम्हें क्या तोहफा चाहिए? अब क्या बताऊं दीदी, पिताजी को तो मुझ पर जरा भी भरोसा नहीं। जब मैंने उनसे हमारे राज्य की गद्दी मांगी तो उन्होंने कहा, बेटा तुमसे न हो पाएगा। मैं किसी भी हाल में पिताजी को अपनी काबिलियत साबित करना चाहता हूं और उसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। बस इतनी सी बात मैं आज ही बादशाह जी से कहकर तुम्हें यहां सलाहकार की नौकरी लगा देती हूं। उनसे सबको पता चल जाएगा कि मेरा लाडला भाई कितना काबिल है। धन्य हो, धन्य हो ऐसी दीदी सबको मिले। फिर क्या, अगले ही पल महारानी साहिबा बादशाह अकबर के पास पहुंच गई, जो अपने कमरे में बैठ किताब पढ़ रहे थे।
सुनिए जी, मेरा लाडला भाई आया है। हम जानते हैं इसीलिए तो आज हम अपने कमरे से बाहर नहीं निकले। क्या मतलब आपका। वह सब जाने दो। यह बताओ तुम यहां क्यों आई हो? याद है कई साल पहले हमने आपको समुंदर में एक दानव से बचाया था। हां, याद है। उस दिन हम आपके कायल हो गए थे। जी और उसके बाद आपने हमें वादा किया था कि मैं जो मांगूंगी वो आप दोगे। हां पर आज तक आपने हमसे उस वादे को पूरा करने का मौका कहां दिया? सही कहा तो आज वो मौका आ गया है। आज आपको आपका वादा निभाना पड़ेगा। हम बादशाह अकबर है। एक बार जो हमने वादा कर दिया फिर तो हम अपने आप की भी नहीं सुनते। कहो क्या चाहिए तुम्हें हीरे मोती या फिर ये पूरी सल्तनत।अपने लिए नहीं बस अपने लाडले भाई के लिए एक नौकरी चाहिए। बस इतनी सी बात। कल ही हम उसे अपने दोस्त के यहां मंत्री की नौकरी पर लगा देंगे, जहां अच्छी तनख्वाह भी होगी। साल में 15 छुट्टी भी और दिन भर चाय भी मिलेगी। अरे वाह! आपके होते मेरा लाडला भाई किसी और के यहां नौकरी क्यों करे भला? मैं कुछ नहीं जानती। आप उसे यहीं नौकरी दीजिए, आपके अपने सलाकार की नौकरी। क्या? पर वो पद तो बीरबल का है और तुम तो जानती हो वो कितना काबिल है। और आपके वादे का क्या लोग कहेंगे? बादशाह अपनी जुबान से पलट गए। इतिहास आपको पलटू के नाम से जानेगा।
बादशाह अकबर तो बेहद दुविधा में पड़ गए। उन्हें तो समझ नहीं आ रहा था वे अपनी पत्नी को कैसे समझाएं। उन्होंने इस पर गौर किया और बोले ठीक है। पर हमारी एक शर्त है तुम्हारा भाई तुम्हारे लाडले भाई को सलाहकार की पदवी देने से पहले हमें उसकी एक परीक्षा लेनी होगी। अगर वह इसमें सफल हुआ तो हम बीरबल को नौकरी से निकालकर उसे रख लेंगे। यह हमारा वादा है। फिर क्या? अगले दिन बादशाह अपनी गद्दी पर विराजमान हुए और उन्होंने शमशेर सिंह सिंगम को आवाज लगाई जिसे सुन दोनों भाई बहन तुरंत वहां आ गए। बादशाह को समझ नहीं आ रहा था कि वे शमशेर की क्या परीक्षा लें। कुछ पल के लिए उन्हें लगा आज तो बीरबल की नौकरी गई और तभी अचानक उन्हें बाहर से कुछ घंटियों की आवाज सुनाई दी, जिसे सुन उनके दिमाग की भी घंटी बज गई और वह बोले।
शमशेर सिंह, क्या तुम देख कर आ सकते हो कि यह किसकी घंटी की आवाज है? बस इतनी सी बात। मैं यूं गया और यूं आया। शमशेर दौड़कर गया और कुछ ही क्षण में लौटा। महाराज! दरअसल बाहर बैलगाड़ियां जा रहीं हैं। वह उसी की घंटियों की आवाज है तो मैं नौकरी पक्की समझो। इतनी जल्दी भी क्या है? तुमने यह बताया ही नहीं कि वह कितनी बैलगाड़ियां है। हां, अभी पता लगा कर आता हूं। शमशेर फिर दौड़ते हुए बाहर गया और बैलगाड़ियां गिनने लगा। कुछ देर बाद वह लंगड़ाते हुए आया और बोला। महाराज! कुल मिलाकर 105 बैल गाड़ियां हैं। अच्छा, बहुत खूब। और वे क्या लेकर जा रहे है? यह प्रश्न सुनकर लाडले भाई का सब्र जवाब देने लगा और अपने आप को बीरबल से बेहतर साबित करने के चक्कर में वह फिर दौड़ा और कुछ देर में हांफते हुए लौटा। चावल लेकर जा रहे हैं। अच्छा और कहां जा रहे हैं चावल लेकर। जरा पता करो तो।
बस इस बार तो शमशेर गुस्से से आग बबूला हो गया और फिर अचानक फूट फूट कर रोने लगा। दीदी, जीजा जी जान बूझकर मेरी फिरकी ले रहे हैं ना। अरे मेरे लाडले भाई यूं रोते नहीं। क्यों जी, लगता है आपको इसे नौकरी पर रखना ही नहीं। इसलिए ऐसे ऊट पटांग प्रश्न पूछकर आप हमें सता रहे है। भला आप साबित क्या करना चाहते हैं? और उसी वक्त वहां बीरबल आ गए, जिसे देख अकबर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह बोले। हम क्या साबित करना चाहते हैं, वह अब पता चल जाएगा। बीरबल! जाओ, जरा देखकर आओ कि बाहर कितनी बैलगाड़ियां हैं। जी हुजूर! यह कहकर बीरबल वहां से चले गए, पर काफी वक्त होने के बाद भी नहीं लौटे। यह देख बेगम साहिबा ने खट्टे मन से कहा, और करो बीरबल की तरफदारी। देखा, इतना समय बीत गया और वह अभी तक लौटा नहीं। इतनी देर में तो मेरा भाई 10 बार जाकर आ जाता। और तभी बीरबल वहां पहुंचे और कहा। महाराज वहां कुल 105 बैलगाड़ियां है। पूरब की ओर चावल की ढेर सारी बोरियां लेकर जा रहे थे। मैंने चालक से उसका दाम पूछा तो वे बहुत सस्ती कीमत पर उसे बेच रहे थे। इसलिए मैंने दरबार के लिए 100 गुनी चावल खरीद लिए और उन बैलों के लिए चारा और चालक के लिए भोजन का इंतजाम कर वापस भेज दिया। उसी चक्कर में आने में जरा देर हो गई। आखिरकार यह हमारे राज्य की भलाई का एक सुनहरा मौका था। यह सुन महारानी और उनके लाडले भाई चौंक गए और उनका सिर नीचे झुक गया। बादशाह बीरबल पर नाज करते हुए बोले। वह बीरबल जिस काम को करने में औरों को 10 चक्कर लगाने पड़ते हैं, उसे तुमने एक ही बार में कर दिया। आज तुमने साबित कर दिया कि इस राज्य के लिए तुम सर्वश्रेष्ठ सलाहकार क्यों हो और कोई भी पदवी रिश्ते नाते देखकर नहीं, काबिलियत देखकर दी जानी चाहिए। यह सुन महारानी गुस्से में शमशेर से बोली, पिताजी सही कहते हैं, तुमसे न हो पाएगा। अब चलो। और फिर वह उसे कान पकड़कर वहां से लेकर गई और बादशाह ने राहत की सांस ली। तो आज हमने यह सीखा कि हमें लोगों के हुनर को देख उन्हें मौका देना चाहिए न की अपनी पसंद और नापसंद।
Title: चित्र का रहस्य | Secret Painting | Akbar Birbal Ki Kahani
Description: चित्र का रहस्य खोजें और जानिए उन गहरे रहस्यों को जो आपके चित्रों में छिपे हैं। पढ़ें और समझें चित्रों की अद्भुत दुनिया।
Keywords:
https://www.youtube.com/watch?v=TC1THhQSewY
चित्र का रहस्य। एक दिन बादशाह अकबर अपने काफिले के साथ राज्य के साप्ताहिक बाजार के अद्भुत अनुभव के लिए सैर पर निकले। वहां का आनंदमय वातावरण बादशाह अकबर के मन को प्रभावित कर रहा था और तभी उन लोगों की नजर एक जगह इकट्ठे हुए भीड़ पर पड़ी। वहां क्या हो रहा है। पता नहीं बादशाह। चलिए हम चलकर देखते हैं। भीड़ हटाकर जैसे ही वह वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक कलाकार अपने सुंदर चित्र बेच रहा था, जिसमें कई प्रकार की इमारतें बनी हुई थी। अब क्योंकि बादशाह को कला से बेहद प्रेम था तो उन्होंने उसे कहा, वाह! तुम्हारी चित्रकला तो बेहद सुंदर है। क्या नाम है तुम्हारा? शुक्रिया महाराज। लोग हमे पिकासो पांडे के नाम से जानते है। बहुत खूब। क्या तुम हमारी भी एक तस्वीर बना सकते हो? ये सुनकर उस कलाकार की खुशी की सीमा नहीं रही। हमारा सौभाग्य होगा महाराज! दरअसल महाराज, हम केवल इमारत का चित्र बनावत है। महान बादशाह अकबर को मना करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? नहीं नहीं मंत्री जी मना थोडी ना कर रहा हूं। में तो बस यही कह रहा हूं कि हमारी खासीयत इमारत का चित्र बनाना है। अगर बादशाह इजाजत दे तो हम आपके सुंदर महल की चित्रकारी बनाना चाहूंगा। ठीक है, तुम इसी वक्त हमारे साथ महल चलो। फिर क्या, बादशाह उस चित्रकार को महल ले आए। वहां पहुंचते ही उसने महल को चारों ओर से देखना शुरू कर दिया और चलते चलते वह बीरबल से टकरा गया।
माफी चाहता हूं महाराज, हमार ध्यान कहीं और था। कोई बात नहीं पर कौन हो तुम? बादशाह ने बीरबल को सब बताया जिसे सुन वह भी प्रभावित हो गए और उन्होंने पूछा। बहुत खूब! कहां से सीखी तुमने इतने उच्च दर्जे की कलाकारी? परंतु पिकासो पांडे का ध्यान अभी भी महल को ताकने में ही था।
बीरबल ने उसे हिला कर फिर पूछा। पांडे जी कहां खो गए? दरअसल यह हमारी खानदानी परंपरा है। अच्छा, मुझे यह बताओ इस महल में कितने मुख्यद्वार है और सैनिक सबसे ज्यादा कहां तैनात रहते हैं? यह प्रश्न बीरबल को कुछ अटपटा सा लगा और उन्होंने सोचा भला एक चित्रकार को सैनिकों की मौजूदगी से क्या लेना देना? पर तभी वहां शातिर मंत्री आए और बोले। अरे पांडे जी, आप बिल्कुल फिकर मत करो। आपके सारे प्रश्न का उत्तर मैं दूंगा। चलो मेरे साथ। वह पांडे को लेकर वहां से चले गए। पर बीरबल वहीं खड़े कुछ सोचते रहे। उनको दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। कुछ तो गड़बड़ है। कुछ देर बाद शातिर मंत्री की मदद से पांडे ने अपनी पुस्तक में महल के हर एक कोने का चित्र बनाना शुरू किया। उसे देख बीरबल वहां पहुंचे। पांडे जी क्या मैं देख सकता हूं? आप क्या बना रहे हैं? यह सुन पांडे थोड़ा हड़बड़ाया और बोला दरअसल अभी तो हम बस महल की रूपरेखा बना रहे है, जिससे हमको बड़ी चित्र बनाने में आसानी होगी।
क्या मैं देख सकता हूं? उसी वक्त वहां अकबर आ गए। पांडे जी, तुम्हें किसी चीज की जरूरत तो नहीं। यह सुन पांडे तुरंत बोला। जी महाराज, मुझे थोड़ी शांति चाहिए और बीरबल मेरे काम में दखल अंदाजी कर रहे हैं। बीरबल यह अच्छी बात नहीं है। तुम चलो मेरे साथ इन्हें अपना काम करने दो। फिर मंत्री बोला बीरबल जाओ यहां से देख नहीं रहे हम एक महान कृति की रचना में व्यस्त हैं। खुद तो कुछ करते नहीं आए, हमें सताने। यह सुन बीरबल ने आदर से नमन किया और वह बादशाह संग वहां से चले गए। यह देख कलाकार बोला हमें जल्द से जल्द यह काम खत्म करना होगा। अगर कुछ गड़बड़ी हो गई तो महाराज मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे। यह कहकर उन्होंने अपना काम फिर शुरू किया। अगली सुबह जब दरबार लगा तब पांडे चिंतित हो चिल्लाते हुए आया। चोर चोर चोर। यह सुन सारे लोग अचंभित हो गए और बादशाह ने पूछा कौन चोर? किसका क्या चोरी हुआ है? महाराज हमारा सारा सामान चोरी हो गया। उसमें हमारा रंग, किताबें और चित्रकला का सारा सामान था?
क्या ये कैसे मुमकिन है? हमारे महल से चोरी? किसकी इतनी हिम्मत हुई? और तभी एक जानी पहचानी आवाज ने सबका ध्यान खींचा। ये कार्य मैंने किया है महाराज! बीरबल पिकासो पांडे की पोटली के साथ खड़े थे, जिसे देख सभी चौंक गए। ये क्या कह रहे हो बीरबल? लगता है इस बीरबल को पांडे के कला से जलन हो गई है, इसलिए उसके काम में बार बार अड़चन पैदा कर रहा है। क्षमा चाहता हूं महाराज! पर पिकासो पांडे वो नहीं जो आप सब सोच रहे हैं। बीरबल ने फिर पांडे का सामान पलटा जिसमें से उसके बनाए गए महल के चित्र गिरे। बीरबल ने एक चित्र उठाया और कहा। ये देखिए महाराज! भले ही ये चित्रकार कितना भी उम्दा क्यों न हो, महल के इन कोने को जानकर ये क्या करेगा? इसका मतलब ये चित्र नहीं बल्कि महल का विस्तार से बनाया गया नक्शा है। ये सुनकर तो सब चौंक गए और बीरबल पांडे के पास गए। और ये है दुश्मन देश से आया एक जासूस महाराज? चित्र बनाने के बहाने ये सारी जानकारी इसके महाराज और हमारे दुश्मन को देना चाहता था। परंतु मैंने इसके बरताव से इसकी हकीकत जान ली और जब उसके सामान की तलाशी ली तो मुझे इन नक्शों के साथ मिला ये पदक जो दुश्मन राज्यों के सैनिकों को मिलता है और बस इसको रंगे हाथ पकड़ लिया। ये सुन बादशाह अकबर बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने तुरंत उस जासूस को आजीवन काल के लिए काल कोठरी में डालने का आदेश दिया। और इस तरह बीरबल ने एक बड़ी मुसीबत से राज्य को एक बार और बचा लिया। और हमने सीखा कि जरूरी नहीं जो जैसा दिखे वो वैसा ही हो।
महल के बगीचे में धनी नाम का एक माली था। वह पूरे महीने इमानदारी से परिश्रम करता और जब उसे तनख्वा मिलती तो वह उसमें से कुछ हिस्सा महल के पीछे एक नीम के पेड़ के पास ले आता। चलो अब इस रकम को भी बेटी के विवाह के लिए जमा कर देता हूं। उसने उस पेड़ के नीचे एक गुप्त सुरंग के अंदर एक मटका छुपा कर रखा था। जिसमें वो बचत का एक हिस्सा जमा कर देता इस तरह कुछ साल बीत गए और धनी ने पेट काटकर अच्छी खासी रकम जमा कर ली थी। और खुशनसीबी से उसकी बेटी का विवाह भी एक नामी गिरामी परिवार में तय हो गया जिससे वह काफी खुश था। धनी जी वैसे तो हमें आपसे कुछ नहीं चाहिए बस इतना चाहते हैं कि बारातियों का स्वागत आप पानीपुरी से कीजिए। आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए समदी जी नैना देवी मेरी इकलौती बेटी है तो मैं उसकी शादी में कोई कमी नहीं होने दूं। यह सुन वहां खड़ी नैना देवी के आंखों में खुशी के आंसू आ गए पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके गरीब पिताजी इतना खर्च कैसे उठाएंगे। तभी धनी ने उसे इशारों में समझाया कि पैसों की चिंता ना करो वह सब संभाल लेगा। फिर क्या धनी पूरे आत्मविश्वास के साथ महल के पीछे लगे नीम के पेड़ के पास पहुंचा और उसने मिट्टी को हटाना शुरू किया पर सामने का दृश्य देखकर उसके तो पांव के नीचे से तो मानो जमीन ही खिसक गई वो मटका वहां से गायब था।
क्या यह कैसे मुमकिन है मेरी जिंदगी भर की बचत कहां गई। अब मेरी बेटी की शादी का क्या होगा। यह सोचकर तो वह रोने लगे फिर उन्हें कुछ याद आया नहीं मैं यूं हिम्मत नहीं हार सकता मुझे तुरंत इसकी चर्चा बीरबल से करनी चाहिए। फिर क्या धनी बीरबल को उस स्थान पर ले आए और सारी बात विस्तार से बताई और क्योंकि मेरा सारा समय महल के बगीचे की देखभाल में ही चला जाता इसलिए मुझे उन पैसों पर नजर रखना भी आसान था पर जैसे ही नजर हटी यह दुर्घटना घटी। मुझे यह बताओ आपके अलावा यहां कोई आता जाता है। मेरी नजरों में तो नहीं बीरबल यह समस्या बेहद ही जटिल है बिना किसी सबूत या गवाह के यू चोर का पता लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ऐसे मत कहिए बीरबल मैंने मेरे बेटी से वादा कि किया है कि मैं उसकी शादी में कोई कमी नहीं होने दूंगा अगर वैसे नहीं हुआ तो मैं जिंदगी भर अपनी बेटी और उसके ससुराल वालों से नजर नहीं मिला पाऊंगा। यह सुन तो बीरबल चिंतित हो गए आखिर एक पिता का अपनी बेटे के प्रति स्ने वो समझ सकते थे। अरे ठीक है ठीक है चिंता मत करो जैसे कि कहा जाता है चोर कितना भी शातिर क्यों ना हो कोई ना कोई सुराख तो जरूर छोड़ जाता है। फिर क्या बीरबल ने उस पेड़ के यहां देखा वहां देखा ऊपर देखा और नीचे देखा तो उन्हें कुछ दिखा अरे यह जड़े उखड़ी हुई है। उम्मीद है कि इससे चोर तक पहुंचने में आसानी होगी।
धनी एक काम करो राज महल में जितने भी वैद और हकीम आते हैं उन्हें तुरंत दरबार में हाजिर होने का संदेशा भेज दो वैद और हकीम पर वे क्यों बीरबल आपकी तबीयत तो ठीक है। मेरी तबीयत तो खूब भालो बस अब इन सबकी तबीयत बिगड़ने वाली है। फिर क्या आदेश के अनुसार दरबार में पांच शाही वैद्य ने हाजिरी लगाई। बीरबल हमें यूं जल्दबाजी में क्यों बुलाया है।अचानक तकलीफ देने के लिए माफी चाहता हूं। पर यह किसी के बेटी के भविष्य का सवाल है उसमें मुझे आप सबकी थोड़ी सहायता की आवश्यकता है। हा क्यों नहीं अच्छा मुझे यह बताओ कि नीम के पेड़ के किसकिस हिस्से की दवाइयां बन सकती है। देखो नीम का पेड़ तो अपने आप में एक दवाखाना है। उसके पत्तों से लेकर लकड़ियां तक यहां तक की जड़े भी इलाज का काम करती है। बहुत खूब तो क्या आप में से किसी ने महल के पीछे लगे नीम के पेड़ से कुछ लिया पत्ते लकड़ियां या और कुछ। नहीं नहीं कुछ नहीं महल के पीछे जाने की अनुमति हम में से किसी को नहीं। वहां बस यह माली ही जा सकता है। यह सुन तो धनी की उम्मीद टूटने लगी जरा ठीक से याद कीजिए कहीं आप भूले बिसरे वहां चले गए हो। उन सब का आत्मविश्वास देख बीरबल समझ गए कि हर कोई सच बोल रहा है।
बीरबल को अब समझ नहीं आ रहा था कि उस उलझन को कैसे सुलझाना ठीक है। आप सब जा सकते हैं उन सबको जाता देख तो धनी की आंखें भर आई और वह बिना कुछ कहे वहां से चला गया। बेचारा धनी बड़ी दुख की बात है कि मैं उसकी मदद नहीं कर पाया कुछ देर बाद बीरबल चिंतित हो बाजार के रास्ते अपने घर जा रहे थे। और तभी उन्हें वैद जी ने आवाज लगाई बिरबल जी जरा सुनिए। जी वैद जी कहिए वो आप पूछ रहे थे ना कि कोई नीम के पेड़ के पास गया तो नहीं। हां आप गए थे क्या? मैं तो नहीं पर कुछ दिनों पहले जब मैं महल आया था तो शेरू नाम का एक सेवक मेरे पास आया और वेद जी कुछ दिनों से रातों को नींद नहीं आती भूख नहीं लगती बड़ी बेचैनी सी होती है कई मुझे किसी से प्यार तो नहीं हो गया। अरे बुड़बक प्यार नहीं पेट में कीड़े हो गए तुम्हारे हैं। अरे अब क्या होगा। देखो चिंता मत करो बस कई से नीम की जड़े लेके आओ मैं तुम्हें उस नीम की जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर एक काड़ा बना के देता हूं। उससे तुम्हारे सारे कीड़े निकल जाएंगे प्यार के भी फिर कुछ देर बाद वो सेवक नीम की जड़े ले आया हो सकता है शेरू ने वो जड़े महल के पीछे से लाई हो।
इस जानकारी के लिए शुक्रिया उम्मीद है इससे समस्या हल हो जाए। शाम को बीरबल ने शेरू उसे पूछताछ की। नहीं नहीं मैंने तो वो जड़े बाजार से खरीदी थी। किससे? वो जड़ीबूटी बाबा से तीन दिन पहले नहीं नहीं चार हां चार दिन पहले वो भी तीन आनो की नहीं नहीं पांच हां पांच आनो की थी। अरे मैं वही कह रहा था कि मुफ्त में जो चीज मिल सकती है उसके लिए पैसे खर्च की क्या जरूरत थी कोई इतना बेवकूफ कैसे हो सकता है। अच्छा तो यह बात है वो दरअसल सच तो यह है कि मैंने एक आना भी खर्च नहीं किया। अरे महल के पीछे जो पेड़ है उसी की जड़े उखाड़ ली मैंने। अरे वाह बुद्धिमान हो तो बताओ मटके में से कितने पैसे मिले। क्या मतलब कैसे पैसे। माली के पैसे जो उन्होंने मटके में रखे थे क्योंकि वहां बस तुम ही गए हो और अभी-अभी पेड़ की जड़ों को निकालना स्वीकारा भी है तो इसका मतलब तुम्ही ने उस मटके को निकाला है।
अब सच सच बताओ वरना मैं सिपाहियों को कहकर तुम्हारी जड़ उखाड़ दूंगा। यह सुनकर तो शेरू समझ गया कि अब उसका भांडा फूट चुका है और उसने अपना जुर्म कबूल किया पर बीरबल जी मेरा इरादा चोरी का नहीं था। मैं तो बस नीम की जड़े लेने गया था और वहां मुझे वह पैसों से भरा मटका मिल गया। समझ सकता हूं इसलिए तुम्हें गलती सुधारने का एक मौका देता हूं। बस उस मटके को माली को लौटा दो और आइंदा ध्यान रखना कि कोई भी अनजान खजाना मिले तो वह राज्य की संपत्ति होती है। यह सुन शेरू ने राहत की सास ली और माफी मांगते हुए धनी को उसके पैसे लौटा दिए। जिससे वह खुश हो गया कि अब वह अपनी बेटी को दिया हुआ वादा निभा पाएगा और उसकी शादी धूम धाम से होगी और हमने यह सीखा कि अगर हमें कोई कीमती चीज मिले तो उसे तुरंत अधिकारियों को सौप देना चाहिए वरना लेने के देने पड़ सकते हैं।
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एक दिन बादशाह अकबर अपने कमरे में आराम फरमा रहे थे। तभी महारानी वहां आई और गुस्से से बोली क्यों जी इस बार भी आप मेरा जन्मदिन भूल गए ना। यह सुन तो महाराज के पसीने छूटने लगे वो दरअसल ऐसी कोई बात नहीं है। हमें अच्छी तरह से याद है, अच्छा तो यह बताओ मेरे जन्मदिन के लिए क्या तोहफा लाए हो। बादशाह को तो समझ नहीं आ रहा था कि वे इस पर क्या जवाब दे तभी उन्हें अचानक एक बात याद आ गई। अरे हां अभी कुछ दिन पहले हमने अम्मी के आने की खुशी में उनके लिए एक नायाब हीरे की अंगूठी खरीदी थी। अब अम्मी तो आई नहीं तो क्यों ना वह अंगूठी में महारानी को दे दूं किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। क्या सोच रहे हो तोहफा लाए या नहीं। हां बिल्कुल अभी देता हूं फिर क्या बादशाह वहां से उठे और तिजोरी की ओर बढ़े उन्होंने मुस्कुराते हुए तिजोरी खोली और जैसे ही उन्होंने उस अंगूठी को निकाला।यह क्या इसमें से हीरा कहा गया बादशाह ने तुरंत दरबारियों को एक आपत्कालीन बैठक के लिए बुलाया।किसी भी हाल में उस हीरे चोर का पता लगाओ अगर बादशाह की तिजोरी से चोरी हो सकती है तो जनता का क्या होगा। मुझे तो लगता है चोर दरबार में से ही कोई होगा। और तभी कुछ लोग दरबार में शिकायत ले आए। बादशाह हमारी मदद करो मदद करो। हां हां शांति बनाए रखे और एक-एक कर अपनी समस्या बताए। हम सबकी एक ही समस्या है जिल्ले इलाही वो दरअसल हम सबके घरों से हीरे चोरी हो गए हैं। यह सुन तो सारे दरबारी चौक पड़े फिर उन लोगों ने बताया कि किसी की पत्नी के हार से हीरा चोरी हुआ है। तो किसी की अंगूठी से तो किसी के झुमको से।
यह कैसे मुमकिन है चोर ने हीरा तो चुरा लिया पर उससे जुड़ा सोना नहीं। सही कहा बीरबल ऐसी नायाब चोरी तो हमने आज तक ना देखी ना सुनी कुछ तो गड़बड़ है। बीरबल ने फिर बादशाह की तिजोरी की समीक्षा की पर उन्हें वहां चीटियों के सिवा और कुछ ऐसा नहीं मिला जिससे वह सबूत की तरह इस्तेमाल कर सके। कमाल है चोर काफी शातिर लगता है आखिर बिना तिजोरी खोले या तोड़े उसने इस चोरी को अंजाम दिया कैसे। हो सकता है हमने तिजोरी खुली रख दी हो। मैं एक काम करता हूं बाकी पीड़ितों के घर जाकर देखता हूं चोर ने कोई ना कोई सबूत जरूर छोड़ा होगा। पर जब बीरबल उन पीड़ितों के घर जा पहुंचे वहां भी उन्हें कोई सुराग नहीं मिला पहली बार मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है सभी जगह तिजोरी तोड़ी नहीं गई और सोने से हीरा गायब यह कैसे मुमकिन हो सकता है। और तभी उन्हें एक चीटी ने काटा जहां जहां जा रहा हूं बस चींटिया ही चीटियां है। फिर बीरबल ने सभी पीड़ितों को दरबार में पूछताछ के लिए दोबारा बुलाया। अब मुझे एक-एक कर बताओ कि तुमने यह हीरे कब तिजोरी में रखे थे और वह गायब कब हुए। मैंने पिछले हफ्ते सेठ हीरालाल से वह हीरो का हार खरीदा था और उसे जब कल शाम देखा तो उस हार से सारे हीरे गायब थे। हां हां मैंने भी सेठ हीरालाल से दो दिन पहले हीरे लिए थे और मैंने हीरालाल से पिछले महीने बाकी पीड़ितों ने भी अपनी अपनी बात रखी।
जिससे सुन बीरबल ने सोचा कहीं ना कहीं यह हीरालाल ही कोई काला धंधा कर रहा है पर क्या हो सकता है। फिर बीरबल बिना वक्त बरबाद किए सेठ हीरालाल के दुकान पर पहुंचे। आइए आइए बीरबल हमारे तो भाग्य ही खुल गए बताइए क्या सेवा कर सकता हूं आपकी। बीरबल ने उसकी दुकान में यहां वहां देखा और फिर उनकी नजर एक बंद कमरे पर पड़ी जिसके के अंदर से चीटियों की कतार निकल रही थी। ज्यादा कुछ नहीं दरअसल मुझे एक हीरे की अंगूठी बनवानी थी। अरे वाह बिल्कुल सही वक्त पर आए हो बिरबल मैंने खास हीरा मंगवाया है। आजकल वही सब मांग रहे हैं उन हीरो में ऐसी क्या खास बात है। आप खुद ही देख लो फिर हीरालाल ने उन चमकते हीरो को पोटली से बाहर निकाला तो वाकई में उनमें कुछ खास बात लग रही थी। वाह यह तो काफी चमकीला है क्या मैं इन्हें छू सकता हूं। ना ना माफ करना बीरबल आप इसे बस तभी छू सकते हैं जब आपका सामान बनके तैयार होगा। यह सुन बीरबल की शक की घंटी तो बजी पर हीरो को ना छूने देने से कुछ साबित तो नहीं हो सकता था। ठीक है कल तक हीरे से जड़ी अंगूठी मेरे घर पहुंचा देना, अगले दिन सेठ हीरालाल बीरबल के घर अंगूठी ले पहुंचे। यह लीजिए बीरबल आपकी अमानत अंगूठी को बीरबल ने शक की निगाहों से देखा और बोले क्या यह वही हीरो से बनी है। इसमें कोई दोराई नहीं बस अब इसे सुरक्षित तिजोरी में रख दीजिए और मुझे मेरा पैसा दे दीजिए। फिर क्या बीरबल ने अंगूठी को तिजोरी में रखा और हीरालाल को उनकी रकम सौंपी जिसे ले वो वहां से निकल गए। हम अब रखनी होगी इस हीरे पे नजर उस रात बीरबल तिजोरी के बाहर पहरा देते रहे परंतु जैसे ही आधी रात हुई बीरबल का थका हुआ शरीर जवाब देने लगा और वे वही जमीन पर सो गए। पर कुछ देर बाद उन्हें एक चींटी ने काटा जिसके कारण वो उठ पड़े ये चींटिया मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ रही। खैर अब उठ गया हूं तो हीरो को जांच लेता हूं भारी पलकों के साथ उन्होंने जब तिजोरी खोली तो उनके होश ही उड़ गए। यह क्या यह तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। हीरा तो था पर उस अंगूठी पर चींटियों का बसेरा हो चुका था जिसे देख बीरबल बोले जहां जहां से हीरे गायब हुए हैं वहां चीटियों का मिलना कोई संयोग नहीं हो सकता इसका मतलब इसके तार कहीं ना कहीं चीटियों से जुड़े हैं। अगले दिन दरबार में बीरबल ने सेठ हीरालाल को बुलाया और कहा सेठ हीरालाल जैसे कि आप जानते हैं आपसे खरीदे गए हीरे गायब हो रहे हैं इस पर आपको कुछ कहना है। अब मैं क्या कहूं बीरबल एक बार जब मैं हीरा ग्राहक को भेज दूं तो आगे से उसका ख्याल रखना उनकी जिम्मेदारी है। सही कहा पर अगर आपने उन्हें हीरा दिया ही ना हो तो क्या मतलब मैंने सभी हीरे पूरे ईमानदारी के साथ सबको सौंप दिए हैं। किसी से भी पूछ लो अच्छा मुझे यह बताओ जिस जिस जगहो से हीरे गायब हुए हैं वहां वहां चीटियां क्यों लग जाती है। अब मुझे क्या पता लोग साफ सफाई नहीं रखते होंगे तो मतलब आप भी अपनी दुकान में सफाई नहीं रखते होंगे क्योंकि वहां भी काफी चीटियां थी। तुम कहना क्या चाहते हो साफ-साफ कहो। मैं यह कहना चाहता हूं कि उन जगहों पर चीटियां इसलिए लगती है क्योंकि उन्हें तुम्हारे बनाए हीरे खाना पसंद है। यह सुन तो सब चौक गए यह क्या कह रहे हो बीरबल भला चीटियां कब से हीरा खाने लगी। सब बताता हूं महाराज मैंने कुछ सिपाहियों को हीरालाल के यहां तलाशी के लिए भेजा है वह आते ही होंगे। और तभी वहां दो सिपाही आए और उनके हाथों में थी एक बोरी बीरबल ऐसी कई बोरिया हमें उस चीटियों से भरे कमरे में मिली यह देख हीरालाल समझ गए कि उनका खेल अब खत्म और उनका सिर शर्म से झुक गया। फिर बीरबल उस बोरी के पास गए और उसे खोलते हुए कहा चीटियां उन हीरों को इसलिए खाना पसंद करती है क्योंकि वह हीरे बने हुए थे शक्कर से। ये देख तो सारे अचंभित हो गए यह कैसे मुमकिन है। सही सुना आप लोगों ने कुछ रसायनों की मदद से हीरालाल ने शक्कर को हीरे का आकार देने की कला हासिल कर ली थी। जिसे बेच वो बड़ा मुनाफा कमा पाते। पर वो नकली हीरा भी तो बेच सकते थे ना यह सबकी क्या जरूरत थी, सही कहा दरअसल नकली हीरा कभी ना कभी पकड़ा जाता परंतु शक्कर से बना हीरा क्योंकि उसे चीटियां खा जाती तो उसमें मिलावट होने का कोई सबूत नहीं बचता और सबूत के बिना हम पकड़े भी तो किसे। वाह क्या सोच थी मेरा मतलब क्या घटिया सोच। हीरालाल दिमाग तो तुम्हारा तेज है पर गलत कामों के लिए और गलत कामों की सजा में कोई मिलावट नहीं होती फिर क्या बादशाह ने हीरालाल को सबके पैसे लौटाने को कहा और तीन साल की काल कोठरी की सजा सुनाई और हमने यह सीखा कि हमें मन की मिलावट से बचना चाहिए।
एक सुहानी सुबह राज्य के सबसे मशहूर भोजनालय के बाहर लंबी कतार लगी थी। जिसमें शातिर मंत्री भी खड़े थे अरे भाई जल्दी करो बहुत भूख लगी है भूख के कारण उनका माथा वैसे ही सनका हुआ था और तभी वहां एक गंजू बाबा नाम के सिद्ध पुरुष आए। बेटा बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को मिल जाता तो ऊपर वाला तुम्हारा भला करेगा।अरे वाह आधे घंटे से मैं यहां कतार में खड़ा हूं और तुम्हें यूं ही खिला दूं देखने में तो हट्टे कट्टे लगते हो यूं भीख मांगने की जगह कुछ काम धंधा क्यों नहीं करते। ऐसे मत बोलो बेटा थोड़ी सी ही भिक्षा दे दोगे तो तुम्हारे ही पुण्य कर्मों में वृद्धि होगी पाप पुण्य नहीं कलयुग में पैसे ही सब कुछ है। जो तुम्हारे पास होते तो यूं मांगते नहीं घूमते अपनी विद्या की यूं बेइज्जती सुन बाबा ने शातिर को सबक सिखाने का निर्णय लिया। मूर्ख व्यक्ति तुझे अपने आप पर बड़ा घमंड है ना जा मैं तुझे श्राप देता हूं। आज से अगले सात सालों तक तुझे घोर बदकिस्मती का सामना करना पड़ेगा। यह सुन तो शातिर मंत्री जोर जोर से हंसने लगे यह सब बकवास है अब निकलो यहां से चल फुट।तेरा घमंड जरूर टूटेगा यह कहकर बाबा जी वहां से निकल गए और शातिर मंत्री बोले पता नहीं कहां-कहां से आ जाते हैं। सात साल की बदकिस्मती मेरा सिर अरे लाइन आगे बढ़ाओ भाई। कुछ देर बाद शातिर मंत्री ने डकार ली और पेट थपथपा ने के बाद वहां से निकल ही रहे थे तब अचानक उनका पैर सड़क पर पड़े केले के छिलके पर आ गया और वो धड़ाम से नीचे गिर पड़े। अरे लगता है बाबा का श्राप काम करने लगा है। मुझे माफ कर दो बाबा मुझे माफ कर दो मुझे आपकी शक्तियों पर भरोसा हो गया है। लौट के बुद्धू घर को आए, आपको जो भी भला बुरा कहना है कह दीजिए बाबा जी पर मेरे ऊपर से श्राप हटा दीजिए। यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है तुम्हें इससे छुटकारा पाने के लिए तीन चीजें ढूंढ कर लानी होगी तभी तुम्हारी बदकिस्मती हटेगी वरना नहीं। मुझे मंजूर है आप बस हुकम कीजिए। ठीक है तो पहली चीज, वो जो अब है और बाद में भी रहेगी दूसरी चीज जो अब नहीं है और बाद में भी नहीं होगी और तीसरी चीज वो जो अब है पर बाद में नहीं रहेगी। क्या अब है और फिर नहीं है है भी और नहीं भी ये कैसी चीज है और कहां मिलती है। यही तो चुनौती है आज सूरज ढलने से पहले अगर तुम यह तीनों चीजें ना ला पाए तो सात साल तक बदकिस्मती सहने को तैयार रहो। फिर क्या यह बात सुन मंत्री बिना वक्त गवाए वहां से दौड़े और बाजार जाकर दुकानदारों से उन चीजों के बारे में पूछने लगे। अरे सटिया गए हो का ऐसी कोई चीज दुनिया के किसी भी दुकान में नहीं मिल सकती भाई क्या तो अब क्या होगा। अब होगी सात साल की बदकिस्मती।
बीरबल के पास पहुंचते ही शातिर मंत्री ने सारी घटना बताई। पहली चीज वो जो अब है और बाद में भी रहेगी दूसरी चीज जो अब नहीं है और बाद में भी नहीं होगी और तीसरी चीज वो जो अब है पर बाद में नहीं रहेगी अब तुम ही बताओ। बीरबल कहां मिलेगी ये चीजें अच्छा तो यह बात है ठीक है मुझे थोड़ा वक्त दो मैं यूं गया और यूं आया और बीरबल जब वापस लौटे तो उन्होंने साधु का भेस धारण किया हुआ था। अब यह क्यों भला मैं सब बताता हूं पहले तुम भी अपना रूप बदलो। पहले तो मंत्री जी को कुछ नहीं समझा परंतु ढलता सूरज देख उन्होंने चुपचाप इसे स्वीकार कर लिया। फिर क्या कुछ समय बाद दोनों साधु का भेस लिए बाजार की ओर निकले और चंदू व्यापारी के दुकान पर आ पहुंचे भिक्षा देही। कहिए महाराज क्या सेवा कर सकता हूं मैं आपकी। वो दरअसल हमारे गुरुजी के सुपुत्र अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाह रहे है और उसका खर्चा बहुत अधिक है। इसलिए हम चंदा इकट्ठा कर उनकी सहायता करना चाहते हैं। सुना है कि चंदू सेठ के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। जरूर महाराज यह तो मेरा सौभाग्य होगा यह कहकर चंदू अपनी दुकान में जाकर रुपयों का इंतजाम कर बाहर आया।
यह लीजिए! शुक्रिया पर हम यह पैसे आपसे यूं ही इतने आसानी से नहीं ले सकते। इससे पहले आपको अपने टकले पर मेरे पादुका से टपली खानी होगी फिर ही मैं इस भिक्षा का स्वीकार कर सकता हूं। यह शर्त सुन तो चंदू के दुकान के सेवक तिलमिला उठे और गुस्से से बीरबल की ओर चलने लगे। मगर फिर चंदू ने उन्हें शांत करते हुए कहा रुक जाओ बंधु महाराज अगर मेरी इतनी छोटी तकलीफ सहने से किसी का इतना बड़ा भला हो सकता है तो मैं इसे हंसते हंसते सहने के लिए तैयार हूं। यह कहकर चंदू ने अपना सिर झुकाया जो देख शातिर मंत्री तो चोक गए पर बीरबल मन ही मन मुस्कुराए और बिना कुछ कहे वहां से निकल गए। यह क्या था बीरबल, यह थी पहली चीज जो अब भी है और बाद में भी रहेगी। वो कैसे वो ऐसे कि उन्होंने जो नेक और स्वार्थ भाव के साथ किसी की मदद करनी चाहि उससे उन्हें पुण्य की प्राप्ति होगी और वह पुण्य उनके साथ हमेशा रहेगा। पहली चीज है पुण्य।
यह कहकर वे अगली चीज ढूंढते हुए एक भिकारी के पास पहुंचे जो चाव से खाना खा रहा था। सुनो जरा क्या तुम अपने खाने में से थोड़ा हमें दे सकते हो। अरे वाह एक तो मुझे कई दिनों बाद भरपेट खाना मिल रहा है और वो भी मैं तुम्हें दे दूं। मुझसे कोई उम्मीद मत रखना निकलो यहां से ये सुन बीरबल और शातिर मंत्री वहां से चले और फिर बीरबल बोले इस आदमी ने यह दर्शाया कि अब जो चीज उसके पास नहीं है वह बाद में भी नहीं होगी। यानी इसके हृदय में आज दया की कमी है कल जब अंतिम समय में ऊपर वाले के सामने इसे दया की जरूरत होगी तो उसे वह नसीब नहीं होगी। तो दूसरी चीज है दया। अंत में बीरबल और शातिर मंत्री राज्य के एक मंदिर आ पहुंचे जहां उन्हें एक ज्ञानी पंडित दिखे। फिर बीरबल ने सोने की मोहरे निकालकर उनके चरणों के सामने रखी जब पंडित जी ने अपनी आंखें खोली उन मोहरों को देख वे क्रोधित हो गए। इन तुच्छ बनावटी वस्तु को हमारे सामने से तुरंत हटा दो मुझे इनकी कोई आवश्यकता नहीं। यह सुन बीरबल ने शातिर मंत्री से कहा और इससे मिलती है वह आखरी चीज जो अभी नहीं है पर बाद में मौजूद रहेगी और वह है मोक्ष। इन महापुरुष ने अपनी सारी इच्छाओं को त्याग दिया है। इसके कारण इन्हें आगे जाकर मोक्ष की प्राप्ति होना तय है जो है जन्म और मृत्यु के चक्रव्यू से छुटकारा।
यह सुन शातिर मंत्री के मन में सुकून उत्पन्न हुआ। तुम्हारा तहे दिल से शुक्रिया बीरबल। कोई बात नहीं मैं जानता हूं उन बाबा ने तुमसे यह चीजें लाने को क्यों कहा होगा पर क्योंकि अब सूरज ढलने ही वाला है तो तुम तुरंत जाकर उन्हें उत्तर बताकर इसकी वजह पूछ लो। फिर क्या शातिर मंत्री तुरंत वहां से दौड़े और गंजू बाबा के पास जाकर उन्हें सारी चीजें बताई महाराज मिल गए सारे जवाब मुझे पहली चीज जो अब है और बाद में रहेगी वह है पुण्य, दूसरी चीज जो अब नहीं है और बाद में भी नहीं होगी वह है दया और तीसरी चीज जो अब है पर बाद में नहीं रहेगी वह है मोक्ष। अब जब तुम्हें यह चीजें मिल गई है तो उसे अपने भीतर बसा लो। मैं समझा नहीं बाबा जी, तुम्हें श्राप मैंने इसलिए दिया था ताकि तुम घमंड और क्रोध का त्याग कर पुण्य दया और मोक्ष के मार्ग पर चलो वरना जीवन में कठिनाइयां कभी कम नहीं होगी। यह सुन शातिर मंत्री को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने बाबा से माफी मांगते हुए उनके दिखाए रास्ते पर चलने का वादा किया और हमने यह सीखा घमंड और क्रोध हमारे बुरे समय का कारण बन सकता है।