सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्यूटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का निर्देश देता हैं. यह यूजर को कम्प्यूटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं. सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक निर्जीव बक्सा मात्र हैं.
Software को आप अपनी आंखों से नही देख सकते हैं. और ना ही इसे हाथ से छूआ जा सकता हैं. क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता हैं. यह एक आभासी वस्तु हैं जिसे केवल समझा जा सकता हैं.
यदि आपके कम्प्युटर में सॉफ्टवेयर नहीं होगा तो आपका कम्प्युटर मृत प्राणी के समान होगा. जो केवल लौह और अन्य धातुओं से बना एक बक्सा मात्र रह जाएगा.
सोचिए,अगर आपके कम्प्यूटर में ब्राउजर प्रोग्राम नही होता तो आप इस लेख को नही पढ़ सकते थे. इसी बात से आप सॉफ्टवेयर का महत्व का अंदाजा लगा सकते है.
इसके अलावा MS Office, Photoshop, Adobe Reader, Picasa आदि सभी विभिन्न प्रकार के Software है, जो आपको Computer पर अलग-अलग कार्य करने के योग्य बनाते है.
सॉफ्टवेयर आपके कम्प्यूटर में जान फूँकता हैं. उसे काम करने के योग्य बनाता हैं. और सॉफ्टवेयर की मदद से ही आप कम्प्यूटर से अपना मन पसंद कार्य करवा पाते हैं.
हम कम्प्यूटर का उपयोग विभिन्न कामों के लिए के लिए करते हैं. और ये सभी प्रकार के काम केवल एक सॉफ्टवेयर की मदद से पूरे नही किये जा सकते हैं.
इसलिए काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं. अध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.
System Software
Application Software
System Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software के बीच क्रिया करने देता है. System Software के कई प्रकार है.
1.1 Operating System
Operating System एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्यूटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर तथा कम्प्यूटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्यूटर को समझाता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ लोकप्रिय नाम जिनके बारे में आपने जरुर सुना होगा.
Windows OS
Mac OS
Linux
UBUNTU
Android
1.2 Utility Programs
Utilities को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्यूटर संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.
1.3 Device Drivers
Driver एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को कम्प्यूटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्यूटर से संचार कर सके. जैसे Audio Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drivers आदि.
Application Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध यूजर से होता है. इसे ‘Apps’ भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.
2.1 Basic Application
Basic Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.
किसी भी कम्प्यूटर उपयोक्ता को कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए Basic Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.
Word Processing Programs
Multimedia Programs
DTP Programs
Spreadsheet Programs
Presentation Programs
Graphics Application
Web Design Application
2.2 Specialized Application
Specialized Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है. नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.
Accounting Software
Billing Software
Report Card Generator
Reservation System
Payroll Management System
कम्प्यूटर के वे भाग जिन्हे हम देख तथा छू सकते है उन्हे हार्डवेयर कहते हैं. यह कम्प्यूटर के भौतिक भाग होते है. जिनसे मिलकर हमारे कम्प्यूटर का शरीर बनता हैं. जैसे; कीबोर्ड, माउस, केबिनेट, मॉनिटर, प्रिंटर आदि सभी हार्डवेयर है.
कम्प्यूटर हार्डवेयर का सबसे अच्छा उदाहरण है Monitor. जिस डिवाइस पर आप इस लेख को पढ रहे है. क्योंकि Screen भी एक प्रकार का हार्डवेयर है जो आउटपुट डिवाइस की श्रेणी में गिना जाता हैं.
यह एक प्रकार का कंटेनर होता है, जिसमें कम्प्यूटर के अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते है. इसका आकार एक छोटे बक्से के समान होता है. इसे आम भाषा में CPU भी कहते है. जो गलत हैं.
Input Device वे उपकरण होते है, जो यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को कम्प्यूटर तक पहुँचाते है. इनके द्वारा ही आप अपना आदेश कम्प्यूटर तक पहुँचाते है. इसके बाद ही कम्प्यूटर अपना कार्य करता हैं.
कुछ प्रचलित इनपुट डिवाइस:
Keyboard,Mouse, Scanner, Touchscreen
वे उपकरण होते है, जो प्रोसेस्ड सूचनाओ को मानव द्वारा समझने लायक रूप में प्रदशित करते है आउटपुट डिवाइस कहलाते है.
यानि आप जो काम करना चाहते है उसका परिणाम हमे जिन उपकरणों की मदद से प्राप्त होता है. उन्हे आउटपुट डिवाइस कहते हैं.
सबसे प्रचलित आउटपुट डिवाइस है:
Monitor, Speaker, Printer, Touchscreen
कम्प्यूटर के वे भाग जो सिस्टम यूनिट के भीतर स्थित होते हैं, उन्हे आंतरिक उपकरण कहते हैं. इन्हे आप बाहर नही देख सकते हैं तथा ये नाजुक होते हैं. इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए ही इन्हे Computer Case की जरूरत पडती हैं.
कुछ आंतरिक उपकरण
Motherboard, CPU, Hard Disk Drive, RAM, SMPS, DVD Writer
इन उपकरणों में हम उन डिवाइसेस को रखते है, जो एक कम्प्युटर को दूसरे कम्प्युटर से संपर्क करने के योग्य बनाते है. इस श्रेणी में सबसे प्रचलित उपकरण Modem है.
हार्डवेयर कम्प्यूटर का शरीर है तो सॉफ़्टवेयर उसकी आत्मा हैं.
दोनों, एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं.
हार्डवेयर के बिना सॉफ्टवेयर अपना काम नही कर सकता है और सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर अनुपयोगी हैं.
कम्प्यूटर से कार्य विशेष करवाने के लिए हार्डवेयर पर उचित सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पडता हैं.
सॉफ्टवेयर आपके यानि यूजर और हार्डवेयर के बीच संबंध स्थापित करना है.
कम्प्यूटर की कार्यक्षमता, फीचर, निष्पादन (Performance) को बढाने के लिए किसी एक या अधिक उपकरण को नई तकनीक और क्षमता के उपकरण से बदलना हार्डवेयर अपग्रेड करना कहलाता हैं.
जैसे; अभी आपके कम्प्यूटर में 2 GB DDR2 RAM लगी हुई है. यदि आप इसे 4GB DDR2 से बदल लेते है तब यह रैम अपग्रेड करना कहलाता हैं. और यही नियम अन्य हार्डवेयर उपकरणों पर भी लागु होता हैं.
आप, हार्डवेयर में कम्प्यूटर के किसी भी उपकरण को अपग्रेड कर सकते हैं. और अपने कम्प्यूटर की तथा उस विशेष उपकरण की क्षमता, फीचर, गति में बढोतरी करा सकते हैं.
हार्डवेयर अपग्रेड करना एक महंगी प्रक्रिया हैं. इसलिए जरूरत होने पर ही उपकरणों को अपग्रेड करना चाहिए. केवल नई तकनीक और ज्यादा फीचर के लालच में ना आए.