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प्रातिपदिकम् : स्विद्
जातिः : अव्ययम्
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पदार्थः
[G.V. Devathali's Sanskrit Marathi Dictionary]
स्विद् ind.
काय, किंवा, एक निपात.
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स्विद् अव्य* [स्विद्+क्विप्]
प्रश्नवाचक या पृच्छापरक निपात, कास्विदवगुण्ठनवती नातिपरिस्फुटशरीरलावण्या (श* ५।१३)(मेघ* १४)
प्रायः ‘सन्देह’ ‘आश्चर्य’ को प्रकट करता हैं, इसका अर्थ हैं ‘क्या’ ‘हे’ ‘ए’ ‘हा’ ‘ओ, हो’ की ध्वनि ‘क्या ऐसा हो सकता है’ आदि; इस अर्थ में तथा अनिश्चयार्थ प्रकट करने के लिए इसे प्रश्नवाचक सर्वनाम के साथ जोड़ दिया जाता हैं, कभी कभी यह पृथक् रूप से ‘या’ और ‘अथवा’ अर्थ को प्रकट करता हैं; कभी कभी ‘नु’ ‘उत’ और ‘वा’ के साथ जुड़कर; दे*(कि* ८।३५)१२।१५, १३।८, १४।६०, ‘आहो’ के साथ भी
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स्विद् ind. (prob. fr. 5. सु + इद्; cf. कुविद्)
a particle of interrogation or inquiry or doubt, ‘perhaps’, ‘pray’, ‘indeed’, ‘any’ (esp. used after the interrogative क and its derivatives
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टीका/भाष्यम्
[शाङ्करभाष्यम्]
स्वित् चित् ।
स्विदित्यनर्थको निपातः ।
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