भ्रामरी प्राणायाम
स्मरणशक्ति को बढ़ाने वाला भ्रामरी प्राणायाम हमारे ऋषियों की एक विलक्षण खोज है। भ्रामरी प्राणायाम द्वारा मस्तिष्क की कोशिकाओं में स्पंदन होता है, जो एसीटाइलकोलीन, डोपामीन तथा प्रोटीन के बीच होने वाली रासायनिक क्रिया में उत्प्रेरक (केटेलिस्ट) का कार्य करता है, जिससे स्मरणशक्ति का चमत्कारिक विकास होता है।
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें ?
विधिः प्रातःकाल शौच-स्नानादि से निवृत्त होकर कम्बल अथवा ऊऩ से बने हुए किसी स्वच्छ आसन पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ सकें तो ठीक है नहीं तो सुखासन में (पलथी मार के) बैठ जायें और आँखें बन्द कर लें। ध्यान रहे कि कमर व गर्दन एक सीध में रहें। अब दोनों हाथों की तर्जनी (अँगूठे के पास वाली) उँगली से अपने दोनों कानों के छिद्रों को बंद कर लें। इसके बाद खूब गहरा श्वास लेकर कुछ समय तक रोके रखें, तत्पश्चात मुख बंद कर के श्वास छोड़ते हुए भौंरे के गुंजन की तरह ʹૐ......ʹ का लम्बा गुंजन करें। इस प्रक्रिया में इसका अवश्य ध्यान रखें कि श्वास लेने तथा छोड़ने की क्रिया नथुनों के द्वारा ही होनी चाहिए। मुख के द्वारा श्वास लेना अथवा छोड़ना निषिद्ध है। श्वास छोड़ते समय होंठ बंद रखें तथा ऊपर व नीचे के दाँतों के बीच कुछ फासला रखें। श्वास अंदर भरने तथा रोकने की क्रिया में ज्यादा जबरदस्ती न करें। यथासम्भव श्वास अंदर खींचे तथा रोकें। अभ्यास के द्वारा धीरे-धीरे आपकी श्वास लेने तथा रोकने की क्षमता स्वतः ही बढ़ती जायेगी।
हर बार श्वास छोड़ते समय ʹૐʹ का गुंजन करें। इस गुंजन द्वारा मस्तिष्क की कोशिकाओं में हो रहे स्पंदन (कम्पन) पर अपने मन को एकाग्र रखें।
प्रारम्भ में सुबह, दोपहर अथवा शाम जिस संध्या में समय मिलता हो, इस प्राणायाम का नियमित रूप से दस-दस मिनट अभ्यास करें।
प्रारम्भ में एकटक देखने पर आँखों की पलकें गिरेंगी किंतु फिर भी दृढ़ होकर अभ्यास करते रहें। जब तक आँखों से पानी न टपके, तब तक बिंदु को बिना पलक झपकाये एकटक निहारते रहें। इस प्रकार प्रत्येक तीसरे-चौथे दिन त्राटक का समय बढ़ाते रहें। जितना समय बढ़ेगा उतना ही आप सभी विषयों में सक्षम होते जायेंगे। त्राटक से एकाग्रता व बुद्धिशक्ति का विकास होता है। एकाग्र मन प्रसन्न रहता है तथा मनुष्य भीतर से निर्भीक हो जाता है।
व्यक्ति का मन जितना एकाग्र होता है, समाज पर उसकी वाणी का, उसके स्वभाव का तथा उसके क्रिया-कलापों का उतना ही गहरा प्रभाव पड़ता है।
त्राटक से एकाग्रता के विकास में बड़ी मदद मिलती है। एकाग्र मन से पढ़ा हुआ याद भी शीघ्र हो जाता है। त्राटक का अर्थ है – किसी निश्चित आसन पर बैठकर किसी निश्चित वस्तु, बिन्दु, मूर्ति, दीपक, चाँद, तारे आदि को बिना पलक झपकाये एकटक देखना। त्राटक व ध्यान-भजन के समय देशी गाय के घी का दीया जलाना लाभदायक होता है, जबकि मोमबत्ती से कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जो हानिकारक है।
सूर्योपासना
प्रतिदिन सुबह आँखें बंद करके सूर्यनारायण के सामने खड़े होकर नाभि से आधा सें.मी. ऊपर के भाग में भावना करोः ʹसूर्य के नीलवर्ण का तेज मेरे मणिपुर केन्द्र को विकसित कर रहा है।ʹ ऐसी भावना करके श्वास भीतर खींचो।
सूर्यनमस्कार एवं प्राणायाम करो। पाँच से सात मिनट तक सामने से और 8-10 मिनट कत पीठ की ओर से सूर्यस्नान करो।
इससे आपका स्वास्थ्य सुदृढ़ होगा ही, साथ ही साथ स्मृतिशक्ति भी गजब की बढ़ने लगेगी।
अचूक दवा
जो लोग दिन भर मानसिक श्रम के बाद बहुत थक जाते हैं । मस्तिष्क भारी-भारी रहता है । काफी इलाज के वाद कोई लाभ नहीं होता । उन्हें ज्ञान मुद्रा मैं कमसे कम 5 मिनट समय निकाल कर बैठना चाहिए । ज्ञानमुद्रा से मस्तिष्क के ज्ञानतंतुओं को पुष्टि मिलती है और चित्त जल्दी शांत हो जाता है।इससे शारीरिक , मानसिक उन्नति के साथ आत्म कल्याण के मार्ग पे चलने की रास्ता खुल जाता है अतः आज से ही शुरु करे |