समग्र विश्व सृष्टि एवं शक्तिओं का भंडार है | जैसे की इन्टरनेट सूचना एवं ज्ञान शक्तिओं का भंडार है इसमे लिंक जैसे पुरे साइट, पेज, एप्लीकेशन अथवा समन्धित सूचना की प्रतिनिधित्व करता है । अर्थात लिंक को क्लीक करते ही हम उस स्थल की पुरे ज्ञान को प्राप्त कर लेते है । मंत्र भी उसी प्रकार सूक्ष्म सृष्टि एवं शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है । उसी के माध्यम से हम उस सृष्टि और शक्ति को जान सकते है, पा' सकते है। उसके लिए जैसे वेबसाइट पे जा कर एक्टिव लिंक को क्लीक करना होता है । मन्त्र को अधिकारी गुरु, आचार्य से प्राप्त करना होता है।अधिक जानने हेतु निम्न पुस्तकों भगवान जप महिमा -- को पढ़ सकते है
वैदिक बांग्मय में मंत्र को इस तरह दर्शाया गया है -
"मननात त्रायते यस्मात्तस्मान्मंत्र उदाहृतः’’,
अर्थात - जिसके मनन, चिंतन एवं ध्यान द्वारा संसार के सभी दुखों से रक्षा, मुक्ति एवं परम आनंद प्राप्त होता है, वही मंत्र है।
‘‘मन्यते ज्ञायते आत्मादि येन’’
अर्थात जिससे आत्मा और परमात्मा का ज्ञान (साक्षात्कार) हो, वही मंत्र है।
‘‘मन्यते विचार्यते आत्मादेशो येन’’
अर्थात जिसके द्वारा आत्मा के आदेश (अंतरात्मा की आवाज) पर विचार किया जाए, वही मंत्र है।
‘‘मन्यते सत्क्रियन्ते परमपदे स्थिताःदेवताः’’
अर्थात् जिसके द्वारा परमपद में स्थित देवता का सत्कार (पूजन/हवन आदि) किया जाए-वही मंत्र है।
‘‘मननं विश्वविज्ञानं त्राणं संसारबन्धनात्। यतः करोति संसिद्धो मंत्र इत्युच्यते ततः।।’’
अर्थात यह ज्योतिर्मय एवं सर्वव्यापक आत्मतत्व का मनन है और यह सिद्ध होने पर रोग, शोक, दुख, दैन्य, पाप, ताप एवं भय आदि से रक्षा करता है, इसलिए मंत्र कहलाता है।
‘‘मननात्तत्वरूपस्य देवस्यामित तेजसः। त्रायते सर्वदुःखेभ्यस्स्तस्मान्मंत्र इतीरितः।।’’
अर्थात जिससे दिव्य एवं तेजस्वी देवता के रूप का चिंतन और समस्त दुखों से रक्षा मिले, वही मंत्र है।
‘‘मननात् त्रायते इति मंत्र’’
अर्थात जिसके मनन, चिंतन एवं ध्यान आदि से पूरी-पूरी सुरक्षा एवं सुविधा मिले वही मंत्र है।
‘‘प्रयोगसमवेतार्थस्मारकाः मंत्राः’’
अर्थात अनुष्ठान और पुरश्चरण के पूजन, जप एवं हवन आदि में द्रव्य एवं देवता आदि के स्मारक और अर्थ के प्रकाशक मंत्र हैं।
‘‘साधकसाधनसाध्यविवेकः मंत्रः।’’
अर्थात साधना में साधक, साधन एवं साध्य का विवेक ही मंत्र कहलाता है।
‘‘सर्वे बीजात्मकाः वर्णाः मंत्राः ज्ञेया शिवात्मिकाः‘‘
अर्थात सभी बीजात्मक वर्ण मंत्र हैं और वे शिव का स्वरूप हैं।
‘‘मंत्रो हि गुप्त विज्ञानः’’
अर्थात मंत्र गुप्त विज्ञान है, उससे गूढ़ से गूढ़ रहस्य प्राप्त किया जा सकता है।"
हमारी संस्कृति में मंत्र हमेसा गुरु प्रदत्त होने चाहिए |तभी मंत्र का पूरा पूरा फायदा होगा | यहाँ जो भी मंत्र दिए गए हैं यह मात्र एक संकलन है | आध्यत्मिक लाभ हेतु अपनी योग्यता अनुसार गुरु हमें मंत्र जप करने को देते है | परन्तु भौतिक लाभ हेतु इन मन्त्रों को उपयोग में ले सकते हैं | कोई भी मंत्र साधक जाप प्रारंभ करने से पहले इस ( लिंक ) पुस्तक का एक बार अवश्य अच्छी तरह अध्ययन करें |
(ॐ)- ब्रह्म परमात्मा के सूचक है | वैदिक सनातन संस्कृति में सर्वशक्तिमान ईश्वर को ॐ से ही सुमिरन किया जाता है | ॐ, खं और कं यह अनादी अनंत ब्रह्म के ३ विशेष मंत्र हैं | |
(अं) दुःस्वप्न से रक्षा, बच्चो की पेशाव
(ऐं) - ॐ ऐं नमः– सारस्वत्य मंन्त्र - विद्या प्राप्ति हेतु।
( क्लीं )- कृष्ण जी के मंत्र के आगे बीज मंत्र लग जाता है | क्लीं कृष्णाय नम: ||
( क्लीं ) - पागलपन में।पागलपन हो, सौंदर्य समृद्धि चाहने वाला मंत्र धन का अभाव पुत्र प्राप्ति के लिए
( कं ) - मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।मौत का भय लगता हो, किसी भी प्रकार का विष उतारने का मंत्र एलर्जी भगाने का मंत्र कालसर्प मिटाने का मंत्र
( खं ) - खं हार्ट-टैक कभी नही होता है | हाई बी.पी., लो बी.पी. कभी नही होता | ५० माला जप करें, तो लीवर ठीक हो जाता है | १०० माला जप करें तो शनि देवता के ग्रह का प्रभाव चला जाता है | मस्तिष्क निर्मल यकृत भी ठीक पाचन तंत्र मजबूत, शनिचर की बाधा, मत भेद, पीलिया, नासिका के रोग,के लिए मंत्र
(गं)- भगवान गणपति मंन्त्र - बुद्धि का विकास हेतु।
( घं ) - स्वपनदोष व प्रदररोग में।
(जं) - भूत प्रेत भगाने का मंत्र
( टं )
1] नाक से खून बहना [नकसीर फूटना]
2] कमजोर याददाश्त
3] मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द और सुन्न होना- झुनझुनी और मांसपेशी में ऐंठन
4] शारीरिक समस्याओं के कारण डरावने सपने और भ्रम
5] महिलाओं में कम स्तन दूध की आपूर्ति
6] शिशुओं द्वारा अत्यधिक रोना
7] उदासी, पश्चाताप की भावना और निराशा
8) टूना फोड़ा से रक्षा हेतु
जादु-टोना से रक्षा मंत्र
( ठं ) – चित्त की शांति के लिए
( धं ) - यश सफलता धन प्राप्ति तनाव से मुक्ति का मंत्र
( बं )- बं उच्चारण करने से वायु प्रकोप दूर हो जाता है | गठिया ठीक हो जाता है | शिव रात्रि के दिन सवा लाख जप करो बं..... शब्द, गैस ट्रबल कैसी भी हो भाग जाती है | बीज मंत्र है |
ऐसे ही साधको को एक बिज मंत्र देते हैं|
*बं* घुटनों का दर्द हो तो
( भं )- बुखार दूर करने के लिए।
( रीं )- रामजी के आगे भी एक बीज मंत्र लग जाता है | रीं रामाय नम: ||
( रा ) - कष्ट निवारक मंत्र |
( लं ) - मूलाधार चक्र बीज मंत्र। थकान दूर करने के लिए। लापरवाही मिटाने हेतु।
( वं ) बात रोग, गठिया, भूख-प्यास रोकने के लिए।
( सं )- बवासीर मिटाने के लिए।
(श्रीं) – लक्ष्मी प्राप्ति
( हुं )- आरोग्य में भी ॐ हुं विष्णवे नम:|*हूं* (हूम) सायटिका और प्रदर रोग में आराम
( ह्रीं ) - मधुमेह, हृदय की धड़कन में।
(ॐ क्रों ह्रिम आं) (धर्मराज मंत्र)
( ॐ जूँ स: ) दुर्गति से आपदाओं से रक्षा हेतु
( ॐ हौं जुँ सह ) संकट रक्षा मंत्र
( ॐ ह्रां ह्रिं सहः ) सूर्य मंत्र
ॐ हंसं हंसः (स्वास्थ्य मंत्र)
ॐ ह्रिम धम ( किसी को बात मनवानी हो तो मंत्र)
ॐ जूं सः ( प्राणबल संयम बढ़ाने हेतु मंत्र)
ॐ अर्यमायै नम: - ब्रम्हचर्य रक्षा मंत्र |
ॐ गं गणपतये नम: - के उपासना मंत्र , मेघावी बुद्धि हेतु |
ॐ नमो नारायणाय - औषधी पुष्टि हेतु |
ॐ ह्रां ह्रीं स: सुर्याय नम: - सुर्य के उपासना मंत्र |
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय - यात्रा में सुरक्षा और किसी भी कार्य में सफलता हेतु
ॐ नम:शिवाय - शिवजी के उपासना मंत्र |
ॐ शुद्धे शुद्घे महा योगिनी महा निद्रे स्वाहा - अनिद्रा दूर करने हेतु