आप के लिए भेंट - यह कुछ अनमोल उक्ति जो ईश्वर की रास्ते ले जाने में सहायक है-
प्रमादो ब्रह्म निष्ठायाम न कर्तव्यं कदाचन - अपना ब्रम्ह स्वरूप को कभी न भूलें |
वासुदेवं सर्वमिति - जो भी कुछ है सब वासुदेव है |
सारा संसार तेरा ही स्वरुप है |
तू चिदघन चैतन्य ओत प्रोत है | न तेरा जन्म है न तेरी मृत्यु है | सारा संसार स्वप्न मात्र है |
ईश्वर के सिवाय अन्य कहीं भी मन लगाओ तो अंत में रोना ही पड़ेगा |
आखिर क्या ? आयु बीत रहा है|एक दिन सारा संसार छूट जायेगा | अतः अछूट परमात्मा को प्राप्त कर लो|
तुम समय देकर सबकुछ प्राप्त कर सकते हो पर अपना सबकुछ दे कर एक श्वास (समय) भी अधिक नहीं जी सकते |
जहाँ सब संकल्प शान्त हैं केवल एक घनि वेदना है, दूसरी भावना का उत्थान नहीं केवल अचैत्य चिन्मात्र- सत्ता है उसको परब्रह्म कहते हैं | उसको जानकर उसको पाने का उद्यम करना और जिस विचार से उसको पाइये उसका नाम ज्ञान है | उसमें स्थित होने का नाम योग है | ऐसा निश्चय करना कि यह सब ब्रह्म है, मैं ब्रह्म हूँ और सब जगत् मैं ही हूँ; और ब्रह्म से भिन्न कुछ भावना न करना इसका नाम ब्रह्म अर्पण है |