Accounting
आधुनिक व्यवसाय का आकार इतना विस्तृत हो गया है कि इसमें सैकड़ों, सहस्त्रों व अरबों व्यावसायिक लेनदेन होते रहते हैं। इन लेन देनों के ब्यौरे को याद रखकर व्यावसायिक उपक्रम का संचालन करना असम्भव है। अतः इन लेनदेनों का क्रमबद्ध अभिलेख (records) रखे जाते हैं उनके क्रमबद्ध ज्ञान व प्रयोग-कला को ही लेखाशास्त्र कहते हैं। लेखाशास्त्र के व्यावहारिक रूप को लेखांकन कह सकते हैं। अमेरिकन इन्स्ट्टीयूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउन्टैन्ट्स (AICPA) की लेखांकन शब्दावली, बुलेटिन के अनुसार ‘‘लेखांकन उन व्यवहारों और घटनाओं को, जो कि कम से कम अंशतः वित्तीय प्रकृति के है, मुद्रा के रूप में प्रभावपूर्ण तरीके से लिखने, वर्गीकृत करने तथा सारांश निकालने एवं उनके परिणामों की व्याख्या करने की कला है।’’
इस परिभाषा के अनुसार लेखांकन एक कला है, विज्ञान नहीं। इस कला का उपयोग वित्तीय प्रकृति के मुद्रा में मापनीय व्यवहारों और घटनाओं के अभिलेखन, वर्गीकरण, संक्षेपण और निर्वचन के लिए किया जाता है।
किसी व्यवसाय के वित्तीय लेनदेन का लेखा-जोखा रखने, उसका सारांश प्रस्तुत करने, रिपोर्टिंग तथा विश्लेष करने की कला को ही एकाउंटिंग कहा जाता है। एकाउंटिंग का कार्यभार संभालने वाले व्यक्ति को एक अकाउंटेंट के रूप में जाना जाता है तथा अकाउंटेंट की भूमिका किसी रिकॉर्ड-कीपर के समान ही होती है। हालांकि, एकाउंटिंग को अब प्रबंधन का एक ऐसा उपकरण माना जाता है जो संगठन के भविष्य के विषय में महत्वर्पूण जानकारी देता है।
स्मिथ एवं एशबर्न ने उपर्युक्त परिभाषा को कुछ सुधार के साथ प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार ‘लेखांकन मुख्यतः वित्तीय प्रकृति के व्यावसायिक लेनदेनों और घटनाओं के अभिलेखन तथा वर्गीकरण का विज्ञान है और उन लेनदेनें और घटनाओं का महत्वपूर्ण सारांश बनाने, विश्लेषण तथा व्याख्या करने और परिणामों को उन व्यक्तियों को सम्प्रेषित करने की कला है, जिन्हें निर्णय लेने हैं।’ इस परिभाषा के अनुसार लेखांकन विज्ञान और कला दोनों ही है। किन्तु यह एक पूर्ण निश्चित विज्ञान न होकर लगभग पूर्ण विज्ञान है।
Accounting
किसी व्यवसाय के वित्तीय लेनदेन का लेखा-जोखा रखने, उसका सारांश प्रस्तुत करने, रिपोर्टिंग तथा विश्लेषण करने की कला को ही अकाउंटिंग कहा जाता है। अकाउंटिंग का कार्यभार संभालने वाले व्यक्ति को अकाउंटेंट के रूप में जाना जाता है तथा अकाउंटेंट की भूमिका किसी रिकॉर्ड-कीपर के समान ही होती है। हालांकि, अकाउंटिंग को अब प्रबंधन का एक ऐसा उपकरण माना जाता है जो संगठन के भविष्य के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
Definitions of Accounting
1. 1941 में अमेरिकन इंस्टीट्रयूट आँफ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट्स (संक्षिप्त में AICPA) ने अकाउंटिंग को निम्नानुसार परिभाषित किया था।
अकाउंटिंग वस्तुतः लेखा,जोखा, वर्गीकरण और संक्षिप्तिकरण कोे महत्वपूर्ण तरीके से तथा धन, लेनदेन एवं ऐसी घटनाओं के मामले में जो कम से कम किसी वित्तीय स्वरूप और तत्संबंधित परिणामों की व्याख्या का ही भाग होती है, को प्रस्तुत किए जाने को कला होती है।
2. 1966 में अमेरिकन अकाउंटिग एसोसिएशन (संक्षिप्त में AAA) ने अकाउंटिंग को निम्नानुसार परिभाषित किया था
अकाउंटिग सूचना को उपयोगकर्ताओं द्वारा निर्णय लेने तथा फैसलों को सूचित करने की अनुमति प्रदान किए जाने हेतु आर्थिक जानकारी की पहचान, मूल्यांकन और संवाद किए जाने की प्रकिया होती है।
अकाउंटिग के उद्देश्य निम्नानुसार है
1. व्यवस्थित रिकार्डस रखना: (Keeping systematic records) वित्तीय लेनदेनों को व्यवस्थित रखने के लिए अकाउंटिग की जाती है।अर्थात् एकाउंटिंग का प्रयोग रिकार्ड्स को सिस्टमेटिक तरीके से अर्रेन्ज़ करने के लिए किया जाता है।
2. संचालनात्मक लाभ अथवा हानि का पता लगाया जाना: (Detecting Operational Profit or Loss)अकाउंटिग यह पता लगाए जाने में सहायता करती है कि व्यवसाय के संचालन में शुद्ध लाभ (net profit) हो रहा है या हानि (net loss) हो रही है । किसी विशिष्ट समयाविधि (Timeline)के आय और व्यय का समुचित लेखाजोखा रखते हुए इसे सम्पन्न किया जाता है। समयावधि के अंत में लाभ और हानि खाता तैयार किया जाता है तथा उस समयावधि के लिए आय (Income)की मात्रा यदि व्यय (expense)की तुलना में अधिक होती है तो उस अर्जित आय को यहाँ पर प्रॉफिट या लाभ कहा जाता है आय की अपेक्षा व्यय अधिक होता है तो उसे हानि या लाॅस कहा जाता है।
4.व्यवसाय की वित्तीय स्थिति ज्ञात करना : (To know the financial position of the business)लाभ और हानि खाते द्वारा किसी विशिष्ट समयावधि के दौरान व्यवसाय में अर्जित किए गए लाभ अथवा हानि की मात्रा ज्ञात की जाती है। हालांकि, इतना ही पर्याप्त नहीं होता है। व्यापारी उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में अवश्य जानना चाहेगा अर्थात, बिज़नेस की स्थिति कैसी है यह जानकारी बैलेंस शीट से मिलती है ।
5. विवेकपूर्ण निर्णय लिए जाने की सुविधा प्रदान करना: (To make judicial decisions) एकाउंटिंग से सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
Business(व्यवसाय ) : साधारणत: ‘व्यवसाय’ शब्द से हमारा मतलब उन सभी मानवीय क्रियाओं से है जो कि धन उपार्जन के लिए की जाती हैं।
उदाहरणार्थ-कारखानों में विभिन्न तरह के माल को बनाना, किसानों द्वारा अनाज की उत्पत्ति किया जाना
1.Assets (सम्पत्ति) : सम्पत्तियो से आशय बिजनेस के आर्थिक स्त्रोत से है जिन्हें मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है, जिनका मूल्य होता है और जिनका उपयोग व्यापर के संचालन व आय अर्जन के लिए किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सम्पत्तियाँ वे स्त्रोत हैं जो भविष्य में लाभ पहुँचाते हैं।
उदाहरण के लिए, मशीन, भूमि, भवन, ट्रक, आदि।
assets को दो प्रकार की होती है –
a. Fixed Assets (स्थायी सम्पत्तियां ): फिक्स्ड असेट वे असेट्स होती है जिन्हें लंबे समय के लिए रखा जाता है ,फिक्स्ड असेट को व्यवसाय हेतु प्रयुक्त किया जाता है और संचालन की सामान्य प्रकिया में दुबारा बिक्री नहीं की जाती है।
उदाहरण- भूमि, भवन, मशीनरी, संयन्त्र, फर्नीचर
b. Current Assets (चालू संपत्तियां) : करंट असेट्स वे असेट्स होती है जिन्हें कम समय के लिए रखा जाता है करंट असेट की संचालन की सामान्य प्रकिया में दुबारा बिक्री की जाती है।
उदाहरण- देनदार, पूर्वदत्त व्यय, स्टॉक, प्राप्य बिल, आदि।
2. Liabilities(दायित्व): स्वामी के धन के अतिरिक्त बिज़नेस का वित्तीय दायित्व लाइबिलिटी कहलाता है। वह, धन जो व्यावसायिक उपक्रम को दूसरों को देना है, दायित्व कहा जाता है ,इस प्रकार दायित्व देयताएँ हैं, ये सभी राशियाँ हैं, जो लेनदारों को भविष्य में देय हैं।
उदाहरण- लेनदार, देय बिल, ऋण एवं अधिविकर्ष इत्यादि।
3.Capital (पूँजी) : उस धनराशि को पूँजी कहा जाता है जिसे व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में लगाता है। इसी राशि से व्यवसाय प्रारम्भ किया जाता है।
5. Goods (माल): ऐसी सभी चीजे गुड्स के अंतर्गत शामिल होती है जिन्हें पुनः विक्रय के लिए खरीदा जाता है ।अर्थात जिन वस्तुओ को व्यापारी खरीदते या बेचते है ।
उदाहरण -कच्चा माल, विनिर्मित वस्तुएँ अथवा सेवाएँ।
6. Sales (बिक्री) : विक्रय अथवा बिक्री विपणन की एक प्रक्रिया है जिसमें कोई उत्पाद अथवा सेवा को धन अथवा किसी अन्य वस्तु के प्रतिफल के रूप में दिया जाता है। बिक्री दो प्रकार की हो सकती है ।
a.Cash sales(नकद विक्रय )
b.Credit sales(उधार विक्रय)
7. Revenue (आय): यह व्यवसाय में कस्टमर्स को अपने उत्पादों की बिक्री से अथवा सेवाएँ उपलब्ध कराए जाने से अर्जित की गई राशियाँ होती हैं। इन्हें सेल्स रेवेन्यूज कहा जाता है। कहीं व्यवसायों के लिए रेवेन्यूज के अन्य आइटम्स एवं सामान्य स्त्रोत बिक्री, शुल्क, कमीशन, व्याज, लाभांश, राॅयल्टीज,प्राप्त किया जाने वाला किराया इत्यादि होते हैं।
8. Expense (व्यय) :आगम की प्राप्ति के लिए प्रयोग की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत को व्यय कहते हैं। ये वे लागते होती है जिन्हें किसी व्यवसाय से आय अर्जित करने की प्रकिया में व्यय किया जाता है। सामान्यत: एक्सपेसेंज को किसी अकाउंटिंग अवधि के दौरान असेट्स के उपभोग अथवा प्रयुक्त की गई सेवाओं की लागत से मापा जाता है।
उदाहरण :-विज्ञापन व्यय, कमीशन, ह्रास, किराया, वेतन, मूल्यहास, किराया, मजदूरी, वेतन, व्याज टेलीफोन इत्यादि ।
9. Expenditure: यह उपभोग किए गए संसाधनों की मात्रा है। आमतौर पर यह लम्बी अवधि की प्रकृति का होता है। इसीलिए, इसे भविष्य में प्राप्त किया जाना लाभदायक होता है।
10.Income (आय):आगम में से व्यय घटाने पर जो शेष बचता है, उसे आय (Income) कहा जाता है। व्यावसायिक गतिविधियों अथवा अन्य गतिविधियों से किसी संगठन के निवल मूल्य में होने वाली वृद्धि इनकम होती है। इनकम एक व्यापक शब्द है जिसमें लाभ भी शामिल होता है।
आय = आगम – व्यय
11. Profit (लाभ) : प्रॉफिट किसी लेखांकन वर्ष के दौरान व्ययों की अपेक्षा आय की वृद्धि को कहा जाता है। यह मालिक की इक्विटी में वृद्धि करता है।
12. Gain: गेन किसी समयावधि के दौरान इक्विटी (निवल सम्पति) में गुड्स के स्वरूप और स्थान तथा होल्डिंग की जाने वाली असेट्स में परिवर्तन से उत्पन्न होने वाला बदलाव होता है। यह केपिटल प्रकृति या रेवेन्यू प्रकृति में से कोई एक अथवा दोनों ही तरह का हो सकता है।
14. Turnover (टर्नओवर): एक निश्चित अवधि में केश और क्रेडिट सेल्स दोनों को मिलाकर कुल सेल्स को टर्नओवर कहते है ।
15. Proprietor(प्रोपराइटर): व्यवसाय में पूँजी निवेशित करने वाले व्यक्ति को उस व्यवसाय के प्रोपराइटर के रूप में जाना जाता है। यह व्यवसाय का संपूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकृत होता है। वह व्यवसायों करने में जोखिम वहन करता है तथा उसकी हानियों के लिए भी उत्तरदायी होता है।
16. Drawings (आहरण) : व्यापार का मालिक अपने व्यक्तिगत खर्च के लिए जो रूपया व्यापार से खर्च करता है या निकालता है वह आहरण कहलाता है जैसे किसी ने अपने व्यापार के रूपयो से बच्चों के स्कूल कि फीस भरी है तो वह आहरण कहलाती है खर्च नही कहलाता है यह मालिक द्वारा व्यक्तिगत उपयोग हेतु निकाली जानेे वाली नकद या अन्य असेट्स की राशि है।
17. Purchase(क्रय) :पुन विक्रय के लिए खरीदा गया माल क्रय कहा जाता है यह उधार नकद दोना तरीके से किया जा सकता है
उदाहरण – किसी कपडे के व्यापारी ने कपड़ा खरीदा है तो वह क्रय कहा जाता है लेकिन साज सजावट के लिए खरीदा गया फर्नीचर क्रय नही कहा जा सकता है
purchase दो प्रकार का होता है
a.Cash purchase(नकद क्रय )
b.Credit purchase(उधार क्रय)
18. Stock : यह किसी व्यवसाय के अतर्गत उपलब्ध माल, स्पेयर्स और अन्य आइटम्स जैसी चीजों का पैमाना है। इसे क्लोजिंग स्टॉक भी कहा जाता है। किसी व्यापार के अतंर्गत स्टॉक आॅन हैड माल की वह मात्रा होती है जिसे बैलेंस शीट तैयार किए जाने की दिनाकं तक बेचा नहीं गया होता है। इसे क्लोजिंग स्टॉक (एंडिग इन्वेटरी) भी कहा जाता है। किसी विनिमार्ण कम्पनी के अंतर्गत क्लोजिंग स्टॉक में यह कच्चा माल, आधा-तैयार माल और पूरी तरह से तैयार माल शामिल किया जाता है जो क्लोजिंग डेट पर हाथ में उपलब्ध रहता है। इसी प्रकार से, अकाउंटिंग ईयर (लेखा वर्ष) के प्रारंभ मे स्टॉक की मात्रा को ओपनिंग स्टॉक (प्रारंभिक इन्वेटरी) कहा जाता है।
19.Creditor(लेनदार): जिस व्यक्ति से हम उधार माल खरीदते है उसे हम creditor कहते है ।
20.Debtor(देनदार) : जिस व्यक्ति को हम उधार माल बेचते है उसे हम Debtors कहते है ।
21. Discount (डिस्काउंट) : यह रियायत का एक ऐसा प्रकार है जो व्यापारी द्वारा अपने कस्टमर्स को प्रदान किया जाता है।
Types of Accounts
(एकाउंट्स के प्रकार )
1) Personal Accounts
सभी व्यक्ति, सोसायटी, ट्रस्ट, बैंक और कंपनियों के खाते पर्सनल अकाउन्ट कहलाते हैं।
उदाहरण :– Trupti A/c, Krishna Sales A/c, Anil Traders A/c, State bank of India A/c
2) Real Accounts
Real Account में सभी Assets और Goods अकाउन्ट शामिल है।
उदाहरण :– Cash A/c, Furniture A/c, Building A/c
3) Nominal Accounts
बिजनेस से संबंधित सभी आय और खर्च नॉमिनल अकाउन्ट के अंतर्गत आते है।
उदाहरण : – Salary A/c, Rent A/c, Commission A/c, Advertisement A/c, Light Bill A/c.
Golden Rules of Accounts
Transaction करते समय, हमें डेबिट या क्रेडिट साइड का फैसला करना होता है। इसके निम्नलिखित नियम हैं –
Personal Accounts
पाने वाले को डेबिट
देने वाले को क्रेडिट
Debit : The Receiver or Debtor
Credit : The Giver or Creditor
Real Accounts
जो वस्तु व्यापार में आए उसे डेबिट करो
जो वस्तु व्यापार से जाए उसे क्रेडिट करो
Debit : What comes in
Credit : What goes out
Nominal Accounts
समस्त प्रकार के खर्चे और हानियों को डेबिट करो
समस्त प्रकार के आय और लाभों को क्रेडिट करो
Debit : All Expenses & Losses
Credit : All Incomes & Gains
व्यापार के प्रत्येक व्यापारिक लेन देन से दो पक्ष प्रभावित होते हैं| एक पक्ष पाने वाला होता है तथा दूसरा पक्ष देने वाला होता है, अत: प्रत्येक लेन देन का दोनों पक्षों में लेखा किया जाता है| यह दोहरा लेखा प्रणाली कही जाती हैI इस प्रणाली में कोई भी व्यापारिक सौदा तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है जब तक कि दोनों पक्षों में समान राशि से एक दूसरे के विपरीत लेखे न हो जाएँ|
Example:- राहुल द्वारा कपिल से रु. 1,000 प्राप्त किए जाते हैं। यह एक लेनदेन है। इस लेनदेन में राहुल द्वारा नकद प्राप्त किया गया है और कपिल ने यह नकद प्रदान किया है। इस तरह, यहाँ दो पक्ष है, राहुल द्वारा नकद प्राप्त करना और कपिल द्वारा भुगतान करना। कुछ निर्धारित नियमों के अनुसार इन पहलुओं में से एक डेबिट है और दूसरा क्रेडिट है ।
जर्नल शब्द को फ्रेंच भाषा के शब्द जो उर से व्युत्पन्न किया गया है, जिसका अर्थ डायरी होता है। जर्नल वस्तुत: मूल प्रविष्टी की वह बही होती है जिसमें व्यावसायिक लेनदेन (अथत्ति डेबिट और केडिट) के दोनों पहलुओं का प्राथमिक हिसाब उस क्रम में रिकॉर्ड किया जाता है जिसमें उसे सम्पन्न किया गया था अर्थात ऑर्डर दिनाकं के अनुसार रिकॉर्ड किया जाता है । जब कभी भी ट्रांजक्शन सम्पन्न किया जाता है तो उसे सीधे इस बहीं में दर्ज कर दिया जाता है और दोनों ही ट्रांजेक्शन के पहलुओं को सम्पन्न किए जाने के क्रम में व्यवस्थित रूप से दर्ज किया जाता है।
जर्नल को मूल हिसाब की बही अथवा प्राथमिक प्रविष्टी की बही के रूप में जाना जाता है क्योंकि सभी लेनदेन और घटनाओं को पहले इसी बही में दर्ज किया जाता है। जर्नल में लेनदेनो और घटनाओं को दर्ज किए जाने की प्रकिया जर्नलाइजिंग कहलाती है। जर्नल का स्वरूप नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार होता है ।
जर्नल फॉर्मेट में पाँच काँलम्स होते है ।
1. Date :- प्रथम कॉलम में दिनांक लिखी जाती है ।
2. Particular :- इस कॉलम में ट्रांजक्शन्स का विवरण दिया जाता है ।अर्थात लेनदेन के दोनों पक्षों डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष रिकॉर्ड किए जाते हैं ।
3. Ledger Folio number :-फोलियों का अर्थ है लेजर की पृष्ठ संख्या। सर्वप्रथम व्यावसायिक ट्रांजक्शन्स को जर्नल में दर्ज किया जाता है और बाद में इन्हें लेजर में पोस्ट कर दिया जाता है। इस कॉलम के अंतर्गत लेजर की वह पृष्ठ संख्या डाली जाती है जहाँ पर उस ट्रांजक्शन को रिकॉर्ड किया गया है।
4. Amount (Debit):- यह कॉलम खाते से डेबिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड करता है जिसे डेबिट किया जा चुका है।
5. Amount (Credit):- इस कॉलम में खाते से क्रेडिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड किया जाता है जिसे क्रेडिट किया जा चुका है।
हमारे जीवन मे अंकाउंट का काफी महत्त्व है। व्यवसाय में रिकार्ड को तैयार करना व उसे मेंटेन रखने के लिऐ, सरकारी कार्यलयों में विभिन्न खाते तैयार करने और व्यवसायियों के लिऐ यह काफी आवश्यक है। अकाउंटिंग प्रत्येक व्यक्ति के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना धन।
टैली का अर्थ रुपयो कि अकाउंटिंग करना गिनना व्यवस्थापन व रिकार्ड रखना है।माल कहा गया कहा से आया किस चीज़ पर व्यय हुआ आज कितना व्यय हुआ ।कितना माल निकाला किसने निकाला ये सब कार्य टैली के अन्तर्गत आते है।
Tally एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर हैं, जो Tally Solutions Pvt. Ltd एक बहुराष्ट्रीय भारतीय कम्पनी द्वारा निर्मित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हैं सामान्य बोलचाल में tally को अकाउंटिंग से ही जोड़कर देखा जाता हैं, अपने व्यापार में किसी कम्पनी के वितीय लेन-देन (इनकम/खर्चे) को लिखकर रखना ही एकाउंटिंग हैं। पहले के जमाने में इसे बहियों में हाथ से लिखकर रखा जाता हैं, समय के बदलाव के साथ ही, कम्पनी के अकाउंट को मेंटेन करने के लिए आज कंप्यूटर का उपयोग किया जाता हैं।
कंप्यूटर में जब एकाउंटिंग की बात आती हैं, तो एक ही सॉफ्टवेयर जेहन में आता हैं वो हैं टैली । व्यवसायिक व्यवहार और खातों को कंप्यूटर में सहेज कर रखने वाली टैली प्रदाता कम्पनी का मुख्य कार्यालय बेंगलोर में हैं । भारत के अलावा कई अन्य देशों में यह टैली सॉफ्टवेयर बेहद प्रचलित हैं, बिजनेस मैनेजमेंट में टैली सबसे महत्वपूर्ण पहलु हैं।
पुस्तको रजिस्टर डायरी मे हम स्केल पेन्सिल से लाइने खीच -खीच कर काॅलम बनाकर सब कुछ व्यवस्थित करते है और साथ मे गिनती के लिऐ केलकुलेटर भी रखते है।इस सब के बजाय कम्पयूटर पर एक साॅफ्टवेयर मिल जाता है जिस पर बिना परेशानी के काॅलम बनाना ग्राफ चेक करना एकाउंटिंग करना ,रिकॉर्ड रखना सब आसानी से किया जा सकता है बस यही टैली है।
जैसे कंम्पनी के कर्मचारियों के भुगतान,कंपनी के साधनो पर आय व्यय,बैंक के विभिन्न खाते,लेन – देन रिकोर्ड ये सब टैली के काम है।
बिजनेस के प्रकारो के विस्तार के साथ टैली का विकास व उपयोग भी अलग- अलग और आसानी से हो रहा है।
टैली भारत और विदेशों में सर्वाधिक लोकप्रिय फाइनेंशियल अकाउंटिंग साँफ्टवेयर है। अपने आसान उपयोग, सरलता, यूजर अनुकूलता और विश्वसनीयता की वजह से ही इसने चार्टर्ड अकाउंटेंट्रस, अॅाडिटर्स एवं अन्य वित्तीय संस्थानों के मध्य ख्याति अर्जित की है। छोटे व्यवसाय से लेकर वृहद प्रतिष्ठान तक लगभग प्रत्येक कम्पनी द्वारा अपने लेखांकन प्रयोजन हेतु टैली का प्रयोग किया जा रहा है। वे कंप्यूटर का उपयोग जानने वाले और टैली में प्रशिक्षित कर्मचारी चाहते हैँ। पारंपरिक बही खाता लेखन विधियों को पूरी तरह से टैली के साथ प्रतिस्थापित किया जा चुका है।
टैली का प्रारंभिक रिलीज Tally 4.5 version था । इस Dos आधारित Software को 1990 के दशक के प्रारंभ में जारी किया गया था। यह बुनियादी वित्तीय लेखांकन उपकरण था। उन दिनों पर्सनल कंप्यूटर्स भारत में लोकप्रियता अर्जित कर रहे थे। Peutronics (टैली को विकसित करने वाली कम्पनी) ने इस सुअवसर का लाभ उठाया और बाजार में अपना टैली 4.5 Version प्रस्तुत कर दिया। मोटी-मोटी जिल्द की गई बहियों की भारी-कम मात्रा को हिसाब-किताब हेतु प्रयुक्त करने वाले लेखा परीक्षक और अकाउंटेंट्स कुछ ही पलों के भीतर बैलेंस शीट्स एवं लाभ-हानि खातों की गणना करने की टैली की क्षमता देखकर हैरान रह गए। इतना सब कुछ करने के लिए हमें मात्र लेजर्स निर्मित करना और वाउचर्स में एंट्री करनी होती हैं। शेष कार्य टैली करता है। वह हमारे लिए सभी स्टेटमेंट्स, ट्रायल बैलेंस और बैलेंस शीट बना देगा।
टैली के आगे चलकर Tally 5.4, Tally 6.3, Tally 7.2 Tally 8.1 और Tally 9.0 version जारी किये गए। इन संस्करणों के अंतर्गत कंपनी के स्टॉक प्रबंधन हेतु प्रयुक्त होने वाली इनवेंटरी, कर्मवारियों की वेतन गणना एवं मजदूरी भुगतानों के लिए प्रयुक्त होने वाले पेरोल हेतु समर्थन और हिन्दी, तमिल, तेलगु, कन्नड, मलयालम, गुजराती, मराठी व अन्य बहुत सी भारतीय भाषाओं के लिए बहुभाषी समर्थन सम्मिलित किया गया है।
Features of Tally
प्रतिस्पर्धा और बढते व्यवसाय की इस दुनिया में जहाँ टैली ने सभी सीमाओं को पार कर लिया है वहीं यह एक ऐसा सर्वश्रेष्ठ, विश्वसनीय, तीव्रतम अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर बन गया है जो व्यवसाय की जटिलता अकाउंटिंग आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। टैली एक ऐसा सर्वाधिक शक्तिशाली, बहुभाषी और बिजनेस अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है जो विभिन्न अकाउंटिंग स्टॉक और अन्य सर्वाधिक रिपोर्ट्स को एक ही बटन के क्लिक पर रिकॉर्ड करते हुए पब्लिश करने में सहायता प्रदान करता है। इस अनोखे अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में निहित विभिन्न फीचर्स और इसके लाभ निम्नानुसार हैं।
टैली का उपयोग करना अत्यंत सरल है क्योंकि इसे त्वरित्त (तुरंत) डेटा एंट्री और पलक झपकने की गति से अकाउंटिंग संबंधी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है।
यह user द्वारा Selected language में अकाउंटिंग रिकार्डस को रिकॉर्ड करने, उन्हें देखने और उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। यह टैली के महत्वपूर्ण फीचर्स में से एक है।
यह 99999 कंपनीज का रिकार्ड एक साथ सुरक्षित रखने की अनुमति प्रदान करता है।
टैली के प्रमुख फीचर्स में से एक यह है कि यह उन कंपनीज के लिये रिपोर्ट्स क्रिएट करने में सक्षम बनाता है जहाँ पर एक से अधिकलोकेशन्स के अकाउट्स का प्रबंधन किया जाता है।
टैली द्वारा एक से अधिक विस्तृत डेटा को समतुल्य और अपडेट किया जाता है।
टैली द्वारा कलेक्शन रिमाइंडर्स दिया जाना सुनिश्चित करते हुये बेहतर नकदी प्रवाह में सहायता की जाती है जो ब्याज की बचत में भी सहायक होता है।
टैली भुगतान के मामले मेंखराब डेबिटर्स और बकाएदारों की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
टैली हमें कंपनी की उस इनवेटरी के प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है जो प्रोडक्ट अनुसार इनवेटरी लेवल ज्ञात करने में सक्षम होती है तथा यूजर द्वारा तय स्तर पर विभिन्न प्रोडक्ट्स के लिये रीआर्डर लेवल ज्ञात करने में भी सक्षम होती है।
टैली के फीचर्स में प्रोडक्ट अनुसार तथा इनवॉइस अनुसार लाभदेयता विश्लेषण (cost benefit analysis) तैयार करना भी शामिल है।
टैली के उपयोगी लाभों में से एक यह है कि यह हमें एकाधिक अवधियों के लिये परफॉर्मेंस लेवल्स को समझने तथा विश्लेषित करने में सक्षम बनाता है। यह हमें कस्टमर बाइंग पैटर्न समझने में सक्षम बनाता है।
यह स्टॉक की ट्रेकिंग (निगरानी) में सक्षम है ।
यह हमें एक से अधिक वेयरहाउस लोकेशन पर निगरानी करने में सक्षम बनाता है जिससे हमें कंडीशन के आधार पर निर्णय लेने में सुविधा होती है ।
टैली विभिन्न अकाउंटिंग अनुपातों की गणना करने में सक्षम है जो कार्य-निष्पादन की निगरानी करने में सहायता करते है और शीर्घ एवं सही निर्णय लेने में सक्षम बनाते है।
यह हमें लागत और लाभ केद्र का विश्लेषण (cost center analysis) करने में सक्षम बनाता है। यह टैली के सबसे उपयागी फीचर्स मे से एक है ।
Tally screen components
टैली में कार्य प्रारंभ करने के पूर्व टैली स्क्रीन के विभिन्न कंपोनेंट्स के साथ अपने आपको परिचित कर लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस स्क्रीन में शामिल विभिन्न कम्पोनेंट्स निम्नानुसार होते हैं।
1. Title Bar :- Tally का Version दिखाता है ।
2. Horizontal button bar :– Language key,Key board और Tally help को select करने का आप्शन प्रोवाइड करता है।
3. Minimize button :- स्टैंडर्ड विंडोज आपरेटिंग सिस्टम्स फंक्शन निष्पादित करता है, हमें टैली को मिनिमाइज करने और अन्य एप्लिकेशन्स पर कार्य करने की अनुमति देता है। टैली को रीस्टोर करने के लिए टास्कबार पर टैली के आइकॉन को क्लिक करें।
4. Gateway of Tally :- मेन्यूज, स्क्रीन्स, रिपोर्टस् प्रदर्शित करता है तथा उन विकल्पों व आंप्शन्स को स्वीकार करता है,जिन्हें हम डेटा
को अपनी इच्छानुसार देखने हेतु चुनते हैं।
5. Button tool bar :- टैली के साथ त्वरित सहभागिता प्रदान करने वाले बटन्स दर्शाता है। केवल वे ही बटन्स दिखाई देते हैं जो वर्तमान कार्य से संबंधित होते हैं।
6. Calculator :- कैलक्यूलेटर का प्रयोग कैलकुलेशन करने के लिए किया जाता है।
7. Bottom Pen :- Version , रिलीज संबंधी डिटेल , वर्तमान दिनांक व सिस्टम टाईम दर्शाता है।
8. Language Button :– यूजर को लैंग्वेज कॉन्फ़िगर करने की अनुमति देता है।
9. Keyboard Button :- यूजर को फोनेटिक कीबोर्ड हेतु लैंग्वेज कॉन्फ़िगर करने की अनुमति देता है।
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