जिस प्रकार सड़क पर वन वे, टू वे होता है | ठीक उसी प्रकार कम्युनिकेशन चैनल के मोड होते हैं| कम्युनिकेशन चैनल तीन प्रकार के होते है सिम्पलेक्स (Simplex), अर्द्ध ड्यूप्लेक्स (Half Duplex) और पूर्ण ड्यूप्लेक्स (Full Duplex)|
सिम्पलेक्स (Simplex):-
इस अवस्था में डाटा का संचरण सदैव एक ही दिशा में होता हैं| अर्थात हम अपनी सूचनाओ को केवल भेज सकते है प्राप्त नहीं कर सकते सिम्पलेक्स कम्युनिकेशन कहलाता हैं |
उदाहरणार्थ- कीबोर्ड, कीबोर्ड से हम केवल सूचनाये भेज सकते है प्राप्त नहीं कर सकते |
अर्द्ध ड्यूप्लेक्स (Half Duplex):-
इस अवस्था में डाटा का संचरण दोनों दिशाओ में होता है लेकिन एक समय में एक ही दिशा में संचरण होता है| यह अवस्था वैकल्पिक द्वि-मार्गी (Two way alternative) भी कहलाती है| अर्थात् इस अवस्था में हम अपनी सूचनाओ को एक ही समय में या तो भेज सकते है या प्राप्त कर सकते है| उदाहरणार्थ- हार्डडिस्क (Hard disk), हार्डडिस्क से डाटा का आदान प्रदान अर्द्ध ड्यूप्लेक्स (Half Duplex) अवस्था में होता है| जब हार्डडिस्क पर डाटा संगृहीत (Save) किया जाता है तो उस समय डाटा को हार्डडिस्क से पढ़ा नहीं जा सकता है और जब हार्डडिस्क से डाटा को पढ़ा जाता है तो उस समय हम डाटा को संगृहीत (Save) नहीं कर सकते |
पूर्ण ड्यूप्लेक्स (Full Duplex):-
इस अवस्था में डाटा का संचरण एक समय में दोनों दिशाओं में संभव होता है हम एक ही समय में दोनों दिशाओ में सूचनाओं का संचरण कर सकते है | अर्थात हम एक ही समय में सूचनाएं भेज भी सकते है और प्राप्त भी कर सकते है पूर्ण ड्यूप्लेक्स (Full Duplex) कहलाता हैं |
उदाहरणार्थ- Smart Phone
LAN :- इसका पूरा नाम Local Area Network है यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है| लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है इसे संक्षेप में लेन कहा जाता हैं| यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो स्थानीय इलाकों जैसे- घर, कार्यालय, या भवन समूहों को कवर करता है|
विशेषताये:-
यह एक कमरे या एक बिल्डिंग तक सीमित रहता है |
इसकी डाटा हस्तांतरित (Data Transfer) Speed अधिक होती है |
इसमें बाहरी नेटवर्क को किराये पर नहीं लेना पड़ता है |
इसमें डाटा सुरक्षित रहता है |
इसमें डाटा को व्यवस्थित करना आसान होता है |
MAN:- इसका पूरा नाम Metropolitan Area Network हैं यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाइट प्रति सेकंड या इससे अधिक गति से डाटा को 75 कि.मी. की दूरी तक ले जा सकता है| यह लेन (LAN) से बड़ा तथा वेन (WAN) से छोटा नेटवर्क होता है | इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ा जाता है |
इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क एक साथ जुड़े होते हैं. यह एक शहर के सीमाओ के भीतर का स्थित कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं. राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता हैं.
विशेषताये:-
इसका रखरखाव कठिन होता है |
इसकी गति उच्च होती है |
यह 75 कि.मी. की दूरी तक फैला रहता है |
WAN:- इसका पूरा नाम Wide Area Network होता है | यह क्षेत्रफल की द्रष्टि से बड़ा नेटवर्क होता है| यह नेटवर्क न केवल एक बिल्डिंग, न केवल एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करता है अर्थात् यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है |
इस नेटवर्क मे कंप्यूटर आपस मे लीज्ड लाइन या स्विच सर्किट के दुवारा जुड़े रहते हैं. इस नेटवर्क की भौगोलिक परिधि बड़ी होती है जैसे पूरा शहर, देश या महादेश मे फैला नेटवर्क का जाल. इन्टरनेट इसका एक अच्छा उदाहरण हैं. बैंको का ATM सुविधा वाईड एरिया नेटवर्क का उदाहरण हैं.
विशेषताये:-
यह तार रहित नेटवर्क होता है|
इसमें डाटा को संकेतो (Signals) या उपग्रह (Sate light) के द्वारा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है |
यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है |
इसके द्वारा हम पूरी दुनिया में डाटा ट्रान्सफर कर सकते है |
टोपोलॉजी नेटवर्क की आकृति या लेआउट को कहा जाता है | नेटवर्क के विभिन्न नोड किस प्रकार एक दुसरे से जुड़े होते है तथा कैसे एक दुसरे के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करते है, उस नेटवर्क को टोपोलॉजी ही निर्धारित करता है टोपोलॉजी फिजिकल या लौजिकल होता है|
Computers को आपस में जोडने एवं उसमें डाटा Flow की विधि टोपोलाॅजी कहलाती है। टोपोलॉजी किसी नेटवर्क में कम्प्यूटर के ज्यामिति व्यवस्था (Geometric arrangement) को कहते है |
“Topology is a Layout of Networks”
नेटवर्क टोपोलॉजी सामान्यत: निम्नलिखित प्रकार की होती है:-
रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)
मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) –
इस कम्प्यूटर में कोई होस्ट, मुख्य या कंट्रोलिंग कम्प्यूटर नही होता | इसमें सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार आकृति में लगे होते है प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ (Subordinate) कम्प्यूटर से जुड़े होते है, किन्तु इसमें कोई भी कम्प्यूटर स्वामी नही होता है | इसे सर्कुलर (Circular) भी कहा जाता है |
रिंग नेटवर्क (Ring Network) में साधारण गति से डाटा का आदान-प्रदान होता है तथा एक कम्प्यूटर से किसी दुसरे कम्प्यूटर को डाटा (Data) प्राप्त करने पर उसके मध्य के अन्य कंप्यूटरो को यह निर्धारित करना होता है कि उक्त डाटा उनके लिए है या नही | यदि यह डाटा उसके लिए नही है तो उस डाटा को अन्य कम्प्यूटर में आगे (Pass) कर दिया जाता है |
लाभ (Advantages) –
यह नेटवर्क अधिक कुशलता से कार्य करता है, क्योकि इसमें कोई होस्ट (Host) यह कंट्रोलिंग कम्प्यूटर (Controlling Computer) नही होता |
यह स्टार से अधिक विश्वसनीय है, क्योकि यह किसी एक कम्प्यूटर पर निर्भर नही होता है |
इस नेटवर्क की यदि एक लाइन या कम्प्यूटर कार्य करना बंद कर दे तो दुसरी दिशा की लाइन के द्वारा काम किया जा सकता है |
हानि (Disadvantages) –
इसकी गति नेटवर्क में लगे कम्प्यूटरो पर निर्भर करती है | यदि कम्प्यूटर कम है तो गति अधिक होती है और यदि कंप्यूटरो की संख्या अधिक है तो गति कम होती है |
यह स्टार नेटवर्क की तुलना में कम प्रचलित है, क्योकि इस नेटवर्क पर कार्य करने के लिए अत्यंत जटिल साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है |
बस टोपोलॉजी (Bus Topology) –
बस टोपोलॉजी (Bus Topology) में एक ही तार (Cable) का प्रयोग होता है और सभी कम्प्यूटरो को एक ही तार से एक ही क्रम में जोड़ा जाता है | तार के प्रारम्भ तथा अंत में एक विशेष प्रकार का संयंत्र (Device) लगा होता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते है | इसका कार्य संकेतो (Signals) को नियंत्रण करना होता है |
लाभ (Advantages) –
बस टोपोलॉजी को स्थापित (Install) करना आसान होता है
इसमें स्टार व ट्री टोपोलॉजी की तुलना में कम केबिल उपयोगी होता है |
हानि (Disadvantages) –
किसी एक कम्प्यूटर की खराबी से सारा डाटा संचार रुक जाता है |
बाद में किसी कम्प्यूटर को जोड़ना अपेक्षाकृत कठिन है |
स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) –
इस नेटवर्क में एक होस्ट कम्प्यूटर होता है जिसे सीधे विभिन्न लोकल कंप्यूटरो से जोड़ दिया जाता है | लोकल कम्प्यूटर आपस में एक-दुसरे से नही जुड़े होते हैं इनको आपस में होस्ट कम्प्यूटर द्वारा जोड़ा जाता है | होस्ट कम्प्यूटर द्वारा ही पूरे नेटवर्क को कंट्रोल किया जाता है |
लाभ (Advantages) –
इस नेटवर्क टोपोलॉजी में एक कम्प्यूटर से होस्ट (Host) कम्प्यूटर को जोड़ने में लाइन बिछाने की लागत कम आती है |
इसमें लोकल कम्प्यूटर की संख्या बढाये जाने पर एक कम्प्यूटर से दुसरे कम्प्यूटर पर सूचनाओ के आदान-प्रदान की गति प्रभावित नही होती है, इसके कार्य करने की गति कम हो जाती है क्योकि दो कम्प्यूटर के बीच केवल होस्ट (Host) कम्प्यूटर ही होता है|
यदि कोई लोकल कम्प्यूटर ख़राब होता है तो शेष नेटवर्क इससे प्रभावित नही होता है|
हानि (Disadvantages) –
यह पूरा तंत्र होस्ट कम्प्यूटर पर निर्भर होता है | यदि होस्ट कम्प्यूटर ख़राब हो जाय तो पूरा का पूरा नेटवर्क फेल हो जाता हैं |
मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology) –
मेश टोपोलॉजी को मेश नेटवर्क (Mesh Network) या मेश भी कहा जाता है | मेश एक नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमे संयंत्र (Devices) नेटवर्क नोड (Nodes) के मध्य कई अतिरिक्त अंत: सम्बन्ध (Interconnections) से जुड़े होते है | अर्थात मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड नेटवर्क के अन्य सभी नोड से जुड़े होते है |
मेश टोपोलॉजी में सारे कंप्यूटर कही न कही एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और एक दूसरे से जुड़े होने के कारण ये अपनी सूचनाओ का आदान प्रदान आसानी से कर सकते हैं | इसमें कोई होस्ट कंप्यूटर नहीं होता हैं|
ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology) –
ट्री टोपोलॉजी में स्टार तथा बस दोनों टोपोलॉजी के लक्षण विधमान होते है | इसमें स्टार टोपोलॉजी की तरह एक होस्ट कंप्यूटर होता है और बस टोपोलॉजी की तरह सारे कंप्यूटर एक ही केबल से जुड़े रहते हैं | यह नेटवर्क एक पेड़ के समान दिखाई देता हैं |
लाभ (Advantages) –
प्रत्येक खण्ड (Segment) के लिए प्वाइन्ट तार बिछाया जाता है |
कई हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर विक्रेताओ के द्वारा सपोर्ट किया जाता है |
हानि (Disadvantages) –
प्रत्येक खण्ड (Segment) का कुल लम्बाई प्रयोग में लाये गए तार के द्वारा सीमित होती है |
यदि बैकबोन लाइन टूट जाती है तो पूरा खण्ड (Segment) रुक जाता है |
अन्य टोपोलॉजी की अपेक्षा इसमें तार बिछाना तथा इसे कन्फीगर (Configure) करना कठिन होता है |
VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। वायरस कम्प्यूटर में छोटे- छोटे प्रोग्राम होते है। जो auto execute program होते जो कम्प्यूटर में प्रवेष करके कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते है। वायरस कहलाते है।
वायरस एक द्वेषपूर्ण प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के डाटा को क्षतिग्रस्त करता है। यह कंप्यूटर डाटा मिटाने या उसे खराब करने का कार्य करता है। वायरस जानबूझकर लिखा गया प्रोग्राम है। यह कंप्यूटर के बूट से अपने को जोड़ लेता है और कंप्यूटर जितनी बार बूट करता है वायरस उतना ही अधिक फैलता है। वायरस हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में प्रवेश कर के हार्ड डिस्क की गति को धीमा कर देता है प्रोग्राम चलने से भी रोक सकता है। कई वायरस काफी समय पश्चात भी डाटा और प्रोग्राम को नुकसान पंहुचा सकते हैं। किसी भी प्रोग्राम से जुड़ा वायरस तब तक सक्रीय नहीं होता जब तक प्रोग्राम को चलाया न जाय। वायरस जब सक्रीय होता है तो कंप्यूटर मेमोरी में अपने को जोड़ लेता है और फैलने लगता है
प्रोग्राम वायरस प्रोग्राम फ़ाइल को प्रभावित करता है। बूट वायरस बूट रिकॉर्ड , पार्टीशन और एलोकेशन टेबल को प्रभावित करता है। कंप्यूटर में वायरस फैलने के कई कारण हो सकते हैं। संक्रमित फ्लापी डिस्क , संक्रमित सीडी या संक्रमित पेन ड्राइव आदि वायरस फ़ैलाने में सहायक हैं। ई-मेल , गेम , इंटरनेट फाइलों द्वारा भी वायरस कंप्यूटर में फ़ैल सकता है।
वायरस को पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है। वायरस इन्फेक्शन के गंभीर रूप लेने से पहले कम्प्यूटर में उनके संकेत दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए पढ़ें निम्नलिखित प्वाइंट्स:
जब कंप्यूटर धीमा हो : कम्प्यूटर बहुत धीमा हो गया है और किसी भी सॉफ्टवेयर को खोलने में ज्यादा समय ले रहा है, तो इसका मतलब है कि उसकी मेमोरी और सीपीयू का एक बड़ा हिस्सा वायरस या स्पाईवेयर की प्रोसेसिंग में व्यस्त है। ऐसे में कंप्यूटर शुरू होने और इंटरनेट एक्सप्लोरर पर वेब पेज खुलने में देर लगती है।
ब्राउजर सेटिंग्स में बदलाव : आपके ब्राउजर का होमपेज अपने आप बदल गया है, तो बहुत संभव है कि आपके कम्प्यूटर में किसी स्पाईवेयर का हमला हो चुका है। होमपेज उस वेबसाइट या वेब पेज को कहते हैं, जो इंटरनेट ब्राउजर को चालू करने पर अपने आप खुल जाता है।
आमतौर पर हम टूल्स मेन्यू में जाकर अपना होमपेज सेट करते हैं, जो अमूमन आपकी पसंदीदा वेबसाइट, सर्च इंजन या ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सविर्स जैसे ई-मेल आदि होता है। पीसी में घुसा स्पाईवेयर आपको किसी खास वेबसाइट पर ले जाने के लिए इसे बदल देता है।
कंप्यूटर का हेंग होना : जब कम्प्यूटर बार-बार जाम या अचानक हेंग होने लगा है, तो समझ जाएं कि यह इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। खासकर तब, जब आपने कम्प्यूटर में कोई नया सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर भी इंस्टॉल न किया हो।
पॉप अप विंडोज : इंटरनेट ब्राउजर को चालू करते ही उसमें एक के बाद एक कई तरह की पॉप अप विंडोज खुलने लगती हैं, तो हो सकता है कि इनमें से कुछ में किसी खास चीज या वेबसाइट का विज्ञापन किया गया हो या फिर वे अश्लील वेबसाइट्स के लिंक्स से भरी पड़ी हों।
जब अजीब से आइकन बनने लगें: आपके डेस्कटॉप या सिस्टम ट्रे में अजीब किस्म के आइकन आ गए हों, जबकि आपने ऐसा कोई सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल नहीं किया है। क्लिक करने पर वे तेजी से अश्लील वेबसाइट्स को खोलना शुरू कर देते हैं।
अनजाने फोल्डर और फाइलें : आपके कम्प्यूटर की किसी ड्राइव या डेस्कटॉप पर कुछ ऐसे फोल्डर दिखाई देते हैं जिन्हें आपने नहीं बनाया। उनके अंदर कुछ ऐसी फाइलें भी हैं, जिन्हें न तो आपने बनाया और न ही वे किसी सॉफ्टवेयर के इंस्टॉलेशन से बनीं। इसके अलावा उन्हें डिलीट करने के बाद भी वे कुछ समय बाद फिर से आ जाती हैं।
वायरस फैलने के कई कारण हो सकते है | इसके संक्रमण के मुख्य कारण इस प्रकार है–
चोरी किये गये सॉफ्टवेयर से (Using A pirated Software)
नेटवर्क प्रणाली से (Through Network System)
दुसरे संग्रह के माध्यम से (Through Secondary Storage Device)
इन्टरनेट से (Through Internet)
चोरी की गई सॉफ्टवेयर से (Using A Pirated Software) – जब कोई सॉफ्टवेयर गैर कानूनी ढंग से प्राप्त किया गया हो, तो इसे चोरी किये गये साफ्टवेयर कहते है|
नेटवर्क प्रणाली से (Through Network System) – आज कल सभी कंप्यूटर्स को एक दूसरे से जोड के रखा जाता है और कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े होने के कारण डाटा को आसानी से हस्तांतरित किया जा सकता है तब यह पूरे नेटवर्क पर वायरस के संक्रमण का कारण बनता है|
द्वितीयक संग्रह के माध्यम से (Through Secondary Storage Device) – जब कोई डाटा द्वितीयक संग्रह के माध्यम से स्थानांतरित या कॉपी किया जाता है तो उसका वायरस भी उसमे स्थानांतरित हो जाता है तथा यह संक्रमण (Virus) का कारण बनता है|
इन्टरनेट से (Through Internet) – आज इन्टरनेट को वायरस संक्रमण का मुख्य वाहक माना जाता है आज सारी दुनिया इन्टरनेट से जुडी हुई है और सूचनाओ का आदान प्रदान भी अधिक होता है | आज सबसे ज्यादा वायरस फैलने का कारण इन्टरनेट ही हैं|
कम्प्यूटर वायरस के प्रकार( Types of Computer Virus)
बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus) – इस प्रकार के वायरस फ्लापी तथा हार्डडिस्क के बूट सेक्टर में संगृहीत होते है| जब कम्प्यूटर को प्रारम्भ करते है तब यह आपरेटिंग सिस्टम को लोड होने में बाधा डालते है और यदि किसी तरह आपरेटिंग सिस्टम कार्य करने लगता है तब यह कम्प्यूटर के दुसरे संयंत्रो को बाधित करने लगते है|
पार्टीशन टेबल वायरस (Partition Table Virus) – इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क के विभाजन तालिका को नुकसान पहुचाते है| इनसे कम्प्यूटर के डाटा को कोई डर नही होता| यह हार्डडिस्क के मास्टर बूट रिकार्ड को प्रभावित करता है तथा निम्नलिखित परिणाम होते है|
यह मास्टर बूट रिकार्ड के उच्च प्राथमिकता वाले स्थान पर अपने आप को क्रियान्वित करते है|
यह रैम की क्षमता को कम कर देते है|
यह डिस्क के इनपुट/आउटपुट नियंत्रक प्रोग्राम में त्रुटी उत्पन्न करते है|
फ़ाइल वायरस (File Virus) – यह वायरस कंप्यूटर की Files को नुकसान पहुचता है यह .exe फ़ाइल को नुक्सान पहुचता हैं इन्हें फाइल वायरस कहा जाता हैं|
गुप्त वायरस (Stealth Virus) – गुप्त वायरस अपने नाम के अनुसार कम्प्यूटर में User से अपनी पहचान छिपाने का हर संभव प्रयास करते है| इन्हें गुप्त वायरस कहा जाता हैं|
पॉलिमार्फिक वायरस (Polymorphic Virus) – यह वायरस अपने आप को बार – बार बदलने की क्षमता रखता है ताकि प्रत्येक संक्रमण वास्तविक संक्रमण से बिल्कुल अलग दिखे | ऐसे वायरस को रोकना अत्यंत कठिन होता है क्योकि प्रत्येक बार ये बिल्कुल अलग होता है |
मैक्रो वायरस (Macro Virus) – मैक्रो वायरस विशेष रूप से कुछ विशेष प्रकार के फ़ाइल जैसे डाक्यूमेंट, स्प्रेडशीट इत्यादि को क्षतिग्रस्त करने के लिए होते है | ये वायरस केवल Micro Software Office की फाइलों को नुकसान पहुचता हैं|
वायरस निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Program)
हमारे कंप्यूटर में वायरस को खोजकर उसे नष्ट करने के लिए बनाये गए प्रोग्राम का एंटीवायरस (ANTI VIRUS) है। एंटी वायरस एक प्रोग्राम है जो की हमारे कंप्यूटर में वायरस को खोजता है और उन्हें नष्ट करता है। कंप्यूटर के लिए एंटी वायरस बहुत जरुरी होता है। एंटीवायरस किसी वायरस के सक्रीय होने पर आपको सूचित करता है। एंटी वायरस के द्वारा समय समय पर कंप्यूटर को स्कैन भी किया जा सकता है। आज के समय में कई एंटीवायरस बाजार में और इंटरनेट पर उपलब्ध है। कुछ मुख्य एंटीवायरस इस प्रकार हैं-
नॉर्टन (NORTAN) , अवीरा (AVIRA), मकैफ़ी (Mcafee) , अवास्ट (AVAST) आदि।
इनका ऑटो प्रोडक्ट इस्तेमाल से पहले प्रोग्राम और ईमेल का जाँच करके उसे वायरस मुक्त बनाता है। यदि आपके कंप्यूटर में कोई वायरस सक्रीय हो रहा है या हो गया है तो आपको ये सूचित करता है। अब बात आती है की एंटीवायरस के प्रयोग द्वारा कंप्यूटर को कैसे सुरक्षित रखा जाय-
1. अपने कंप्यूटर को वायरस मुक्त रखने के लिए समय समय पर एंटी वायरस द्वारा स्कैन किया जाना चाहिए।
2. जब भी आप अपने कंप्यूटर में अलग से मेमोरी लगाएं तो उसे एंटीवायरस द्वारा जरूर स्कैन करें।
3.कंप्यूटर में सीडी लगाते समय ये देख ले की सीडी पर कोई स्क्रेच तो नहीं है। सीडी लगाने के बाद उसे स्कैन जरूर करें।
4.अगर आपको एंटीवायरस द्वारा स्कैन करने पर कोई वायरस मिलता है तो उसे नस्ट कर दे।
5. गेम को कंप्यूटर में रन करने से पहले स्कैन जरूर कर लें।
6. आप कभी भी फ्री एंटीवायरस का प्रयोग अपने कंप्यूटर में न करें। कुछ एंटीवायरस आपको फ्री ट्रॉयल देती है कुछ समय यूज़ करने के लिए आप उसका प्रयोग करके देख सकते हैं की आपके कंप्यूटर में कौन सा एंटीवायरस सही काम कर रहा है।
7. जो एंटीवायरस आपके कंप्यूटर में सही काम करे उसे ही अपने कंप्यूटर में रखें।
8. एंटीवायरस को समय-समय पर अपडेट जरूर करें।
9. आप अपने कंप्यूटर के लिए अच्छा एंटीवायरस ही खरीदें मुफ़्त एंटीवायरस पर ध्यान न दे।
10.एक बार में एक ही एंटीवायरस रखेँ अपने कंप्यूटर पर इससे आपके कंप्यूटर की स्पीड अच्छी रहेगी।
वायरस को खोजने तथा उन्हें समाप्त करने के लिए कई उपाय (Tools) है जिनके विवरण निम्नलिखित है–
प्रिवेंटर तथा चेक समर (Preventers And Check Summers):- प्रिवेंटर एंटी वायरस यधपि निरोधक प्रोग्रामो के लाभ बहुत है, परन्तु यह अपने लिए मेमोरी में स्थान घेरते है तथा कम्प्यूटर सिस्टम की गति को भी कम करते है तथा नये वायरसों को पकड़ पाने में भी बहुत अधिक सक्षम नही होते | किन्तु, इस प्रकार की निति कम समय के उपचार के लिए तथा द्रढ़ वायरस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए उपयोगी है | अधिकतर एंटी-वायरस पैकेज निरोधक प्रोग्राम के साथ आते है जो सिस्टम को वायरस संक्रमित होने से पहले वायरस को ढूढ़ने में सहायक होते है |चेक समर (Check Summers) का प्रयोग क्रियान्वित योग्य फ़ाइलो के सामग्री में वृद्धी की सुचना देते है | जब कोई वायरस कम्प्यूटर के अन्दर प्रवेश करता है तो वह आवश्यक रूप से क्रियान्वयन फ़ाइलो (Executable files) में बदलाव लता है | इस अवस्था में चेक समर पत्येक क्रियान्वयन योग्य फ़ाइलो से जुडी हुई चेक सम (Check Sum) अथवा सायकालिक रिडन्नसी चेक (Cyclic Redundancy Check) से सम्बंधित सुचना को रखता है तथा कोई भी बदलाव होने पर प्रयोक्ता को सूचित करता है| चेक समर प्रयोक्ता को केवल बदलाव के संबंधन में सूचित कर सकता है परन्तु यह किसी भी प्रकार के वायरस संक्रमण से कम्प्यूटर की सुरक्षानही कर सकता | गुप्त वायरस (Stealth Viruses) के प्रवेश को चेक समर जानने में सक्षम नही होते है | अधिकतर निरोधक प्रोग्राम में चेक समर की सुविधा होती है |
स्कैनर (Scanners):- स्कैनर प्रोग्राम मेमोरी में तथा प्रोग्राम फाइलों में उपस्थित वायरस के बारे में प्रयोक्ता (User) को बताते है तथा यह भी निश्चित करते है कि कप्यूटर संक्रमित है अथवा नही | अधिकतर स्कैनर मेमोरी तथा फाइल दोनों की जाँच करते है | स्कैनर केवल संक्रमण (Virus) की सुचना देते है, वह संक्रमण (Virus) को समाप्त नही कर सकते |
रिमूवर(removers):- जब कोई कम्प्यूटर वायरस से ग्रस्त हो जाता है तो इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ विशेष कम्पुटर प्रोग्राम होते है जो पहले पूरे सिस्टम (system) में वायरस की जाँच करते है तथा बाद में वायरस को समाप्त कर इसे ठीक करते है | इस प्रकार के प्रोग्राम को वायरस विरोधी प्रोग्राम (Anti Virus Program) कहते है|
NORTAN Anti virus:- NORTAN Anti Virus सबसे शक्तिशाली एंटीवायरस है जिसके द्वारा Virus को पकड़ा जा सकता है यह ई-मेल के द्वारा आये हुए वायरसो को भी आसानी से पकड़ सकता हैं | NORTAN Anti Virus का प्रमुख कार्य वायरस को पकड़ कर उसे हार्डडिस्क या फ्लॉपी डिस्क से हटाना है| यह एक ऐसा एंटीवायरस है जो न केवल Virus को हटाता है बल्कि बाद में आने वाले Virus को भी आने से रोकता है |