MS DOS का पूरा नाम Microsoft Disk Operating system है। MS DOS एक Character User Interface Operating System (CUI)है। जो लगातार अपनी कुछविशेषताओं के साथ यूजर को नई सुविधायें उपलब्ध कराता है।यह सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम था । माईक्रो कम्प्यूटर में यह प्रयोग होता था । सन 1984 में इनटेल80286 प्रोसेसर युक्त माईक्रो कम्प्यूटर विकसित किये गये तब इनमें MS DOS 3.0 और MS DOS 4.0 version का विकास किया गया ।माइक्रोसॉफ्ट के इस आपरेटिंग सिस्टम को डिस्क आपरेटिंग सिस्टम कहा गया क्योंकि यह अधिकतर डिस्क से संबंधित इनपुट आउटपुट कार्य करते थे। MS DOS एक आपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है। आपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर को कण्ट्रोल ही नहीं करता है। उनके बीच परस्पर संबंध स्थापित करता है ।जिससे यूजर को कंप्यूटर ऑपरेट करने में कोई समस्या नहीं होती है। MS DOS में कीवोर्ड की सहायता सेकमांड दिये जाते है। डॉस इन कमांड्स को समझ कर उस कार्य को समपन्न करता है,और आउटपुट को प्रदर्शित करता है।
MS DOS Operating System x86 based personal computer के लिए बनाया गया है यह IBM का मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम है IBM ने इसके कई Version निकाले जिनमे से कुछ प्रमुख निम्न है
MS DOS Versoion 1.12
MS DOS 2.0 – support for 10 MB Hard disk drive and tree structure filing System का प्रयोग किया गया
MS DOS 3.0 support for lagrge hard disk drive
MS DOS 3.1 Support for Microsoft Network
MS DOS 3.3 Support FAT16 and large Drive
MS DOS 4.0 Support Graphical Mouse Interface
MS DOS 4.01 इसमें volume Serial Number Formatting Hard disk का use किया गया
MS DOS 5.0 full screen Editor का प्रयोग किया गया
MS DOS 5.5 (window NT) all windows NT 32 bit
MS DOS 7.0 Support for FAT 32 File System
MS DOS 8.0 Dos Boot Disk Create By Windows XP
Computer में External Memory के रूप में Hard Disk तथा Floppy Disk का प्रयोग किया जाता है| हार्ड डिस्क मेग्नेटिक पदार्थ (Magnetic Material) की बनी होती है|तथा यह Fixed Disk होती है जो सिस्टम में Fix होती है | Floppy Disk, Portable Disk होती है, इसे एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में प्रयोग किया जा सकता है |
Floppy disk two types के shape में मिलती है |
Mini Floppy
Micro Floppy
डिस्क की भौतिक संरचना (Physical Structure of Disk):-
डाटा को व्यवस्थित रखने के लिए डॉस मेमोरी डिस्क को दो भागो में बाँटता है –
सिस्टम एरिया (System Aria)
डाटा एरिया (Data Aria)
1.सिस्टम एरिया (System Aria):-यह कुल डिस्क का बहुत ही छोटा हिस्सा होता है (2प्रतिशत)| जो डॉस के द्धारा डिस्क की मूल संरचनाओ को संगृहित करने हेतु प्रयोग किया जाता है
सिस्टम एरिया को डॉस 3 भागो में बाँटता है |
बूट रिकोर्ड्स(Boot Records)
फैट(FAT)
रूट डायरेक्टरी (Root Directory)
बूट रिकोर्ड्स(Boot Records):-इसे पार्टीशन सेक्टर भी कहते है यह 512 बाईट के आकार का बूट सेक्टर होता है जिसके लिए डिस्क के पहले सेक्टर का उपयोग किया जाता है हेड्स बूट सेक्टर का प्रयोग निम्न में से कोई एक या एक से अधिक जानकारियां रखने के लिए होता है-
डिस्क का प्राईमरी पार्टीशन टेबल रखने के लिए |
कंप्यूटर स्टार्ट करने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक मशीन कोड निर्देशों को रखने के लिए जो डॉस को डिस्क से रेम में स्थापित करते है |
डिस्क की पहचान के लिए बनाये गये 32 bit डिस्क सिग्नेचर को रखने के लिए |
बूट रिकॉर्ड में डिस्क का मेमोरी स्पेस विवरण रखने के लिए |
फैट(FAT):-सिस्टम एरिया का दूसरा भाग फाइल एलोकेशन टेबल (File Allocation Table)कहलाता है, जिसे संक्षेप में FAT कहा जाता है |यह टेबल अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योकि डाटा एरिया में कौन सी फाइल कहा संगृहीत है इसका पूरा रिकॉर्ड फैट में ही रहता है |
रूट डायरेक्ट्री (Root Directory):-कंप्यूटर के फाइल सिस्टम के डायरेक्ट्री श्रंखला में पहली डायरेक्ट्री रूट डायरेक्ट्री कहलाती है , इसे हम मूल डायरेक्ट्री भी कहते है | जिस प्रकार पेड़ में उसकी जड़ आरंभिक बिंदु होता है और जड़ से ही पेड़ और उसकी सभी शाखाये विकसित होती है उसी प्रकार फाइल सिस्टम में रूट डायरेक्ट्री प्राम्भिक बिंदु होता है और इसी में अन्य सभी फाईले,डायरेक्ट्री और सब- डायरेक्ट्री रखी जाती है
2.डाटा एरिया (Data Aria):-डिस्क स्पेस का लगभग 98 प्रतिशत हिस्सा जिसमे सभी प्रोग्राम तथा हमारे द्धारा बनाई गई सभी फाईले संगृहीत रहती है | डाटा एरिया कहलाता है |संपूर्ण डिस्क छोटे छोटे क्लस्टर में विभाजित रहती है जिसमे फाइल अपने आकार के अनुसार एक या एक से अधिक क्लस्टर में संगृहीत रहती है |
Dos prompt and drive name
डॉस प्रोम्प्ट एवं ड्राइव नेम (Dos Prompt and Drive Name):-डॉस की रेम में लोड होते ही मोनिटर पर निम्नलिखित में से कोई एक चिन्ह प्रदर्शित होता है _
A:/>
C:/>
उपर्युक्त चिन्ह डॉस प्रोम्प्ट या सिस्टम प्रोम्प्ट कहलाते है जो यह दर्शाते है की डॉस लोड हो चुका है और यूजर के कमांड लेने के लिए तैयार है | हम जो भी कमांड टाइप करते है | यह प्रोम्प्ट के सामने ही टाइप होता है | जब फ्लॉपी डिस्क पर कार्य करते है तो A:/> ये चिन्ह आता है जो A प्रोम्प्ट कहलाता है |
हार्ड डिस्क पर कार्य करने पर C:/> आता है, जो C प्रोम्प्ट कहलाता है| अगर सिस्टम में दो फ्लॉपी ड्राईवर है तो , तो पहली ड्राइव A प्रोम्प्ट तथा दूसरी ड्राइव B (B:/>) प्रोम्प्ट द्धारा दर्शाते है |
इस प्रकार डॉस प्रोम्प्ट क्रियाशील ड्राइव तथा डायरेक्ट्री का नाम प्रदर्शित करता है | अगर हार्ड डिस्क में एक से अधिक पार्टीशन किये गये हो तो इन्हें क्रमशः C,D,E आदि नाम (drive name) दिया जाता है |
हम अपने दैनिक जीवन में कार्यालयों में दस्तावेजो को रखने के तरीके पर विचार करे तो हम देखते है की अलग अलग दस्तावेजो, आवेदन आदि को हम सम्बंधित फाईलो में संलग्न करके रखते है, और इन फाइल्स को अलमारी में विषयवार अलग अलग खानों में रखते है ताकि इन्हें खोजने में हमे आसानी रहे इसी प्रकार कंप्यूटर की हार्ड डिस्क भी अलमारी का सामान है जिसमे सभी दस्तावेज सुरक्षित रखे जाते है इसी प्रकार जब हम कोई दस्तावेज हार्ड डिस्क में रखते है तो उसको सेव करते है |और उसको एक नाम देते है |इसी प्रकार सेव किया गया दस्तावेज फाइल कहलाता है सेव किये गए इन दस्तावेजो को विषयवार अलग अलग समूहों में divide किया जा सकता है | ये समूह डायरेक्टरी कहलाती है और हम डायरेक्ट्री में विभिन्न प्रकार की फाइल्स का समावेश कर सकते है –
फाइल्स के नाम (Naming file):- कंप्यूटर में प्रत्येक फाइल का एक नाम होता है, इस नाम के दो भाग होते है –
प्राथमिक नाम (Primary Name)
विस्तारक नाम (Extension Name)
प्रत्येक ऑपरेटिंग सिस्टम के अन्दर फाइल्स को व्यवस्थित रूप से रखने के लिए फाइल सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जिसे cluster कहते है | विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न प्रकार के फाइल सिस्टम का प्रयोग करते है | FAT, NTFS इत्यादि कई फाइल सिस्टम है | DOS, FAT फाइल सिस्टम का प्रयोग करता है |
FAT का पूरा नाम File Allocation Table है जिसका प्रयोग डिस्क में फाईलो के संग्रहण का रिकॉर्ड रखने के लिए होता है |सबसे पहले फैट का प्रयोग सन 1980 में टिम पैटर्सन ( Tim paterson ) ने अपने 86-Dos में किया था |फैट के प्रमुख प्रकार FAT12,FAT16, FAT32,etc |
FAT File हार्ड डिस्क को छोटे छोटे खंडो में विभाजित करती है |जिन्हें क्लस्टर कहते है |क्लस्टर सामान्यतः एक या एक से अधिक सेक्टर्स के समूह से बनते है |जिनमे सेक्टर्स की संख्या डिस्क के घनत्व पर निर्भर करती है, यह संख्या 1 से 128 सैक्टर प्रति क्लस्टर हो सकते है | जब हम कोई फाइल सेव करते है तो यह अपने आकार के अनुसार डाटा एरिया में एक या एक से अधिक क्लस्टर में संग्रहित होती है |प्रत्येक क्लस्टर एक यूनिक सीरियल नंबर द्धारा पहचाना जाता है जिसकी प्रविष्टि फाइल एलोकेशन टेबल में होती है | और इस प्रकार फैट में होने वाली प्रत्येक क्लस्टर एंट्री के साथ एक छोटा मेमोरी ब्लाक जुड़ा रहता है जिसमे अंक के रूप में शून्य या किसी अन्य क्लस्टर का सीरियल नम्बर संग्रहित रहता है जंहा शून्य यह दर्शाता है की क्लस्टर खाली है | जबकि अन्य क्लस्टर का नंबर यह दर्शाता है की क्लस्टर किसी फाइल द्धारा उपयोग किया जा रहा है फाइल द्धारा उपयोग किया गया पहला क्लस्टर रूट डायरेक्ट्री के माध्यम से उपलब्ध खाली क्लस्टर में से लिया जाता है और अगर फाइल का आकार एक क्लस्टर से अधिक बड़ा है तो उसका शेष भाग किसी अन्य क्लस्टर में संगृहीत होता है जिसका सीरियल नंबर तुरंत पहले क्लस्टर की फैट प्रविष्टि (FAT Empty) में स्टोर हो जाता है इस प्रकार श्रंखला और भी आगे बढ़ जाती है |
बूटिंग प्रोसेस क्या है ?
वास्तव में पॉवर स्विच ऑन करने से लेकर डॉस प्रांप्ट आने तक की पूरी प्रक्रिया बूटिंग प्रोसेस कहलाती है| जिसमे मुख्य रूप से डॉस, डिस्क से रेम (RAM) में लोड होता है तथा कुछ अन्य क्रियाए संपन्न होती है | ये क्रियाये तथा इनका क्रम निम्नलिखित है –
पोस्ट (POST) :-पॉवर ऑन होते ही कंप्यूटर सबसे पहले अपनी स्वयं की मेमोरी तथा जुड़े हुए सभी उपकरणों को चेक करता है की वे सही कार्य कर रहे है या नहीं और कही कनेक्शन निकला तो नहीं है यह प्रक्रिया पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट या संक्षेप में पोस्ट कहलाती है |किसी भी प्रकार की समस्या होने पर सम्बंधित error message आता है |
बूट रिकॉर्ड (BOOT RECORD):-पोस्ट द्धारा की जाने वाली चैकिंग के बाद कंट्रोल बूट रिकॉर्ड को स्थान्तरित हो जाता है जो डिस्क के विषय में संपूर्ण जानकारी डिस्प्ले करता है यह जानकारी डिस्क से सूचनाये निकालने के लिए आवश्यक है|
डॉस कर्नल (DOS KERNAL) :-यह तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण है जिसमे डॉस कर्नेल मेंमोरी में लोड होता है डॉस कर्नल ऑपरेटिंग सिस्टम का केंद्रीय भाग होता है जो दो विशेष सिस्टम फाइलो से मिलकर बनता है ये दोनों ही फाइले हिडन मोड में होती है|
सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन (SYSTEM CONFIGURATION):-डॉस कर्नल लोड होने के बाद कंप्यूटर इस चरण में CONFIGURATION FILE को ढूढता है तथा इस फाइल के दिए गये पैरामीटर के अनुसार सिस्टम की विभिन्न internal setting करता है | SYS एक ऐसी फाइल है जिसमे प्रयोगकर्ता स्वयं अपनी आवश्यकता के अनुसार सिस्टम सेटिंग से सम्बंधित विभिन्न मानो को निर्धारित कर सकता है |
कमांड कोम फाइल (COMMAND.COM):-पांचवे चरण में डॉस की एक और महत्वपूर्ण फाइल COM मेमोरी में लोड होती है | डॉस के सभी इन्टरनल कमांड इस फाइल के माध्यम से चलते है |
ऑटो एक्सिक्युटेबिल बैच फाइल (BAT):-इस चरण में COMMAND.COM फाइल स्वयं ही AUTOEXEC.BAT फाइल को ढूढकर चलाता है | AUTOEXEC.BAT एक बैच फाइल है जिसके द्धारा हम सिस्टम की date, time तथा विभिन्न सॉफ्टवेर के पाथ सेट कर सकते है |
डॉस प्रोम्प्ट (DOS PROMPT):-उपर्युक्त पूरी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अंततः मोनिटर पर डॉस प्रोम्प्ट दिखाई देता है जो यह बताता की डॉस लोड हो चुका है, और कंप्यूटर हमारे कार्य करने के लिए तैयार है |
बूटिंग प्रक्रिया के प्रकार (Types of Booting):-
Cold booting
Warm booting
Cold booting: – जब हम कंप्यूटर का main switch off करके on करते है तो यह Cold booting कहलाता है |
Warm booting: – Warm booting में हम कंप्यूटर की reset key and ctrl+alt+delete तीनो keys को एक साथ press करके पुनः boot करते है कंप्यूटर को boot करने लिए M.S.DOS में तीन फाइल्स MSDOS.SYS, IO.SYS एवं COMMAND.COM होना अत्यंत आवश्यक है| इनमे प्रथम दो files hidden files होती है तथा COMMAND.COM एक file होती है |
डॉस की सिस्टम फाइल्स
वे प्रमुख फाइल जिनसे मिलकर डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम बना होता है, डॉस की सिस्टम फाइले कहलाती है ये फाइल्स कुछ विशेष कार्यो जैसे बूटिंग प्रक्रिया को संपन्न करना , इनपुट/आउटपुट डिवाइसेस का निर्धारण तथा संयोजन , डॉस के आन्तरिक निर्देश (instruction) को मेमोरी में लोड करना , स्टोरेज डिवाइसेस का प्रबंधन आदि कार्यो के लिए निर्मित की जाती है | इन फाइल्स के विस्तार नाम SYS.COM आदि होते है | जो यह दर्शाते है की ये सिस्टम फाइल्स तथा कमांड फाइल्स है | डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम, तीन फाइल्स से मिलकर बना है :-
IO.SYS
MS DOS.SYS
COMMAND.COM
CONFIG.SYS FILE
IO.SYS और MS DOS.SYS FILES:-ये दोनों फाइल्स छिपी हुई (hidden) होती है अर्थात इनके नाम डिस्क में संगृहीत फाइल्स की सूची में दिखाई नहीं देते है |IO.SYS FILE, MS-DOS का आवश्यक हिस्सा है जिसमे विभिन्न डिवाइस ड्राईवर फाइले संग्रहित होती है जिनके लोड होने पर ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न इनपुट/आउटपुट डिवाइसेस तथा अन्य उपकरणों का कंप्यूटर से तालमेल स्थापित कर पाता है बूटिंग के क्रम में पहले IO.SYS FILE लोड होती है और यह MS-DOS.SYS तथा CONFIG.SYS FILE को लोड करती है | MS-DOS.SYS सबसे महत्वपूर्ण सिस्टम फाइल है जो IO.SYS के बाद क्रियान्वित होती है इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य कोड संगृहीत होता है जिसे डॉस कर्नेल कहते है |
COMMAND.COM FILE:- COMMAND.COM एक command इंटरप्रिटर प्रोग्राम फाइल है जिसमे डॉस के सभी आंतरिक निर्देश संग्रहित होते है यह बूटिंग प्रक्रिया में config.sys file के बाद लोड होता है |यूजर का कंप्यूटर से संपर्क स्थापित करने की द्रष्टि से महत्वपूर्ण है क्योकि जो भी आंतरिक कमांड चलाते है वे सभी इस फाइल के द्धारा ही क्रियान्वित होते है COMMAND.COM को कमांड इंटरप्रिटर या कंसोल कमांड प्रोसेसर (console command processor) या (shell) भी कहते है |
CONFIG.SYS FILE:- CONFIG.SYS FILE एक टेक्स्ट आधारित फाइल है | जो Dos तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए सिस्टम कॉन्फिगरेशन फाइल के रूप में उपयोग की जाती है | config.sys में इस प्रकार के निर्देश दिए जाते है जो विभिन्न मापदंडो का निर्धारण करते है एवं उच्च स्तरीय डिवाइस ड्राईवर लोड करके हमारी आवश्यकतानुसार हार्डवेयर उपकरणों मेमोरी की-बोर्ड, माउस प्रिंटर आदि का निर्धारण करते है |
डॉस की कमांड्स
हम जानते है कि,कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम कि उपस्थिति में ही कार्य करता है | MS-DOS एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कंप्यूटर का संचालन करता है | जब कोई ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का संचालन करता है तो यह यूजर तथा हार्डवेयर के बीच सम्बन्ध जोड़ने के लिए कमांड इन्टरप्रेटर के जरिये यूजर के लिए कमांड कि सुविधा प्रदान करता है | MS-DOS में भी यह सुविधा दो तरह के कमांड्स के द्धारा मिलती है जो कि निम्नलिखित है –
आंतरिक कमांड (internal command):-यह कमांड्स DOS के साथ हमेशा मौजूद रहते है क्योकि यह कमांड बूटिंग के साथ ही स्वतः मेमोरी में स्टोर हो जाते है | यह भी COM प्रोग्राम FILE में संकलित होते है | इसलिए ये कमांड सदैव उपलब्ध होते है जब तक कि क्रियान्वित कर सकते है कुछ आन्तरिक कमांड्स के उदाहरण निम्नलिखित है –MD, DIR, CD, Copy, Type, Rename इत्यादि|
बाह्य कमांड (External Command):-बाह्य कमांड्स ऐसे छोटे प्रोग्राम (Short Program) होते है जो Floppy Disk अथवा Hard Disk पर Store होते है एवं आवश्यकता पढने पर इन्हें Execute किया जा सकता है यह मेमोरी में Store होते है एवं क्रियान्वित होते है | बाह्य कमांड्स कि अपनी एक फाइल होती है जिसको क्रियान्वित करने से कमांड रन होती है | बाह्य कमांड्स (External Commands) के उदाहरण निम्न है – Format, Print, Backup, Help, Disk, Dos key, Tree इत्यादि |
आंतरिक कमांड (internal command):-
DIR COMMAND:-यह कमांड्स किसी डायरेक्ट्री में फाइल्स और सब-डायरेक्ट्री कि सूची प्रदर्शित करता है |
Syntax- C:\>Dir
यदि किसी विशेष डायरेक्ट्री की फाइल कि सूची देखना चाहते है |तो dir के साथ डायरेक्ट्री का नाम देते है |
Syntax- C:\>Dir<Directory name>
Ex. – C:\> Dir abc
MD COMMAND (Make Directory):-इस कमांड का उपयोग नयी डायरेक्ट्री बनाने के लिए किये जाता है
Syntax- C:\>MD<Directory name>
Ex. – C:\> MD ABC
CD COMMAND (Change Directory):- इस कमांड का उपयोग डायरेक्ट्री को बदलने के लिए किया जाता है
Syntax- C:\>CD<DIR name>
Ex. – C:\> CD ABC
CD.. – इस कमांड का उपयोग डायरेक्ट्री से बाहर जाने लिए किये जाता है
Syntax- C:\> <Dir name><command>
Ex. – C:\> ABC>CD..
C:\>
RD COMMAND (Remove Directory):- इस कमांड का उपयोग Disk में पहले से बनी हुई डायरेक्ट्री को remove करने के लिए किया जाता है|
Syntax- C:\>RD<DIR name>
Ex. – C:\> RD ABC
CLS (Clear Screen Command):-इस command के द्धारा Screen को Clear कर सकते है|
Syntax- C:\>CLS
Ex.- C:\>CLS
COPY COMMAND: – इस command के द्धारा हम किसी भी file कि duplicate file बना सकते है|
Syntax 1- C:\>Copy<File Name><New Name>
Syntax 2- C:\> Copy <Path\File Name><Target Drive>
Ex.- C:\> COPY ABC XYZ.
Ex.- C:\> COPY DELHI D:
DEL COMMAND (Delete Command):-इस कमांड का उपयोग File को disk से delete करने के लिए किया जाता है
Syntax- C:\>Del<DIR name>
Ex. – C:\>Del ABC.txt
REN COMMAND (RENAME COMMAND):-इस कमांड का प्रयोग फाइल को रीनेम करने के लिए किया जाता है
Syntax- C:\>REN<Old File Name><New File Name>
Ex. – C:\>REN ABC.txt XYZ.txt
TYPE COMMAND: – इस command का use हम File के टेक्स्ट को Screen पर देखने के लिए कर सकते है|
Syntax- C:\>TYPE<DIR name>
Ex. – C:\> RD ABC.txt
DATE COMMAND: – इस command के द्धारा हम Current date (MM-DD-YY) format में देख सकते है|
Syntax- C:\>date
Ex. – C:\>date
TIME COMMAND: – इस command के द्धारा हम Current time देख सकते है|
Syntax- C:\>time
Ex. – C:\>time
VER (VERSION):-इस command के द्धारा हम System में present disk operating system का version देख सकते है|
Syntax- C:\>Ver
Ex.- C:\>Ver
COPY CON COMMAND: –इस command का use file को create करने के लिए किया जाता है |
Saving file : file Ctrl+Z के द्धारा save कि जाती है |
Syntax- C:\>Copy Con<File Name>
Ex.- C:\> Copy Con ABC.txt
Hello this is first file
^Z (Ctrl +Z)/F6
1 file copied
PATH COMMAND: – यह command Dos को यह बतलाता है कि किसी programs का पता लगाने के लिए इसे कौन सी directory search करना चाहिए |
Syntax- C:\>PATH
Ex- C:\>PATH
Changing the drive:-किसी भी drive का नाम change करने के लिए उस drive का name colon के साथ enter किया जाता है
Syntax- C:\><Drive name>
Ex. – C:\>A:
EXIT COMMAND:- इस command का use Dos prompt से बाहर आने के लिए किया जाता है |
Syntax- C:\>Exit
Ex- C:\>Exit
PROMPT COMMAND:- इस command के द्धारा हम Prompt change कर सकते है|
Syntax- C:\>prompt_name
Ex. – C:\> prompt_paragon
External command
External command वे कमाॅड होते हैं। जिन्हें चलाने के लिये विशेष फाईल की आवश्यकता होती है। उस फाईल का प्रथामिक नाम (primary name) वही नाम होता है। जो नाम कमाॅड का होता है। लेकिन द्वितीयक नाम(secondary name)EXE,COM,BAT हो सकता है।
EXAMPLE :-chkdsk,label,edit,diskcopy ,append
LABEL Command
इस कमाॅड की सहायता से drive के label and serial number को देख सकते है। और बदल भी सकते हैं।
Label की साईज windows xp में 11 कैरेक्टर और windows 7 में 32 कैरेक्टर हो सकती है। और इससे लेवल को delete भी कर सकते हैं।
Syntax:- c:\>LABEL <Drive Name>
Example:- c:\>LABEL A:
Tree Command
इस की सहायता से डायरेक्टरी एवं फाईल को Tree format में देख सकते है। फाईल को देखने के लिये स्विच/F का प्रयोग किया जाता है।
Syntax:- c:\>TREE / [Switch] [path]
Example:- c:\>TREE /F micro
CHKDSK Command
CHKDSK का पूरा नाम Check Disk है इसकी सहायता से सेकेंडरी मेमोरी को चेक किया जाता है
Syntax:- c:\> CHKDSK <Drive Name>
Example:- c:\> CHKDSK D:\
Append Command
यह कमाॅड डाटा फाईल को पाथ प्रदान करता है। यह कमाॅड पाथ कमाॅड के समान कार्य करता है।इस कमाॅड की सहायता से तीन प्रमुूख कार्य किये जाते हैं।
Data file का पाथ देख सकते हैं।पाथ तोड सकते हैं।पाथ को सेट कर सकते हैं।
पाथ देखना
c:\>append
path तोड़ने के लिए
c:\>Append;
No Path
Path set करना
Syntax: – Append=data file का पता; other data file address
c:\>Append=c:\micro;d:\mukesh
DiskCopy Command
इस कमाॅड का प्रयोग floppy disk की काॅपी करने के लिये किया जाता है। क्येां कि अधिकांष floppy बारबार प्रयोग करने पर खराब हो जाती हैं। इसलिये एक से अधिक floppy की काॅपी होना जरूरी होता है।
नोटः- दोनों floppy की साईज एक समान होना चाहिये । जिस फ्लॉपी में कॉपी करना है वह format होना चाहिए कॉपी के बाद diskcomp command run करना चाहिए
Syntax:- c:\>Diskcopy <First Drive Name> <Second Drive Name>
Example:- c:\>DiskCopy A: A:
Enter Source Disk in drive A:
And press any key
Enter target Disk in Drive A :
And press any key
DiskComp Command
इस कमाॅड का प्रयोग दो floppy disk की आपस में तुलना करने के लिये किया जाता है। इस कमाॅड का प्रयोग diskcopy के बाद किया जाता है। इस से यह चेक किया जाता है कि कोई फाईल काॅपी करते समय छूटी तो नही है। यदि दोनों कि साईज बराबर है तो सही काॅपी हुई, यदि दोनों डिस्कों की साइज़ बरावर नही है तो सही काॅपी
नही हुई है।
Syntax:- c:\>DiskComp<First Drive Name> <Second Drive Name>
Example :- c:\>diskcomp A: A:
SYS Command
इस कमाॅड का पूरा नाम system है। इस कमाॅड का प्रयोग bootable disk का निर्माण करने के लिये किया जाता है। इससे bootable file disk में काॅपी हो जाती हैं। Process complete होने के बाद system transferred message आता है जो यह दर्शाता है कि डिस्क bootable बन चुकी है। bootable disk से computer को चालू किया जा सकता है।
Syntax:- C:\>SYS A:
Example:- C:\>SYS A:
Help Command
इस कमांड की सहायता से एम.एस.डॉस की कमांड की हेल्प देख सकते है
Syntax:- c:\>HELP <command Name>
Or
c:\>Command Name /?
Example:- C:\>dir/?
Print Command
इस कमाॅड की सहायता से एक या एक से अधिक फाइलो का प्रिंटआउट एक साथ निकाल सकते है। यह कमाॅड डाॅस के वर्जन 2.0 के बाद के वर्जन मे उपलब्ध है
Syntax:- Print <file Name>
Example:- C:\>Print micro.txt
DOSKEY Command
यह कमाॅड एक कैमरे की तरह होता है। यह कमाॅड डाॅस के वर्जन 5.0 से प्रारंभ होता है इस कमाॅड के बाद जो कमाॅड रन करते है। वह रिकार्ड होते जाते हैं। और उसे बाद में देखा जा सकता है। और उपयोग कर सकते हैं। रिकार्ड कमाॅड को देखने के लिये F7 का प्रयोग किया जाता है । और command history clear करने के लियेAlt+F7का प्रयोग करते है। UP And down Arrow की सहायता से कमाॅड को देखा जा सकता है।
Syntax:- c:\>DOSKEY
Example:- C:\>DOSKEY
Attrib Command
इस कमाॅड की सहायता से फाईल और फोल्डर के attribute को देख सकते हैं। और बदल भी सकते हैं।
फाईल और फोल्डर में चार प्रकार के attribute होते हैं।
Read:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को केवल रीड कर सकते हैं।
Hidden:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को छिपाया जा सकता हैं।
System: – इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी को सिस्टम फाईल और डायरेक्टरी में बदला जा
सकता हैं।
Archive:- इस attribute से फाईल और डायरेक्टरी मे Archive attributeलगाया जा सकता हैं।
नोटः- “+” इस से attribute set कर सकते और “-“इस से attribute को हटाते हैं।
Syntax: – ATTRIB +/- ATTRIBUTES [PATH\FILE OR DIRECTORY NAME]
Backup Command
इस कमाॅड से किसी भी डायरेक्टरी एवं फाईल का बेकप किसी दूसरी डिस्क मे लिया जा सकता है बेकप लेना इसलिये जरूरी होता है।क्योंकि कम्प्यूटर में बनी फाईल कई करणों से खराब भी हो सकती है यदि उस फाईल काबेकप लिया है तो उसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है। फाईल को पुनः प्राप्त करने के लिये restore command का प्रयोग करना पडता है।
Syntax: – c:\>Backup <source address> < destination disk or address>
Edit [path\file name or new file name]
Example: – c:\>backup c:\micro A:\
Edit Command
इस कमाॅड से पहले से बनी फाईल मे सुधार कर सकते है।एवं नई फाईल का निर्माण भी कर सकते है।यह डाॅस का editor है। इसमें मीनू सिस्टम होता है। जिससे हम अपने कार्य को और असानी से पूरा कर सकते हैं। इसमें माउस का भी प्रयोग कर सकते हैं। Editor से बाहर निकलने के लिये फाईल मीनू के सब कमाॅड exit का प्रयोग करते हैं।
Syntax: – c:\micro>edit student
Example: – c:\micro>edit student
Move Command
इस कमाॅड की सहायता से किसी भी फाईल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर move कर सकते हैं। मूव होने के बाद 1 file moved message आता है।
Syntax:- move <Source address\File Name > <Destination Address>
Example:-move d:\ computer e:\
FORMAT Command
इस कमाॅड का प्रयोग डिस्क को format करने के लिये किया जाता है। इस कमाॅड को चलाते समय सावधानी रखनी चाहिये । इसके साथ इसके स्विच का भी प्रयोग कर सकते हैं। जिससे अलग अलग तरीके से formatting कर सकते है। इस कमाॅड का प्रयोग तब किया जाता है जब पूरी डिस्क के डाटा को एक साथ हटाना होता है। /Q इस स्विच का प्रयोग quick format करने के लिये किया जाता है।
Syntax:- c:\>FORMAT/ [SWITCH] Drive Name:
Example:- c:\>FORMAT /Q d:
Warning all data on non – removable disk
Drive d: will be Lost!
Proceed with format (Y/N)? _Y
Volume label (Enter for none)? _
FDISK Command
इस कमाॅड से डिस्क के पार्टीशन को delete किया जाता है और नये पार्टीशन को बनाया भी जा सकता है। इस कमाॅड को बहुत सावधानी एवं ध्यान र्पूवक चलाना चाहिये।
डिस्क में तीन प्रकार के पार्टीशन होते है।
Primary partition
Extend partition
Logical partition
Partition Delete करना :- पार्टिशन को delete करने के लिये सबसे पहले लाॅजिकल पार्टिशन डिलीट करते हैं। इसके बाद extended partition delete करते हैं। और अंत में primary partition delete करते हैं।
Logical>Extend Partition>primary Partition
Partition Create करना :- पार्टिशन को बनाने के लिये सबसे पहले primary partition create करते हैं। इसके बाद extended partition बनाते हैं। और अंत में लाॅजिकल पार्टिशन बनाते हैं।
Primary>extend>logical
C:\>Fdsisk
Yes
1.Create Partition
2.Delete Partition
3.Display Partition
Choose any
Sort Command
इस की सहायता से फाईल के मेटर को काॅलम के आधार पर sort कर सकते हैं। एवं sorted contains को देख सकते एवं नई फाईल में सेव कर सकते हैं।
Syntax:- c:\>Sort File Name
or
Sort filename>>new file Name
Example:- c:\>Sort computer
समस्त कंप्यूटर फाईलो को हम उनकी प्रक्रति के आधार पर दो श्रेणियों में बाँट सकते है जो करणीय तथा अकरणीय फाईले (Executable or non executable files) कहलाती है |
ऐसी फाईले जिनमे कंप्यूटर के क्रियान्वन के लिए निर्देश संगृहित किये जाते है और इन्हें रन करने पर कंप्यूटर दिए गये निर्देशों को पढ़कर उनके अनुसार कार्य करता है करणीय फाईलो (Executable) की श्रेणी में आते है | ये .EXE(Executable), .COM(Command), and .BAT(Batch) आदि विस्तारक (Extension) नाम वाली फाईले होती है | वस्तुतः ये ऐसी फाईले है जो यूजर की विभिन्न आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कंप्यूटर हार्डवेयर से कार्य करवाती है |सभी सॉफ्टवेयर की प्रोग्राम फाईले, डॉस की कमांड फाईले आदि इसके उदाहरण है |
दिए गए निर्देशों के क्रियान्वन के अतिरिक्त कंप्यूटर का एक और महत्वपूर्ण कार्य है, हमारी समस्त उपयोगी जानकारीयो आकड़ो, दस्तावेजो,चित्रों आदि को स्थायी मेमोरी में संगृहित करके रखना और उस उद्देश्य से बनाई जाने वाली फाईले अकरणीय फाईल (Executable non executable files) की श्रेणी में आती है| इन फाईलो का कार्य केवल हमारे सूचना भंडार को संभाल कर रखने का होता है ताकि जब भी हमे इन आकड़ो की आवश्यकता हो हम सम्बंधित फाईल खोलकर उसे प्राप्त कर सके |