विंडोज की अवधारणा (Window Concept) : –window शब्द माइक्रोसॉफ्ट के GUI ऑपरेटिंग सिस्टम ms-window के विभिन्न संस्करणों के लिए उपयोग किया जाता है जिसमे हमे एक ऐसा वातावरण मिलता है जिसमे सभी सुविधाए चित्रात्मक रूप में आइकॉन, मेन्यु, बटनों आदि के रूप में मिलती है |इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम विंडोज इसलिए रखा गया क्योकि इसमें प्रत्येक सॉफ्टवेयर एक आयताकार ग्राफ़िक्स बॉक्स के रूप में खुलता है, जो खिड़की की चौखट के सामान होता है और जिसके माध्यम से हम आज कंप्यूटर को केवल की-बोर्ड से टाइप होने वाले अक्षरों से निकलकर एक नए वातावरण के रूप में देख पाए | यह चित्रात्मक वातावरण कंप्यूटर की दुनिया को रोचक और सरल बनाने क्र द्रष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है | Windows सबसे पहले डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्गत एक सॉफ्टवेयर के रूप में आया जिसका windows 3.1 संस्करण बहुत लोकप्रिय हुआ | इसके बाद सन 1995 में यह windows 95 के नाम से एक संपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में जारी हुआ जिसके अब तक Windows 95, Windows 98, Windows 2000, Windows Me, Windows XP, Windows NT, Windows Vista आदि अनेक संस्करण जारी हुए|
Windows XP की अपनी कुछ विशेषताऐं है। जिसकी वजह से यह बहुत popularहै।
1.GUI Interface: – windows XP Graphical User Interface operating system है। इसमें
Picture, icon, symbol आदि की सहायता से इसको आसानी से चालाया जा सकता है।
2.Plug & Play:-इसमें 2. Plug & Play:-क्षमता इसे और अधिक सरल बनाता है इससे आप कोई भी नई डिवाइस कम्प्यूटर में आसानी से जोडकर चला सकते है। इसमे डाईवर सीडी की आवश्यकता नही होती है।
3.Help & Support:- windows xpकी सबसे अच्छी विशेषता help &Support है इससे हम Windows xp की हेल्प ले सकते हैं। और अपने कार्य को सफलता पूर्वक कर सकते है। इसकी shortcut key F1 है
Start-help & support
4.File and setting transfer wizard:-इस से हम एक कम्प्यूटर की विडोण्ज setting दूसरे Computer में transferकर सकते है।
Start- all program- accessories – system tool- File and setting transfer wizard
5.Clear Type:- इससे text clarity को बडाया जा सकता है।
Right click on desktop- appearance- effect – select clear type
6.Tour windows xp :- windows xp के साथ सबसे बडी विशेषता Tour windows xp है जिससे हम basic windows xp चलाना सीख सकते है।
Start- all program- accessories- tour windows xp
7.Remote Desktop Connection:-इससे हम अपने दूर बैठे दोस्त या बोस से रिमोटली जुडकर हेल्प ले सकते है। अर्थात् दूर बैठा दोस्त हमारे कम्प्यूटर को आपरेट कर सकते है।
Start- all program- accessories- Communication- Remote desktop
8.Write to CD:- windows xp में CD Write करने वाले software की आवश्यकता नही होती सीधे CDको राईट कर सकते हैं।
9.Clean Desktop:- windows XP में क्लिीन डेक्सटाॅप सुविधा होती है। इससे ऐसे आईकाॅन जिनका प्रयोग साठ दिन तक नहीं करते है। उन आईकान को क्लिीन डेक्सटाॅप फोल्डर में Transfer कर दिया जाता है। जिससे डेक्सटाॅप clean दिखने लगता है।
Right click on desktop- Desktop- custom desktop – cleanup desktop
10.Easy to connect Network:- windows xp में network में network को जोडना आसान होता है। क्योंकि इसमें wizard method का प्रयोग किया जाता है।
11.Search:– windows xp में searchingकरना आसान होता है। इसमें अलग अलग प्रकार से भी Searching कर सकते हैं। जैसे यूजर की फाईल फोल्डर contact आदि।
Start- Search or windows+ F
12.Easy to installation:-इसमें किसी भी प्रोग्राम को स्थिापित करना आसान होता है। क्योंकि इसमें विजार्ड से installationहोता है।
13.Accessibility: – इसमें Accessibility होती हैं। जिससे इसको अंधे एवं बहरे लोग भी चला सकते है इसमें ऑनस्क्रीन कीबोर्ड भी होता है। जिससे इसको मााउस से चला सकते है।
किसी विंडो की संरचना (Anatomy of a Window):- Windows के नए यूजर्स के लिए किसी विंडो की रचना और उसके तत्वों को भली प्रकार से समझ लेना आवश्यक है कोई विंडो किसी कंप्यूटर की V.D.U अथवा स्क्रीन का एक आयताकार भाग है जिसमे कोई प्रोग्राम अपनी सूचनाये प्रदर्शित करता है ज्यादातर विंडोज में बहुत से तत्व समान होते है यहाँ हम विंडो के विभिन्न भागो का वर्णन करेगे और उनका महत्व और उपयोग बतायेगे
टाइटल बार (TITLE BAR): – प्रत्येक विंडो का एक विशेष नाम होता है Window के सबसे ऊपरी भाग की पट्टी को टाइटल बार कहते है कभी कभी किसी प्रोग्राम की Window की टाइटल बार में उन दस्तावेजो का नाम भी दिया होता है जिस पर कार्य किया जा रहा है आपके कंप्यूटर की स्क्रीनएक साथ कई Window खुली हो सकती है लेकिन एक समय में उनमे से केवल एक Window सक्रिय रहती है | Window के टाइटल बार का रंग तथा तीव्रता दूसरी Window के टाइटल बार के रंग तथा तीव्रता से अधिक होता है
कंट्रोल बटन (CONTROL BUTTON) :- अधिकतर Windows के टाईटल बार में दायें छोर पर तीन कण्ट्रोल बटन होते है जिनके नाम minimize,maximize/restore/close|ये बटन प्रायः इसी क्रम में पाए जाते है |मिनीमाइज बटन पर एक छोटी रेखा या डेश(-) छपा होता है इस बटन को क्लिक करने से Window अस्थाई रूप से बंद होकर टास्क बार में एक बटन के रूप में बदल जाती है आप इस बटन को क्लिक करके Window को अपने पूर्व आकार में ला सकते है| कोई प्रोग्राम टास्क बार में बटन के रूप में आ जाने पर भी चलता रहता है , लेकिन उसकी कोई Window खुली नहीं होती है maximize button पर एक छोटा वर्ग छपा होता है |इस बटन को क्लिक करने पर यह पूरी स्क्रीन के बराबर हो जाती है और maximize button रिस्टोर बटन के रूप में बदल जाता है |
मेन्यु बार (MENU BAR):- मेन्यु बार विकल्पों की एक सूची होती है जिनमे से आवश्यकता के अनुसार कोई एक विकल्प चुना जाता है | प्रत्येक विकल्प सामान्यतः किसी क्रिया या सेटिंग को व्यक्त करता है | सामान्यतः मेन्यु एक आयामी होता है जिसमे सभी विकल्प एक ही सीध में ऊपर से नीचे दिए होते है विकल्पों की संख्या अधिक होने पर उनको समूहों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक समूह का एक नाम रखा जाता है |
टूल बार (TOOL BAR) :- अधिकांश Windows आधारित प्रोग्रामो में टूल बार की सुविधा होती है | किसी Window में एक से अधिक टूल बार भी हो सकते है | टूल बार कुछ बटनों का एक संग्रह होता है जिनमे प्रत्येक के द्धारा कोई विशेष कार्य किया जाता है | इन बटनों को टूल भी कहा जाता है | किसी बटन या टूल को क्लिक करने पर उससे सम्बंधित आदेश या क्रिया प्रारंभ हो जाती है |
स्क्रोल बार (SCROLL BAR):- सामान्यतया प्रत्येक विंडो में दो स्क्रोल बार होते है |ये उस Window में दिखाई जा रही सामग्री को पूरा देखने में सहायक होते है |Window का आकार सीमित होने के कारण उसमे सभी सामग्री एक साथ पूरी दिखाई नहीं केवल उस सामग्री का एक भाग ही दिखाई देता है | स्क्रॉल बार की सहायता से हम छिपी हुई सामग्री को भी उस Window में देख सकते है | स्क्रॉल बार दो हो सकते है – Horizontal scroll bar ,vertical scroll bar
स्टेटस बार (STATUS BAR):- यह बार प्रायः Window के सबसे नीचे की पट्टी की रूप में होता है | इस बार में उस Window अथवा उसमे खुले हुए किसी दस्तावेजो के बारे में नवीनतम सूचना या स्थिति प्रदर्शित की जाती है |
Desktop-:कम्प्यूटर start होने के बाद जो screen दिखाई देती है। वह डेक्सटाप होता है। इस पर सिस्टम आइकन ,प्रोग्राम के आइकन एवं फाईल ,फोल्डर होते है। इससे हम किसी भी आईटम को आसानी से प्रयोग कर सकते है। इस पर जो फाईल फोल्डर या प्रोग्राम सबसे ज्यादा प्रयोग होते है। उनको रखना चाहिये। अनावश्यक फाईल फोल्डर पर इस पर नहीं रखना चाहिये।
Desktop में कई वस्तुए होती जिनमे से प्रमुख निम्नलिखित है –
My Computer
My Document
Recycle Bin
Task Bar
Start Menu
Files And Folder
Shortcut
My Computer: माय कंप्यूटर का आइकॉन एक छोटे Computer जैसा दिखता है इस object में आपके Computer में Store की गई प्रत्येक वस्तु (objects) की जानकारी होती है My Computer पर कार्य करने के पहले, इसे open किया जाता है माय कंप्यूटर (object) को open करने के लिए Mouse के Pointer को उसके आइकन पर ले जाकर Double Click किया जाता है या एक बार Click करके Enter Key दबाई जाती है ऐसा करते ही Screen पर My Computer की Window दिखाई पड़ती हैMy Computer की Window में बायीं तरफ एक पट्टी होती है जिसमे उपयोग कार्यो और स्थानों के Link होते है Window के शेष भाग को सामग्री क्षेत्र (Contents) कहा जाता है जिसमे निम्नलिखित (objects) होते है-
Document Folder के Icon |
Hard Disk Drive के सभी पार्टीशनो के Icon |
प्रत्येक Removable Disk Drive जैसे Floppy Drive CD Drive आदि के Icon |
Exploring Hard Disk by My Computer: – Windows में My Computer के द्धारा हम अपने कंप्यूटर की storage unit तथा हार्ड डिस्क के सभी पार्टीशन को एक्सेस कर सकते है ,इस प्रकार My Computer में हार्ड डिस्क के किसी भी पार्टीशन के आइकॉन पर डबल क्लिक कर उसे खोलना तथा खोले गये पार्टीशन के विभिन्न फोल्डरों तथा सब फोल्डरों को खोलकर संग्रहित फाईलो की विस्तृत सूची का अन्वेषण हार्ड डिस्क एक्स्प्लोरेसन कहलाता है |My Computer में प्रदर्शित डिस्क ड्राइव के आइकॉन पर right click कर shortcut menu मेproperties के द्धारा हार्ड डिस्क ड्राइव के समस्त आंतरिक विवरण जैसे डिस्क का प्रकार ,फाइल सिस्टम ड्राइव की संग्रहण क्षमता तथा उपयोग की जा चुकी मेमोरी तथा खाली मेमोरी स्पेस का संपूर्ण विवरण भी प्राप्त कर सकते है|
My Document :- यह कम्प्यूटर का सिस्टम फोल्डर होता है जब हम कोई फाईल का निमार्ण करते हैं। और उसे सीधे सेव कर देते हैं। तो वह my document में सेव हो जाती है, my music, my picture, my videos आदि फोल्डर default रूप से इसी में रहते हैं। यह फोल्डर desktop पर एवं स्टार्ट मीनू में रहता है। इसका प्रयोग हम दोनो जगह से कर सकते हैं।
Task bar:- windows का टास्क बार बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है इस पर उपयोग किये जाने वाले प्रोग्राम दिखाई देते है। यहाॅ से हम प्रयोग किये जाने वाले प्रोग्राम कोclose,minimize or maximize कर सकते हैं।Window xp में टास्कबार इम्प्रूव किया गया है। इसमें टास्क बार को लाॅक किया जा सकता है। इसमें टास्कबार को एक स्थान से दूसरे स्थान पर मूव कर सकते है। यदिअधिक प्रोग्राम खुल जाते है। तो उनकी ग्रुपिेग भी कर सकते है। इसमें दायें तरफ नोटिफिकेशन एरिया होता है जिसमें समय नेटवर्क या कुछ महत्तपूर्ण प्रोग्राम कोजोड सकते है।यदि अधिक प्रोग्राम खुल जाते है। तो इसमें स्क्राॅलिंग भी कर सकते हैं।
Start button -: जब window xp को पहली बार चलाते है तो स्टार्ट मीनू स्वतः दिखाई देता है। इसके अन्दर विंडोज के सभी प्रोग्राम,एवं जो प्रोग्राम हम स्थापित करते है वे सब इसमें अपने आप जुड जाते है। और उनको बाद में स्टार्ट मीनू से प्रयोग किया जा सकता है। इसमें कण्ट्रोल पैनल सर्च नेटवर्क आदि आप्शन होते है। जिससे कम्प्यूटर की setting को change किया जा सकता है window xp में start button को customize किया जा सकता है। स्टार्ट बटन विंडो का आधार होता है । कम्प्यूटर को स्टार्ट करके प्रोग्राम को स्टार्ट बटन से ही खोला जाता है। मीनू के अन्दर सब मीनू होते जो तीर के निशान से प्रदर्शित होते है।
Files and Folder : – आप जानते है किसी कंप्यूटर में बनायीं जाने वाली फाईलो को किसी माध्यम पर स्टोर किया जाता है जैसे- हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क आदि फाइल्स की बड़ी संख्या के कारण उन्हें विभिन्न समूहों या डायरेक्टरीयो में बाँट कर रखा जाता है ताकि कोई विशेष फाइल को ढूँढना तथा उसका प्रयोग करना आसान हो हर कंप्यूटर में ईएसआई या इससे मिलती जुलती व्यवस्था होती है विंडोस में भी फाईलो को व्यवस्थित करने की इसी विधि का उपयोग किया जाता है
Recycle Bin
Window operating system का एक विशेष फोल्डर होता है जिसकी सहायता से आप अपनी डिलीट की हुई फाइल्स तथा फोल्डर को सरलता से बचा सकते है | हार्ड डिस्क से हटाई हुई प्रत्येक वस्तु (object) तुरंत Recycle Bin में डाल दी जाती है | इस Bin को आप बाद में कभी भी खोल सकते है और यदि आवश्यक हो तो हटाए हुए object को फिर से पुरानी जगह पर स्टोर कर सकते है | Recycle Bin को पूरी तरह खाली करना भी संभव है | ऐसा करने से Recycle Bin में स्टोर सभी objects,file,folder मिटा दिए जाते है इसके बाद उन्हें फिर से प्राप्त करना संभव नहीं है | Recycle Bin का आकार संपूर्ण हार्ड डिस्क के आकार या क्षमता के किसी प्रतिशत के रूप में सेट किया जाता है इस Recycle Bin का आकर जितना बढ़ा होगा, यह उतनी ही ज्यादा हटाई गई फाइलो को स्टोर करेगा | जब recycle bin स्पेस नहीं बचता तब नयी डिलीट की गई फाइल्स के लिए जगह बनाने के लिए सबसे पुरानी डिलीट की गयी फाइल को हटा दिया जाता है |
Restore files from recycle bin
रीसायकल बिन को खाली करना (Emptying Recycle Bin) :- किसी फाइल पर right click करके आने वाले शार्टकट मेन्यु में डिलीट आप्शन पर क्लिक करके हम उस फाइल को स्थायी रूप से हटा सकते है | यदि हमे रीसायकल बिन की सभी फाइल्स स्थायी रूप से हटानी है, और Recycle Bin को खाली करना है तो बिना किसी फाइल को सेलेक्ट किये फाइल मेन्यु में Empty Recycle Bin Command पर क्लिक करते है |या शॉर्टकट मेथर्ड का प्रयोग करते है Recycle bin के आइकॉन पर राईट क्लिक करते है जिससे एक पॉपअप मेनू ओपन होगा इस मेनू में से empty recycle bin option पर क्लिक करते है |
फ्लॉपी को फॉर्मेट करना (Formatting Floppy) :-किसी फ्लॉपी को चुम्बकीय ट्रेक और सेक्टर में बांटकर कार्य के लिए तैयार करना फोर्मेटिंग कहलाता है ,अगर हम नयी फ्लॉपी का उपयोग कर रहे है तो पहले उसे फॉर्मेट करना आवश्यक होता है ,formatting के बाद ही हम उसमे फाइल्स स्टोर कर सकते है |यदि हम पहले से उपयोग की जा रही फ्लॉपी को format करेगे तो उसमे संगृहित सभी फाईल्स नष्ट हो जाएगी तथा फ्लॉपी में नए सिरे से ट्रेक और सेक्टर बन जायेगे इसकी पूरी प्रक्रिया निम्नानुसार है –
पहले उस फ्लॉपी को फ्लॉपी ड्राइव में लगायेगे जिसे format करना है
My computer icon पर डबल क्लिक कर My computer विंडो खोलेगे जिसमे हमे फ्लॉपी ड्राइव का आइकॉन दिखायी देगा
फ्लॉपी ड्राइव के आइकॉन पर राईट क्लिक कर शार्टकट मेन्यु में format command पर क्लिक करेगे
format dialog box open होगा, जिसमे स्टार्ट बटन पर क्लिक करते ही फ्लॉपी की formatting प्रारम्भ हो जाएगी|
How to burn CD and DVD
CD Burning:-
जब हम फाईलो को CD में संगृहीत करते है तो यह प्रक्रिया CD Burning कहलाती है| इसके लिए हमारे कंप्यूटर में CD होना आवश्यक होता है यह कार्य विशेष CD Burning Software के माध्यम से किया जाता है इसके लिए Nero सर्वाधिक लोकप्रिय सॉफ्टवेयर है इस प्रक्रिया को CD Write करना भी कहते है यह प्रक्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है –
सबसे पहले एक खाली CD,CD Writer में लगायेगे जिसमे फाईले संगृहीत होती है
Start Menu में All Program में पर जाकर Nero option पर जाकर Nero Start mart पर click करेगे करेगे ,करेगे, जिससे विंडो खुलेगी |
Data में Make Data Disk पर click करेगे जिससे निम्न चित्रानुसार Express Window Open होगा
उपर्युक्त विंडो में add button पर click करने पर एक और विंडो खुलती है जिसमें हम उन फाईलो का चयन कर add button पर click करेगे जिन्हें CD पर Copy करना है |
तीसरे स्टेप पूरी होने पर Finished button पर क्लिक करेगे जिससे फाईल सेलेक्ट करने के लिए खुली विंडो बंद हो जाएगी
Nero express window में next button पर click करेगे|
अंत में burn button पर click करेगे जिससे फाईलो को CD में संगृहीत करने की प्रक्रिया संपन्न होगी|