Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं| इनपुट डिवाइस कंप्यूटर तथा मानव के मध्य संपर्क की सुविधा प्रदान करते हैं| Computer में कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं|
“Input Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|”
Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –
Keyboard
Mouse
Joystick
Trackball
Light pen
Touch screen
Digital Camera
Scanner
Digitizer Tablet
Bar Code Reader
OMR
OCR
IMCR
ATM
की-बोर्ड (Keyboard)
की-बोर्ड कंप्यूटर का एक पेरिफेरल है जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता हैं| की-बोर्ड को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट करने के लिये डिजाइन किया गया हैं| भौतिक रूप से, कंप्यूटर का की-बोर्ड आयताकार होता हैं| इसमें लगभग 108 Keys होती हैं| की-बोर्ड में कई प्रकार की कुंजियाँ (Keys) होती है जैसे- अक्षर (Alphabet), नंबर (Number), चिन्ह (Symbol), फंक्शन की (Function Key), एर्रो की (Arrow Key) व कुछ विशेष प्रकार की Keys भी होती हैं|
हम की-बोर्ड की संरचना के आधार पर इसकी कुंजियो को छ: भागो में बाँट सकते है-
एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys)
न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)
फंक्शन की (Function Keys)
विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special Purpose Keys)
मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier Keys)
कर्सर कुंजियाँ (Curser Keys)
एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys):- Alphanumeric Keys की-बोर्ड के केन्द्र में स्थित होती हैं| Alphanumeric Keys में Alphabets (A-Z), Number (0-9), Symbol (@, #, $, %, ^, *, &, +, !, = ), होते हैं| इस खंड में अंको, चिन्हों, तथा वर्णमाला के अतिरिक्त चार कुंजियाँ Tab, Caps, Backspace तथा Enter कुछ विशिष्ट कार्यों के लिये होती हैं|
न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad):- न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad) में लगभग 17 कुंजियाँ होती हैं| जिनमे 0-9 तक के अंक, गणितीय ऑपरेटर (Mathematic operators) जैसे- +, -. *, / तथा Enter key होती हैं |
फंक्शन की (Function Keys):- की-बोर्ड के सबसे ऊपर संभवतः ये 12 फंक्शन कुंजियाँ होती हैं| जो F1, F2……..F12 तक होती हैं| ये कुंजियाँ निर्देशों को शॉट-कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होती हैं| इन Keys के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुरूप बदलते रहते हैं|
विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special Purpose Keys):- ये कुंजियाँ कुछ विशेष कार्यों को करने के लिये प्रयोग की जाती है| जैसे- Sleep, Power, Volume, Start, Shortcut, Esc, Tab, Insert, Home, End, Delete, इत्यादि| ये कुंजियाँ नये ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के अनुरूप होती हैं|
मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier Keys):- इसमें तीन कुंजियाँ होती हैं, जिनके नाम SHIFT, ALT, CTRL हैं| इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता हैं, परन्तु जब अन्य किसी कुंजी के साथ इनका प्रयोग होता हैं तो ये उन कुंजियो के इनपुट को बदल देती हैं| इसलिए ये मॉडिफायर कुंजी कहलाती हैं|
कर्सर कुंजियाँ (Cursor Keys):- ये चार प्रकार की Keys होती हैं UP, DOWN, LEFT तथा RIGHT | इनका प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव कराने के लिए किया जाता है|
की-बोर्ड के प्रकार
साधारण कीबोर्ड (Normal Keyboard)
तार रहित की-बोर्ड (Wireless Keyboard)
अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic Keyboard)
साधारण कीबोर्ड:- साधारण कीबोर्ड वे कीबोर्ड होते हैं, जो सामान्य रूप से प्रयोग (Use) किये जाते हैं, जिसे User अपने PC में प्रयोग करता हैं | इसका आकार आयताकार होता है, इसमें लगभग 108 Keys होती हैं एवं इसे Computer से Connect करने के लिए एक Cable होती हैं जिसे CPU से जोडा जाता हैं|
तार रहित की-बोर्ड:- तार रहित की-बोर्ड (Wireless Keyboard) प्रयोक्ता (User) को की- बोर्ड में तार के प्रयोग से छुटकारा दिलाता है | कुछ कंपनियों ने तार रहित की-बोर्ड का बाजार में प्रवेश कराया है| यह की-बोर्ड सीमित दूरी तक कार्य करता है| यह तार रहित की-बोर्ड थोडा महँगा होता है तथा इसमें थोड़ी तकनीकी जटिलता होती है| इसमें तकनीकी जटिलता होने के कारण इसका प्रचलन बहुत अधिक नहीं हो पाया है|
अरगानोमिक की-बोर्ड:- बहुत सारी कंपनियों ने एक खास प्रकार के की-बोर्ड का निर्माण किया है, जो प्रयोक्ता (User) को टाइपिंग करने में दूसरे की-बोर्ड की अपेक्षा आराम देता है| ऐसे की-बोर्ड अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic Keyboard) कहलाते है ऐसे की-बोर्ड विशेष तौर पर प्रयोक्ता (User) की कार्य क्षमता बढाने के साथ साथ लगातार टाइपिंग करने के कारण उत्पन्न होने वाले कलाई (Wrist) के दर्द को कम करने में सहायता देता है |
माउस (Mouse)
वर्तमान समय में माउस सर्वाधिक प्रचलित Pointer Device है, जिसका प्रयोग चित्र या ग्राफिक्स (Graphics) बनाने के साथ साथ किसी बटन (Button) या मेन्यू (Menu) पर क्लिक करने के लिये किया जाता है | इसकी सहायता से हम की-बोर्ड का प्रयोग किये बिना अपने पी.सी. को नियंत्रित कर सकता है |
माउस में दो या तीन बटन होते है जिनकी सहायता से कंप्यूटर को निर्देश दिये जाते है| माउस को हिलाने पर स्क्रीन पर Pointer Move करता है| माउस के नीचे की ओर रबर की गेंद (Boll) होती है| समतल सतह पर माउस को हिलाने पर यह गेंद घुमती है|
माउस के कार्य:-
क्लिकिंग (Clicking)
डबल क्लिकिंग (Double Clicking)
दायाँ क्लिकिंग (Right Clicking)
ड्रैगिंग (Dragging)
स्क्रोलिंग (Scrolling)
माउस के प्रकार:- माउस प्रायः तीन प्रकार के होते है |
मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)
प्रकाशीय माउस (Optical Mouse)
तार रहित माउस (Cordless Mouse)
मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse): मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse) वे माउस होते है| जिनके निचले भाग में एक रबर की गेंद लगी होती है जब माउस को सतह पर घुमाते है तो वह उस खोल के अंदर घुमती है माउस के अंदर गेंद के घूमने से उसके अंदर के सेन्सर्स (Censors) कंप्यूटर को संकेत (Signal) देते है
प्रकाशीय माउस (Optical Mouse):- प्रकाशीय माउस (Optical Mouse) एक नये प्रकार का नॉन मैकेनिकल (non-mechanical) माउस है | इसमें प्रकाश की एक पुंज (किरण) इसके नीचे की सतह से उत्सर्जित होती है जिसके परिवर्तन के आधार पर यह ऑब्जेक्ट (Object) की दूरी, तथा गति तय करता है |
तार रहित माउस (Cordless Mouse):- तार रहित माउस (Cordless Mouse) वे माउस है जो आपको तार के झंझट से मुक्ति देता है| यह रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio frequency) तकनीक की सहायता से आपके कंप्यूटर को सूचना कम्युनिकेट (Communicate) करता हैं| इसमें दो मुख्य कम्पोनेंट्स ट्रांसमीटर तथा रिसीवर होते है ट्रांसमीटर माउस में होता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (Electromagnetic) सिग्नल (Signal) के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक किये जाने की सूचना भेजता है रिसीवर जो आपके कंप्यूटर से जुड़ा होता है उस सिग्नल को प्राप्त करता है |
जॉयस्टिक (Joystick)
यह डिवाइस (Device) वीडियो गेम्स खेलने के काम आने वाला इनपुट डिवाइस (Input Device) है इसका प्रयोग बच्चो द्वारा प्रायः कंप्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है| क्योकि यह बच्चो को कंप्यूटर सिखाने का आसान तरीका है| वैसे तो कंप्यूटर के सारे खेल की-बोर्ड द्वारा खेले जा सकते है परन्तु कुछ खेल तेज गति से खेले जाते है उन खेलो में बच्चे अपने आप को सुबिधाजनक महसूस नहीं करते है इसलिए जॉयस्टिक का प्रयोग किया जाता है |
ट्रैकबाल (Trackball)
ट्रैक बोंल एक Pointing input Device है| जो माउस (Mouse) की तरह ही कार्य करती है | इसमें एक उभरी हुई गेंद होती है तथा कुछ बटन होते है| सामान्यतः पकड़ते समय गेंद पर आपका अंगूठा होता है तथा आपकी उंगलियों उसके बटन पर होती है| स्क्रीन पर पॉइंटर (Pointer) को घुमाने के लिये अंगूठा से उस गेंद को घुमाते है ट्रैकबोंल (Trackball) को माउस की तरह घुमाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिये यह अपेक्षाकृत कम जगह घेरता है | इसका प्रयोग Laptop, Mobile तथा Remold में किया जाता हैं |
लाइट पेन (Light Pen)
लाइट पेन (Light Pen) का प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर कोई चित्र या ग्राफिक्स बनाने में किया जाता है लाइट पेन में एक प्रकाश संवेदनशील कलम की तरह एक युक्ति होती है| अतः लाइट पेन का प्रयोग ऑब्जेक्ट के चयन के लिये होता है| लाइट पेन की सहायता से बनाया गया कोई भी ग्राफिक्स कंप्यूटर पर संग्रहित किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार इसमें सुधार किया जा सकता है |
टच स्क्रीन (Touch Screen)
टच स्क्रीन (Touch Screen) एक Input Device है| इसमें एक प्रकार की Display होती है| जिसकी सहायता से User किसी Pointing Device की वजह अपनी अंगुलियों को स्थित कर स्क्रीन पर मेन्यू या किसी ऑब्जेक्ट का चयन करता है| किसी User को कंप्यूटर की बहुत अधिक जानकारी न हो तो भी इसे सरलता से प्रयोग किया जा सकता है | टच स्क्रीन (Touch Screen) का प्रयोग आजकल रेलवेस्टेशन, एअरपोर्ट, अस्पताल, शोपिंग मॉल, ए.टी.ऍम. इत्यादि में होने लगा है |
बार-कोड रीडर (Bar code reader
बार-कोड रीडर (Bar code reader) का प्रयोग Product के ऊपर छपे हुए बार कोड को पढ़ने के लिये किया जाता है किसी Product के ऊपर जो Bar Code बार-कोड रीडर (Bar code reader) के द्वारा उत्पाद की कीमत तथा उससे सम्बंधित दूसरी सूचनाओ को प्राप्त किया जा सकता हैं|
स्कैनर (Scanner)
स्केनर (Scanner) एक Input Device है ये कंप्यूटर में किसी Page पर बनी आकृति या लिखित सूचना को सीधे Computer में Input करता है इसका मुख्य लाभ यह है कि User को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती हैं|
ओ.एम.आर. (OMR)
ओ.एम.आर. (OMR) या ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader) एक ऐसा डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जांचता है इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जांचा जाता है| जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी | ओ.एम.आर. (OMR) किसी परीक्षा की उत्तरपुस्तिका को जाँचने के लिये प्रयोग की जाती है| इन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र में वैकल्पिक प्रश्न होते हैं |
ओ.सी.आर. (OCR)
ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकोग्निशन (Optical Character Recognition) अथवा ओ.सी.आर.(OCR) एक ऐसी तकनीक है | जिसका प्रयोग किसी विशेष प्रकार के चिन्ह, अक्षर, या नंबर को पढ़ने के लिये किया जाता है इन कैरेक्टर को प्रकाश स्त्रोत के द्वारा पढ़ा जा सकता हैं| ओ.सी.आर (OCR) उपकरण टाइपराइटर से छपे हुए कैरेक्टर्स, कैश रजिस्टर के कैरक्टर और क्रेडिट कार्ड के कैरेक्टर को पढ़ लेता हैं| ओ.सी.आर (OCR) के फॉण्ट कंप्यूटर में संग्रहित रहते है | जिन्हें ओ.सी.आर. (OCR) स्टैंडर्ड कहते हैं|
ए.टी.एम.(ATM)
स्वचालित मुद्रा यंत्र या ए.टी.एम. (Automatic Teller Machine) ऐसा यंत्र है जो हमे प्रायः बैंक में, शॉपिंग मौल में, रेलवे स्टेशन पर, हवाई अड्डों पर, बस स्टैंड पर, तथा अन्य महत्वपूर्ण बाजारों तथा सार्वजनिक स्थानों पर मिल जाता हैं| ए.टी.एम. की सहायता से आप पैसे जमा भी कर सकते है, निकाल भी सकते है, और बैलेंस भी चेक कर सकते है| ए.टी.एम. की सुबिधा 24 घंटे उपलब्ध रहती है|
एम.आई.सी.आर.(MICR)
मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकोग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition) व्यापक रूप से बैंकिंग में प्रयोग होता है, जहाँ लोगो को चेकों की बड़ी संख्या के साथ काम करना होता हैं| इसे संक्षेप में एम.आई.सी.आर.(MICR) कहाँ जाता हैं| एम.आई.सी.आर (MICR) का प्रयोग चुम्बकीय स्याही (Megnatic Ink) से छपे कैरेक्टर को पढ़ने के लिये किया जाता हैं| यह मशीन तेज व स्वचलित होतीहैं साथ ही इसमें गलतियां होने के अवसर बिल्कुल न के बराबर होते हैं|
“वे उपकरण जिनके द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामों को प्राप्त किया जाता है आउटपुट डिवाइसेज कहलाते हैं ”
आउटपुट डिवाइस कई प्रकार के होते है |
मॉनीटर (Monitor)
प्रिंटर (Printer)
प्लोटर (Plotter)
प्रोजेक्टर (Projector)
साउंड कार्ड (Sound Card)
इअर फोन(Ear phone)
मॉनीटर(Monitor:-
मॉनीटर(Monitor) एक ऐसा आउटपुट संयंत्र (Output Device) है जो टी.वी. जैसे स्क्रीन पर आउटपुट को प्रदर्शित करता है इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit) भी कहते है मॉनीटर (Monitor) को सामान्यतः उनके द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
मोनोक्रोम (Monochrome):- यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते हैतथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|
ग्रे-स्केल (Gray-Scale):- यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं
रंगीन मॉनीटर (Color Monitors):- ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोलुशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं
प्रिंटर (Printer):-
प्रिंटर एक ऑनलाइन आउटपुट डिवाइस (Online Output Device) है जो कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी को कागज पर छापता है कागज पर आउटपुट (Output) की यह प्रतिलिपि हार्ड कॉपी (Hard Copy) कहलाती है कंप्यूटर से जानकारी का आउटपुट (Output) बहुत तेजी से मिलता है और प्रिंटर (Printer) इतनी तेजी से कार्य नहीं कर पाता इसलिये यह आवश्यकता महसूस की गयी कि जानकारियों को प्रिंटर (Printer) में ही स्टोर (Store) किया जा सके इसलिये प्रिंटर (Printer) में भी एक मेमोरी (Memory) होती है जहाँ से यह परिणामों को धीरे-धीरे प्रिंट करता हैं
“प्रिंटर (Printer) एक ऐसा आउटपुट डिवाइस (Output Device) है जो सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) में परिवर्तित (Convert) करता हैं”
Plotter:-
Plotter एक आउटपुट डिवाइस हैं इससे चित्र (Drawing), चार्ट (Chart), ग्राफ (Graph) आदि को प्रिंट किया जा सकता हैं यह 3 D Printing भी कर सकते हैं इसके द्वारा बैनर पोस्टर आदि को प्रिंट किया जा सकता हैं
“Plotter एक ऐसा आउटपुट डिवाइस हैं जो चार्ट (chart), ग्राफ (Graph), चित्र (Drawing), रेखाचित्र (Map) आदि को हार्ड कॉपी पर प्रिंट करता हैं ”
यह दो प्रकार के होते हैं
Drum pen Plotter
Flat bed Plotter
Sound Card & Speaker:-
साउंड कार्ड एक विस्तारक (Expansion) बोर्ड होता है जिसका प्रयोग साउंड को सम्पादित (Transacted) करने तथा Output देने के लिए किया जाता है कंप्यूटर में गाने सुनने फिल्म देखने या गेम खेलने के लिए इसका प्रयोग किया जाना आवश्यक होता है आजकल यह Sound Card मदर बोर्ड में पूर्व निर्मित (in built) होता हैं साउंड कार्ड तथा स्पीकर एक दूसरे के पूरक होते हैं साउंड कार्ड की सहायता से ही स्पीकर ध्वनि उत्पन्न करता हैं प्राय: सभी साउंड कार्ड MIDI (Musical Instrument Digital Interface) Support करते हैं मीडी संगीत को इलेक्ट्रोनिक रूप में व्यक्त करने का एक मानक हैं साउंड कार्ड दो तरीको से डिजिटल डाटा को एनालॉग सिग्नल में बदलता हैं|
Projector:-
प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर प्रदर्शित करके श्रोताओ को दिखाने के लिए किया जाता हैं|
प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर
मॉनीटर(Monitor)
Monitor एक आउटपुट डिवाइस है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft Copy के रूप में प्रदर्शित करता है। माॅनिटर द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।
मोनोक्रोम (Monochrome):-
यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|
ग्रे-स्केल (Gray-Scale):-
यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं
रंगीन मॉनीटर (Color Monitors):- ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं|
Types of Monitor (मोनीटर के प्रकार):-
CRT Monitor
Flat Panel Monitor
LCD (Liquid Crystal Display)
LED ( Light Emitting Diode)
CRT Monitor:-
CRT Monitor सबसे ज्यादा Use होने वाला Output Device हैं जिसे VDU (Visual display Unit) भी कहते हैं इसका Main Part cathode Ray tube होती हैं जिसे Generally Picture tube कहते हैं अधिकतर मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी.वी. सेट के समान होता है यह ट्यूब सी.आर.टी. कहलाती है सी.आर.टी. तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है CRT में Electron gun होता है जो की electrons की beam और cathode rays को उत्सर्जित करती है ये Electron beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकि electron की Speed को कम किया जा सके CRT Monitor की Screen पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic beam Screen से टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और Screen पर Image या Layout दिखाई देता हैं
LCD (Liquid Crystal Display):-
CRT Monitor बिलकुल टेलीविजन की तरह हुआ करते थे Technology के विकास के साथ Monitor ने भी अपने रूप बदले और आज CRT Monitor के बदले LCD Monitor प्रचलन में आ गए है यह Monitor बहुत ही आकर्षित होते हैं Liquid Crystal Display को LCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं यह Display सबसे पहले Laptop में Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computer के लिए भी प्रयोग हो रहा हैं
Flat panel Monitor:–
CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी जिसमे कैमीकल व गैसों को एक प्लेट में रखकर उसका प्रयोग Display में किया जाता है यह बहुत पतली स्क्रीन (Screen) होती है| flat Panel वजन में हल्की तथा बिजली की खपत कम करने वाली होती है इसमें द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display-LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है LCD में CRT तकनीक की अपेक्षा कम स्पष्टता होती है इनका Use Laptop आदि में किया जाता हैं
मॉनीटर के लक्षण:-
किसी भी प्रकार के मॉनीटर के अंदर कुछ खास लक्षण होते है जिनके आधार पर ही इनके गुणवत्ता को परखा जाता है मॉनीटर के मुख्य लक्षण रेजोल्यूशन रिफ्रेश दर डोंट पिच इंटरलेसिंग नॉन इंटरलेसिंग बिट मेपिंग आदि है जिनके आधार पर इनकी गुणवत्ता को परखा जाता हैं
रेजोल्यूशन (Resolution):-
मॉनीटर का महत्वपूर्ण गुण – रेजोल्यूशन (Resolution) यह स्क्रीन (Screen) के चित्र (Picture) की स्पष्टता (Sharpness) को बताता है अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन (Screen) के छोटे छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते है स्क्रीन के ये छोटे छोटे डॉट (Dots) पिक्सल (Pixels) कहलाते है यहाँ पिक्सल (Pixels) शब्द पिक्चर एलीमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सल होगें स्क्रीन का रेजोल्यूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात चित्र (Image) उतना ही स्पष्ट होगा एक डिस्प्ले रेजोल्यूशन (Resolution) माना 640*480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Row) से बनी है|
Refresh Rate:- माॅनीटर लगातार कार्य करता रहता है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज दायें से बायें एवं ऊपर से नीचे मिटती बनती रहती है। जो इलेक्ट्रान गन से व्यवस्थित होता रहता है। इसका अनुभव हम तभी कर पाते है जब स्क्रीन क्लिक करते है या जब रिफ्रेश दर कम होती है । माॅनीटर में रिफ्रेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।
Dot Pitch:- डाॅट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। जो यह प्रदर्शित करती है। की दो पिक्सल के मध्य horizontal अन्तर या दूरी कितनी है। इसका मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह माॅनीटर की गुणवत्ता को प्रदर्षित करता है। माॅनीटर में डाॅटपिच कम होना चाहिये। इसको फाॅस्फर पिच भी कहा जाता है। कलर माॅनीटर की डाॅट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।
Interlacing or non Interlacing:- यह एक ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की माॅनीटर में रेजोल्यूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्वि करती है। इन्टरलेसिंग माॅनीटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाईन खीचती थी क्योंकि इन्टरलेसिंग माॅनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेष करता है। यह माॅनीटर प्रत्येक रिफ्रेष साइकिल में दो से अधिक लाइनों को प्रदर्षित कर सकता है। इसकी केवल यह कमी थी कि इसका तमेचवदेम जपउम धीमा होता था।दोनों प्रकार के माॅनीटर की रेजोलूषन क्षमता अच्छी होती है। परन्तु नाॅन इन्टरलेसिंग माॅनीटर ज्यादा अच्छा होता है।
Bit Mapping:- पहले जो माॅनीटरस का प्रयोग किया जाता था उनमें केवल टेक्स को हो डिस्प्ले किया जा सकता था और इनकी पिक्सेल की संख्या सीमित होती थी। जिससे टेक्स का निमार्ण किया जाता था। ग्राफिक्स विकसित करने के लिये जो तकनीकी प्रयोग की गई जिसमें टेक्स और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्षित किया जा सकता हैं वह बिट मैपिंग कहलाती है। इस तकनीकी में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल आॅपरेट के द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे आॅपरेटर किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।
वीडियो मानक या डिस्प्ले पद्धति (Video Standard or Display Modes)
वीडियो मानक से तात्पर्य मॉनीटर में लगाये जाने वाले तकनीक से है| पर्सनल कंप्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है| अब तक परिचित हुए मानकों में वीडियो स्टैंडर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter)
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter)
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array)
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array)
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter):-
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter) को संक्षिप्त में सी.जी.ए.(CGA) कहते है| इसका निर्माण 1981 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (International business Machine) नामक कंपनी ने किया था यह डिस्प्ले (Display) चार रंगों को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता था तथा प्रदर्शन क्षमता 320 पिक्सेल (Pixels) क्षेतिज (Horizontal) तथा 200 पिक्सेल (Pixels) उदग्र (Vertical) थी यह प्रणाली विंडोज के साधारण खेलो के लिए प्रयोग में आती थी यह ग्राफिक्स (Graphics) या इमेज (Image) के लिए पर्याप्त नहीं था
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) ने सन् 1984 में किया था यह डिस्प्ले सिस्टम (Display System) 16 अलग-अलग रंगों को प्रदर्शित करता था इसकी प्रदर्शन क्षमता सी.जी.ए. (CGA) की अपेक्षा अधिक बेहतर यानि पिक्सल (Pixels) क्षैतिज (Horizontal) तथा पिक्सल उदग्र (Vertical) थी इस सिस्टम ने अपनी प्रदर्शन क्षमता को सी.जी.ए. (CGA) से और अधिक बेहतर बनाया यह डिस्प्ले सिस्टम टेक्स्ट (Text) की अपेक्षा अधिक आसानी से पढ़ सकता था इसके बावजूद ई.जी.ए. (EGA) अधिक क्षमता वाली ग्राफिक्स (Graphics) तथा डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing) के लिए उपयुक्त नहीं था
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी द्वारा 1987 में किया गया था इसकी स्पष्टता इसमें प्रयोग किये जाने वाले रंगों (Colors) पर निर्भर होती थी इसमें 16 रंग (Color) 640*480 पिक्सेल (Pixels) पर व 256 रंग (Color) 320*200 पिक्सेल (Pixels) पर प्रयोग (Use) किये जा सकते हैं आजकल VGA मॉनीटर का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी ने सन् 1990 में किया था इसमें 16 लाख रंगों (Colors) में 800*600 पिक्सेल का रेजोलुशन (Resolution) तथा 65536 मिलियन रंगों (Colors) में 1024*768 पिक्सेल (pixel) का रेजोलुशन (Resolution) प्रदर्शित करता था
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array):-
आजकल सभी PC कंप्यूटर में SVGA का प्रयोग किया जा रहा है यह मॉनीटर 1 करोड़ 60 लाख रंगों (Color) को प्रदर्शित (Display) करने की क्षमता रखता है छोटे आकार के SVGA Monitor 800 पिक्सेल (Pixel) क्षैतिज (Horizontal) तथा 600 पिक्सेल (Pixel) उदग्र (Vertical) प्रदर्शित करते हैं तथा बड़े आकार के SVGA मॉनीटर 1280*1024 या 1600*1200 पिक्सेल (Pixel) रेजोलुशन (Resolution) प्रदर्शित (Display) करते हैं
प्रिंटर एक ऑनलाइन आउटपुट डिवाइस (Online Output Device) है जो कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी को कागज पर छापता है कागज पर आउटपुट (Output) की यह प्रतिलिपि हार्ड कॉपी (Hard Copy) कहलाती है कंप्यूटर से जानकारी का आउटपुट (Output) बहुत तेजी से मिलता है और प्रिंटर (Printer) इतनी तेजी से कार्य नहीं कर पाता इसलिये यह आवश्यकता महसूस की गयी कि जानकारियों को प्रिंटर (Printer) में ही स्टोर (Store) किया जा सके इसलिये प्रिंटर (Printer) में भी एक मेमोरी (Memory) होती है जहाँ से यह परिणामों को धीरे-धीरे प्रिंट करता हैं|
“प्रिंटर (Printer) एक ऐसा आउटपुट डिवाइस (Output Device) है जो सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) में परिवर्तित (Convert) करता हैं|”
प्रिंटिंग विधि (Printing Method):- प्रिंटिंग (Printing) में प्रिंट करने की विधि बहुत महत्वपूर्ण कारक है प्रिंटिंग विधि (Printing Method) दो प्रकार की इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing) तथा नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing) होती है|
इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing):-
Impact Printer वे प्रिंटर होते हैं जो अपना Impact (प्रभाव) छोड़ते हैं जैसे टाइपराइटर प्रिंटिंग (Printing) की यह विधि टाइपराइटर (Typewriter) की विधि के समान होती है जिसमें धातु का एक हैमर (hammer) या प्रिंट हैड (Print Head) होता है जो कागज व रिबन (Ribbon) से टकराता है इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing) में अक्षर या कैरेक्टर्स ठोस मुद्रा अक्षरों (Solid Font) या डॉट मेट्रिक्स (Dot Matrix) विधि से कागज पर उभरते हैं Impact Printer की अनेक विधियाँ हैं| जैसे-
Dot Matrix Printer
Daisy Wheel Printer
line Printer
Chain Printer
Drum Printer etc.
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer):- यह एक इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) है अतः यह प्रिंटिंग करते समय बहुत शोर करता हैं इस प्रिंटर के प्रिंट हैड (Print Head) में अनेक पिनो (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है और प्रत्येक पिन के रिबिन (Ribbon) और कागज (Paper) पर स्पर्श से एक डॉट (Dot) छपता हैं अनेक डॉट मिलकर एक कैरेक्टर बनाते (Character) है प्रिंट हैड (Print Head) में 7, 9, 14, 18 या 24 पिनो (Pins) का उर्ध्वाधर समूह (Horizontal Group) होता है एक बार में एक कॉलम की पिने प्रिंट हैड (Print Head) से बाहर निकलकर डॉट्स (Dots) छापती है जिससे एक कैरेक्टर अनेक चरणों (Steps) में बनता है और लाइन की दिशा में प्रिंट हैड आगे बढ़ता जाता है डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) की प्रिंटिंग गति (Printing Speed) 30 से 600 कैरेक्टर प्रति सेकंड (CPS-Character Per Second) होती हैं डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) में पूर्व निर्मित मुद्रा अक्षर (Font) नहीं होते हैं इसलिये ये विभिन्न आकार-प्रकार और भाषा के कैरेक्टर (Character) ग्राफिक्स (Graphics) आदि छाप सकता हैं यह प्रिंट हैड (Print Head) की मदद से कैरेक्टर बनाते है जो की कोड (0 और 1) के रूप में मेमोरी (Memory) से प्राप्त करते है प्रिंट हैड में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (Electronic Circuit) मौजूद रहता है जो कैरेक्टर को डिकोड (Decode) करता हैं इस प्रिंटर की प्रिंट क्वालिटी (Quality) अच्छी नहीं होती हैं|
डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer):- यह ठोस मुद्रा अक्षर (Solid Font) वाला इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) है इसका नाम डेजी व्हील (Daisy Wheel) इसलिये दिया गया है क्योंकि इसके प्रिंट हैड की आकृति एक पुष्प गुलबहार (Daisy) से मिलती हैं डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer) धीमी गति का प्रिंटर है लेकिन इसके आउटपुट की स्पष्टता उच्च होती है इसलिये इसका उपयोग पत्र (Letter) आदि छापने में होता है और यह लैटर क्वालिटी प्रिंटर (Letter Quality Printer) कहलाता है इसके प्रिंट हैड (Print Head) में चक्र या व्हील (Wheel) होता है जिसकी प्रत्येक तान (Spoke) में एक कैरेक्टर (Character) का ठोस फॉण्ट (Solid Font) उभरा रहता हैव्हील कागज की क्षैतिज दिशा में गति करता है और छपने योग्य कैरेक्टर का स्पोक(Spoke) व्हील के घूमने से प्रिंट पोजीशन (Position) पर आता है एक छोटा हैमर (Hemmer) स्पोक रिबन (Ribbon) और कागज पर टकराता हैं जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है इस प्रकार के प्रिंटर अब बहुत कम उपयोग में हैं|
लाइन प्रिंटर (Line Printer):- यह भी एक इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) हैं बड़े कंप्यूटरों के लिए उच्च गति (High Speed) के प्रिंटरो की आवश्यकता होती है उच्च गति के प्रिंटर एक बार में एक कैरेक्टर छापने की बजाय एक लाइन पृष्ट को एक बार में छाप सकते है इनकी छापने की गति 300 से 3000 लाइन प्रति मिनिट (Line Per Minute) होती हैं ये प्रिंटर Mini व Mainframe कंप्यूटर में बड़े कार्यों हेतु प्रयोग किये जाते है लाइन प्रिंटर (Line Printer) तीन प्रकार के होते हैं|
ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)
चैन प्रिंटर (Chain Printer)
बैंड प्रिंटर (Band Printer)
ड्रम प्रिंटर (Drum Printer):- ड्रम प्रिंटर (Drum Printer) में तेज घूमने वाला एक ड्रम (Drum) होता है जिसकी सतह पर अक्षर (Character) उभरे रहते हैं एक बैंड (Band) पर सभी अक्षरों का एक समूह (Set) होता हैं, ऐसे अनेक बैंड सम्पूर्ण ड्रम पर होते हैं जिससे कागज पर लाइन की प्रत्येक स्थिति में कैरेक्टर छापे जा सकते हैं ड्रम तेजी से घूमता हैं और एक घूर्णन (Rotation) में एक लाइन छापता है एक तेज गति का हैमर (Hammer) प्रत्येक बैंड के उचित कैरेक्टर पर कागज के विरुद्ध टकराता हैं और एक घूर्णन पूरा होने पर एक लाइन छप जाती हैं|
चेन प्रिंटर (Chain Printer):- इस प्रिंटर में तेज घूमने वाली एक चेन (Chain) होती है जिसे प्रिंट चेन (Print Chain) कहते हैं चेन में कैरेक्टर छपे होते है प्रत्येक कड़ी (Link) में एक कैरेक्टर का फॉण्ट (Font) होता हैं प्रत्येक प्रिंट पोजीशन (Print Position) पर हैमर (Hammer) लगे होते हैं जिससे हैमर (Hammer) कागज पर टकराकर एक बार में एक लाइन प्रिंट करता हैं|
बैंड प्रिंटर (Band Printer):- यह प्रिंटर चेन प्रिंटर (Chain Printer) के समान कार्य करता है इसमें चेन (Chain) के स्थान पर स्टील का एक प्रिंट बैंड (Print Band) होता है इस प्रिंटर में भी हैमर (Hammer) एक बार में एक लाइन प्रिंट करता हैं|
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing):-
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing) में प्रिंट हैड (Print Head) या कागज (paper) के मध्य संपर्क नहीं होता है इसमें लेजर प्रिंटिंग (Lager Printing) द्वारा तकनीक दी जाती है इसलिये इसकी Quality High होती है Non-Impact Printer की अनेक विधियाँ हैं जैसे-
Laser Printer
Photo Printer
Inkjet Printer
Portable Printer
Multifunctional Printer
Thermal Printer.
लेजर प्रिंटर (Lager printer):- लेजर प्रिंटर (Lager printer) नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिंटर हैं लेजर प्रिंटर का प्रयोग कंप्यूटर सिस्टम में 1970 के दशक से हो रहा हैं पहले ये Mainframe Computer में प्रयोग किये जाते थे 1980 के दशक में लेजर प्रिंटर का मूल्य लगभग 3000 डॉलर था ये प्रिंटर आजकल अधिक लोकप्रिय हैं क्योकि ये अपेक्षाकृत अधिक तेज और उच्च क्वालिटी में टेक्स्ट और ग्राफिक्स छापने में सक्षम हैं अधिकांश लेजर प्रिंटर (Laser Printe) में एक अतिरिक्त माइक्रो प्रोसेसर(Micro Processor) रेम (Ram) व रोम (Rom) का प्रयोग (use) किया जाता है यह प्रिंटर भी डॉट्स (dots) के द्वारा ही कागज पर प्रिंट (print) करता है परन्तु ये डॉट्स (dots) बहुत ही छोटे व पास-पास होने के कारण बहुत सपष्ट प्रिंट (print) होते है इस प्रिंटर में कार्टरेज का प्रयोग किया जाता है जिसके अंदर सुखी स्याही (Ink Powder) को भर दिया जाता हैं लेजर प्रिंटर के कार्य करने की विधि मूलरूप से फोटोकॉपी मशीन की तरह होती है लेकिन फोटोकॉपी मशीन में तेज रोशनी का प्रयोग किया जाता है लेजर प्रिंटर )Laser Printer) 300 से लेकर 600 DPI (Dot Per Inch) तक या उससे भी अधिक रेजोलुशन की छपाई करता है रंगीन लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता हैं इसमें विशेष टोनर होता है जिसमे विभिन्न रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं यह प्रिंटर बहुत महंगे होते है क्योकि इनके छापने की गति उच्च होती हैं तथा यह प्लास्टिक की सीट या अन्य सीट पर आउटपुट (output) को प्रिंट (print) कर सकते है|
लेजर प्रिंटर की विशेषताए :-
उच्च रेजोलुशन
उच्च प्रिंट गति
बड़ी मात्रा में छपाई के लिए उपयुक्त
कम कीमत प्रति प्रष्ट छपाई
लेजर प्रिंटर की कमियां –
इंकजेट प्रिंटर से अधिक महगां
टोनर तथा ड्रम का बदलना महगां
इंकजेट प्रिंटर से बड़ा तथा भारी
थर्मल ट्रांसफर प्रिंटर (Thermal Transfer Printer) – यह एक ऐसी तकनीक है जिसमे कागज पर wax आधारित रिबन से अक्षर प्रिंट (Print) किये जा सकते है इस प्रिंटर के द्वारा किया गया प्रिंट ज्यादा समय के लिए स्थित नहीं रहता अर्थात कुछ समय बाद प्रिंट किया गया Matter पेपर से मिट जाता हैं सामान्यतः इन प्रिंटरो का प्रयोग ATM मशीन में किया जाता हैं|
फोटो प्रिंटर (Photo Printer) – फोटो प्रिंटर एक रंगीन प्रिंटर होता है जो फोटो लैब की क्वालिटी फोटो पेपर पर छापते हैं इसका इस्तेमाल डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग के लिए किया जा सकता है इन प्रिंटरो के पास काफी बड़ी संख्या में नॉजल होते है जो काफी अच्छी क्वालिटी की इमेज के लिए बहुत अच्छे स्याही के बूंद छापता है|
कुछ फोटो प्रिंटर में मिडिया कार्ड रिडर भी होते है ये 4×6 फोटो को सीधे डिजिटल कैमरे के मिडिया कार्ड से बिना किसी कंप्यूटर के प्रिंट कर सकता है ज्यादातर इंकजेट प्रिंटर और उच्च क्षमता वाले लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी की तस्वीरे प्रिंट करने में सक्षम होते हैं कभी कभी इन प्रिंटरो को फोटो प्रिंटर के रूप में बाजार में लाया जाता है बड़ी संख्या में नॉजल तथा बहुत अच्छे बूंदों के अतिरिक्त इन प्रिंटरो में अतिरिक्त फोटो स्यान (cyan) हल्का मैजेंटा (magenta) तथा हल्का काला (black) रंगों में रंगीन कर्टेज होता है ये अतिरिक्त रंगीन कार्टेज को सहायता से अधिक रोचक तथा वास्तविक दिखने जैसा फोटो छापते है इसका परिणाम साधारण इंकजेट तथा लेजर प्रिंटर से बेहतर होता है|
इंक जेट प्रिंटर (Inkjet Printer) – यह Non Impact Printer है जिसमे एक Nozzle (नोजल) से कागज पर स्याही की बूंदो की बौछार करके कैरेक्टर व ग्राफिक्स प्रिंट किये जाते है इस प्रिंटर का आउटपुट बहुत स्पष्ट होता हैक्योंकि इसमें अक्षर का निर्माण कई डॉट्स से मिलकर होता हैं रंगीन इंकजेट प्रिंटर में स्याही के चार नोजल होते है नीलम लाल पीला काला इसलिए इसको CMYK प्रिंटर भी कहा जाता हैं तथा ये चारो रंग मिलकर किसी भी रंग को उत्पन्न कर सकते है इसलिए इनका प्रयोग (use) सभी प्रकार के रंगीन प्रिंटर (Colored Printer) में किया जाता है|
इस प्रिंटर में एक मुख्य समस्या है कि इसके प्रिंट हैड में इंक क्लौगिंग (Ink Clogging) हो जाती है यदि इससे कुछ समय तक प्रिंटिंग ना कि जाये तो। इसके नोजल के मुहाने पर स्याही जम जाती है। जिससे इसके छिद्र बंद हो जाते है। इस समस्या को इंक क्लिोंगिग कहा जाता है। आजकल इस समस्या को हल कर लिया गया है। इसके अलावा इस प्रिंटर की प्रिंटिंग पर यदि नमी आ जाये तो इंक फैल जाती है। इसकी प्रिंटिंग क्वालिटी प्रायः 300 Dot Per Inch होती हैं|
पोर्टेबल प्रिंटर (Portable Printer) – पोर्टेबल प्रिंटर छोटे कम वजन वाले इंकजेट या थर्मल प्रिंटर होते है जो लैपटॉप कंप्यूटर द्वारा यात्रा के दौरान प्रिंट निकलने की अनुमति देते है यह ढोने में आसान इस्तेमाल करने में सहज होते है मगर कापैक्ट डिज़ाइन की वजह से सामान्य इंकजेट प्रिंटरो के मुकाबले महंगे होते है| इनकी प्रिंटिंग की गति भी सामान्य प्रिंटर से कम होती है कुछ प्रिंट डिजिटल कैमरे से तत्काल फोटो निकालने के लिए इस्तेमाल किये जाते है इसलिए इन्हें पोर्टेबल फोटो प्रिंटर कहा जाता है|
मल्टीफंक्शनल/ऑल इन वन प्रिंटर (Multifunctional / All in one Printer) – ऐसा प्रिंटर जिसके द्वारा हम किसी Document को Scan कर सकते हैं उसे प्रिंट कर सकते है तथा प्रिंट करने के बाद फैक्स भी कर सकते हैं उसे मल्टीफंक्शनल प्रिंटर कहा जाता हैं मल्टीफंक्शनल/ऑल इन वन प्रिंटर को मल्टीफंक्शनल डिवाइस (Multi Function Device) भी कहा जाता है यह एक ऐसी मशीन है जिसके द्वारा कई मशीनों के कार्य जैसे प्रिंटर स्कैनर कॉपीयर तथा फैक्स किये जा सकते है मल्टीफंक्शन प्रिंटर घरेलु कार्यालयों (Home Offices) में बहुत लोकप्रिय होता हैं इसमें इंकजेट या लेजर प्रिंट विधि का प्रयोग हो सकता है कुछ मल्टीफंक्शन प्रिंटरो में मिडिया कार्ड रिडर का प्रयोग होता है जो डिजिटल कैमरा से कंप्यूटर के प्रयोग के बगैर सीधे-सीधे इमेज छाप सकता है|
Plotter एक आउटपुट डिवाइस हैं इससे चित्र (Drawing), चार्ट (Chart), ग्राफ (Graph) आदि को प्रिंट किया जा सकता हैं यह 3 D Printing भी कर सकते हैं इसके द्वारा बैनर पोस्टर आदि को प्रिंट किया जा सकता हैं|
“Plotter एक ऐसा आउटपुट डिवाइस हैं जो चार्ट (chart), ग्राफ (Graph), चित्र (Drawing), रेखाचित्र (Map) आदि को हार्ड कॉपी पर प्रिंट करता हैं ”
यह दो प्रकार के होते हैं|
Drum pen Plotter
Flat bed Plotter
Drum Pen Plotter
यह एक ऐसा Plotter हैं जिसमे आकृति बनाने के लिए पेन का प्रयोग किया जाता हैं पेन के द्वारा कागज पर चित्र या आकृति का निर्माण किया जाता है इस डिवाइस में कागज एक ड्रम के ऊपर चढ़ा रहता हैं जो धीरे धीरे खिसकता जाता है और पेन प्रिंट करता जाता हैं यह एक मैकेनिकल कलाकार की तरह कार्य करता हैं कई Drum Pen Plotter में Fiber Tipped pen का प्रयोग होता है यदि उच्च क्वालिटी की आवश्यकता हो तो Technical Drafting Pen का प्रयोग किया जाता हैं कई रंगीन प्लॉटर में चार या चार से अधिक पेन होते हैं प्लॉटर एक आकृति को इंच प्रति सेकंड में प्रिंट करता हैं|
Flat bed Plotter
फ्लैट बेड प्लॉटर में कागज को स्थिर अवस्था में एक बेड या ट्रे में रखा जाता हैं इसमें एक भुजा पर पेन लगा रहता हैं जो मोटर से कागज पर ऊपर-नीचे (Y-अक्ष) और दाये-बाये (X-अक्ष) पर घूमकर चित्र या आकृति का निर्माण करता हैं इसमें पेन कंप्यूटर से नियंत्रित होता हैं|