Computer
O- Oprated
M- Machine
P- Particularly
U- Used In
T- Trade/Thechnology
E- Education
R- Research
What is Computer?
Computer is an advanced electronic device that takes raw data as input from the user and processes these data under the control of set of instructions (called program) and gives the result (output) and saves output for the future use. It can process both numerical and non-numerical (arithmetic and logical) calculations.
कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्तु आजकल इसका use डाक्यूमेन्ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है, computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्दर डाले गये होते हैं, उसके अन्दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है। Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-
Abacus:-
Computer का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है| जब चीन में एक calculation Machine Abacus का अविष्कार हुआ था यह एक Mechanical Device है जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए काम आती थी| Abacus तारों का एक फ्रेम होता हैं इन तारो में बीड (पकी हुई मिट्टी के गोले) पिरोये रहते हैं प्रारंभ में Abacus को व्यापारी Calculation करने के काम में Use किया करते थे यह Machine अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा भाग देने के काम आती हैं|
Blase Pascal:-
शताब्दियों के बाद अनेक अन्य यांत्रिक मशीने अंकों की गणना के लिए विकसित की गई । 17 वी शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Baize Pascal) ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र (Mechanical Digital Calculator) सन् 1645 में विकसित किया गया । इस मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योकि यह केवल जोड़ या घटाव कर सकती थी । यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी । उसमें कई दाँतेयुक्त चकरियाँ (toothed wheels) लगी होती थी जो घूमती रहती थी चक्रियों के दाँतो पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे प्रत्येक चक्री का एक स्थानीय मान होता था जैसे –इकाई, दहाई, सैकड़ा आदि इसमें एक चक्री के घूमने के बाद दूसरी चक्री घूमती थी Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं|
Jacquard’s Loom:-
सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर (Weaver) जोसेफ जेकार्ड (Joseph Jacquard) ने कपड़े बुनने के ऐसे लूम (Loom) का अबिष्कार किया जो कपड़ो में डिजाईन (Design) या पैटर्न (Pattern) को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डो से नियंत्रित करता था | इस loom की विशेषता यह थी की यह कपडे के Pattern को Cardboard के छिद्र युक्त पंचकार्ड से नियंत्रित करता था पंचकार्ड पर चित्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा धागों को निर्देशित किया जाता था|
Charles Babbage:-
कप्यूटर के इतिहास में 19 वी शताब्दी को प्रारम्भिक समय का स्वर्णिम युग माना जाता है । अंग्रेज गणितज्ञ Charles Babbage ने एक यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical Calculation Machine) विकसित करने की आवश्यकता तब महसूस की जब गणना के लिए बनी हुई सारणियों में Error आती थी चूँकि यह Tables हस्त निर्मित (Hand-set) थी इसलिए इसमें Error आ जाती थी |
चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने वहन किया । उस मशीन का नाम डिफरेंस इंजिन (Difference Engine) रखा गया, इस मशीन में गियर और साफ्ट लगे थे । यह भाप से चलती थी । सन् 1833 में Charles Babbage ने Different Engine का विकसित रूप Analytical Engine तैयार किया जो बहुत ही शक्तिशाली मशीन थी | बैवेज का कम्प्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं । बैवेज का एनालिटिकल इंजिन आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और यही कारण है कि चार्ल्स बैवेज को कमप्यूटर विज्ञान का जनक कहा जाता हैं |
Dr. Howard Aiken’s Mark-I:-
सन् 1940 में विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटिंग (Electrometrical Computing) शिखर पर पहुँच चुकी थी ।IBM के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ. हॉवर्ड आइकेन ने सन् 1944 में एक मशीन विकसित किया यह विश्व का सबसे पहला “विधुत यांत्रिक कंप्यूटर” था और इसका official Name– Automatic Sequence Controlled Calculator रखा गया। इसे हार्वर्ड विश्वविद्यालय को सन् 1944 के फरवरी माह में भेजा गया जो विश्वविद्यालय में 7 अगस्त 1944 को प्राप्त हुआ | इसी विश्वविद्यालय में इसका नाम मार्क- I पड़ा| यह 6 सेकंड में 1 गुणा व 12 सेकंड में 1 भाग कर सकता था|
A.B.C. (Atanasoff – Berry Computer) :-
सन् 1945 में एटानासोफ़ (Atanasoff) तथा क्लोफोर्ड बेरी (Clifford berry) ने एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन का विकास किया जिसका नाम ए.बी.सी.(ABC) रखा गया| ABC शब्द Atanasoff Berry Computer का संक्षिप्त रूप हैं | ABC सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (Electronic Digital Computer) था |
Computer System Concept (कंप्यूटर की अवधारणा)
एक या एक से अधिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यरत इकाइयों के समूह को एक “System” कहते हैं| जैसे – Hospital एक System है जिसकी इकाइयां (units) Doctor, Nurse, Medical, Treatment, Operation, Peasant आदि हैं | इसी प्रकार Computer भी एक System के रूप में कार्य करता है जिसके निम्नलिखित भाग हैं|
Hardware
Software
User
Hardware:- Computer के वे भाग जिन्हें हम छु सकते है देख सकते है Hardware कहलाते हैं| जैसे-Keyboard, Mouse, Printer, Scanner, Monitor, C.P.U. etc.
Software:- Computer के वे भाग जिन्हें हम छु नहीं सकते सिर्फ देख सकते हैं सॉफ्टवेयर (Software) कहलाते हैं| जैसे- MS Word, MS Excel, MS PowerPoint, Photoshop, PageMaker etc.
User:- वे व्यक्ति जो Computer को चलाते है Operate करते है और Result को प्राप्त करते है, User कहलाते हैं|
Speed (गति):- आप पैदल चल कर कही भी जा सकते है फिर भी साईकिल, स्कूटर या कार का इस्तेमाल करते है ताकि आप किसी भी कार्य को तेजी से कर सके Machine की सहायता से आप कार्य की Speed बड़ा सकते है इसी प्रकार Computer किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है Computer कुछ ही Second में गुणा, भाग, जोड़, घटाना जैसी लाखो क्रियाएँ कर सकता है यदि आपको 500*44 का मान ज्ञात करना है तो आप 1 या 2 Minute लेगे यही कार्य Calculation से करे तो वह लगभग 1 या 2 Second का समय लगेगा पर कंप्यूटर एसी लाखों गणनाओ को कुछ ही सेकंड में कलर सकता हैं|
Automation (स्वचालन):-
हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार की स्वचलित मशीनों का Use करते है Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचलित (Automatic) तरीके से करता है कंप्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम के एक बार लोड हो जाने पर स्वत: करता रहता हैं|
Accuracy (शुद्धता):-
Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के करता है यदि आपको 10 अलग-अलग संख्याओ का गुणा करने के लिए कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेगे | लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता है Computer द्वारा गलती किये जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data Input करना होता है क्योकि Computer स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं|
Versatility (सार्वभौमिकता):-
Computer अपनी सार्वभौमिकता के कारण बढ़ी तेजी से सारी दुनिया में अपना प्रभुत्व जमा रहा है Computer गणितीय कार्यों को करने के साथ साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा है| Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा है| जैसे- Bank, Railway, Airport, Business, School etc.
High Storage Capacity (उच्च संग्रहण क्षमता):-
एक Computer System में Data Store करने की क्षमता बहुत अधिक होती है Computer लाखो शब्दों को बहुत कम जगह में Store करके रख सकता है यह सभी प्रकार के Data, Picture, Files, Program, Games and Sound को कई बर्षो तक Store करके रख सकता है तथा बाद में हम कभी भी किसी भी सूचना को कुछ ही Second में प्राप्त कर सकते है तथा अपने Use में ला सकते है|
Diligence (कर्मठता):-
आज मानव किसी कार्य को निरंतर कुछ ही घंटो तक करने में थक जाता है इसके ठीक विपरीत Computer किसी कार्य को निरंतर कई घंटो, दिनों, महीनो तक करने की क्षमता रखता है इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती हैं| Computer किसी भी दिए गए कार्य को बिना किसी भेदभाव के करता है चाहे वह कार्य रुचिकर हो या न हो |
Reliability (विश्वसनीयता):-
Computer की Memory अधिक शक्तिशाली होती है Computer से जुडी हुई संपूर्ण प्रक्रिया विश्वसनीय होती है यह वर्षों तक कार्य करते हुए थकता नहीं है तथा Store Memory वर्षों बाद भी Accurate रहती हैं|
Power of Remembrance (याद रखने की क्षमता):-
व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बाते करता है लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है लेकिन Computer सभी बाते चाहे वह महत्वपूर्ण हो या ना हो सभी को Memory के अंदर Store करके रखता है तथा बाद में किसी भी सूचना की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता हैं|
Lack of Intelligence:-
Computer एक Machine है| इसका कार्य User द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करना है Computer किसी भी स्थिति में न तो निर्देशों से अधिक और न ही इससे कम कार्य करता है Computer एक बिलकुल मुर्ख नौकर की तरह कार्य करता है इसे यदि आप कहे की जाओ और बाजार से सब्जी खरीद लो ऐसा निर्देश देने पर वह बाजार जायेगा और सब्जी भी ख़रीदेगा परन्तु सब्जी लेकर घर तक कभी नहीं लौटेगा | यहाँ प्रश्न उठता है- क्यों? इसका सीधा उत्तर है कि उससे आपने सब्जी खरीदने को अवश्य कहा पर उसे घर लाने को नहीं कहा | इसका अर्थ यह है कि Computer के अंदर सामान्य बोध नहीं होता हैं|
Unable in Self Protection:-
Computer चाहे कितना शक्तिशाली क्यों न हो परन्तु उसका नियंत्रण मानव के पास ही होता है Computer किसी भी प्रकार से आत्मरक्षा नहीं कर सकता है उदाहरण के लिए श्याम नामक किसी व्यक्ति ने एक ई-मेल अकाउंट बनाया तथा एक विशेष पासवर्ड उसने Account खोलने के लिए चुना | Computer यह नहीं देखता कि उस Account को खोलने वाला श्याम ही है या नहीं बल्कि वह देखता है कि Password क्या हैं|
Lack of Decision Making:-
Computer में निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है क्योकि Computer एक बुद्धिमान मशीन नहीं है यह सही या गलत कि पहचान नहीं कर पाती है|
Computer को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया गया हैं|
कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Mechanism)
उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)
आकार के आधार पर (Based on Size)
Based on Mechanism:- कार्यप्रणाली के आधार पर इन्हें तीन भागो Analog, Digital, and Hybrid में वर्गीकृत किया गया हैं|
Analog Computer:-
Analog Computer वे Computer होते है जो भौतिक मात्राओ, जैसे- दाब (Pressure), तापमान (Tempressure), लम्बाई (Length), ऊचाई (Height) आदि को मापकर उनके परिमाप अंको में व्यक्त करते है ये Computer किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते है जैसे- थर्मामीटर |
Analog Computer मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते है क्योकि इन क्षेत्रो में मात्राओ का अधिक उपयोग होता हैं| उदाहरणार्थ, एक पट्रोल पम्प में लगा Analog Computer, पम्प से निकले पट्रोल कि मात्रा को मापता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य कि गणना करके Screen पर दिखाता हैं|
Digital Computer:-
Digit का अर्थ होता है अंक | अर्थात Digital Computer वह Computer होता है जो अंको कि गणना करता है Digital Computer वे Computer है जो व्यापार को चलाते है, घर का वजट तैयार करते है औ प्रकार के Computer किसी भी चीज कि गणना करके “How Many” (मात्रा में कितना) के आधार पर प्रश्न का उत्तर देता हैं|
Hybrid Computer:-
Hybrid Computer का अर्थ है अनेक गुण धर्मो वाला होना | अत: वे Computer जिनमे Analog Computer or Digital Computer दोनों के गुण हो Hybrid Computer कहलाते है जैसे- पेट्रोल पम्प की मशीन भी एक Hybrid Computer हैं|
Based on Purpose:- Computer को उद्देश्य के आधार पर दो भागो में Special Purpose और General Purpose के आधार पर वर्गीकृत किया गया हैं|
Special Purpose:-
Special Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें किसी विशेष कार्य के लिये तैयार किया जाता है इनके C.P.U. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है जिसके लिये इन्हें तैयार किया जाता हैं|जैसे- अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, उपग्रह संचालन, अनुसंधान एवं शोध, यातायात नियंत्रण, कृषि विज्ञान, चिकित्सा आदि |
General Purpose:-
General Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें सामान्य उद्देश्य के लिये तैयार किया गया है इन Computer में अनेक प्रकार के कार्य करने कि क्षमता होती है इनमे उपस्थित C.P.U. की क्षमता तथा कीमत कम होती हैं| इन Computers का प्रयोग सामान्य कार्य हेतु जैसे- पत्र (Letter) तैयार करना, दस्तावेज (Document) तैयार करना, Document को प्रिंट करना आदि के लिए किया जाता हैं|
Based on Size:-
Computer को आकार के आधार पर हम निम्न श्रेणियों में बाँट सकते है –
Super Computer:-
ये सबसे अधिक गति वाले Computer व अधिक क्षमता वाले Computer हैं| इनमे एक से अधिक C.P.U. लगाये जा सकते है व एक से अधिक व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं| ये Computer सबसे महँगे होते है व आकार में बहुत बड़े होते हैं|
Mini Computer:-
Micro Computer से कुछ अधिक गति व मेमोरी वाले Computer Mini Computer कहलाते है इनमे एक से अधिक C.P.U. हो सकते है व ये Micro Computer से महँगे होते हैं|मिनी Computer का उपयोग यातायात में यात्रियों के लिये आरक्षण-प्रणाली का संचालन और बैंको के बैंकिंग कार्यों के लिये होता हैं|
Main Frame Computer:-
Main Frame Computer, Mini Computer से कुछ अधिक गति व क्षमता वाले Computer Main Frame Computer कहलाते हैं|ये Computer आकार में बहुत बड़े होते है इनमे अत्यधिक मात्रा के Data पर तीव्रता से Process करने कि क्षमता होती है इसीलिए इनका उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंको, रेल्वे आरक्षण, सरकारी विभाग द्वारा किया जाता हैं|
Micro Computer:-
इस Computer को Micro Computer दो कारणों से कहा जाता है पहला इस Computer में Micro Processor का प्रयोग किया जाता है दूसरा यह Computer दूसरे Computer कि अपेक्षा आकार में छोटा होता है Micro Computer आकार में इतना छोटा होता है कि इसको एक Study Table अथवा एक Briefcase में रखा जाता सकता हैं| यह Computer सामान्यतःसभी प्रकार के कार्य कर सकता है इसकी कार्य प्रणाली तो लगभग बड़े कंप्यूटर्स के सामान ही होती है परन्तु इसका आकार उनकी तुलना में कम होता हैं| इस Computer पर सामान्यतः एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता हैं|
Desktop Computer:-
Desktop Computer एक ऐसा Computer है जिसे Desk पर सेट किया जाता है इसमें एक C.P.U., मोनिटर (Monitor), कि-बोर्ड (keyboard), तथा माउस (Mouse) होते हैं| इन्हें हम अलग अलग देख सकते हैं| Desktop Computer की कीमत कम होती है परन्तु इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता हैं|
Input Device:-
Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं| Computer में कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं|
“Input Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|”
Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –
Keyboard
Mouse
Joystick
Trackball
Light pen
Touch screen
Digital Camera
Scanner
Digitizer Tablet
Bar Code Reader
OMR
OCR
MICR
ATM etc.
C.P.U.:-
C.P.U का पूरा नाम सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) हैं| इसका हिंदी नाम केन्द्रीय संसाधन इकाई होता हैं| यह Computer का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता हैं| अर्थात इसके बिना Computer सिस्टम पूर्ण नहीं हो सकता है, इससे सभी Device जुड़े हुए रहते है जैसे- Keyboard, Mouse, Monitor आदि | इसे Computer का मष्तिस्क (Mind) भी कहते है| इसका मुख्य कार्य प्रोग्राम (Programs) को क्रियान्वित (Execute) करना है इसके आलावा C.P.U Computer के सभी भागो, जैसे- Memory, Input, Output Devices के कार्यों को भी नियंत्रित करता हैं|
C.P.U (Central Processing Unit) के तीन भाग होते है –
A.L.U.
Memory
C.U.
(a) A.L.U (Arithmetic Logic Unit):-
एरिथ्मेटिक एवं लॉजिक यूनिट को संक्षेप में A.L.U कहते हैं| यह यूनिट डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़, घटाना, गुणा, भाग) और तार्किक क्रियायें (Logical operation) करती हैं| A.L.U Control Unit से निर्देश लेता हैं| यह मेमोरी (memory) से डाटा को प्राप्त करता है तथा Processing के पश्चात सूचना को मेमोरी में लौटा देता हैं| A.L.U के कार्य करने की गति (Speed) अति तीव्र होती हैं| यह लगभग 1000000 गणनाये प्रति सेकंड (Per Second) की गति से करता हैं| इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) की गणनाएँ करने में सक्षम होता हैं|
(b) Memory:-
यह Input Device के द्वारा प्राप्त निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश भी कहाँ जाता है| मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार मेमोरी (Memory) हैं| यह मेमोरी C.P.U का अभिन्न अंग है, यह एक संग्राहक उपकरण (Storage Device) हैं| अतः इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं|
“Computer का वह स्थान जहाँ सभी सूचनाओ, आकडों या निर्देशों को Store करके रखा जाता है मेमोरी कहलाती हैं|”
(c) C.U.:-
C.U. का पूरा नाम कंट्रोल यूनिट (Control Unit) होता हैं| C.U. हार्डवेयर कि क्रियाओ को नियंत्रित और संचालित करता हैं| यह Input, Output क्रियाओ को नियंत्रित (Control) करता है साथ ही Memory और A.L.U. के मध्य डाटा के आदान प्रदान को निर्देशित करता है यह प्रोग्राम (Program) को क्रियान्वित करने के लिये निर्देशों को मेमोरी से प्राप्त करता हैं| निर्देशों को विधुत संकेतों (Electric Signals) में परिवर्तित करके यह उचित डीवाइसेज तक पहुचता हैं|
Output Device:-
Output Device वे Device होते है जो User द्वारा इनपुट किये गए डाटा को Result के रूप में प्रदान करते हैं |
Output Device के द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामो (Result) को प्राप्त किया जाता है इन परिणामों को प्राय: डिस्प्ले डीवाइसेज (स्क्रीन) या प्रिंटर के द्वारा User को प्रस्तुत किया जाता हैं| मुख्य रूप से Output के रूप में प्राप्त सूचनाएं या तो हम स्क्रीन पार देख सकते है या प्रिंटर से पेज पर प्रिंट कर सकते है या संगीत सुनने के लिये आउटपुट के रूप में स्पीकर का उपयोग कर सकते हैं, Output Device कई प्रकार के होते है जैसे-
Monitor
Printer
Plotter
Projector
Sound Speaker
Memory (मेमोरी)
यह Device Input Device के द्वारा प्राप्त निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश्त भी कहाँ जाता है| मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार Computer में डाटा को याद रखने के लिए मेमोरी (Memory) होती हैं| यह मेमोरी C.P.U का अभिन्न अंग है,इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं|
“किसी भी निर्देश, सूचना, अथवा परिणामों को स्टोर करके रखना मेमोरी कहलाता हैं|”
कंप्यूटरो में एक से अधिक मेमोरी होती है हम उनको सामान्यतः प्राथमिक (Primary) व द्वितीयक (Secondary) मेमोरी के रूप में वर्गीकृत कर सकते है प्राथमिक मेमोरी अस्थिर (Volatile) तथा स्थिर (Non-Volatile) दोनों प्रकार कि होती है| अस्थिर मेमोरी (Temprery Memory) डेटा को अस्थाई रूप से कंप्यूटर ऑन होने से लेकर कंप्यूटर बंद होने तक ही रखते है अर्थात कंप्यूटर अचानक बंद होने या बिजली के जाने पर कंप्यूटर से डाटा नष्ट हो जाता है स्थिर मेमोरी (Permanent Memory) आपके कंप्यूटर को प्रारंभ करने में सहायक होती हैं| इसमें कुछ अत्यंत उपयोगी फर्मवेयर होते है जो कंप्यूटर को बूट करने में मदद करते है बूटिंग कंप्यूटर को शुरू करने कि प्रक्रिया को कहा जाता है इसे मुख्य मेमोरी कहा जाता हैं| द्वितीयक संग्रहण वह है जो हमारे डाटा को लंबे समय तक रखता है द्वितीयक संग्रहण कई रूपों में आते हैं| फ्लोपी डिस्क, हार्ड डिस्क, सी.डी. आदि |
बिट अथवा बाइट:- मेमोरी में स्टोर किया गया डाटा 0 या 1 के रूप में परिवर्तित हो जाता है 0 तथा 1 को संयुक्त रूप से बाइनरी डिजिट कहा जाता हैं| संक्षेप में इन्हें बिट भी कहा जाता हैं| यह बिट कंप्यूटर कि मेमोरी में घेरे गे स्थान को मापने की सबसे छोटी इकाई होती हैं|
8 Bits = 1 Bytes
1024 Bytes = 1 Kilobyte (1 KB)
1024 KB = 1 Megabyte (1MB)
1024 MB = 1 Gigabyte (1 GB)
1024 GB = 1 Terabyte (1 TB)
मेमोरी दो प्रकार की होती हैं|
प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
सेकंडरी मेमोरी (Secondary Memory)
Primary Memory:-
Memory कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जहाँ डाटा, सूचना, एवं प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहते है और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध रहते है यह मेमोरी अस्थिर मेमोरी होती है क्योकि इसमें लिखा हुआ डाटा कंप्यूटर बंद होने या बिजली के जाने पर मिट जाता है प्राइमरी मेमोरी कहलाती हैं| इसे प्राथमिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहते हैं|
प्राइमरी मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
रैम (RAM)
रोम (ROM)
RAM (Random Access Memory):-
RAM या Random Access Memory कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी (Temprery Memory) होती हैं| की-बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा प्रक्रिया से पहले रैम में ही संगृहीत किया जाता है और सी.पी.यू. द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से प्राप्त किया जाता है रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संगृहीत रहता है कंप्यूटर बंद हो जाने या विजली चले जाने पर रैम में संगृहीत (Store) डाटा मिट जाता हैं| इसलिए रैम को Volatile या अस्थाई मेमोरी कहते है रैम की क्षमता या आकार कई प्रकार के होते है जैसे कि- 4 MB, 8 MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB, 128 MB, 256 MB आदि | रैम तीन प्रकार कि होती हैं|
Dynamic RAM
Synchronous RAM
Static RAM
Dynamic RAM:- Dynamic RAM को संक्षिप्त में डीरैम (DRAM) कहा जाता हैं| रैम (RAM) में सबसे अधिक साधारण डीरैम (DRAM) है तथा इसे जल्दी जल्दी रिफ्रेश (Refresh) करने कि आवश्यकता पड़ती हैं| रिफ्रेश का अर्थ यहाँ पर चिप को विधुत अवशेषी करना होता है यह एक सेकंड में लगभग हजारों बार रिफ्रेश होता है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने के कारण यह पहले कि विषय वस्तु को मिटा देती है इसके जल्दी जल्दी रिफ्रेश होने के कारण इसकी गति (Speed) कम होती हैं|
Synchronous RAM:- Synchronous RAM डीरैम(DRAM) कि अपेक्षा ज्यादा तेज हैं| इसकी तेज गति का कारण यह है कि यह सी.पी.यू. की घडी कि गति के अनुसार Refresh होती हैं| इसीलिए ये डीरैम कि अपेक्षा डाटा (Data) को तेजी से स्थानांतरित (Transfer) करता हैं|
Static RAM:- Static RAM ऐसी रैम है जो कम रिफ्रेश होती हैं| कम रिफ्रेश (Refresh) होने के कारण यह डाटा को मेमोरी में अधिक समय तक रखता हैं| डीरैम की अपेक्षा एस-रैम तेज तथा महँगी होती हैं|
ROM (Read only memory):- रोम का पूरा नाम रीड ऑनली मेमोरी होता हैं| यह स्थाई मेमोरी (Permanent memory) होती है जिसमे कंप्यूटर के निर्माण के समय प्रोग्राम Store कर दिये जाते हैं| इस मेमोरी में Store प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किये जा सकते है, उन्हें केवल पढ़ा जा सकता हैं| इसलिए यह मेमोरी रीड ऑनली मेमोरी कहलाती हैं| कंप्यूटर का स्विच ऑफ होने के बाद भी रोम में संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता हैं| अतः रोम नॉन-वोलेटाइल या स्थाई मेमोरी कहलाती हैं| रोम के विभिन्न प्रकार होते है जो निम्नलिखित है –
PROM (Programmable Read Only Memory)
EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
EEPROM (Electrical Programmable Read Only Memory)
PROM:- PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory होता है यह एक ऐसी मेमोरी है इसमें एक बार डाटा संग्रहित (Store) होने के बाद इन्हें मिटाया नहीं जा सकता और न ही परिवर्तन (Change) किया जा सकता हैं|
EPROM:- EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है यह प्रोम (PROM) की तरह ही होता है लेकिन इसमें संग्रहित प्रोग्राम (Store Program) को पराबैगनी किरणों (Ultraviolet rays) के द्वारा ही मिटाया जा सकता है और नए प्रोग्राम संग्रहित (Store) किये जा सकते हैं|
EEPROM:- EEPROM का पूरा नाम Electrical Programmable Read Only Memory होता हैं| एक नई तकनीक इ-इप्रोम (EEPROM) भी है जिसमे मेमोरी से प्रोग्राम को विधुतीय विधि से मिटाया जा सकता हैं