Faculty                                (सदस्यगण )


प्रोफेसर संजीव कुमार

एम.ए., पीएच.डी.

विशेषज्ञता: हिंदी कथा-साहित्य

डॉ. संजीव कुमार ने 1992 में ‘तीसरी क़सम कहानी और फिल्म का तुलनात्मक अध्ययन’ विषय पर एम.फिल. के लिए लघु शोध-कार्य किया और 2002 में ‘प्रेमचंदोत्तर उपन्यासों की सैद्धांतिकी और उसका रचनात्मक उपयोग’ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इनके साठ से अधिक आलेख प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। दो पुस्तकें हिंदी के प्रतिष्ठित प्रकाशकों के यहाँ से प्रकाशित हैं, साथ ही संपादित एवं सह-संपादित पुस्तकों की संख्या बारह है। इन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण आलेखों एवं पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद भी किया है। आलोचना के लिए 2011 के देवीशंकर अवस्थी सम्मान और 2019 के रेवांत मुक्तिबोध सम्मान से सम्मानित हैं। 2009 से ये त्रैमासिक नया पथ के संपादक-मंडल में शामिल हैं और 2018 से त्रैमासिक आलोचना के संपादक (प्रो. आशुतोष कुमार के साथ) हैं।साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में ये निरंतर सक्रिय रहे हैं। स्थानीय आयोजनों के अलावा इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की तीस से अधिक संगोष्ठियों तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के दो परिसंवादों में आमंत्रित वक्ता के रूप में भागीदारी की है।

Webpage - https://sites.google.com/db.du.ac.in/sanjeev-kumar/home 


प्रोफेसर ललित मोहन 

शिक्षा : एम.ए. ,एम.फिल,पीएच.डी.

दिल्ली विश्वविद्यालय से।

विशेषज्ञता :भारतीय साहित्य, मध्यकालीन कविता , काव्यशास्त्र, भाषा विज्ञान एवं दलित साहित्य

     

            डाॅ. ललित मोहन के एम.फिल  शोध- प्रबंध का विषय "पल्लव और परिमल की भूमिका का तुलनात्मक अध्ययन" है। आपके पीएच.डी. का शोध विषय 

"मध्यकालीन हिंदी कवयित्रियों के काव्य में सामाजिक चेतना" रहा।

     यूजीसी की वृहद शोध परियोजना के अंतर्गत किया गया शोध कार्य,  जिसका विषय है "दलित साहित्य की अवधारणा और उसके अंतर्विरोध" ।

पुस्तक :  मध्यकालीन हिंदी कवयित्रियों  की सामाजिक चेतना,

'भारतीय साहित्य दृश्य और दृष्टि' का संपादन कर रहे हैं।

प्रोफेसर ललित मोहन के शोध परक लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं ।


Webpage - https://sites.google.com/db.du.ac.in/lalit-mohan/home 

प्रोफेसर बजरंग बिहारी तिवारी (प्रभारी )

शिक्षाएम.., एम.फिल., पीएच.डी.

विशेषज्ञताभक्तिकाव्य, अस्मिता-विमर्श और दलित साहित्य

 

डॉ. बजरंगबिहारी तिवारी ने यूजीसी की रिसर्च फेलोशिप के तहत 1996 मेंचौरासी वैष्णव की वार्ता : एक सांस्कृतिक अध्ययनविषय पर एम. फिल. की उपाधि के लिए लघु शोध-प्रबंध लिखा और 2000 मेंभक्ति-संवेदना और सत्ता-प्रतिष्ठान : पुष्टिमार्गीय साहित्य के संदर्भ मेंशीर्षक शोधकार्य हेतु पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की| इनके शताधिक आलेख और समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं| वर्ष 2004 से हिंदी की साहित्यिक मासिक पत्रिकाकथादेशमेंदलित-प्रश्नशीर्षक से स्तंभ लेखन कर रहे हैं| पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं| सह-संपादन में पाँच पुस्तकें छपी हैं| इनके लेखों का अनुवाद पंजाबी, मराठी, बांग्ला, तेलुगु, गुजराती, अंग्रेजी, फ्रेंच आदि भाषाओं में हुआ है| बजरंगबिहारी ने विभिन्न राष्ट्रीय प्रादेशिक संगोष्ठियों, कार्यक्रमों में डेढ़ सौ से अधिक व्याख्यान दिए हैं| इन्हें अपने साहित्यिक योगदान के लिए ये पुरस्कार, सम्मान प्राप्त हो चुके हैं - ‘डॉ. शिव कुमार मिश्र स्मृति आलोचना सम्मान – 2016’, ‘जे.सी. जोशी स्मृति शब्द साधक आलोचना सम्मान – 2017’, ‘महाकवि भवभूति अलंकरण – 2018’, ‘ओम प्रकाश चतुर्वेदीपरागपुरस्कार - 2019-20’, ‘किस्सा कोताह कथेतर साहित्य पुरस्कार – 2020’ औरडॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान - 2020'

Webpage- https://sites.google.com/db.du.ac.in/bajrang-bihari-tiwari/home 

 श्री विभास चन्द्र वर्मा 

 एसोशिएट प्रोफेसर

शिक्षा- एम. ए., एम. फिल्

विशेषज्ञता- आधुनिक हिन्दी साहित्य, लोकप्रिय साहित्य, साहित्य का इतिहास

                    विभास चन्द्र वर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में स्नातक (प्रतिष्ठा) और स्नातकोत्तर परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान पाकर उत्तीर्ण की हैं जिसके लिए उन्हें ‘सावित्री सिन्हा स्मृति स्वर्ण पदक’ तथा ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने ‘हिन्दी साहित्य की संवेदना के बदलाव में प्रतीक पत्रिका की भूमिका’ विषय पर अपना लघु शोध-प्रबंध लिखा। वे देशबन्धु कॉलेज में 2001 से अध्यापन कर रहे हैं। हिन्दी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘कथादेश’ में कई वर्षों तक ‘लोकवृत्त’ नामक स्तंभ लिखा, जिसमें हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित सामग्री की विवेचना की जाती थी। वे हिन्दी की मानक पत्रिका ‘हंस’ के सम्पादन-मंडल के 7 वर्षों तक (2013-2020) सदस्य रहे हैं। ‘हंस के विमर्श’ नामक पुस्तक का (2 खंडों में) सम्पादन किया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी समीक्षाएँ और शोध-आलेख प्रकाशित हुए हैं। वे 2009 से 2014 तक हिन्दी अकादमी दिल्ली की संचालन समिति के सदस्य रहे हैं। उन्होंने 2009 में जर्मनी के हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में भाग लिया और पर्चा पढ़ा , इसी वर्ष जर्मनी के त्यूबिंगन विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार में भी प्रपत्र प्रस्तुत किया। 2017 में उन्होंने एडम मीस्केविज़ विश्वविद्यालय, पोज़्नान, पोलैंड के ओरियंटल स्टडीज़ विभाग में आमंत्रित व्याख्यान दिया और एक कार्यशाला का संचालन किया। इसी वर्ष व्रत्स्वाफ़ विश्वविद्यालय, पोलैंड के इडोलॉजी विभाग तथा जाग्येलोनियन विश्वविद्यालय, क्राकोव, पोलैंड में लोकप्रिय साहित्य पर व्याख्यान दिया। वे ‘यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ़ साउथ एशियन स्टडीज़’ के सदस्य हैं और उन्होंने 2021 में इस एसोशिएशन की विएना काँग्रेस के लिए एक प्रपत्र प्रस्तुत किया है।

Webpage - https://sites.google.com/db.du.ac.in/vibhas-chandra-verma/home 

प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह 

एम.ए.,एम.फिल.,पीएच.डी.

विशेषज्ञता का क्षेत्र : हिन्दी कविता एवं हिन्दी आलोचना

डॉ. मनोज कुमार सिंह ने 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय से आधुनिक हिन्दी कविता (विशेष अध्ययन) के साथ एम.ए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कनिष्ठ शोधवृत्ति के तहत ‘दूसरी परंपरा की  खोज के संदर्भ में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की इतिहास-दृष्टि’ नामक लघु शोध-प्रबंध पर 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की ।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वरिष्ठ शोधवृत्ति के तहत ‘भक्ति आंदोलन का स्वरूप-चिंतन और हिन्दी आलोचना’ नामक शोध-प्रबंध पर दिल्ली विश्वविद्यालय से 2002 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इसी वर्ष देशबंधु महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में  स्थायी प्रवक्ता के रूप में नियुक्ति। देश के महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिकाओं में तीस से अधिक आलेख तथा बीस से अधिक पत्र-पत्रिकाओं  में कविताएं प्रकाशित। साथ ही समकालीन हिन्दी कविता के अनेक काव्य-संग्रहों में कविताएं संकलित । कुछ कविताओं का फ्रेंच भाषा में अनुवाद। ‘भक्ति आंदोलन और हिन्दी आलोचना’ पुस्तक का 2015 में प्रकाशन। राजेंद्रप्रसाद अकादेमी,हिन्दी अकादेमी तथा लिखावट संस्थान की ओर से 2016 में इस पुस्तक पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित। ‘हमारा जनतंत्र और मिथिलेश श्रीवास्तव की कविताएं’ पुस्तक के अतिरिक्त तीन और पुस्तकों का सम्पादन । दिल्ली विश्वविद्यालय (हिन्दी विभाग) के दो पीएच.डी. छात्रों का शोध निर्देशक। साखी,अनभै-साँचा,अपनी माटी तथा स्पार्क न्यूज जैसी पत्र-पत्रिकाओं के साथ सक्रिय भागीदारी। देश की बात,लिखावट, जनवादी लेखक संघ,प्रगतिशील लेखक संघ,हिन्दी अकादेमी ,साहित्य अकादेमी तथा सार्क जैसी साहित्यिक-सांस्कृतिक  संस्थाओं तथा देश के विभिन्न विश्वविद्यालय के साहित्यिक कार्यक्रमों में वक्ता  तथा कवि के रूप में भागदारी । 

Website: प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह  

Webpage : https://sites.google.com/view/manojkumarsingh/home 

डॉ. अनुज कुमार रावत 

एसोशिएट प्रोफेसर

आरंभिक शिक्षा - देहरादून

स्नातक से पीएचडी की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय।

शिक्षक प्रशिक्षण (B.ED) दिल्ली विश्वविद्यालय।

विशेषज्ञता का क्षेत्र- कथा साहित्य।

10 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठीओं और कई संकाय संवर्धन कार्यक्रमों में भागीदारी।

2008 से देशबंधु महाविद्यालय में अध्यापन कार्य।

इन्होंने नाटककार शंकर शेष के महत्वपूर्ण नाटक "रक्तबीज" में समाज बोध पर अपना लघु शोध कार्य किया और 2018 में "श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन" विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, साथ ही इनके कुछ शोध - आलेख पत्रिकाओं में छपे हैं ।

इसके अतिरिक्त विकलांगों से संबंधित गैर सरकारी संगठन जैसे- सक्षम संभावना आदि से जुड़े हैं।

Webpage-https://sites.google.com/db.du.ac.in/anujkumarrawat/home

डॉ . छोटू राम मीणा 

एसोशिएट प्रोफेसर

आरम्भिक शिक्षा- जयपुर (दौलतपुरा, झर व चावण्डिया)

स्नातक से पीएच.डी.- दिल्ली विश्वविद्यालय।

पत्रकारिता में स्नातक व परास्नातक डिग्री- वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा (राजस्थान)

बीस से अधिक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी।

विशेषज्ञता के क्षेत्र- यात्रा-साहित्य, आदिवासी साहित्य, पत्रकारिता व लोकसाहित्य।

लेखन- राजस्थानी भाषा में कविताएँ।

भाषाएँ- राजस्थानी, हिंदी, पंजाबी, गुजराती, अंग्रेजी का कामचलाऊ ज्ञान।

समाज में कमजोर व आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए समर्पित संस्था संपर्क सोसायटी में एक दशक से कार्यरत।

Webpage - https://sites.google.com/db.du.ac.in/crmeena/home


डॉ. प्रेम प्रकाश शर्मा

असिस्टेंट प्रोफेसर 

एम..,पीएच . डी

विशेषज्ञता का क्षेत्र : मध्यकाल

डॉ. प्रेम प्रकाश शर्मा ने हिन्दी विषय में एम. . तथा पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र हिन्दी साहित्य का मध्यकाल रहा।वर्तमान में वे सहायक प्रोफेसर हिन्दी के पद पर कार्यरत हैं। उनको लगभग 23 वर्ष का शिक्षण अनुभव प्राप्त है। उनका शोधग्रंथ, युगबोध (कविता संग्रह)  व 17 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय , राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संगोष्ठी ,सम्मेलन ,कार्यशाला व वेबीनार में 15 शोध पत्र प्रस्तुत किए तथा 32 में सक्रिय रूप से भाग लिया वे महाविद्यालय व विभाग के सभी सांस्कृतिक तथा साहित्यिक कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं.


Webpage - https://sites.google.com/db.du.ac.in/mywebpage/home

डॉ नविता चौधरी

असिस्टेंट प्रोफेसर

शिक्षा : एम.ए. - जे एन यू, एम. फिल. -दिल्ली विश्वविद्यालय 

 पी- एच डी.- जे एन यू  


विशेषज्ञता का क्षेत्र : हिंदी नाटक 

   डॉ नविता चौधरी ने भारतेंदु का 'नाटक' (निबंध) और हिन्दी नाट्यलोचन का आरंभ विषय पर एम.फिल. तथा 'भारतेंदु की रचना में लोक जीवन की अभिव्यक्ति' विषय पर पीएचडी किया है। देशबंधु महाविद्यालय में वर्ष 2012 से सहायक प्रोफेसर के रूप में अध्यापन तथा महाविद्यालय के अन्य गतिविधियों में सक्रीय रहीं हैं। इन्होंने इग्नू के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकता में सहायक क्षेत्रीय निदेशक के पद पर भी कार्य किया है। इनकी तीन पुस्तकें तथा अनेक पत्रिकाओं में आलेख और समीक्षाएं प्रकाशित हैं। राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भी सक्रीय भागीदारी रही है।


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डॉ. रानी कुमारी

असिस्टेंट प्रोफेसर 

शिक्षा : एम.ए. , पीएच.डी.

विशेषज्ञता : हिंदी कथा-साहित्य 


     आधुनिक साहित्य के दो महत्वपूर्ण हस्ताक्षर मनोहर श्याम जोशी और उदय प्रकाश के कथा साहित्य पर आपका शोध कार्य है। आपने अपनी काव्य क्षमता आलोचना दृष्टि और मंचीय भागीदारी से साहित्यिक सांस्कृतिक परिदृश्य पर अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करवाई है।

 आपने दिल्ली सरकार के तत्वावधान में मार्च 2016, को काव्य पाठ किया जिसके लिए दस हज़ार रूपए की मानदेय राशि प्राप्त हुई। दिल्ली सरकार , हिंदी अकादमी की पत्रिका इंद्रप्रस्थ भारती में सितंबर 2016, नई पौध काॅलम में पहली बार कविता प्रकाशित होने पर आपको पांँच हज़ार रूपए की मानदेय राशि प्राप्त हुई।

 साथ ही कनाडा से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका 'साहित्य कुँज 'में कविता और कहानी प्रकाशित हुई है। हंस ,कथा देश, संवेद, देश हरियाणा युद्धरत आम आदमी ,स्त्रीकाल जैसी राष्ट्रीय स्तर की अनेक महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में आपकी कविताएँ, कहानी, आलोचनात्मक लेख , समीक्षाएं अनवरत प्रकाशित हो रही हैं। 

   महाविद्यालय में अकादमिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया है। संकाय संवर्धन कार्यक्रम अर्थात एफडीपी करके आपने शिक्षा और शिक्षण के कई अनुभव अर्जित किए हैं , जिनका उपयोग महाविद्यालय शिक्षण में हो रहा है

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डॉ. राकेश कुमार सिंह 

असिस्टेंट प्रोफेसर 

शिक्षा : एम. फिल. , पीएच. डी. : आर्ट्स फेकल्टी, दिल्ली विश्वविद्यालय

विशेषज्ञता:  हिंदी कथा - साहित्य

       डॉ. राकेश ने 'समय सरगम (कृष्णा सोबती) के वृद्ध पात्र' विषय पर वर्ष 2003 में एम.फिल. और वर्ष 2008 में 'स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कथा- साहित्य में परिवार का बदलता स्वरूप' विषय पर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। मार्च 2004 से फरवरी 2006 के लिए इन्हें भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा कथा- साहित्य में शोध कार्य हेतु हिंदी साहित्य का जूनियर फेलोशिप भी प्रदान किया गया। वृद्धावस्था से संबंधित शोध कार्य के प्रति दिलचस्पी ने इन्हें हेल्पेज इंडिया की हिंदी पत्रिका 'आयु रक्षा' और भारत सरकार के 'राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान' से जुड़ने का मौका दिया। समय-समय पर हिंदी के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेख व समीक्षात्मक लेख भी प्रकाशित होते रहे हैं। 

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