पूज्य बापूजी का मत

इस विषय में पूज्यश्री भी कहते हैं कि

“ऋषि आश्रम और गुरुकुल जो हैं ना, वो अगर बढ़ते हैं तो कोर्ट की भीड़ कम होने लगती है, जय रामजी की ! ऋषिकुल और गुरुकुल बढ़ते हैं, गुरुकुल नाम दे देना अलग बात है लेकिन गुरु परंपरा से जो सदाचार और संयम सिखाया जाता है, ऐसे गुरुकुल में अगर प्रवेश मिल जाए तो समाज का बेड़ा पार होने में ज्यादा समय नहीं लगता”