(आधुनिक शिक्षा पद्धति में गुरुकुल शिक्षा पद्धति का समन्वय- एक नई पहल...)
आधुनिक समय में प्राचीन गुरुकुलों की पुनः स्थापना कठिन ही नहीं, बल्कि असंभव सी प्रतीत होती है | लेकिन साथ ही साथ प्राचीन गुरुकुलों के प्रयोजन आज के विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य निर्माण के लिए अत्यन्त आवश्यक भी महसूस होते हैं ताकि हमारे विद्यार्थी अपने जीवन को उन्नत आदर्शों से पूर्ण करें और स्वावलंबी बनें यानि आर्थिक, सामाजिक, नैतिक रूप से गुलाम न बनें, आत्मनिर्भर तो बनें ही, इसके साथ-साथ बाँटकर खाने के उदारता जैसे सद्गुणों से युक्त हों यानि अपने निजी जीवन के लिए किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति के आधीन न हों